00:00मसकार, स्वागेते आपका आप देख रहे हैं विशेश आपके सास हुबे नेहा बाथम
00:04पचास का दशक दिलीब कुमार और राज कपूर का था
00:08तो साथ का दशक राजेश करना और देवानन्द का था
00:11और फिर आया सत्तर का दशक
00:13जैसे इंडस्ट्री को धरमेंज ऐसा सूपर स्टार दिया
00:16पहला ऐसा हीरो जो हर जॉनर में फिट हुआ
00:19अक्शन हीरो जबरदस थे
00:22रोमैंटिक फिल्मों के भी बादशा थे
00:24और कॉमेडी टाइमिंग्स तो ऐसी थी
00:27कि बड़े बड़े आक्टर धरमेंज जी के आगे पानी भरते थे
00:30इसलिए तो 1973 में एक साथ 9 हिट फिल्म में दे दी
00:34और आज यही धरम पाजी इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गए है
00:39क्या है बॉलिवुड में धरमेंद होने का मतलब हमारी अगली रिपोर्ट में देखिए
00:44ऐसा नहीं होता तो वो ऐसे शर्माती ना
00:52मुझे आते देख सडक पे माग जाती ना
00:59ऐसा नहीं होता तो वो ऐसे शर्माती ना
01:06मुझे आते देख सडक पे माग जाती ना
01:13धर्बेंदर सिर्फ एक एक एक्टर नहीं, एक दौर
01:42एक यूग, एक पीड़ी, एक विरासत, एक धरुहर थे
01:47बॉलिवुड में धर्मेंदर होने के माईने ये हैं
02:06कि जितना उनका फिल्मी करियर रहा, उतनी तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार्स की उम्र भी नहीं है
02:1265 साल का एक्टिंग करियर, शाहरुक सल्मान की उम्र से भी जादा एक्टिंग करियर रहा है धर्म जी का
02:2960 में आई फिल्म, दिल भी तेरा, हम भी तेरे से, धर्मेंदर का फिल्मी सफर जो शुरू हुआ, वो अभी तक जारी है
02:52धर्मेंदर भले ही, अपने करोनों फैंस को रोता बिलखता छोड़ कर चले गए हूँ, लेकिन उनके फैंस, 25 दिसंबर को उनकी आखरी फिल्म देखेंगे।
03:20उनकी आखरी फिल्म देखेंगे, फिल्म का नाम है एक्टिंग करते रहे, शोटा था ना, तो मुझसे आर्मी की कहानिया सना करते रहे
03:45शायद आपके उनकिस्तों नहीं उसे जावाज बना दिया
03:48और वो जावाज अब एक किस्ता बन गया
03:53छे दशकों से बॉलिवुड के परदे पर धर्मेंद्र का सिक्का चला
04:00वो एक ऐसे सूपरस्टार थे जिन पर हर रोल फपता था
04:08बॉलिवुड के ही बैंग एक बार खोल कर तो देख मैं तरी अवेली को
04:15बूचर खाना बना दूगा परदे पर एक्शन करते तो अच्छे अच्छों के अंदर जोश भर देते
04:20रोमेंटिक सीन करते तो ऐसे कि बड़े बड़े चॉकलेटी हीरो पानी माने
04:39और कॉमिक टाइमिंग तो ऐसी कि हर कोई दीवाना था
04:53पर मैंने तो सुना है वहां कि अब हुआ बढ़ी अच्छी है लेकिन क्लाइमेट बहुत रही है
04:59मेरी महबूबा महबूबा महबूबा तुझे जाना है तो या तेरी मर्दी मेरा क्या
05:08पर देख तू जो रूट कर चली जाएगी तेरे साथ ही मेरे मरने की खबर जाएगी
05:20धर्बेंदर ने सिर्फ परदे पर नहीं बलकि लोगों के दिलों में भी अपने लिए जगह बनाई
05:35मुस्कुराहट में अपना पन
05:37खून के पद्ले खून, हाथ के पद्ले हाथ और मुझे चाहिए मेरी मा के पद्ले मा
05:44एक्शन में ताकत, रुमांस में नजाकत और शायरी में महब्बत
05:48वरना तुमने तो मुझे माधी डाला
05:52आया है मुझे फिर याद वो जालिम
05:59गुजरा जमाना बचपन का
06:06हाए रे अकेले छोड के जाना
06:12और ना ना बचपन का
06:17हाया है मुझे फिर याद वो जालिम
06:23कि होती है तारीफ एहमियत की
06:26वी आई पी वी आई पी
06:28होती है तारीफ एहमियत की
06:30इंसानियत की मगर कदर होती है
06:33वाँ
06:34तरजी ना दे ओहदे को इंसानियत पर
06:37बंदे पर खुदा की तब नज़र होती है वाह लुधियाना के सहनेवाल में धर्मेंदर जिस गली में खेलते घूमते वहां उन्हें केबल क्रिशन दियोल के नाम से जाना जाता था
06:48वो 13 साल के गाउं के लड़के थे जब उन्होंने पहली बार 1948 में दिलीप कुमार और कामनी कौशल को परदे पर देखा फिल्म थी शहीद दिलीप कुमार को परदे पर देखकर धर्मेंदर इतने प्रभावित हुए कि बस फिल्मों में आने का जुनून सबार हो गया
07:05तरह से हीरो अगर मैं कहूं मैंने कहीं पड़ा है दिलिप कुमार थे और आप उनको देखते थे और कहते थे यार ये दिलिप कुमार कामिनी कौशल और मदुबाला के साथ ये रोमेंटिक सीन कर रहा है मैं कब करूंगा क्या ये सही है
07:20मैं वज़त तारी हो जाता उनको देखकर लगता था ये क्या है यार ये अब सराएं ये हसीनों जमील शहजादे क्या यार कहां रहते हैं वहां चला जाओं तो इस तरह से सुच्टा था तो इस पर मैं कहना जाओंगा कि मैं नौकरी करता साइकल पर आता जाता फिल्मी पोस
07:50अरे वाँ तो ऐसी ता दिलीव को देखके मेरे दिल में पैदा हुआ एक तो बी फ्रैंक तो मैं इसमें कोई ऐसी बात नहीं होती हम कुछ तो इंस्प्रेशन होती है और ये नहीं मालम था मेरे अंदर एक्टर का कीड़ा पैदा हो चुका है लेकिन इस्प्रेशन बहुत ब
08:20इस टैलेंट कॉंटेस्ट ने धर्मेंदर की जिन्दगी बदल दी इसी के बाद उन्हें सिनेमा में एक्टिंग का मौका मिला और हिंदी फिल्म अंडस्ट्री को मिला एक नया स्थार धर्मेंदर
08:31कि अज़ मासम बड़ा बैमान है बड़ा बैमान है आज मासम देखिए साव उनों ने मुझे फिल्म फेर वाले ने कहा था टाइमज अफ इंडिया के कि आपको फिर्स्ट ख्लास फेर दिया जाएगा तू एंट फ्रो तो मैं पहले तो बार बार देखता यार उनीक है कोई �
09:01अगर मुझे पेवेंट नहीं की तो मैं तो मारा जाओंगा अमां थर्ड क्लास में चला का फ़ी तो परिशान भी हुए लेकिन निराश या हताश कभी नहीं हुए धरमेन तो ये सोचकर आए थे कि अगर फिल्मों में काम नहीं मिला तो टाक्सी चला लूगा
09:31लेकिन शुक्र है कि ये नौबत ही नहीं आई, नहीं तो हिंदी फिल्म इंडास्ट्री को धर्मेंद नहीं मिलते हैं
10:01धर्मेंदर ने 1970 के दशक में जबरदस स्टार्डम हासिल किया
10:11धर्मेंदर के फिल्मी करियर के लिहाथ से 1973 का साल बेमिसाल रहा
10:23धर्मेंदर ने 1973 में एक ही साल में बैक टू बैक नौ हिट फिल्में दी
10:28धर्मेंदर ने लगातार, लोफर, फागुन, कीमत, कहानिक किस्मत की, जुगनू, जील के उसपार, जुआर भाटा, यादों की बारार और ब्लैक मेल जैसी फिल्मों में काम किया
10:401973 में रिलीज हुई ये सारी फिल्में जबरदस्थ हिट रहे
10:45इस दौर में धर्मेंदर का नाम ही सफलता की गारंटी माना जाता था
10:51उनकी फिल्मों को देखने के लिए दर्शक टिकट खिड़की पर लंबी-लंबी कतारें लगाते थे
10:56इसी लिए जब शोले बन रही थी तो धर्मेंदर को उस भारी भरकम स्टार कास्ट में सबसे ज़्यादा फीस मिली थी
11:03ये वो दौर था जब अमिताब बच्चन सूपर स्टार बन रहे थी
11:14अमिताब बच्चन के आने के बाद बॉलिवुड में स्टार्डम का खेल पूरी तरह से बदलता चला गया
11:20फिल्मों का पूरा दौर बदल रहा था और भी यंग चेहरे आ रहे थे
11:28इसका असर धर्मेंदर के करियर पर भी पढ़ा
11:31और फिर धर्मेंदर ने एक स्ट्राटेजिक मूव चला
11:35उन्होंने लो बजट की बी ग्रेट की फिल्में शुरू की
11:38जो आज देखने में भले ही अजीब लगें
11:41लेकिन उस वक्त इन फिल्मों ने धर्मेंदर को
11:43फाइनिंशियली स्टेबल रखा
11:45इन फिल्मों की वज़े से ही धर्मेंदर
11:47अपने उन पुराने फैंस के बीच में पॉपुलर बने रहे
11:50जो उनका पुराना वाला हिरोईजम देखना चाहते थे
11:53धर्मेंदर उन्नी सो अठावन में पंजाब छोड़कर मुंबई आये
11:59और ये ठान कराये थे कि अब यहीं कहोना है वापस नहीं जाना है
12:03इसलिए धर्मेंदर ने एक और मास्टर स्टोक चला
12:18वो समझ गए थे कि वो इस पीड़ी के हीरो बहुत दिनों तक नहीं रहने वाले
12:22और इसी समय उन्होंने एक प्रोड़क्शन हाउस खोलने के सूचे
12:25विजेता फिल्म्स के नाम से उन्होंने प्रोड़क्शन हाउस खोला और दो सूपर स्टार दिये
Be the first to comment