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Sharad Purnima 2025 Date: Sharad Purnima 2025 एक विशेष रात्रि है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूरित होता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और खीर को रातभर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, जिससे उसमें अमृततुल्य गुण आ जाते हैं। यह खीर रोगों को दूर करती है और सौभाग्य बढ़ाती है। जानिए शरद पूर्णिमा की तिथि, पूजा विधि, और खीर रखने के पीछे का वैज्ञानिक व धार्मिक रहस्य। इस खास रात का महत्व और चंद्रमा की किरणों से होने वाले चमत्कारी लाभ को जानना न भूलें।

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~HT.178~ED.106~GR.124~

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00:00शरत पूर्णीमा का परफ हर वर्ष अश्विन मास की पूर्णीमा तीथी को मनाया जाता है
00:25ये रात चंद्रमा की 16 कलाओं से योक्त, अत्यंद प्रभाविशाली और आध्यात में कूजा से भरपूर होती है
00:33इस दिन चंद्रमा से अमरित तुल्या करणों की वर्षा होती है और ऐसा माना जाता है
00:40किन किर्णों से स्वास्थया, थन और प्रेम की प्राप्ती होती है
00:45पराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीक्रिशन ने इसी रातरी गोपियों संग महाराज रचाया
00:51इसलिए ये रातरी, प्रेम, संगीत और आध्यात में उचा की चरम सीमा मानी जाती है
00:58रस्बार शरत पूनिमा की तिथी 6 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बच कर 23 मिनट से शुरू को कर 7 अक्टूबर की सुभ है 9 बच कर 16 मिनट तक रहेगी
01:12अतहे ओद्या तिथी के अनुसार व्रत्व पूजन 6 अक्टूबर को ही किया जाएगा
01:18पूजा विधी की शुरौवात सुर्या अधय से पहले स्नानादीकर वरत्व संकल पलेने से हूती है
01:23दिन भर साथ विकरहकर देवी देवताओं का स्मरण करें और संध्या के समय मालक्षमी के विधिकूरवग पूजा करें
01:32पूजास्थल को स्वच्छ करके मालक्ष्मी के समक्ष दीपक चलाएं। उन्हें गुलाबादी सुगंधित फूल अर्पित करें और इंद्रा कृत लक्ष्मी स्रूत का पाठ करें।
01:57शरत पूर्णीमा का सबसे प्रमुख और सबसे महधवपूर्ण बक्ष है खीर बना कर चंद्रमा की चांदनी में रखना।
02:27की नीचे चंद्रमा की रोश्णी में रखें पंचांग की अनुसार इस वर्ष खीर रखने का सबसे शुब समय 6 ओक्टूबर की राद 10 बचकर 37 मिनट से 12 बचकर 9 मिनट तक है यही समय चंद्रमा की सबसे प्रबल चांदनी और आशधिय गुणों को खीर में आत्मसाथ करने क
02:57चड़ाएं अगले दिन सुभह स्खीर को प्रसाद की रूप में परिवार्जनों और जरुवत मंदों में बाटें यह विशेश प्रसाद ना केवल रोगु से मुक्ति देता है बलकि मान सिक्षान्ती प्रेम संबंधों में मधुरता और आर्थिक सम्रिधी प्रदान करता ह
03:27व्रत पंचक में आए तो उसे मनाने में बाधा नहीं होती अथा शरत पूनिमा की पूजा विधी, खेररपन वा चंद्रदर्शन निर्भाय होकर करें अस दिव्यरात्री में की गई मालक्षमी के राधना और चंद्रमा पूजन विशेश फलदाई होती है
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