It was 2 AM. Vishal was alone at a small railway station, shrouded in fog and silence. Suddenly, an old train arrived with passengers dressed in white, their faces blurred. The driver opened his eyes and said, “Let’s go on the last journey…” Hesitant, Vishal boarded. As the train moved, the outside world blurred. He tried to escape, but the doors were locked. Now, this train arrives at the same station every night—but anyone who boards never returns.
रात के 2 बजे थे। विशाल अकेला छोटे से रेलवे स्टेशन पर खड़ा था। घना कोहरा और सन्नाटा — कोई ट्रेन नहीं, कोई आवाज़ नहीं। तभी एक पुरानी ट्रेन धीरे-धीरे प्लेटफ़ॉर्म पर आई। अंदर सब सवारियाँ सफेद कपड़ों में थीं… चेहरे अस्पष्ट। ड्राइवर ने आँखें खोलीं और बोला — “चलो, आख़िरी सफर पर…” विशाल हिचकिचाया, पर चढ़ गया। जैसे ही ट्रेन चली, उसने देखा — बाहर की दुनिया धुँधली हो रही है… उसने भागकर उतरने की कोशिश की, पर दरवाज़े बंद थे। अब वो ट्रेन हर रात उसी स्टेशन पर आती है… लेकिन उसमें चढ़ने वाला कभी लौट कर नहीं आता…
00:00रात के दो बजे थे, विशाल अकेला छोटे से रेलवे स्टेशन पर खड़ा था। घना कोहरा और सन्नाटा, कोई ट्रेन नहीं, कोई आवाज नहीं। तभी एक पुरानी ट्रेन धीरे धीरे प्लेटफॉर्म पर आई। अंदर सब सवारिया सफेद कपडों में थी।
00:18चेहरे असपष्ट, ड्राइवर ने आखे खोली और बोला, चलो आखरी सफर पर। विशाल हिच की चाया, पर चड़ गया। जैसे ही ट्रेन चली, उसने देखा, बाहर की दुनिया धुंधली हो रही है। उसने भाग कर उतरने की कोशिश की, पर दर्वाजे बंद थे। अब
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