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आंध्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर माडवी हिडमा और उनकी पत्नी राजे सहित छह नक्सली मारे गए। हिडमा की जिंदगी 17 साल की उम्र में नक्सली संगठन में शामिल होने से शुरू हुई थी। जंगलों में लगातार अभियानों और भूमिगत जीवन के बीच हिडमा और राजे का रिश्ता पनपा और संगठन के भीतर ही शादी की। दोनों नक्सली संगठन में प्रभावशाली जोड़ी माने जाते थे। मुठभेड़ ने नक्सलवाद के खिलाफ अभियान को मजबूत किया और संगठन में भय पैदा किया। यह घटना न केवल हिंसा बल्कि नक्सली जीवन और रिश्तों की जटिलताओं को भी उजागर करती है।

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~HT.318~ED.106~

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00:00आंध्र परदेश और 36 गड़ की सीमा पर हुई भीसर मुठबेल ने नकसली विद्रोह के खिलाब सुरक्षा बलो को बड़ी सफलता दिलाई है।
00:30आजे नकसली संगठन के अंदर अहम भूमिकाओं में माने जाते थे और कई हमलों की साजिशों में सामिल रहे हैं।
01:00आजे नों जंगलों में आवाजाही और भूमिकत जीवन की कठनाईयों ने उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।
01:06इसी दोरान संगठन के भीतर उन्होंने विवाह कर लिया।
01:10नकसली कैडर उन्हें संगठन में प्रभावसाली जोड़ी के रूप में देखते थे।
01:16उनका जीवन हमेशा से जोखीम और हिंसा से गीरा रहा।
01:20माडवी हिडमा का जन्म 36 गड़ के सुकमा जिले के पूरती गाउं में हुआ था जो कभी नकसलीयों का गढ़ माना जाता था।
01:271996-97 में मात 17 साल की उम्र में हिडमा मावादी संगठन में शामिल हो गया।
01:33शामिल होने से पहले वो खेती करता था। उसकी मा आज भी पूरती गाउं में रहती है।
01:39हाल ही में 36 गड़ के उप मुख्यमंतरी विजय सर्मा ने उनसे मिलकर हिडमा से आत्म समरपड की अपील की थी।
01:46हिडमा को हिडमन्ना, हिडमालू और संतोष जैसे नामों से भी जाना जाता है।
01:51सभाव से हिडमा कम बोलने वाला था लेकिन सीखने की प्रवल इच्छा रखता था।
01:57दक्षिड बस्तर छेत्र से होने के कारण शुरुवात में उसे हिंदी नहीं आती थी।
02:01सात्वी कच्छा तक पड़े हिडमा ने संगठन में शामिल होने के बाद हिंदी सीखी।
02:06उसके बाद उसने मावादी संगठन के लिए काम करने वाले एक लेक्चरर से अंग्रेजी भी सीख ली।
02:12ये उसकी सीखने की जिग्यासा और संगठन में अपनी भूमिका को मजबूत करने की लगन को भी दर्शाता है।
02:19हिडमा और राजे का जीवन ये दिखाता है हिनकसलवात केवल हिंसा और साजिस का नाम नहीं है।
02:24बलकि इसमें सामिल लोगों के निजी जीवन और रिस्ते भी संगठित रादनीती और खत्रे की दुनिया से प्रभावित होते हैं।
02:31दोनों का रिस्ता संगठन के भीतर शक्ती और प्रभाव का प्रतीक था। लेकिन इसके साथ ही ये लगातार जोखीम और खत्रों से गिरा रहा।
02:40सुरक्षा बलो के इस अभियान ने नक्योल नक्सलियों के निर्टृत को कमजोर किया है बलकि ऐसे खतरनाक रिस्तों और संगठनात्मक जडिलताओं को उजागर किया है।
02:49मुठबेड के बाद हिडमा और राजे की मौत ने सुरक्षा एजन्सियों और नक्सल विरोधिय अभियान को मजबूती दी है।
02:56अब नक्सली संगठन में भय और आज स्थिर्टा बढ़ने की संभावना है।
03:00हिडमा की कहानी ये दिखाती है कि नक्सलवाद की दुनिया में पनपेरिस्ते भी हिंसा और खत्रे से अलग नहीं हो सकती।
03:07इस तरह हिडमा और राजे का जीवन और मौत संगठन की जटिलताओं और नक्सली संगर्स की सच्चाई को सामने लाती है।
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