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ایک دانشمند کاشتکار A Shrewd Farmer Story in Urdu/Hindi | Urdu Fairy Tales

Urdu Fairy Tales is a channel for people of all ages. You can watch here a variety of cartoon stories in Urdu/Hindi. We also add English subtitles so you can also learn English with entertainment.

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Transcript
00:00एक दानिश मंद कास्तकार
00:30एक और हथियार
00:32कभी कबार उन खेतों में पुरानी लडाईयों के हथियार मिल जाते थे
00:38एक मरतबा जब वो एक दरख्त को ढून काट रहा था
00:42उस कास्तकार को एक सोनी से भरा थैला मिला
00:45हाँ क्या ये सोना है
00:48अब इस कास्तकार ने अपने जिन्दगी में बस चांदी के ही सिक्के देखे थे
00:54और वो इतना सारा सोना देख कर हैरत जदा हो गया
00:57जब वो घर की तरफ रवाना हुआ तो पहले से ही अंधीरा हो चुका था
01:02मैं इतने धेर सारे सोने का क्या करूँगा
01:05अपने घर के रास्ते पर कास्तकार ने उन सब मसलों के बारे में सूचा
01:10जो इस दौलत की वज़े से हो सकते थे
01:12पर मैं इस सोने का इस्तेमाल कैसे कर सकता हूँ
01:15हर शे जो नवाब के इलाके में मिलती है वो नवाब की तो होती है
01:20कानुनन कास्तकार को वो सोना नवाब को देना चाहिए था
01:25कास्तकार ने फैसला किया कि उसके लिए ख़जाना खुद रख लेना कहीं ज्यादा बाइंसाफी थी
01:31पैसे भी नवाब के पास तो सब कुछ है
01:34मैं गरीब हूँ और मुझे इस दौरत की उससे कहीं ज्यादा जूरत है
01:38तो मैं इसे रख लेता हूँ
01:40पर
01:41उसने समझ लिया कि उसे कितना जोखिम मोल लेना पड़ेगा अगर किसी को भी उसकी इसा खुश नसीबी का इल्म हो जाए
01:47मुझे किसी को भी इसके बारे में कुछ नहीं बताना चाहिए
01:50लेकिन मेरी बीवी की बाबत मैं क्या करूँ
01:53वो अपना मुह बंद रख ही नहीं सकती और कोई भी रास छिपा कर नहीं रख सकती है
01:57जैसे ही वो अपना मुख खुलेगी मैं जरूर जेल में डाल दिया जाओंगा
02:02अब मुझे क्या करना चाहिए
02:05उसने बारा इस मसले के बारे में सोचा जब तक कि उसे इसका हल न मिल गया
02:11और उसे यकीनन इसका हल मिल गया
02:13तो घर पहुचने से पहले उसने वो सोनी से भरा थैला एक ज़ाड़ी में छुपा दिया
02:18कुछ देवदार के दरखतों के खरी
02:21और अगले दिन बजाए काम पर जाने के वो गाउं में गया कुछ उमदा किस्म की मचलियां खरीदने को
02:27कुछ डोनट और कुछ हरगोश
02:30दोपेर को वो घर गया और अपनी बीवी से कहा
02:33अपनी बांस की टोकरी लो और मेरे साथ आओ
02:37कल रात बारिश होई थी और जंगल कुला बारन से भरा हुआ है
02:41हमें उन तक पहुचना चाहिए इससे पहले कोई और वहाँ पहुचे
02:44बाह मश्रूम चलो चली चल्दी करो
02:47बीवी को मश्रूम बहुत पसंद थे
02:50उसने अपनी टोकरी उठाई और अपने शोहर के पीछे चल दी
02:54जब वो जंगल में पहुचे तो कास्तकार चीटते हुए अपनी बीवी की तरफ दोड़ गया
02:58देखो, देखो, हमें एक डोनट का दरख्त मिला है
03:02और उसने उसे वो टेहनिया दिखाई जिने उसने पहले से ही डोनट से लाद दिया था
03:07ओ, ये खुदाया, दरख्तों पर डोनट्स
03:11हाँ, कौन ये तसवर कर सकता है, खैर, जाओ और वहाँ उस घास में कुल्ला भारन ढूंडो
03:17बीवी हैरत में पड़ गई, लेकिन वो और भी ज्यादा परेशान हो गई
03:22जब मश्रूम की बजाय उसे वहाँ घास में मचलिया मिली
03:26देखो, जानू, घास में मचलिया है, आज हमारा खुशनसीब दिन है
03:41मेरे दादा जी कहा करते थे कि हर एक के लिए खुशनसीब दिन जरूर आता है
03:46शायद हमें आज हजाना भी मिल जाए
03:49एक अफ़ा हवाज होने के साथ-साथ कास्तकार की बीवी कानों की कच्ची भी थी
03:54तो उसने अपनी बीवी पर यकिन किया और दोहराया, आस-पास देखते हुए
03:59ये हमारा खुशनसीब दिन है, ये हमारा खुशनसीब दिन है
04:04और वो घास में मचलिया ढूंडती रही
04:08अब तक उस खातून की टोकरी मचलियों से भर गई थी
04:12जब वो और उसका शोहर साहिल पर पहुँचे तो कासकार उससे पहले दोड़ गया
04:16उसने जाड़ी के अंदर देखा और कहा
04:18कल मैंने अपने जाल बिछाए थे
04:21अब देखना चाहता हूँ कि क्या कोई मचलिया जींगा भसा
04:25कुछ मिनट के बाद बीवी ने शोहर की बहुत ही उतावली आवास सुनी
04:30यहां आओ और देखो मैंने क्या पकड़ा है
04:33कितनी नायाब किसमत है
04:34मैंने एक खरगोश को पकड़ा है
04:36वो वापस घर जा रहे थे
04:38और बीवी उतावले पन में बोलते जा रही थी
04:40उस रात के उम्दा खाने के बारे में
04:42जिसमें होंगे डोनट्स, मचली और खरगोश
04:46कास्तकार मुस्कुराया और कहा
04:48चलो फिर जंगल से गुजरते हैं
04:51हमें और डोनट्स मिल सकते हैं
04:54ओ, हाँ, चलो चली
04:56वो उस जगे गए जहां कास्तकार ने अपने सोने के सिकों को छिपाया था
05:01कास्तकार ने दिखावा किया जैसे उसे कुछ मिला है
05:04यहां आकर देखो, यहां एक अजीब सा थैला है
05:14यह सोने से भरा हुआ है
05:16हाँ, क्या, तुम क्या कह रहे हो
05:19हाँ, मेरे ख्याल से तो यह एक तलस्मी जंगल है
05:23हमें दरख्तों पर डोनट्स मिले और फिर घास में मचलिया मिली
05:29और अब सोना
05:31पेचारी खाथून इतनी उतावली हो गए कि उसकी आँखों में आशू भराए
05:36वो एक और लफ्स भी ना बोल सकी
05:38और जब उसने चमकते सिकों को छुआ तो उसकी जुबान पर ताला पड़ गया
05:42हाँ, इतना सारा सोना
05:44और अब ये सब हमारा है
05:47हाँ, बिल्कुल
05:49घर पहुँच कर खाने के बाद दोनों में से कोई भी सोना सका
05:53कास्तकार और उसकी बीवी बारहाँ उठते रहे
05:56अपने उस खजाने को देखने के लिए जिसे उसनी चिपाया था एक पुराने बकसे में
06:00अगले दिन कास्तकार वापस काम पर गया
06:02पहले उसने अपनी बीवी को ताकीद दी
06:04कल के बारे में किसी को भी कुछ भीमत बताना ठीक है?
06:09यकीनन कभी नहीं, मैं आहमक नहीं हूँ
06:11और उसके बाद वो हर दिन यही ताकिद बारहा दुरहता
06:16जल्द ही पूरा गाउं उस खजाने के बारे में सुन चुका था
06:22कास्तकार और उसकी बीवी को नवाब में तलब किया
06:26और जो वो अंदर उससे मिलने गए
06:28तो कास्तकार ने अपनी बीवी के पीछे खड़े होने की कोशिश की
06:31मैंने सुना है कि तुम्हें एक खजाना मिला है?
06:36ओ, यकीनन हमें मिला है हुजूर
06:38क्या तुम बता सकती हो कब और कैसे?
06:43एक तलिसमी जंगल में
06:44उसकी बीवी ने नवाब के घुजारिश पर पहले डोनट्स के बारे में बात की
06:49फिर घास पर की मचलियों के बारे में
06:52और आखिर में दरिया के खरगोश के बारे में
06:55इस दोरान उसके पीछे खड़ा उसका शोहर
06:58अपनी पेशानी पर अपनी उंगलियों को पीटता रहा
07:01और नवाब को इशारा करता रहा
07:03नवाब को उस खातुन पर अब तरसाया
07:06और फिर मैं शर्त लगा सकता हूँ कि वहीं तुम्हें खजाना भी मिला होगा
07:10ये दुरूस्त है हुजूर
07:12नवाब कास्तकार की तरफ मुडा और अपनी उंगलिया पेशानी पर पीटते हुए
07:17उसने हम दर्दी से कहा
07:18मैं देख रहा हूँ तुम्हारे माइने क्या है
07:21बदकिस्मती से मेरा भी मेरी बीवी के साथ ही यही मसला है
07:26कास्तकार और उसकी बीवी को घर भीज दिया कया
07:29और किसी ने उनकी कहानी पर यकिन नहीं किया
07:32और इस तरह वो दानिशमंद कास्तकार जील नहीं कया
07:35और उसने अपनी दौलत बहुत ही दानिशमंदी से खर्च की
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