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Shubho Mahalaya 2025: बंगाल में, महालय (बंगाली: মহালয়া) आमतौर पर दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा, हिन्दू पंचांग माह आश्विन(सितंबर और अक्टूबर) के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत महालय से होती है। महालय वह दिन है जब माना जाता है कि देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।Shubho Mahalaya 2025: Mahalaya Ke Piche Ki Kahani Kya Hai,Kyu Manaya Jata Hai,Chokkhu Daan Kise Kahate hai ?


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~HT.318~PR.111~ED.120~
Transcript
00:00महलया अमावस्या पित्रिपक्ष की समाप्ति और देवी दुर्गा के ससुराल से घर वापसी की शुरुवात का प्रतीक है
00:11यानि की मा दुर्गा अपने ससुराल से माई के आती है
00:15ये देवी पक्ष की शुरुवात और पूर्वजों की सम्मान से लेकर दुर्गा पूजा तक के उत्सवों की अवधी की शुरुवात का प्रतीक है
00:23पुरानों से लेकर महभारत तक महले के बारे में अनिगिनत कहानिया प्रचलित है
00:28महलिया से जुड़े सबसे महतवपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है देवी दुर्गा की आँखों का चित्रांकर जो आधिकारिक तौर पर दुर्गा पूजा अनुष्ठानों की शुरुवात करता है
00:43दुर्गा प्रतिमा नर्माण की अंतिम दिन एक वरष्ट मूर्टिकार आँखों को चित्रत करने का कारी करते हैं जिससे देवी का दिविस्वरू को पूर्ण होता है और उसमें प्राण प्रतिष्ठा होती है इस अनुष्ठान को चोखो दान या मादुर्गा को आँखे अर
01:13तीसरी यांख जिसे त्रीनैन कहते हैं उसके बाद बाईयांख और अंत में दाईयांख ये सब एक ढखे हुए घेरे में पुजारी की उपस्थती में बीज मंत्रों के जाब के साथ किया जाता है फिलहाल अस वीडियो में इतना ही वीडियो को लाइक और शेयर करें साथी �
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