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बिहार की राजनीति में एक समय स्वतंत्र (Independent) विधायक बड़ी ताकत माने जाते थे। 1990 के विधानसभा चुनाव में

इस वीडियो में हम डेटा और राजनीतिक विश्लेषण के साथ समझेंगे:

🔹 1990 से 2025 तक निर्दलीय विधायकों का पूरा ग्राफ
🔹 क्षेत्रीय दलों के उभार से क्या बदला?
🔹 टिकट-आधारित राजनीति का विस्तार
🔹 पैसों और संगठन की ताकत ने क्या स्वतंत्र उम्मीदवारों को कमजोर किया?
🔹 क्या लोकतंत्र में अब Independent राजनीति के लिए जगह नहीं बची?

यह वीडियो बिहार चुनाव, राजनीतिक रणनीतियों, और लोकतंत्र की बदलती प्रकृति को समझने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्सप्लेनर है।

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~HT.96~

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Transcript
00:00नमस्कार, स्वागत है आपका One India में, मैं हूँ केशवकर्ण और आज आपको बताने जा रहा हूँ विहार विधान सभा चुनाव से जुड़ा हुआ एक मित
00:08दरसल लोग कहते हैं कि बिहार में जाती देखकर वोट होती है और मैं इसी मित को बस्ट करने के लिए आपके साथ इस स्क्रीन को लेकर उपस्थित हुआ हूँ
00:18बिहार में दरसल जाती देखकर नहीं पार्टी देखकर वोट दी जाती है वही मैं बताना चाहता हूँ
00:23दरसल देखिए ये बिहार विधान सभा चुनाव दो हजार पचीस का ये रिजल्ट है आपके साब में इस रिजल्ट में आप देखिए 89 सीट नवासी सीट पर जीत कर भारतिय जनता पार्टी पहली बार बिहार विधान सभा में SLP बनी है सिंगल रार्जेस्ट पार्टी जे�
00:53पार्टी ऑफ हिंडिया केवल छे सीटों पर सिमट जाती है पांच सीटें AIMIM की आती है जो दूसरी बार चुनाव लड़ रही है बिहार में उनकी पांच सीटें आती है तीस सीटों पर लड़ते हैं पांच पे जीतते हैं हम की पांच राष्ट्रिये लोक मोर्चा की चार CP
01:23दोस्तों इस सीट पर जो आपको नहीं दिख रहा होगा जो मिसिं है वो है इंडिपेंडेंट के नंबर
01:32दरसल बिहार विधान सभा ने इस बार एक रेकॉरड बनाया है वरल्ड रेकॉरड का AIM किया है इस चुनाव में क्या है वो
01:38वर्लल रेकॉर्ड
01:39नो इंडिपेंडेंट MLA
01:41कोई भी इंडिपेंडेंट MLA
01:44नहीं है कोई निर्दलिये विधायक नहीं है
01:46एक भी नहीं चुना गया
01:47अच्छे उमिद्वार नहीं थे
01:48क्यों नहीं चुना गया
01:50इसी गड़ित को हम समझने की कोशिश करेंगे
01:53मatलिये आखिर क्या हुए देख लीजे
01:54लोग कहते हैं जात देकर
01:57वोट दी जाती है अगर जात देखकर वोट दी जाती
01:59ये देखीए मरहॉरा
02:00मरहॉरा कंस्टिट्विंसी से
02:02RJD की जीत हुई है
02:04जीतंड कुमार रहा यहां से
02:06जीत दर्ज किये हैं
02:08मरहवरा में जितनी जनसंख्यां यादवों की है, उतनी ही जनसंख्यां राजपूतों की है, अगर राजपूत भारतिय जनता पार्टी के वोटर हैं, तो उन्हें अन्कित कुमार को गोर देना चाहिया, हलाकि मैं आपको बता दू कि मरहवरा सीट बटवारे में NDA के खाते मे
02:38हो गया था तो वहां से एंडिये कोई ऑफिसियल केंडिडेट नहीं था एंडिये ने अंकित कुमार को सपोर्ट किया था लेकिन अंकित कुमार एंडिये समर्थित इंडिपेंडेंट हार जाते हैं मरहोरा से अंकित कुमार एंडिये समर्थित इंडिपेंडेंट केंडिडेट
03:08नहीं है, यह सारे जो आप आकड़े देख रहे हैं, जो ग्राफिक्स देख रहे हैं, जो हीट मैप देख रहे हैं, यह सब कुछ
03:18election commission of India के द्वारा बनाया गया, हम आपको election commission of India के
03:23विबसाइट के माध्यम से ही दिखा रहे हैं.
03:28फार्विस गंज,
03:29फार्विस गंज, फार्विस गंज,
03:31जहाँ पर पहली बार
03:32जीत होती है
03:33कांग्रेश की
03:36वहाँ से भारतिय जन्ता
03:38पारटी की निवर्दमान
03:39विधायक हार जाते हैं.
03:41जात देखकर नहीं वोट दी गई है, पार्टी देखकर वोट दी गई है, आपको लिए चलते हैं फार्विस गंज भी, हम अपने मैप के जलिए, यह फार्विस गंज है, फार्विस गंज से भारतिय जनता पार्टी के निवर्तमान विधायक हार जाते हैं, वो बनिया समधाय
04:11निर्दलिये यहां भी नहीं जीत पाता है, चनपटिया सीट अगर आपको ले चले इस मैप पे चनपटिया जहां से चुनाओ मैदान में ख़रे थे मनिश कर्शिप, मनिश कर्शिप तीसरे नमबर पर पहुंच जाते हैं, भारतिय जन्ता पार्टी दूसरे नमबर पर पहुं
04:41कोई निर्दलिये उमिद्वार इस चुनाव में बिहार के इस चुनाव में जीत ही नहीं पाया क्या वजह है पहले एक बार मैं आपको 1990 से लेकर के
04:492025 तक विधायकों की जो संख्या रही है इंडिपेंडेंट विधायकों की वो ग्राफ आपको दिखाता हूँ आईए ये रहा 1990 से लेकर
05:022025 तक निर्दलिये विधायकों की संख्या हर चुनाव में बिहार विधान सभा के अंदर 1990
05:12ये साल 1990 आप देख रहे हैं 30 ml और टाइम हाई यहां से निर्दलिये विधायकों की संख्या धीरे धीरे गिरनी शुरूब हो जाती है
05:28ये वो समय था जब बिहार और जारखंड साथ थे तीसे मेले दरसल निर्दलिये परत्यासियों का जीतना भी शक्ति संतुलन के लिए जरूरी होता है
05:45वरना पार्टी की मोनोपॉली चलेगी पार्टी का हुकम चलेगा हाई कमांड कल्चर को तोड़ने के लिए निर्दलिये इंडिपेंडेंट काजीतना बहुत जरूरी होता है
05:53देखिए 1995 में यहाँ पर 90 में लालू जी का उदे होता है लालू जी का उदे होता है मुख्यमंत्री बनते हैं 1995 का चुनाव आता है 1995 के चुनाव में दरसल यह संख्या घटकर 11 हो जाती है
06:16इसके कारण होंगे मैं बताऊंगा पहले एक पर ग्राफ देख लेते हैं 2000 में बढ़ती है काफी बढ़ती है यहाँ तक बिहार और जार्खंड साथ होता है
06:272005 में दो चुनाव होते हैं बिहार में एक फरवरी महीने में और एक अक्टोबर नॉम्बर के महीने में
06:34फरवरी महीने में जो चुनाव होते हैं 2005 में वहाँ पर 17 सीटे जीतते हैं नॉम्बर में यहाँ पर कोई सरकार नहीं बन पाती है
06:45नॉम्बर में यह आक्रा हो जाता है 10 तो 2005 के फाइनल आक्रे को अगर देखें तो 10 विधायक जीतते हैं निर्दलिये
06:522005 से आते हैं 2010
06:544 कम हो जाते हैं
06:572010 से 2015
06:59और minus 2
07:024 बच जाते हैं
07:052020 आते आते
07:091 बचते हैं
07:11minus 3
07:11और 2025 में
07:14absolute 0
07:17कुछ नहीं
07:18एक भी निर्दलिय नहीं जीत पाया
07:19अब इसके कारण क्या रहे होंगे सोचिए
07:21साल होता है
07:231990 यहां तक निर्दलिय विधायक के संख्या
07:26ठीक ठाक रहती है
07:27दरसल यहां तक बड़ी बड़ी पार्टियां
07:29बिहार में चुनाव लरती थी
07:30और जीने टिकेट नहीं मिल पाता था
07:33जो संघर्ष करना चाहते थे
07:34वो मैदान में बिना किसी
07:37पार्टी के सिम्बल के उतरते थे
07:381995 में आती है
07:40समता पार्टी नितीशकुमार की
07:43नितीशकुमार समता पार्टी बनाते हैं
07:461995 में
07:47शिव सेना चुनाव लरती है
07:501995 में
07:52बिहार में
07:55और ऐसे से छोटे छोटे पॉलिटिकल आउटफिट्स आते हैं, तो दरसल यहां से जिनको जनतादल से टिकेट नहीं मिलता है, कांग्रेस से टिकेट नहीं मिलता है, किसी बड़ी पार्टी से टिकेट नहीं मिलता है, उनका रुख इन छोटी पार्टीों की तरफ होता है, और
08:25सभा में या फिर ऐसे अनेक विधान सभा होंगे जहां पर निर्दलिये की संख्या घट रही है जो कि चिंता का विसे हैं निर्दलिये मतलब जनता की सीधी अवाज उनको हाई कमांड से पार्टी के बाइलाज से कोई लेना देना नहीं है वो सीधे जनता के द्वारा चुने �
08:55जहां जितने ज़्यादा अक्षित्रिये दल रहेंगे वहाँ पर निर्दलिये विधायगों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाएगी क्यूंकि किसी न किसी पार्टी के द्वारा उनको टीकर दे दिया जाएगा पार्टी लॉंच करना भी अब बहुत आसान हो गया है
09:10सोचल मीडिया पर कुछ एक केंपेंच चलाओ कुछ लोगों की कठा करो एलेक्शन कमिशन में एक अरजी डालो और आपकी पार्टी रेजिस्टर्ड हो जाएगी आपने देखा होगा पिछले चुनाम में अगर मैं बात करूं साल
09:23दो हजार पचीस के विधान सभाज चुनाओं में तो ये देखिए यहां पर जो देख रहे हैं ये इंडियन इंक्लूसिव पार्टी ये भी कमाल की बात थी ये इंडियन इंक्लूसिव पार्टी एंडियन नहीं महागट बंधन के घटक दल थी
09:45I.I.P. इंडियन इंक्लूसिव पार्टी महागट बंधन की घटक दल थी इसने एक सीट पे चुनाओ लड़ा था और एक सीट जीत गई
09:55के बल्ल एक सीट पे चुनाओ लड़ने वारी पार्टी आयायईपी जीत जाती है तो पार्टी लांच करना भी अब आसान हो गया
10:02पार्टी लांच करना भी अब आसान हो गया इस वज़ा से भी यहां पर निर्दलिये की संख्या बर गई है एक तो आपको मैंने बताया
10:13शत्रिये दलों की अधिक्ता दूसरा पार्टी लांच करना आसान पार्टी लांच करना आप आसान है कोई भी अपनी पार्टी बना लेता है
10:33तिसरी क्या हुई है बात लोगों का आईडियोलोजिकल डिवीजन हो गया है लोग किसी ने किसी खेमे में रहना पसंद कर रहे हैं
10:55किसी पार्टी को चुन रहे हैं चौथा बड़ी पार्टी या केंद्रिय पार्टी आज होती है या रास्ट्रिय दल जीन को कहते हैं में भरोशा ये सारे कुछ कारण हैं जिसकी वज़ा से निर्दलिय विधायकों की संख्यां लगातार घट रही है और इस विधानसभाचुन
11:25निर्दलिये विधायकों का होना जरूरी है, शक्ती संतुलन के लिए जरूरी है, अला कमान कल्चर को तोरने के लिए जरूरी है, लेकिन जो है वो आपके सामने है, इस बार बिहार विधान सभा में कोई निर्दलिये नहीं होगा, जाति पर नहीं, पाठी पर वोट दी गई ह
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