छत्तीसगढ़ का बस्तर....लोग कभी नक्सलियों की बंदूकों के साये में जीने को मजबूर थे. लेकिन सुरक्षाबलों के ऑपरेशन और सरकार की नीतियों से यहां की तस्वीर बदली है. जगदलपुर में पंडुम कैफे की शरुआत हुई. कुछ साल पहले तक यहां इस तरह के कैफे की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. लेकिन ये कैफे बता रहा है कि अब बस्तर नक्सल मुक्त हो रहा है. कैफे का शुभारंभ खुद सुबे के मुखिया विष्णुदेव साय ने किया और यहां बने व्यंजन का स्वाद भी लिया.इस कैफे को सरेंडर करने वाले नक्सली चला रहे है. यहां काम करने वाली फूलमती मंडावी बताती हैं कि.15 साल तक नक्सल संगठन में सक्रिय रहकर अपना समय बर्बाद किया.नक्सल संगठन से मोह भंग होने पर फगनी कश्यप ने इसी साल सरेंडर किया है . ये 2023 में माओवाद से जुड़ी. अब इस कैफे में किचन का काम संभालतीं हैं.इस कैफे की शुरुआत पुलिस की सहायता से की गई है. संचालक बताते हैं कि कैफे को शुरू करने का उद्देश्य नक्सल पीड़ित और सरेंडर करने वाले माओवादियों को रोजगार मिल सकेयहां के लोग अब बंदूक और बारुद की नहीं बदलते बस्तर में लजिज जायके का स्वाद लेंगे
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