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बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के लिखे वंदे मातरम के केवल शुरुआती दो ही पैरे क्यों राष्ट्रगीत के रूप में संविधान सभा ने अपनाए, इस बात को लेकर समाज में नए सिरे से भेद बोने की कोशिश की जा रही है। जाने-माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी बता रहे हैं कि इसी बहाने जवाहरलाल नेहरु पर नए सिरे से हमला बोलने का मौका मोदीजी से दे दिया है जो वैसे भी संघ-भाजपा खेमे का सबसे प्रिय शग़ल रहा है।
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00:00दोस्तो आज राश्ट्रगीत वंदे मात्रम का एक सो पचासवा दिन मनाया जा रहा है
00:11और इस मौके पर दान मंत्री नरिंदर बोधी ने कहा कि क्योंकि इस गीत के टुकड़े कर दिये गए
00:20और जिस प्रकार से इसको एडॉप्ट किया गया राश्टगीत के रूप में केवल इसके पहले दोस्तेंज लिये गए
00:27वो हमारे राश्ट के भी भाजन को भी प्रति बिम्बित करता है
00:30आजादी की लड़ाई में बंदे मात्रम की भावना ने पूरे राश्ट को प्रकाशित किया था
00:40लेकिन दुर्भाग्य से 1937 में बंदे मात्रम के महत्वपुन पदो को उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था
00:57बंदे मात्रम को तोड़ दिया गया था उसके टुकड़े किये गये थे
01:05बंदे मात्रम के इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज भी बो दिये थे
01:16अब ये बात देखी जाए तो इसी बात को आज बहुत सारे चैनल्स पर डिबेट किया जा रहा है
01:22और कई लोग ऐसी मांग कर रहे हैं कि ये हिंदू असमिता से जुड़ा हुआ है तो इस पूरे गीत को गाया जाना चाहिए
01:30अब थोड़ी हम इसकी प्रश्ट भूमी देख लिए हैं ये वंदे मातरम गीत बंकीम चंदरचेटर जी ने लिखा था और ये आनंद मठ नाम के उपन्यास का एक भाग था अब आनंद मठ उपन्यास इसकी थीम क्या थी इसकी कहानी क्या थी इसकी कहानी थी कि कुछ ख्रा
02:00पाने के लिए और उन्होंने इस गीत का उपयोग किया और ये कहानी आगया से चलती है जो शुरू का अंद मठ आया था अभी उसे शायद बदल दिया गया है शुरू में ये था कि ये संतान जो करांतिकारी थे ये अपने काम में सफल होते हैं और मुसल्मान राजा के रा�
02:30ये उपन्यास का टोन क्या था उसका तरीका क्या था और किस प्रकार से ये उपन्यास सामने आया खैर बाद में चलकर वंदे मातरम ये जो इसका ये स्लोगन है राश्ट्री अंदलन में इसका कई जगा उपयोग हुआ राश्ट्री अंदलन में जैहिन इनकिलाब जिंदा�
03:00हमारी सविधान सभा को इस बात का फैसला करना था कि नैशनल एंथम क्या होगा
03:06क्योंकि नैशनल एंथम तो हर देश का होना चाहिए
03:09United Nations में दूसरे देशों में जब भी हमारे देश का कुछ यह होता है
03:14तब उसकी ट्यून बजाई जाती है
03:16तो इसी के पहले 1937 में मुहमद अले जिन्ना ने कहा था
03:22कि ये वंदे मातरम गीत ये एक संप्रदाइक्ता का प्रतीक है
03:26ये एक हिंदू राष्टरवाद का प्रतीक है इसको हम स्विकार ने करेंगे
03:30कैपनों ने जिस भी संदर्व में कहा हो वैसे भी वो अलग पाकिस्तान की मांग कर रहे थे
03:34और फिर बाद में समीदान सभा के सामने ये चुनोती आई कि राष्टरगीत नेशनल एंथम
03:43अब यहां दो चीजों का फर्क समझेए एक है नेशनल एंथम यानि राष्टरगान और दूसरा है राष्टरगीत ये दोनों महत्वपून है और नेशनल एंथम राष्टरगान इसका महत्वप सरोपरी है और जगा जगा दूसरे देशों में भी भारत को प्रतिनी दित कर
04:13बंदे मात्रम पर जो Constitutions Assembly थी और खास दोर से जवारल नहरू उन्हें याद था कि मुहमद अली जिन्ना ने इस गीत पर अपना विरोध जताया था तो उन्होंने रविद्णा टैगोर जी जो कई लोग कह रहे हैं उसके आधार में कह रहा हूँ
04:30उन्होंने रविद् नाटैगोर जी से इसके बारे में बात की इस पर चर्चा की तो गुरुद्यू का कहना था कि इसके पहले दो स्टेंजा जो हैं वो तो एक सामाने तोर पे हैं वो पूरे देश की बंदना करते हैं
04:50उसके बाद के जो पूरे स्टेंजा हैं बाद का पूरा जो गीत है वो हिंदू इमेजरी यह एक हिंदू धर्म के आधार पे उसी का गुंगान हिंदू देवी देवताओं का गुंगान खास तौर से दुरुगा का प्रतिक लक्षमी सरस्वती की वंदना उसमें है तो यह ग�
05:20नहीं नहीं था क्योंकि आज ये पूरी बात नहरू के लादी जा रही है समिदान सभा थी समिदान सभा जिसने भारतिय समिदान पर चर्चा की बनाया तो उसमें एक सौंग कमिटी थी नैशनल इंथम कमिटी जिसमें कनियलाल मानिकलाल मुंशी और बियार अमबेटकर के ला�
05:50नहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा पहला मतलब उस सेंस में नहीं ये तीन गीतों के बीच में चर्चा हुई अब ये गीत भी बहुत अच्छा था बहुत प्यारा है और इस गीत के लिखने वाले सर मुहम्मद इकबाल ये पाकिस्तान चले गए थे तो ये इस गीत को रा�
06:20ये एक शराज बना रहे है ये कवर हिंदों का राष्ट नहीं है ये सब लोगों का राष्ट है ये ही फर्ख है जो हिंदोमासब आ puòरिसे सिके विचारदारा और राष्ट्र rappers गांधीं नेहरू सुभाश पत पोस वगारे की विचारदारा में ये ही फर्ख था ये लोग
06:36पूरे देश में सभी धर्मों का बराबरी से आधर करना चाहते थे और जैसे इसलाम में वैसे तो अल्ला के लावा और किसी की अबादत करने की मन्जूरी नहीं है।
07:06राष्टगीत नैश्टगीत नैश्टगीत ये हर देश में हमारा प्रतिनेदेतु करेगा इस पर म्यूजिक बनेगा इस पर बैंड बनेगा और राष्टगीत भारत में अलग-अलग मौकों पर वंदे मातरम के पहले दो स्टेंजा गाए जाएंगे और जन्गनमन का जो मु�
07:36गयां सब्विताएं सस्कतियां पंजाब सिंद गुजरात अमराथा द्राविड उतकल बंगा यह एक पूरे तोर से देश का एक प्रतिनेदेत तो करता था और दूसरा एक कारण ये भी था कि इस पर जो ट्यून म्यूजिक ट्यून बनाई थी वो काफी जिसको अंगरेजि
08:06रखा गया उसका कारण ये नहीं था कि कोई उसके के प्रति एक भावना थी प्रिजुडिस सा या कोई पूरवाग्रा था कारण एक सरल था वो पूरा पूरा गीत ये हिंदू परंपराओं में हिंदू धर्म के आधार पे था इसलिए पहले जो स्टैंजास को राष्ट गी
08:36हुआ उसके बारे में हम चर्चा कर चुके हैं अंग्रेजियों की फूट डालो और राजगरों की नीती दूसरी तरफ से मुस्लिम राष्टवाद की मुस्लिम पाकिस्तान के मांग और हिंदू महासभा और रस्स की हिंदू राष्टवाद की विचार धारा जो इस देश को
09:06विचारा है जिसमें नहरू को बद्दाम किया जाए और हिंदू राष्टवाद की विचार धारा को बंदे मातरम के रूप में सामने लाकर प्रस्थापित करने की कोशिश की जाए बंदे मातरम गीत का बहुत आधर होना चाहिए पर केवल पहले दूस टेंजा का जो हमारे
09:36दिया है उस पर बहकर हम ये न कहें कि भाई ये गीत तो किवल नहरू ने जिन्ना के कहने पर इसके पिछले भाग को हटा दिया ये बिल्कुल गलत है ये समिधान सभा का निरने था नैशनल सौन कमीटी का निरने था पर हां इसमें नहरू की एक ही पूर्मिका थी क्योंकि �
10:06उसमें गुरुदेव तो सबसे उपर थे इसलिए उन से चर्चा की गई और उन्हों नहीं कहा कि इसके दो स्टेंजा राष्टगीच के लिए उचित हैं तो इसके आधार पे जो लोग नफरत फैला रहे हैं वो बहुत गलत है और जो इस प्रकार के बयान है कि राष्टगी
10:36बार बार कोशिश करेगा कि खुद की विचार अधार को समाज पर लादने की बात करें हम जनगर्ण मन को नैश्टर जैंतम और पंदे मातरव के पहले दो स्टेंजर को राष्टगीत की रूप में स्विकार करके उनका आधर करें और उसी आधार पे हम अपने देश को आग
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