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29 सितंबर, 2025 को इजराइल के हाईफा शहर के मेयर योना याहेब ने घोषणा की कि अब भारतीय सैनिकों की वीर गाथा को हाईफा के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह वीरता उस युद्ध के दौरान सामने आई थी जब भारतीय सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य से हाईफा को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी।

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00:00हुआ यह है कि इस्राइल में अब इस्कूली पाठक्रम में भारती सेनकों की वीर गाथा पढ़ाई जाएगी
00:05जो भारती सेनकों की श्रद्धाजली का कारिक्रम था उसमें बोलते हुए कहा
00:09कि भारती सेनकों की वीर गाथा को अब हम इसराइल स्कूली पार्ट करम में शामिल करेंगे
00:14इस हाइफा शहर पे आटोमन सामराज का कबजा था और बिटिस सरकार उसे छोड़ा नमस कर
00:20दोस्तों आज बात करेंगे एक बहुत महात्मून गटना करम पर और भारतीयों के लिए गर्व से भर्ण देने वाली गटना पर
00:27हुआ ये है कि इसराइल में अब इस्कूली पार्ट करम में भारती सेनकों की वीर गाथा पढ़ाई जाएगे
00:33तो ये कौन सी सेनक है कौन सी वीर गाता है क्यों वो पढ़ाएंगे आएए पूरा विसलेशन करते हैं इस वीडियो तो देखिए अभी हाल में ही जो हाइफा शहर के मेयर है इसराइल के जिनका नाम है योना यहेब उन्होंने 29 अक्टूबर को एक समारो में बोलते हुए कह
01:03यह भी बोला कि वो यह बात 2009 से बोल रहे हैं अब हम इसे शामिल करेंगे तो यह किस घटना की बात कर रहे हैं तो उनका कहना है प्रमुख रूप से जो हाइफा शहर है जो इसराइल का प्रमुख बंदरगा और वैवसायक शहर है उसे सौतंतर कराने में भारती सेनकों का मह
01:33योना यहेव जो मेर है हाइफा शहर के उन्होंना क्या बोला उसे पूरा तरह से समझतर है तो योना यहाव बोले कि in every school we are changing the text and saying it wasn't the British but Indian who liberate us
01:52यानि वो British नहीं थे जिन्होंने हमें सुतंतर कराया जबकि भारती सेनक थे जिन्होंने हमें सुतंतर कराया और यह बात कर रहे हैं वो 1st World War के समय जो हाइफा बैटल हुआ था हाइफा बैटल थे कि 1st World War के समय इस हाइफा शहर पे आटोमन सामराज का कपज़ा था और बि�
02:22जो saينic तुकडी है लांसर है उन्हें भेजाता तो वह कौन सी थी तो वह थे जोदपूर लांसर मैसूर लांसर और हैदरावाद-लांसर-
02:32लांसर मतलब होता है घुरसवार सैनिक जिनके हाथ में भाले होते हैं, तो इन्हें भेजा गया था और इन्हें नाम दिया गया था
02:40इम्पीरियल सर्विस केवरली यानि गोरसवार सैना तो यह पहुंचे थे यहां हाइफा शहर और हाइफा शहर चूकि उस समय जो आटोमन सामराज का एक प्रमुख सप्लाई केंदर था फस्ट वर्ल्ड वार में यह पोर्ट भी था यहां सेना रेलवे जंक्शन भी था और ब
03:10मेजर दलपत सिंग की नेतत्र में बहुत वीरता का पर्चा देते हुए 23 सितंबर 1918 को बहुत तेज गती से आक्रमन किया था हाइफा शहर में जबकि आटोमन सामराज के पास तोपें थी उनके पास मशीन गन थी उनका मुकाबला करते हुए भारती सैनकों ने छोटी गलियो
03:40की इसे विश्य तिहास में भारती no boundary के टास मैं सबसे तेज केवरली चार्ड माना जाता है जो बहुत ही महत्पूर माना जाता है और इसने भारती सेनकों की वीड़ता को पूरी दुन्या में स्थापिद भी ऍल्य और इस ही कियाद में इसराइल में 23 सितंबर हाइफा डे मन
04:10याद में अब जो हाइफा शहर के मेर है योना याहेब उन्होंने इसकूली पार्टकरम में इस वीता पूर्ण कारणामे को शामिल करने की पोश्टना की है
04:22ये निश्चत तौर पे सभी भारतियों के लिए गर्ब से भरने वाला चान है और यहां दियान रखना आवशक है कि भारती सेनकों ने भले ही वो जैसा योना याहेब ने बोला है कि उन्होंने पूरा एक हिस्टोरिकल शोध किया था इस बारे में उन्हें एक हिस्टोरिकल श
04:52वर्नित किया है यानि भारती सेनकों की वीरता पुना एक बार स्थापित हुई है और भारतियों के लिए गर्ब करने की बात है और अब जब इसकूली पार्टिकम में जब इसे पढ़ाया जाएगा तो निश्चत तौर पे इससे भारत और इसराइल को जो संबन इन दोनों
05:22झाल
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