बिहार में SIR के बाद जारी अंतिम मतदाता सूची पर विवाद बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि महिलाओं के नाम पुरुषों से ज्यादा काटे गए हैं, जिससे नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। SSR के मुकाबले महिला वोटर 6.11% घटी हैं जबकि पुरुष 3.82%। लिंगानुपात 914 से घटकर 892 हो गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह कटौती राजनीतिक साजिश हो सकती है। क्या यह मुद्दा चुनाव में NDA को नुकसान पहुंचाएगा? जानिए पूरी रिपोर्ट इस वीडियो में।
00:00बिहार में चुनावा योग दोरा कराए गए Special Intensive Revision यानी SIR के बाद जारी हुई अंतिम मद्दाता सूची अब नए विवाद में घिर गई है
00:15आकड़ो की माने तो इस बार पुर्षों की तुलना में महिलाओ के नाम अधिक संख्या में मद्दाता सूची से काटे गए हैं जिस से राजनितिक हलकों में हलचल मच गई हैं बता दे की महिला वोटर लंबे वक्त से मुख्यमंतरी नितीज कुमार का मजबूत वोट बैंक र
00:45पुर्षों की तुलना में लिंगा नुपात भी 914 से घट कर 892 हो गया है चुनवाईयों का कहना है कि वही नाम हटाए गए हैं जिनके पास परियाप्त दस्तावेज नहीं थे या फिर जो फरजी थे लेकिन कई विसलेसकों का मानना है कि बिहार से पलायन पुरुस जादा क
01:15शात्रवित्ती योजना हो या फिर शराब बंदी इन योजनाओं ने महिला मद्दाताओं को जेडियू से जोड कर रखा हुआ है लेकिन अगर बड़ी संख्या में महिलाओं के नाम मद्दाता सूची से गायव होते हैं तो फिर इसका आसर नितीज कुमार की परंपरागत �
01:45वामदलो और विवक्षी नेताओं का आरोप है कि मद्दाता सूची में छेड़ शाड कर गरीब पिछडे महिलावर को जान बूच कर बाहर किया जा रहा है ताकि एंडिये के खिलाफ खड़े होने वाले समू को कमजोर कर दिया जाए वहीं चुनावायोग पर भी सवाल उ�
02:15रादनितिक विशलेशकों की माने तो अगर महिला मद्दाताओं में ये संदेश गया कि जान बूच कर उनके नाम हटाए गए हैं तो इसका सीधा असर मद्दान प्रिशत और नितीश कुमार की लोगप्रियता पर भी पढ़ सकता है बिहार में महिलाओं की रादनितिक जा�
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