भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण क्यों किया। अगर असुर अमृत पी लेते तो क्या होता
🔱 अमृत कलश – अमरत्व का प्रतीक 🔱
समुद्र मंथन के अंत में जब अमृत कलश प्रकट हुआ, तो उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच घोर संघर्ष छिड़ गया। यदि असुर अमृत पी लेते, तो संपूर्ण सृष्टि संकट में पड़ जाती! लेकिन भगवान विष्णु ने अपनी माया से मोहिनी रूप धारण किया और अपनी चतुराई से देवताओं को अमृत पिला दिया। यही कारण है कि सत्य और धर्म की विजय होती है, जबकि छल और अहंकार अंततः पराजित हो जाते हैं।
✨ अमृत केवल शरीर को नहीं, बल्कि आत्मा को भी अमरता देता है – जब हम सत्य, धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलते हैं! ✨
🌿 धर्म और सत्य की हमेशा विजय होती है! 🌿 हरि की लीला अपरंपार है! 🌿 जो सच्ची भक्ति करता है, वही वास्तविक अमृत का अधिकारी बनता है!
🙏 जय श्री हरि! 🙏
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