What is Umrah: सऊदी अरब में एक दिल दहला देने वाले सड़क हादसे में 42 भारतीय उमराह तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। मक्का से मदीना जा रही बस दुर्घटनाग्रस्त होने से पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ गई है। इस दुखद घटना के बीच, यह समझना जरूरी है कि मुसलमान उमराह करने क्यों जाते हैं और इस्लाम में इसका क्या महत्व है। उमराह, जिसे छोटा हज भी कहा जाता है, एक पवित्र यात्रा है जो अल्लाह की इबादत, गुनाहों की माफी और आत्मिक शांति प्रदान करती है। यह शहादा, नमाज, जकात, रोजा और हज जैसे इस्लाम के पांच स्तंभों से अलग, एक मुस्तहब (शुभ) कार्य है, जिसे सालभर में कभी भी किया जा सकता है। यह वीडियो उमराह के आध्यात्मिक पहलुओं और उसकी यात्रा विधि को विस्तार से समझाता है।
00:00साउदिय अरब्या में बड़ा हाथसा 42 उम्रह तीर्थ यात्रियों की मौर
00:13उम्रह करने क्यों जाते हैं मुसल्मान
00:17इसलाम में क्यों हैं खास एहमियाद
00:21साउदिय अरब में हाली में एक दर्दनाक सड़क हाथसा हो गया
00:25जिसमें मक्का से मदिना जा रही बस दुरघटना गरस्थ हो गई
00:30इस हाथसे में 42 भारतिय यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई
00:34यह हाथसा बीती रात लगभग एक बच कर 30 मिनट के आसपास हुआ
00:38इस दुगत गटना ने ना सिर्फ परिवारों को छक छूर दिया
00:42बलकि पूरी भारतिय समुदाय में शोक की लहर दोड़ गई
00:46इस हाथसे की वजह से हर उस मुसल्मान के लिए जोकी हज या उम्रह जैसी धार्मे क्यात्रा पर जाने का विचार कर रहा था
00:54चिंता और सावधानी की आविशक्ता पढ़ गई है
00:58इसलाम धर में पांच मुख्यस तंभ है अरकान जिने हर मुसल्मान पर पालन करना अनिवार्य माना गया
01:05इनमें शहादा, नमाज, जकात, रोजा और हज शामिल है
01:10हज हर मुसल्मान पर जीवन में कम से कम एक बार करने का फर्ज होता है
01:15और इसकी यात्रा का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है
01:20ठीक इसी तरहे उम्रह भी एक धार्मिक यात्रा है
01:23लेकिन इससे फर्ज नहीं बलकि मुस्तहब यानि की अत्यंत शुब वाना गया शुब कारे के रूप में देखा जाता है
01:32उम्रह एक पाक और रुहानी सफर है जिसे मुसल्मान किसी भी समय पूरे साल कर सकती है
01:38इसे कभी-कभी छूटा हज भी कह दिया जाता है
01:41क्योंकि इसमें हज की तरह ही काबा शरीफ का तवाहफ और सफा मारवा के बीच सई किया जाता है
01:48लेकिन ये हज की तरह अनिवार्य नहीं
01:51उम्रह पूरी तरह से अल्लह की इबादत का माध्यम है और इसे पूरा करने में कुछ घंटों से लेकर तीन से दस्तित तक लगते हैं
01:59ये यात्रा के तरीके और व्यक्तिगत तैयारी पर फून रूप से नर्भर करता है
02:04उम्रह की यात्रा चार मुख्य हिस्सों में पूरी होती है
02:07सबसे पहले मुसल्मान इहराम बांदते हैं जो की सफीद कपड़े पहन कर धार में तैयारी का प्रतीक होता है
02:14इसके बाद कावा शरीफ का तवास किया जाता है जिसमें लोग कावा के चारों और साथ चक्कर लगाते हैं
02:22इसके बाद सई रस्मा पूरी की जाती है जिसमें सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच बार बार चलकर अबादत की जाती है
02:30अंत में हलक या तकसीर किया जाता है जिसमें पुरुष अपने बाल काटते हैं या शेव कराते हैं और महिलाएं अपने बालों में थोड़े से बाल काटती हैं कुछ हसा छोड़ती हैं
02:43उम्रह की खास्यत ये भी है कि किसी भी समय किया जाता है लेकिन रमजान के महीने में इसकी फजिलत और भी बढ़ जाती है ये ना केवल अल्लह की रजा और माफी पाने का जर्या है बलकि ये गुनाहों से छुटकारा दिलाने, इमान मजबूत करने और दिल को सुपून देने
03:13महसूस करते हैं यात्रा का ये तरीका ना सिर्फ व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास का माध्यम है बलकि समाज और परिवार के लिए प्रिणा का स्रोथ बनता है उम्रह करने वाले मुसल्मान अपनी इबादत के जर्ये ना केवल अल्लह की खुशी प्राप्त करते हैं बलकि
03:43अनुभव प्रेदान करता है बहराल अब देखना दिल्चस्थ होगा कि यह पूरा हाथसा किन उनकारणों से हुआ जिसकी किसी ने कलपना नहीं की थी यह अपने घटना हुई कैसी मामले पर अगर आपके मन में कोई शंका है कोई सवाल है कोई ड्राय अगर आप देना चाह
04:13दूरा है कि यहर आपटो कि गली कि यह बहर आपके मौत्तों डिसकी कि यह जबाड़ की यह इवाल आपके मामले। नटना हुआ सवाई पिनरण पिनरण परριं खूर only नहीं कि यह अपने इना
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