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भारत के सबसे मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर माडवी हिडमा का अंत आंध्र-ओडिशा-छत्तीसगढ़ की सीमा पर हुआ। सुरक्षाबलों ने मंगलवार रात ऑपरेशन में हिडमा, उसकी पत्नी और पांच अन्य नक्सलियों को मार गिराया। हिडमा की मौत उस दिन तय हो गई थी जब उसकी मां ने उसे सरेंडर करने की आखिरी अपील की थी। लेकिन हथियार और जिद ने उसे महंगा पड़ा। हिडमा 2010 के दंतेवाड़ा नरसंहार और कई हमलों का मास्टरमाइंड था। अगर उसने मां की बात मानी होती तो शायद आज जिंदा होता। यह घटना माओवाद के खतरनाक सच को दिखाती है।


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~HT.178~ED.104~GR.122~

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00:00लाल आतंक के खिलाफ सुरक्षा बलो ने मंगलवार को सबसे बड़ा प्रहार कर इतिहास रस दिया।
00:30उसी दिन तै हो चुका था जिस दिन उसकी मा ने कसम खाते हुए कहा था बेटा घर लोटाओ सरेंडर कर दो। ये मुलकात 11 नौंबर की थी। जब 36 गड़ के डिप्टी सीयम, विजे सर्मा, हिडमा की मा मढवी पुंजी से मिले थे। मा ने कैमरे पर बेटे से रोते हुए अ
01:00गया आखरी मौका था। कहा जा रहा है कि दिल्ली तक संदेश भेज दिया गया था और केन सरकार की ओर से संकेत साफ था। सरेंडर करो नहीं तो एक्शन निश्चित है। लेकिन हिडमा ने मा की गुहार भी ठुकरा दी। जंगलों और हतियारों की जिद उसके उपर भारी
01:30अंदरपरदेश, उडिसा पुलिस और केंद्रिय बलों ने एक संयुक्त ऑप्रेशन किया। मारे डुमली के जंगलों में सुरक्षा बलों ने नकसलियों को घेर लिया और आत्म समरपड का मौका दिया। लेकिन जवाब में गोलियां चलने लगी। सुरक्षा कर्मियों न
02:00ये बटालिय नंबर वन का चीफ था। मावादी संगठन की ये सबसे खुंखार लडाकु यूनिट है। सुत्रों के मुताबिक हिडमा सरेंडर इसलिए नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे डर था बाकी नकसलि उसे भूपती, रूपेश और चंदना की तरह कद्दार कहने
02:30बलो में शामिल रहा और सुरक्षा बलो का सबसे बड़ा सिर्दर्द बन चुका था। इसलिए जब उसकी लोकेशन पक्की हुई ऑप्रेशन का परिणाम सिर्फ एक था। लाल आतंग का अंत। कहानी का निश्कर्स बहत कड़वा है। अगर हिडमा उस दिन अपनी मा की ब
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