Presidential Reference: राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों को मंजूरी देने को लेकर समय-सीमा निर्धारित करने वाले अपने ही फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पलट दिया है। भारत के चीफ जस्टिस (CJI BR Gavai) बीआर गवई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने संविधान के आर्टिकल 143 के तहत राष्ट्रपति के रेफरेंस पर अपनी राय में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच का फैसला संविधान में निर्धारित व्यवस्था के अनुरूप नहीं था।
00:00सुप्रीम कोट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया और ये फैसला बहुत प्रतिचिक था
00:04दरसल राजपालों और राष्टपती के लिए विधेकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले अपने ही फैसले को सुप्रीम कोट ने एक बार फिर पलट दिया है
00:15भारत के चीव जस्टिस CGI बी आर गवई के अध्यक्षता वाली एक पांच सदस्सी सम्विधान पीठ ने सम्विधान के आर्टिकल 143 के तहट राष्टपती के रिफरेंस पर अपनी राय में ये गहा है कि सुप्रीम कोट की डबल बेंच का फैसला सम्विधान में ने धार
00:45के विधेकों पर फैसला लिया जा सके उन्हें अनावस्यक टांगा ना जाए अब सुप्रीम कोट ने साफ कहाई कि सम्विधानिक अदालतें राष्टपती और राजिपाल के लिए विधेकों पर नर्ड़ लेने की समय सीमा टै नहीं कर सकती लेकिन इन पर जल्द फैसला हो
01:15अबनी मुर्मु के सम्विधान के आर्टिकल 143 के तहट दिये गए रेफरेंस के जवाब में सुप्रीम कोट ने 20 नूमर 2025 को कहा कि अदालत सम्विधान के आर्टिकल 200 और बटे 201 के तहट विलों को मंजूरी देने के राष्पती और राजपालों के फैसलों के लिए कोई ट
01:45राष्ट पती के पास विचार के लिए सुरक्षित रख दे।
02:15में राजपालों के लिए निर्धारित कारेपाली का संबंधित कारियों पर कपजा करना और उन्हें बदलना है जो हमारे लिखेवे सम्विधान के दायरे में उचित नहीं है।
02:45रुकावट वाला रवया नहीं अपनाना चाहिए।
02:47इसके साथ ही कोट ने और एक बात कहिए।
02:49उन्होंने कहाए कि अगर राजपालों की ओर से विधेकों को फैसला लेने में बहुत देर होती है
02:55या बिना वज़े बताए रोके रखा जाता है तो अदालत नयाइक समिक्षा के लिए सीमित दखल दे सकती है।
03:01राजपालों को निर्देश दिया जा सकता है कि वो एक निश्चित समय के अंदर उस पर फैसला लें।
03:06हालां कि इस दोरान विधेयक के गुण दोस पर कोट कोई विचार नहीं करेगा।
03:12आपको बता दें कि राश्पती ने 14 माई को सुप्रीम कोट से आर्टिकल 143 के तैट इस बारे में राय मांगी थी कि क्या समवैधानिक रूप से समय अवधी निश्चित ना होने की वज़े से राजविधान सवाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी देने ठुकराने रोक
03:42किये बिना क्या राजविपालों राश्टपतियों के लिए नियाईक आदेशों का माध्यम से समय सीमा तै की जा सकती है यानि आदेश के अधार पर क्या समय सीमा तै की जा सकती है और इसके इस्तमाल का तरीका क्या हो सकता है इसके लिए भी राश्टपति के ओसे कहा गया �
04:12राश्पती के 14 सवालों वाले रिफरेंस पर भारत के चीफ जेस्टिस बी आर गवई अगले चीफ जेस्टिस सूरिकांत जेस्टिस विक्रमनात जेस्टिस पियस नरसिम्हा और जेस्टिस ए चंदूर करकी समवधानिक बिंच ने ये फैसला सुनाया
04:29अदालत ने 10 दिनों तक मौकित दलीलें सुनने के बाद 11 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था और अब इसे सुना दिया गया है
04:37इस खबर में फिलाल इतना ही अपडेट्स के लिए बने रही वन इंडिया हिंदी के साथ नसकार
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