CJI की मां Kamlatai Gavai का RSS कार्यक्रम से इनकार, क्यों मचा हंगामा? यह सिर्फ एक निमंत्रण का रद्द होना नहीं, बल्कि अंबेडकरवादी विचारधारा और राजनीतिक समीकरणों के बीच गहरा टकराव है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की 84 वर्षीय मां, श्रीमती कमलाताई गवई ने 5 अक्टूबर को अमरावती में होने वाले RSS के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने से इनकार कर दिया है। उनका यह फैसला अब सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कमला गवई का परिवार दशकों से डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा का आजीवन अनुयायी रहा है। उनके दिवंगत पति, दादासाहेब गवई, ने अपना पूरा जीवन अंबेडकरवादी आंदोलन को समर्पित कर दिया। ऐसे में, जब अंबेडकरवादी परिवार से जुड़ी एक प्रमुख शख्सियत को RSS के मंच पर आमंत्रित किया जाता है, तो स्वाभाविक रूप से सवाल उठते हैं। कमला गवई ने एक खुले पत्र में बताया कि उनकी उपस्थिति की खबर फैलते ही उन्हें और उनके परिवार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर वे मंच पर होतीं भी, तो अंबेडकरवादी विचारधारा को ही रखतीं, न कि किसी अन्य संगठन की विचारधारा को अपनातीं। About the Story: This video discusses the controversial decision of Kamlatai Gavai, mother of CJI D.Y. Chandrachud, to decline an invitation as chief guest for an RSS centenary event. Her refusal has sparked a national debate, highlighting the clash between Ambedkarite ideology and political affiliations. The decision, rooted in her family's long-standing dedication to Dr. B.R. Ambedkar's principles, raises questions about political messaging and ideological conflicts in India.
00:00भारत के मुख्य नयधीश गवई की 84 वर्षिय मा कमलाताई गवई ने राष्ट्रिय स्वयम सेवक संग यानी आरेसेस के श्रताबदी समारोह में मुख्य अतिती के रूप में शामिल होने से इंकार कर दिया है
00:11पांच ऑक्टूबर को अमरावती में आयोजीत होने वाले इस कारेक्रम से कमलाताई का पीछे हटना अब सिर्फ एक खबर नहीं बल्ही एक राष्ट्रिय बहस का मुद्धा बन गया है
00:21नमस्कार वनिट्य हिंदी में आपका स्वागत है मैं हूरिच्या और आज हम बात करेंगे एक ऐसे विश्वय पर जिसने देश की राजनीती में भूचाल ला दिया है
00:30एक ऐसी खबर जिसने सब को चौका दिया है जिसने कई सवाल खड़े कर दिये है
00:34क्या एक साधारन निमंत्रन इतना बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है
00:38क्या एक कारेकरम में शामिल होना किसी परिवार की दशकों पुरानी विचार धारा पर सवाल उठा सकता है
00:44आखर कौन है वो सक्षियत
00:47जी हाँ हम बात कर रहे हैं कमला गवई का यह फैसला क्यों इतना महतोपुर्ण है क्योंकि यह सिर्फ एक व्यक्तिक अनिर्णा नहीं है बलकि एक विचार धारा का भी प्रश्ण है
00:56एक ऐसा परिवार जो डॉक्टर भीम राव अंबेडगर की विचार धारा का आजीवन अनुयाई रहा है
01:02जब उसे RSS के मंच पर आमंत्रित किया जाता है तो सवाल उठना लाजिमी है
01:07कमला गवई ने एक खुला पत्र लिखकर अपने इस फैसले की जानकारी दी
01:11उन्हें लिखा जैसे ही इस कारेकरम में उनकी उपस्तिती की खबर फैली
01:15उन्हें और उनके परिवार को आलोचनाओं और आरोपों का सामना करना पड़ा
01:19उनका कहना था कि उनका परिवार हमेशा से ही अंबेड़कर वादी रहा है
01:23उनके दिवंगत पती दादा साहिब गवई ने अपना पूरा जीवन अंबेड़कर वादी आंदोलन को समर्पत कर दिया
01:30उन्हें समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए अथक प्रयास किये
01:33उनके हकों की लड़ाई लड़ी ऐसे में आरेसस के मंच पर उनकी उपस्तिती पर सवाल उठना स्वभावी था
01:40लेकिन कमला गवई ने एक और महतोपुन बात कही
01:43उन्होंने साफ किया कि अगर वें मंच पर होती तो वहां अमबेटकर वादि विचार धारा को ही रखती
01:49यानि उनका उदेश्यों किसी संगठन के विचार धारा को अपनाना नहीं बलकि अपरे सिधानतों को मजबूत करना था
01:55यह दर्शाता है कि कमला गवई एक मजबूत और सशक्त बहिला है जो अपने विचार धारा पर अडिग रहती है
02:02अब सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत नर्ना है या इसके पीछे कुछ गहरा राजनितिक संदेश भी है
02:10कै यह फैसला दलित समुदाय और अमबेडकर वादी विचार धारा के लोगों के बीच एक नई बहस को जन्द देगा
02:15कमला गवई ने अपने पत्र में यह भी बताया कि उनके पती दादा साहिब गवई अकसर ऐसे कारेक्रमों में भी जाते थे जिनके विचार धारा उनसे अलग होती थी
02:23लेकिन उनका एक मात्र उदेश्य समाज की कमजोर वरगों को हितो की बात करना होता था
02:28उन्होंने सपश्ट किया कि दादा साहिब गवई ने कभी भी आरेसिस की हिंदुत्व विचार धारा को नहीं अपनाया
02:35यह बयान इस बात पर जोर देता है कि परिवार के निष्ठा हमेशा अंबेड कर वादी सिधानतों के प्रती रही है
02:42कमलताई ने अपनी उम्र और स्वास्त का हवाला भी दिया
02:4584 वर्ष की इस उम्र में वे स्वास्त कारणों से इलाज करवा रही है
02:50और इस विवाद के कारण में मांसिक रूप से भी परिशान थी
02:53उन्होंने कहा कि उनका यह निर्ण है केवल आलोचनाओं और विवाद के कारण है
02:57और इसका किसी संगठन या व्यक्ति के प्रती कोई नकारात्मक इशारा नहीं है
03:02यह सभी लोगों के प्रती सद्भावना रखती है और समाज के हर व्यक्ति का स्वागत करती है
03:07यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी विचारधाराएं इतनी सशक्त हैं
03:12कि वे व्यक्तिकत संबंधों और आयोजनों पर हावी हो सकती है
03:15क्या एक निमंत्रन जो सद्भावना के प्रती के रूप में दिया गया वो इतना बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है
03:22अब इस ख़बर में इतना ही लेकिन आप केस पर क्या राय है हमें कमेंट करके जरूर बताए
03:26तब तक देश दुनिया की बागी खबरों के लिए देखते रहे हैं में इंडिया हिंदी
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