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सोमवार, 17 नवंबर को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद पूरे दक्षिण एशिया में भूचाल आ चुका है। नोबेल पुरस्कार विजेता से प्रधानमंत्री बने मोहम्मद यूनुस ने जिस तरह यह फैसला करवाया, उससे साफ है कि बांग्लादेश की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रहने वाली। हालांकि सभी जानते हैं कि भारत की मंज़ूरी के बिना हसीना को ढाका लौटाना लगभग असंभव है, लेकिन इस फैसले के कूटनीतिक मायने बेहद गहरे हैं।

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00:0017 नवंबर को शेख हसीना को मिली मौत की सजा की अलान ने शायद ही किसी को हैरान किया होगा।
00:06उनके परिवार, पार्टी, सहयोगियों, कारेकरताओं, बांगला देश में उनके समर्थकों और विदेश में उनके दोस्तों समेथ सभी दुश्मनों के इस बात का अंदाज़ा था कि यूनस उनके साथ क्या करने वाले हैं।
00:18वाले हैं। सभी को पता था कि न तो दिल्ली शेख हसीना को ढगा बेज़ेगी और न ढगा में इतनी ताकत है कि शेख हसीना को बिना दिल्ली की मर्जी के ले जा सके।
00:28तो फासी तो इसकेस में फिलाल एक असंभा उसी बात है। लेकिन भारत के साथ यूनस एक साथ कई मोर्चों पर सिरदर्द बन चुके हैं और आने वाला समय हमारे लिए कितना मुश्किल और जोकिम भरा होने वाला है। इसी पर आज हम बात करने वाले हैं। नमस्कार मैं ह
00:58यूनस ने जन भावना के पक्ष में फैसला करवाते हुए उन्हें सजाय मौत दिलवा दी और जर्टा को हमेशा की तरह लॉलिपॉप दे कर शान्त कर दिया। अगैस्ते दोहजार चॉबिस में जब शेख हसीना भारत निकल गई लेकिन उनके पीछे उनके कई वफादार क
01:28वालतों में महिनों तक जमानती आचिकाओं पर सुनवाई नहीं होती नहीं उचन्यायल है उन्हें सुईकार करते हैं जैसे तैसे जमानत मिलती भी है तो तुरंत नए आरोप लाकर वापस जेल में ठूस दिया जाता है उधारन के लिए नाराइंड गंज की पूरो मेयर सली
01:58क्योंकि उन्होंने यूनिस को भी जेल भेजने की कोशिश की थी हसीना के कारिकाल में 1971 के युद अपराधों के लिए जमात इसलामी के कई सीनियर नेताओं को फांसी भी दी गई थी जिसका असर भी शेख हसीना के खिलाफ हुए इस फैसले में साफ देखने को मिला क्या हसी
02:28कि आई सीटी ने हसीना के लिए एक बचाव वकील ताजुलिसलाम न्युक्त किया था लेकिन उसी वकील से पूर्व ग्रह मंतरी असद उजमाख खान कमाल का भी बचाव करने की अमीद की गई थी
02:39हैरानी की बात है कि उन्हें हसीना के खिलाफ विस्तरत आरोपत्र की जाश करने के लिए सिर्फ पांच हफ़ते का समय दिया गया था
02:47समय कम था तो वकील और समय मांग सकता था लेकिन उन्होंने असार नहीं किया
02:52यहां तक कीवे शेख हसीना के पक्ष में गवा या सबूत पेश करने में भी बुरी तरह फेल हुए
02:58फेल रहे या करवाए गए सब जानते हैं लेहाजा बचाव पक्ष सिर्फ नाममात्र का था ताकि प्रॉक्स या टेंडिंस कोट में लग सके
03:06उनके लिए नियुक्त की गए वकील खुद चाते थे कि हसीना को सजा हो
03:10अब इस मांसिक्ता के साथ यदि कोई वकील केस लड़ेगा तो क्या इसे ट्रांस्पेरेंट जूडिशिल सिस्टम कहा जा सकेगा
03:17एक और बात जान लीजिए जब शेख हसीना की सरगार थी तब ताज लिसलाम जमाते इसलामी नेताओं के बचाओं में वकील थे
03:23जब हसीना के कारकाल में उसी कोट में उन पर मुकर्णमा चलाया गया और दोशी ठेराया गया था
03:29ऐसे में अगर वो हसीना को फांसी पर चड़ते देखना चाते हैं तो इसमें हैरानी कैसी।
03:34लेकिन जैसा कि हमने कहा जब तक वह भारत में हैं और नई दिल्ली उन्हें धाका वापस नहीं भेशती हसीना को फांसी पर नहीं चड़ाया जा सकता।
03:41यसे में सवाल यह है कि शेक हसीना के पास क्या विकल्प है।
04:11का एक उपियोग करके भारी कारवाई करने को तयार है।
04:16जिसे नैशनल डिफेंस रिजर्व बनाने की यार में खड़ा किया जा रहा है।
04:19ऐसे में आवामी लीग के पास शसस्त्र संगर्ष के अलावा कोई और रास्ता नहीं बश्ता।
04:26पीशे मुड़ कर देखें तो आवामी लीग कभी भी शसस्त्र संगर्ष का विकल्प चुनने वाली पार्टी नहीं थी।
04:31बलकि एक ऐसी पार्टी थी जो चुनाओं के माध्यम से सत्ता में विश्वास रखती थी।
04:36जब भी सेने शासित पाकिस्तान में चुनाओं हुए उसने इमानदारी से हिस्सा लिया।
04:41जब पाकिस्तानी सेने जुन्टा ने 1970 के चुनाओं के फैसले का सम्मान करने से इंकार कर दिया जिसमें आवामी लीग को इस पश्ट बहूमत मिला था।
04:50तब जाकर शेख मुझी बुर्रह्मान ने स्वतंतरता का आवान करने के बाद लीग ने बड़े पैमाने पर सडक पर विरोध प्रदर्शन किये।
04:58के वल तब ही जब पाकिस्तान सेना ने नरसंगार सुरू किया बाकी सब इतिहास आवामी लीग को चुनाओं लड़ने का अफसर देने से इंकार करके यूनस ने इसमें तीली तो लगा दी है अब ऐसे में हसीना के समर्थक्यदी भारी शसस्त्र इस्लामी कटर पंथियों से
05:28यूनस ने सत्ता संभाली है भारत के साथ संबंद अब तक कि सबसे निशले स्तर पर पहुंच गए हैं जहां यूनस हसीना को भारत द्वारा शरण दिये जाने से नाराज हैं वहीं नई दिल्ली बांगला देश से दो कारणों से बेहर नाराज है पहला अंसार उल्ला बां�
05:58दरगा शेहर के माध्यम से उल्फा के लिए हत्यारों की एक बड़ी खेप लाने की साज़ शरची थी दूसरा यूनस पाकिस्तान के साथ अपने संबंदों खासकर की सेन्य संबंदों को बढ़ावा देने के लिए अतिय उत्साहित दिख रहे हैं जिसमें पाक के सेना प्र�
06:28प्रतिनिदी मंडल शामिल है जो कथित तौर पर बांगलादेश के पेकुआस्थित पंडुबी बेस में पाकिस्तानी पंडुब्यों के लिए बर्थिंग सुविधाय तलाश रहा है इसके लावा कई ज्यात ISI अधिकारियों के साथ एक और प्रतिनिदी मंडल कूफिया सा
06:58का समर्थन पाकिस्तान को तोड़ने और नौर्थिस्ट के इलाके में खुद की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए किया था यदि यूनिस और उनके इस्लामी कटरपन्थी सहयोगी जैसे जमात इसलामी जिसके अमीर मुहम्मद ताहिर ने भारत के खिलाब 50 लाख युवा�
07:28यही बहतर होगा कि वे बिना पाकिस्तान की दखल की अपनी सरकार चलाएं और पडोसी धर्म का पालन करें आपकी इस बारे में क्या रहा है हमें कॉमेंट में बताएं
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