00:00मीठे बच्चे, तुम दिल से बाबा बाबा कहो, तो खुशी में रोमांच खड़े हो जाएंगे, खुशी में रहो, तुम माया जीत बन जाएंगे.
00:09प्रश्ण
00:10बच्चों को किस एक बात में महरत लगती है, लेकिन खुशी और याद का वही आधार है?
00:16उत्तर
00:17आत्म अभिमानी बनने में ही महनत लगती है, लेकिन इसी से खुशी का पारा चड़ता है, मीठा बाबा याद आता है, माया तुम्हें देह अभिमान में लाती रहेगी, रुस्तम से रुस्तम होकर लड़ेगी, इसमें मूंझना नहीं, बाबा कहते हैं, बच्चे, माया के त�
00:47ग्यान सागर बाबा हमको पढ़ाते हैं, इसी खुशी में रहना है, सतो प्रधान बनने के लिए आत्म अभिमानी बनने के महनत करनी है, ग्यान का विचार सागर मंथन करना है, याद की यात्रा में रहना है, वर्दान, शुब चिंतन द्वारा ग्यान सागर में समाने वाले
01:17।
01:47अशरीरी व विदेही स्थिती का अभ्यास बढ़ाओ
01:50अपने को शरीर से बंधन से न्यारा बनाने के लिए अवतार समझो
01:54अवतार हूँ इस मृती में रहे शरीर का आधार ले कर्म करो
01:58लेकिन करतापन के भान से न्यारे होकर कर्म करो
02:02मैंने किया मैं करता हूँ इस संकल्प को भी समापित कर दो
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