Mufti Tariq Masood Sahib ki is bayan me Islami taleemat, zindagi ke masail aur deen ki samajh ko bohot asaan andaaz me samjhaya gaya hai. Unke bayan aam logo ki roohani aur islami rehnumai ka behtareen zariya hain. Mazhab, akhlaaq, family issues aur Islamic teachings par unki guftagu dil ko chu lene wali hoti hai. 🔔 Mazid videos ke liye channel ko follow karein. 📌 Mufti Tariq Masood Speeches | Islamic lectures | Urdu bayan #MuftiTariqMasood #IslamicBayan #IslamicLecture #UrduBayan #IslamicReminders #MuftiTariqMasoodSpeeches #IslamicVideos #QuranAndSunnah #DeeniTaleem #IslamicKnowledge
00:01मुफ्ती तारिक मसूद के बियानाग के लिए मुफ्ती सहब के ओफिशल चैनल मुफ्ती तारिक मसूद स्पीचिस को सबस्क्राइब करें
00:08मैं आपको बताओं सबसे ज्यादा दिमाग को हेल्दी रखना मुश्किल काम है अपनी सेहत के लिए
00:18लोग समझते हैं कि हम अपनी निगाहों को की हिफाज़त करना बड़ा मुश्किल काम यनि हमारी नजर सही रहे हमारी समास सही रहे हम चलते दोड़ते रहे
00:29भाई टांगों की हेल्द उसको बचा के रखना आसान मेदे की हेल्द को बचा के रखना बो आसान
00:38सुनने की गुवत देखने की गुवत इनको बचा के रखना आसान
00:43सबसे ज्यादा मुश्किल अगर किसी आपके जो ओर्गन है ना
00:49जिसकी इससे हट को मेंटेन रखना सबसे ज्यादा मुश्किल ए वो दिमाग है
00:55जरा सी अबनॉर्मल लाइफ होती है
00:58और दिमाग अबनॉर्मल
01:00होना शुरू हो जाता है
01:02दिमाग को सही रखने के लिए जरूरी है
01:04बिलकुल नॉर्मल लाइफ हो आपकी
01:06थोड़ी सी भी अबनॉर्मल्टी ना है
01:08नहीं आई मेरा ख्याल एबाद
01:11यह बहुत अहम पॉइंट है अल्ला करे यह खोपड़ी शरीफ में उतर जाए
01:14आज आपको पता है ना कितने ज्यादा साइकॉलोजिस्ट सुसाइटी में आ गए हैं
01:21और कितने लोग कोई थोड़ा सा खिसकावा है
01:22कोई अजीब सा खिसकावा है
01:24कोई बैटे बैटे उट पड़ांग हरकते शरू कर देता है
01:26यह बिमारियां बहुत हो गई है
01:27वज़ा क्या है कि नैचरल लाइफ और नॉर्मल लाइफ से इनसान हट गया है
01:33दूर हो गया है
01:34तो सबसे मुश्किल चीज़ क्या है दिमाग को हेल्दी रखना
01:40दिमाग को हेल्दी रखने के लिए दो काम करने पड़ते है
01:44देखो जब हम कंप्यूटर को या अपने मुबाइल को सही रखें
01:49तो उसमें दो चीज़ें होती हैं कंप्यूटर में
01:52हार्डवेर और सौफ़ेर
01:54दोनों को बचाना जरूरी है ना
01:56मुबाइल धड़ाम से नीचे गिरा
01:59उसी वक्त स्क्रेच आ किया
02:00दो टके की वैल्यू नहीं रहती ही मुबाइल की आपके
02:03क्या खियाल है भाई
02:04रहती है वैल्यू इसकी
02:06तो दिमाग की हल्थ
02:08एक हार्डवेर है
02:10बाइक से गिरे बगएर हेल्मिट के
02:12हिल गया
02:13मैंने देखा एक साब बाइक से गिरे बगएर हेल्मिट के
02:17मैं जाके उठा रहा हूँ तो हस रहें
02:19कहके मार मार के
02:20मैंने का
02:22हार्डवेर में क्या होगी है
02:24इशू होगी है
02:27हार्डवेर क्या होगी है
02:30गड़बड होगी हार्डवेर
02:32मेमوری लास हो गई
02:34हाड़वेर के लिए जरूर ही है
02:38कि आप प्रोटीन वाली चीजें खाएं
02:41नीन आपकी प्रॉपर हो
02:43यह सब चीजें हैं ना
02:45एक है सॉरी नीन का तालुक सॉफ़वेर से
02:49हाड़वेर से नहीं
02:49बादाम खाएं आप
02:51अंडे मंडे फोड़ दिया करें
02:53ज्यादा मत खाया करें
02:56कम खाया करें
02:57रमजान में आदमी का दिमाग ज्यादा अच्छा होता है
02:59ब्लॉकिज ना हो जाए कहीं
03:02बलड प्रेशर की वज़ए से
03:03ब्रग ना फट जाया
03:04इसको हेल्दी रखना आसान है
03:10जैसे कम्प्यूटर के हाड़वेर को हेल्दी रखना बहुत आसान होता है
03:18मुबाइल को गिरने से बचाओ भाई
03:19कवर चड़ा दो अगर गिर भी गिया
03:21तो बच जाएगा
03:22जैसे हेलमिट पहन लो आप
03:24गिर भी गए तो
03:25दिमाग के तूटने का चांस कम होता है
03:28खोपड़ी के फटने का चांस कम होता है
03:30लग ने इतनी बड़ा नारियल लगा दिया
03:31हमारे सर पे जोड़ दिया
03:32खोपड़ी की इफाज़त के लिए
03:34लेकिन जो दिमाग के अंदर
03:37software रहना उसमें वाइरस बहुत आते हैं
03:40तो उसमें एंटी वाइरस बार बार चलाना पड़ता है
03:43आमिलों के वाइरस भरे वे होते हैं खोपड़ी में
03:46क्योंके ये एंटी वाइरस नहीं चलाते हैं
03:50बलके ये बाकाइदा अमलियात करके वाइरस लाते हैं अपने दिमाग में
03:55तो जैसे कम्प्यूटर में किस सौफवेर में वाइरस बहुत आते हैं
04:02उन वाइरस से अपने आपको बचाना बहुत मुश्किल काम है
04:05तो इसी तरह दिमाग का जो सौफवेर है ना
04:09उसके हिफाज़त बहुत मुश्किल काम है
04:12वो टेंशन से पागल खराब होता है
04:14अबनॉर्मलिटी वाला कोई भी काम
04:17अब देखो अक्सर दिमागी बिमारी बच्च्पन में पैदा होती हैं
04:20जो बड़े होके जाहिर होती है
04:21बच्चे स्ट्रेस के महौल में अगर पलते हैं ना
04:24मा या बाप में से कोई एक भी बहुत सक्त है
04:27तो बच्चे का दिमाग हमेशा के लिए खराब हो जाता है
04:31स्कूलों की जो टेंशन है ना बच्चों में
04:35हर वक इमतिहान, इमतिहान, इमतिहान
04:38आगे बढ़ने का शौक ही खतम
04:39बस नमबर लेने का शौक होता है
04:41तो वो स्ट्रेस उनको क्या करती है
04:43उनके अंदर जो
04:46मैं आपको अपनी बात बताऊ
04:48मैंने मदरसे में जाके पढ़ा है
04:50स्कूलों में नहीं पढ़ा हूँ
04:51स्कूल में हमें ये होता था
04:54कि इमतिहान में नमबर अच्छे लेने
04:55रटा लगाते थे हम
04:56क्योंकि हम देखते थे
04:58जिस बच्चे के स्कूल में
04:59नमबर अच्छे आएं
05:01उसकी इज़त होती है
05:02जिसके नमबर अच्छे नाएं उसकी बेज़ती होती है
05:06तो हमें इस से कोई सरोकार नहीं होता था
05:08कि जो physics, chemistry हम पढ़ रहे हैं
05:12उसमें हमें कितनी महारत हो रही है
05:13मैं तो फिर भी अपने तोर पर को दिल्चस्पी लेता था
05:17जैसे physics के उसूल जब हम पढ़ते थे
05:19तो मैं अपनी practical life में उसको apply करता था
05:21लेकिन हमारे class fellow बोलते थे
05:23बाई जितना time इसको सीखने में लगा रहे हो
05:26छे सवाल और रटा लगा के याद कर लेते
05:28इन सब चीजों का आपको इमतिहान में कोई फाइदा नहीं होगा
05:32तो इससे आदमी की जो mental growth है
05:36वो बढ़ती है या कम होती है
05:38कम होती है
05:39साइजान वाइजान टाइप की चीजें पैदा नहीं होती है फिर इससे
05:44जब हम मदरसे में गए
05:46तो अल्ला का बड़ा फजल हुआ
05:49मदरसे में जब मेरे शुरू के जो दो साल थे ना
05:52उसमें वो रिवायती तरीका नहीं था हमारे मदरसे में
05:54जो आम तरफे मदरसों में होता है
05:55उसमें ये कि ये अर्बी ग्रैमर ये आपने पढ़नी है
05:59तो मैं खुद प्रेक्टिस करकर के उसको
06:00टीचर की मेहनत और खुद प्रेक्टिस करकर के
06:03बहुत सीखिया, उसमें दिल्चस्पी थी
06:05हैरो एक अलग टॉपिक है
06:07तो बच्पन में बच्चे के
06:09दिमाँ में कोई स्ट्रेस हो
06:10बिलावजा का रोब हो
06:12तो उससे
06:14उसमें कोई सौफियर में क्या होता है दिमाँ में
06:17खलल, वो ठीक होना बड़ा मुश्किल है फिर
06:19वो सारी जिन्दगी एम नॉर्मल ही रहता है बड़ी नहीं पाता
06:25गरीबों के बच्चे
06:26ज्यादा अच्छे पल जाते हैं मैंने देखा है
06:29गरीबों के बच्चे
06:33उनके पास वसाइल कम होते हैं
06:35गरीब के बच्चे के पास वसाइल ज्यादा आ जाएं
06:37वो मालदार के बच्चे से आगे निकल जाएगा
06:39मालदारों के बच्चों की मेंटल ग्रो आजकल कम हो रही है
06:43वज़ा उसकी यह है
06:45कि एक एक दो-दो होते हैं
06:47कितने होते हैं
06:49एक यदो
06:51और उन पर माबाप का दबाओ पढ़ाई का इतना होता है
06:54क्योंके माबाप ने यह कहा होता है
06:56कि हम ने पढ़ लिखके इतना कमाया है
06:58तो हमारा बच्चा भी पढ़ेगा और इतना कमाएगा
07:02और फिर बच्चे को खेलने कूदने के लिए
07:08करीब العمر बहन भाई नहीं मिलते उसको
07:10उसके कजनों की तादाद
07:12उसके बहन भाईयों की तादाद कम होती है
07:14बच्चा जब बच्चों के साथ
07:16रहता है ना बहुत लाइफ को एंजोाई
07:18करता है वो भागता है दोड़ता है दरख पर
07:20चड़ रहा है कभी बदाम के दरख पर ध्राम सगिरा
07:22छोड़ा भाई बड़ा भाई मजला भाई चोटी बहन
07:24बड़ी बहन मंजली बहन और कजनों का
07:26कुरी फौज होती है
07:27ऐसे खेल कूत के जो
07:30बच्चे बड़े होते हैं वो दुनिया में
07:32बड़े काम करते हैं बशरते के उनको
07:34वसाइल भी मिलें अब गरीब के बच्चों के बाद वसाइल
07:36कम होते हैं असलिए बड़े काम नहीं कर पाते
07:38मालदारों के बच्चे तो हम देख रहे हैं
07:42बचारे बर्गर कुछ किसी को भू करो
07:44गिर गिर जाते हैं वो
07:45और ये मसाइल बाहर मुलकों में ज्यादा है
07:51बच्चों की जो बिमारिया है ना दिमागी
07:56ये तरकी आफ़ता मुलकों में ज्यादा बिमार है बच्चे
07:59गरी मुलकों में कम है
08:01अभी में अफरीका तो चौथा चक्कर लगा है मेरा तीसरा या चौथा
08:04बच्चों की फौज होती है
08:06सारे हसते खेलते उचलते
08:08कूते जब भी खड़े होगे डास करना शुरू कर देंगे वो
08:10लगता है इन बिचारों को
08:12कोई टेंशन ही नहीं है
08:13बिचारे गरीब होने की वज़े से
08:16कह रहा हूँ मैं
08:17ऐसा इंजॉय कर रहे हैं लाइफ को
08:20उनकी माएं उनको एक सूखी रोटी का टुकड़ा पकड़ा देते हैं
08:25उसी को खा जाते हैं वो खुशी खुशी
08:27अमीर के बच्चे की टेंशन हैं तो देखो
08:30वो मेरे के लिए बड़ा मशूर हुआ था ना
08:32माएं सुबह-सुबह मनते मान के बैठी भी होती है
08:35मेटा पाठा खाओ के पाठा नहीं पाठा नहीं
08:39डबल लोटी खालो नहीं डबल लोटी नहीं
08:40जाम खालो नहीं जाम नहीं
08:43शहद खालो नहीं शहद नहीं शहद तो खाता ही नहीं
08:45चौकलेट खा लो, नहीं ये भी नीत, क्या खाएगा भाई तू, माँ को खा जाता है वो, टेंशन में, फिर डॉक्टरों ने इतना उल्लू बना दिया, अल्ला बचा के रखे, बच्चे को actually ये खिलाएं, तो फिर ये खिलाएं, तो बच्चे को फिर इतनी प्रोटीन होने च
09:15मुझे याद एक दिगा मैं कहीं रहने के लिए गया, तो हमारे को रेलिटिव थे, उनके पडॉस में बहुत गरीब फैमिली थी, अच्छा जो हमारे रेलिटिव थे, वो खाते पीते फैमिली थी, उनके जितने बच्चे थे, वो सारे कमजोर, मैं देखता था यार, ये प�
09:45वेपे अभी पूरी पकी नहीं उठा के भाग जाता था, खारा होता था, अब मा को दिखारा होता था, और मा चिम्ता दिखा रही होती थी उसको, समझे रहे हो, बगहर सालन के रोटी, और ऐसे पारफुल बने, ऐसे पारफुल, ज़्यादा डॉक्टरों को भी लिफ् नेक
Be the first to comment