- 2 days ago
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00:00बारिश में चटपटे समोसे वाली
00:09एक दुरघटना में ममता के पती की आँखों की रोशनी चली गई
00:16जिस वजह से ममता के उपर ही घर की सारी जिम्मधारी आ गई
00:20ममता का पती ठेले पर समोसे बेशता था
00:22अब ममता ने इस काम को संभाल लिया
00:24पर इतनी सारे जिमयदारियां, घर का काम, पती और बच्चों की जिमयदारी और उपर से बाहर का काम, अब वो हमेशा चिंता में रहने लगी, उसके इसे चिंता का असर, उसके बनाई समोसों पर भी पढ़ने लगा था, और उनका स्वाद बिगड़ता जा रहा था, अरे ममत
00:54समोस में वो बात नहीं रही, इतने फीके समोस मैंने कभी नहीं खाए।
00:58शाम को ममता उदासी भरे चेहरे से घर लोटी।
01:01रामलाल आखों से भले ही नहीं देख पाता था, पर ममता की आवाज से वो पैचान जाता था कि वो कितनी दुख में है।
01:07ममता तेरी आवाज बता रही है कि आज भी काम कुछ जादा नहीं हुआ, समोस बिके नहीं क्या।
01:13कहां बिके? सिर्फ दस समोस ही बेच पाई, सब कह रहे थे कि मेरे समोसों में अब वो स्वादी नी राम।
01:21तो अगर ये काम नहीं हो पा रहा तो तो कुछ और कर ले ममता, क्या पता कोई और काम अच्छा हो जाए?
01:26मौनसून का मौसम आ चुका था और हर दिन हलकी फुलकी बारिश होती रहती थी
01:30ममता को उमीद थी कि बारिश में उसका काम अच्छा होई जाएगा
01:34वो दिन भर थोड़े बहुत समोसे बेच थी और घर लोटा थी
01:37एक दिन बहुत मुस्ताधार बारिश हो रहे थी
01:40लगता है ये बारिश आज रुखने वाली नहीं है
01:42और इतनी तेज बारिश में कोई ग्रहक भी नहीं आएगा
01:44क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा
01:46उत्ते साथे समोसे बनाए हुए है
01:48अगर नहीं बेचे तो बड़ा नुकसान हुजाएगा
01:50मुझे एक बड़ी छत्री के जरुरत है पर
01:52अगर खरीदने जाओं तो कम से कम चार पांसो रुपे के आएगी
01:55वो होते तो मैं खुदी ठेला लेकर गली गली समोसे बेचने चले जाएगा
01:58ममता भू सोची रही थी कि तभी एक गुड़ा व्यक्ती ठंड से कापता हुआ वहाता है
02:03बैटी सुभा से मेरे परिवार ने कुछ नहीं खाया
02:06थोड़ा कुछ खाने को दे दो बड़ी तया हो
02:09बाबा चिंता मत करो आज आपका परिवार भूखा नहीं रहेगा
02:12मैं आपको कुछ समोसे दे रही हूँ ले जा
02:14मैं तो वैसे भी इतनी बारिश में समोसे बेचने नहीं जा सकती
02:17क्यों बैटी तुम गली गली खोन कर बारिश में समोसे बेच सकती हो
02:21बाबा बेच तो लेती पर कुछ दिनों से नुकसान ही हो रहा है
02:24मुनाफ़ा बिल्कुल भी नहीं
02:26अगर थोड़ी कमाई हो जाती तो कुछ धकने का ले आती
02:29आज भी सारे समोसे बारिश के पानी से गेले हो रहे हैं
02:32कुछ धकने का ही नहीं है
02:33एक काम करो बेटी
02:35तुम ये बोरी रख लो
02:36ये थोड़ी थटी हुई है
02:37पर अगर तुम्हारे काम आ जाये तो
02:40बाबा अगर आप ये बोरी मुझे देदो के तो आप क्या लोगे
02:43आप भीग जाओगे
02:44ये एक बोरी ही तो आपको इस बारिश से बचा रहे है
02:47बेटी इस बोरी की जरुवत मुझसे जादा तुम्हें है
02:51मैं जानता हूँ तुम्हारे पास छटरी नहीं है
02:53और तुम समोसे बेचने नहीं जा पा रही
02:56अगर तुमने मुझ गरीब को भोजन दिया
02:58तो मेरा अशिरवात समझ का तकलो बेटी
03:01ये बोरी तुम्हारे बहुत कामाई है
03:03शुक्रिया बाबा आपने ये बोरी देकर मेरी परिशानी कम कर दी
03:07मम्हारे को बोरी देकर वो बोढ़ा व्यक्ती मुसलाधार बारिश में ओजन हो गया
03:11बोरी में थोड़े छेदे पर इस मुसलाधार बारिश के किश्टफाम आल जाएगी
03:15भला उन बाबा का विचारे खुद बारिश में भीगते वए गये हैं पर उन्होंने बड़े मन से ये बोरी दिये
03:20मम्हारे ने फटी हुए बोरी को ठेले पर ढखा और समोसे देशने निकल गर्मा गर्म समोसे ले लो गर्मा गर्म समोसे
03:28भाईयाजी गर्मा गर्म चटपटे समोसे ले लो
03:31बारिश का मौसम है समोसे खाने का अलगी मज़ा आजाएगा
03:35अरे यह तो ममता समोसे वाली है
03:36इसके समोसे में तो बिल्कुल भी स्वाद नहीं है
03:38अरे खाकर देखते हैं क्या पता आज सही बने हो
03:40लाव ममता दो समोसे दे दो
03:41ममता वहाँ खड़ी कुछ लोगों को समोसे देती है
03:44अरे वहाँ वहाँ क्या समोसे है
03:48ममता आज तो तेरे समोसे में कुछ अलगी स्वाद है
03:51एक दम चटपटे समोसे
03:53यही म he
03:55इतनी अच्छो समोस तो मैंने आज तक किसी भी समोसे वाले से नहीं खाए भई
03:58हाँ? ऐसी बात है तो एक समोसा मुझे भी देही तो भई
04:02देखते ही देखते मम्ता के असपास लोगों की भीड लगते
04:05मम्ता ये देख कर हैरान थी
04:07अरे समोसे वाली सरदस समोसे मेरे भी पैक कर देना
04:10पांच मेरे भी कर देना
04:12ये भगपान तेरा लाक लाक शुकरी
04:13आज तो मेरे साले समोसे बिग गए
04:15उस दिन ममता बहुत खुश थी
04:17घर जाकर उसने सब के लिए बहुत अच्छे अच्छे पुरी पक्वान बनाए
04:20साथ ही ममता की सुकून भरी आवास
04:23नेतरहीन रामलाल के मन को भी खुशी दे रही थी
04:26ममता लग रहा है आज बिकरी अच्छी हुई
04:29तभी तेरी आवास में खुशी झलक रही है
04:31क्या कहूँ जी, बात ही कुछ ऐसी है, आप सुनेंगे तो आपको भी बहुत खुशी होगी, आपको पता है आज तो चमतकार हो गया, आज मैंने सारे समों से बेच दिये
04:40क्या, सच, ये तो सच मत चमतकार हो गया, कहां तुम सिर्फ पांच या छे समों से बेचा करती थी
04:46आप ठीक कह रहे, आप से मैं ऐसा ही करूँगी, वह तसली से समों से बनाये करूँगी और गली-गली घूम कर बेचा करूँगी
04:53ममता अब रोजाना ही जादा समों से बना कर बेचने के लिए निकल जाती थी
04:58अब तो दिन पर दिन उसकी बिक्री बढ़ने लगी, धीरे-धीरे ममता के समों से सब को पसंद आने लगे
05:03और जादा से जादा लोग खाने लगे
05:04ममता के पास अब पैसो की भी कोई कमी नहीं रह गई थी
05:07एक दिन ममता फेले को ढखने के लिए एक बड़ी छत्री खरीद लए
05:11उसने वो बुरानी बोरी को हटा कर नई छत्री लगा ली
05:14और समोसे बेशने निकल पड़ी
05:15अब क्या करों
05:35आज समोसे किसी को पसंद नहीं आरे
05:37बहुत नुकसान हो जाएगा आज पी
05:38उस दिन सभी ग्राकों ने ममता के सारे समोसे वापस कर दिया
05:42ममता उदास मन से घर आ जाती है
05:44कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, ममता के समोसों की फिर से कम विक्री होने लगी, ममता इस बात को बिलकुल भी नहीं समझ पा रही थी, एक दो पहर, ममता जब समोसे बेचने जाने लगी तो बारी शुरू हो गए, ममता बड़ी छतरी निकालने लगी, तो उसने देखा छत
06:14तो वो एक पेड़ के नीचे खड़े होकर समोसे बेचने लगी, तभी एक पती-पती उन्होंने ममता से समोसे लिए और खेल, समोसे तो बहुती बड़िया और चटपटे हैं, एक काम करो, एक समोसा और दे दो, अरे भागिवान, तुम और लोगी क्या, हाँ एक ले लोगी
06:44हो गई है, उस दिन के बाद ममता ने उन बाबा का आशिरवाद मान कर उस बोरी को हमेशा अपने पास रखा, जिससे उसे काम में सफलता मिली, ममता को उसके अच्छे कर्मों का फल मिला, ये कहानी हमें यही सिखाती है, कि कभी-कभी किसी के द्वारा आशिरवाद में प्रा
07:14ये क्या मा, तुमने तो कहा था कि, आज तो मेरे लिए समोसे बनाओगी, लेकिन ये, ये तो दलिया है, अ, कहा तो था पर बेटा आज नहीं बना पाई, बस थोड़ी दिन ठहर जा, जैसे ही काम से एक दिन की बेचुट्टी मिलेगी, मैं तेरे लिए बना दूंगी समोसे,
07:44जैसे तुमारे हाथों के बने समोसे कहूंगा, लेकिन मेरी तो किस्मती खराब है, अपने जरम दिन पर भी मैं अपने मन के चीज नहीं खा सकता, ओहो, कितना गुस्सा करता है तो, अच्छा ठीक है, रुक अभी यहीं पर, अपने बेटे गोलु से इतना कहकर सुशीला अं
08:14जैसे तुमारे हाथों से बने समोसे कहाने थे, लालू चाचा को समोसे बनाना आता ही कहा है, ना तो उनके आलो में वो स्वाद है, और नहीं तुमारे समोसे जैसा करारापन होता है उनमें, तुम रहने ही दो, जब टाइम मिले तब बना देना मेरे लिए, और इतना कहकर ग
08:44कितनी सी ख्वाईश भी पूरी नहीं कर सकी
08:46अब नहीं
08:47मैं गोलू को उसके जन्म दिन पर ऐसे उदास नहीं रहने दूँगी
08:50मैं बनाऊंगी उसके लिए उसके मन पसंद समो से
08:52लेकिन काम पर भी तो जाना है तो
08:55तो क्या हुआ
08:56रोज तो टाइम से ही जाती हो
08:58एक दिन थोड़ा देर से चलू जाओंगी तो कौन सा आस्मान तूट पड़ेगा
09:01वैसे मालकिन बाते तो सुनाएंगी
09:03लेकिन कोई बात ही
09:05मैं सुन लूँगी
09:05लेकिन अपने गोलू के चेरे पर खुशी ला कर रहूंगी मैं
09:09ऐसा सोच कर सुशीला फौरण समोसे बनाने में जुट गई
09:12पहले वो बाजार जाकर समोसे बनाने का सामान लाई
09:15और फिर उसने फटा-फट गर्मा-गर्म समोसे बना कर तयार कर दिये
09:20कुछी देर में गोलू घर वापस आगे और अपनी मा सुशीला से बोला
09:24अरे मा तुम काम पर नहीं गए अब तक
09:27और और ये खुजबू ये तो मा तुमने समोसे बना दी ये क्या
09:32हाँ बना दी ये आजा खा ले जल्दी से
09:36सुशीला की बात सुनते ही गोलू फटाक से हाथ मुधो कर समोसे खाने के लिए बैढ़ गया
09:41लेकिन फिर जैसे ही उसने समोसे की प्लेट देखी तो सुशीला से बोला
09:45मा तुम भी आजाओ
09:47नहीं बिटा तु आराम से खा मुझे जाना है पहले ही काफी देर हो गई है
09:52अच्छा तो रुको मैं तुम्हारे लिए समोसे बात देता हूँ
09:56काम से वक्त निकाल कर खा लेना
09:58इतना कहकर गोलू रसोई की तरफ बढ़ गया
10:01लेकिन उसे रसोई में एक भी समोसा नहीं मिला
10:03और ऐसा इसलिए था क्योंकि सुशीला ने बस दो ही समोसे बनाए थे वो भी सिर्फ गोलू के लिए
10:08असल में सुशीला के पास इससे जादा समोसे बनाने के लिए ना तो समय था और ना ही पैसे
10:13और ये बात समझने में गोलू को ज़रा भी देर नहीं लगी
10:17अच्छा तुम माने अपने लिए समोसे नहीं रखे अब कोई बात नहीं
10:22बाहर प्लेट में दो समोसे तो हैं, एक मा को बांद देता हूँ और एक मैं खा लिता हूँ
10:28ऐसा सोचकर गोलू रसोई से बाहर आया लेकिन तब तक सुशीला काम के लिए जा चुकी थी
10:32गोलू के लिए समोसे बनाने की हरबड़ी में सुशीला ने खुद कुछ भी नहीं खाया था
10:37और वो भूखी प्यासी दोड़ती हुई काम पर पहुँची जहां उसकी माल के नली नी गुस्से से उबल रही थी
10:43नमस्ते मेम साब माफ कीचे आज थोड़ी देर हो गई वो आज मेरे बेटे का जनम दिन है
10:49सुबह सुबह समोसे खाने की जित पकड़ कर बैठ गया तो मैं बस
10:53देख सुशीला मैंने तुझे काम पर रखने से पहले ही बता दिया था
10:57कि मेरे साथ ये देर से आने की नौट तंकी नहीं चलेगी
11:00तुझे पता है ना कि साहब को सुबह सुबह ही काम पर जाना होता है
11:03आज तेरी वज़ा से उन्हें सिर्फ दूध और फल खाकर ऑफिस जाना पड़ा
11:06और बंटी वो बिचारा भी बस फ्रूट्स लेकर ही गया है टिफिन में
11:09बस आज के लिए माफ कर दीजे मेम साब दुबारा आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा
11:14हाँ दुबारा ऐसा नहीं होगा क्योंकि मैं तुझे दुबारा ऐसी गलती करने का मौका ही नहीं दूगी
11:18मैंने अपनी फ्रेंड को बोलकर नई मेट का इंतिजाम कर लिया है
11:21वो अभी थोड़ी देर में आती ही होगी
11:23एक बार उससे बात फाइनल हो जाए फिर तुझे काम पराने की कोई ज़रुरत नहीं है
11:27नई ने मिम साब ऐसा मत कीजे मेरी हालत तो आप जानती है
11:31मेरे पती नहीं है बस एक यही काम है जिसके सहरे मैं अपने बच्चे को पाल रही हूँ
11:35अगर ये काम भी छूट गया तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी मिम साब
11:38रहने दे रहने दे तुम छोटे लोगों के ये सारे हत कंडे ना मैं अच्छे से जानती हूँ
11:43वैसे तो बड़ा गरीब होने का नाटक करती है लेकिन अपने बेटे की च्छाएं पूरी करने के लिए खूब पैसे हैं तेरे पास
11:49सुभा सुभा समोसे तलकर आ रही है और कहती है कि गरीब है चल अब यहाँ खड़ी होकर और मेरा टाइम वेस्स मत कर जाकर काम निपटा
11:56मैं उस नई मेट से बात करके बताती हूँ कि तुझे कब तक काम पर आना है
12:00सुशीला नलीनी के सामने गिड़ गिड़ाती रही लेकिन नलीनी को उस पर तरस नहीं आया
12:04वो हमेशा ही ऐसा करती थी और इसलिए उसके यहाँ कोई काम वाली जादे दिन टिक नहीं पाती थी
12:10काम निप्टा कर सुशीला घर वापस आ गई जहां गोलू उसका बेसबरी से इंतजार कर रहा था
12:16मा तुम आ गई तुमने कुछ खाया तो नहीं होगा ना आ जाओ मैंने तुम्हारे लिए एक समोसा बचा कर रखा है
12:23गोलू की बात सुनकर सुशीला की आँखों में आसु आ गए
12:26उसने फॉरण आखे बढ़कर गोलू को अपने सीने से लगा लिया और रोते हुए उससे बोली
12:31मुझे माफ कर दे मेरे बच्चे मैं जानती होगी मैं बिलकुल भी अच्छी मा नहीं हूँ
12:37नहीं मा ऐसा मत बोलो तुम बहुत अच्छी हो और तुमें पता है
12:41तुम्हारे सबसे अच्छी बात क्या है तुम्हारे यह समोसे हाँ मा सच में और इस बार जो चट्निया बनाई थी तुमने
12:48अहाँ मचाई आ गया मा अब बिलकुल चाट सी बन गई थी
12:53अहां समोसा चाट तुम रुको मैं अभी तुम्हारे लिए वैसे ही समोसा चाट बना कर लाता हूँ जैसे आज मैंने खाई थी
13:01इतना कहकर गोलू सीधा रसोई में गया और फिर उसने बचे हुए एक समोसे को एक प्लेट में तोड़ कर उस पर तीखी और मीठी चटनी डाल दी फिर उस पर थोड़े से चने भी डाल दिये और फिर उसे लेकर सुशिला के पास गया
13:14लो मां खा कर देखो इसे अरे ये क्या हल कर दिया तुने समोसे का और ये ये चने कहां से लाया पड़ोस वाली शांती चाची दे गई थी उनके पास हमारी ये कटोरी थी ना उसी में ये चने रखकर लाई थी मां अब तुम ये सब बात है चोड़ो और ये समोसा चाट खा
13:44ये तो बहुत बढ़िया हैं ले तू भी खा
13:47सुशीला गोलू को खुश देखकर बहुत खुश थी
13:50नलीनी के घर जो कुछ भी हुआ था वो उस बारे में भूली गई थी लेकिन फिर
13:54मा इस बार जब तुम्हें काम के पैसे मिलेंगे तब धेर सारे समोसे और ऐसी ही धेर सारी चटनी बनाना
14:01और चने भी बना लेना फिर मैं अपने सारे दोस्तों को ऐसी ही समोसा चाट खुद बना कर खिलाऊंगा
14:06गोलू की बात सुनकर सुशीला जैसे होश में आ गई और उसकी आँखों से आंसु बेहने लगे
14:11अरे मा तुम रो क्यों रही हो क्या हुआ
14:15गोलू इस बार जो पैसे मिलेंगे काम से शायद उन्हीं में काफी समय काटना होगा
14:20आज काम पर देर से पहुची थी न तुम आलकिन बहुत ज़्यादा गुस्सा हो गए
14:24शायद वो मुझे काम से निकालने वाली है
14:26क्या बस एक दिन देर हो गई तो इतना गुस्सा
14:30कोई बात नहीं मा तुम चिंता मत करो
14:32और वो खडू सांटी तुम्हे काम से निकाले
14:35उससे पहले तुम ही उसके यहां से काम छोड़ दो
14:38हैं ? ये तु क्या बोल रहा है गॉलू
14:40जब तक कोई और जगा काम नहीं मिलता कम से कम तब तक तो
14:44गोलू की बाद सुनकर सुशीला हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी
15:01लेकिन फिर अगले ही पल उसमें भी आत्म विश्वास जगा और उसने गोलू को फिर से गले लगाते हुए कहा
15:07हाँ बिटा हम मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे भी
15:10इसके बाद सुशीला ने खुदी नलीनी के घर का काम छोड़ दिया
15:14और वहाँ से मिले पैसों से उसने समोसा चाट बनाने का सामान खरीदा
15:18हाला कि ये सब करते हुए सुशीला के मन में इस बात को लेकर डर था
15:22कि अगर ये काम ना चला तो क्या होगा
15:25लेकिन फिर गोलू का आत्म विश्वास देग कर उसमें भी हिम्मत आ गए
15:28और उसने पूरे मन से समोसा चाट का सामान बना कर तैयार कर लिया
15:33और फिर शाम होते ही
15:34नहीं मा तुम रहने दो
15:37चाट तो मैं ही लगा कर दूँगा सबको
15:39जितने मन से सुशीला ने समोसे बनाये थे
15:41गोलू भी उतने ही मन से समोसा चाट लगा कर सबको दे रहा था
15:45पहले दिन ही सारी की सारी समोसा चाट कुछी घंटों में बिग गई
15:49और लागत के साथ साथ अच्छा मुनाफ़ा भी हाथा गया
15:53सुशीला और गोलू बहुत खुश थे
15:55फिर कुछ दिनों बात
15:57अरे सुनो बच्चे मुझे समोसा चार्ट को ओर्डर देना है
16:00आपको लाइन में लगना होगा
16:02ये सारे लोग ओर्डर देने के लिए खड़े हैं
16:04उस जगह पर वाकई बहुत भीर थी
16:06और नलीनी को उसी भीर से जूचते हुए आगे बढ़ना पड़ा
16:09और फिर जैसे ही उसने सुशीला को वहाँ पर ओर्डर लेते हुए देखा
16:13तो उसे अपनी आखों पर विश्वासी नहीं हुआ
16:15अरे सुशीला तुम तुम ये मशूर समोसा चाट की स्टॉल चलाती हो
16:20लेकिन लेकिन कैसे इतनी जल्दी इतना सब कैसे कर लिया तुमने
16:24बस अपने बच्चे की इच्छा पूरी करती रही मेम साब
16:28और भगवान पर भरोसा बनाए रखा
16:29क्योंकि वो तो सब जानता है न कि कौन क्या है
16:33विसे आपका कितना प्लेट का ओडर है
16:36पैसे एडवानस ही देने होंगे आपको
16:38सुशीला और गोलू की तरक्की जहां उन दोनों के लिए उनकी मेहनत का फल थी
16:42तो वही नलीनी जैसे लोगों के लिए एक सीख भी थी
16:45कि भले ही आप कितने ही अमीर क्यों ना हो
16:47कभी भी किसी को छोटा समझ कर उसकी बेज़ती नहीं करनी चाहिए
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