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  • 1 week ago
जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के शुरू होते ही गर्मी देने वाली कांगड़ी का ख्याल आता है. कांगड़ी के तैयार करने के लिए सबसे पहले मोटी अंगीठी, जिसको कश्मीरी में कुंडल कहा जाता है. जिसे तैयार करने के लिए बेत की टहनियों का इस्तेमाल होता है. इन कांगड़ी बनाने वाले कारीगरों को कश्मीरी में कनल कहा जाता जो कुम्हार होते है. इन कांगड़ियों में अंगारे से भरे मिट्टी के बर्तन रखे जाते हैं. जिसे कांगड़ी अच्छे से संभालती हैं. ठंडी में गर्माहट देती है.कांगड़ी की कारीगरी से कई लोगों की रोजी रोटी चल रही है. लेकिन इस काम को करने वाले लोग दूसरे रोजगार की तरफ रुख कर रहे हैं. क्योंकि अब इस काम में कम मुनाफा नहीं रहा.किसी जमाने में कांगड़ी में केवल मिट्टी का बर्तन रखने के काम आती थी. लेकिन वक्त गुजरने के साथ कारीकगरों ने बेत का इस्तेमाल करके इन्हें देसी हीटर बना दिया. आमतौर पर कांगड़ी बनाने के काम आदमी करते है. महिलाएं इसको बानने में इस्तेमाल होने वाले बेत को छीलने का काम करती हैं.पहले कांगड़ी को बनाने के कारोबार से ज्यादा लोग जुड़े थे. लेकिन अब इस काम को करने वाले कम ही बचे हैं. युवा इस काम को नहीं सीखना चाहते. क्योंकि अब इसकी मांग नहीं रहीं. आने वाले समय में कम लोग ही बचे जो  इस काम को करें. शायद वक्त के साथ कांगड़ी अपनी पहचान खो दें.

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00:00जम्मू कश्मीर में सरदियों के शुरू होते ही गर्मी देने वाली कांगडी का खयाल आता है।
00:30हम कई सारों से कांगडीया बनाने का काम कर रहे हैं।
01:00कांगडीय की कारीगरी से कई लोगों की रोजी रोटी चल रही है लेकिन इस काम को करने वाले लोग दूसरे रोजगार की तरफ रुख कर रहे हैं।
01:08क्योंकि अब इस काम में कम मुनाफा रहा है।
01:10कांगडीया बनाने वालों की तैदाद बहुत कम रह गई है।
01:12जदीद सहुलियात ने अगर्च आसानी पैदा की है लेकिन कांगडी से वाबस्ता कारीगरी के लिए मुश्किल हो गया है।
01:24अब कांगडीया बनाने वालों की तैदाद बहुत कम रह गई है।
01:28क्यूंकि इस काम में महनत जादा है और आमदानी ना होने के बराबर है।
01:34पहले हम इसी पेशे से अपने बच्चू का पेट पालते थे।
01:38किसी जमाने में कांगडी केवल मिट्टी का बरतन रखने के लिए काम आती थी।
01:50लेकिन वक्त गुजरने के साथ कारीगरों ने बेट का इस्तेमाल करके इन्हें देसी हीटर बना दिया है।
01:55आमतार पर कांगडी बनाने का काम आदमी करते हैं और महिलाएं इसको बनाने में इस्तेमाल होने वाले बेट को छिलने का काम करती है।
02:03हमारी इलाके में 20 के करीब खांदान कांगडी बनाने का काम करते थे लेकिन अब ये काम सिर्फ चार लोगों तक ही महदोद रहा है।
02:18और वो भी बुजर्ग हैं जबकि नौजवान इस काम के साथ मुनसलिक नहीं हो रहे हैं क्योंकि इसकी मांग में काफी ग्तिन आई है।
02:48साथ कांगरी अपनी पहचान खोदे।
02:50ETV भारत के लिए पुलवामा से सयदादल मुश्ताक की रिपोर्ट।
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