कौन था वो जिसके कारण हूई भीष्म पितामह की हुई मृत्यु । कैसे हुई भीष्म पितामह की मृत्यु
कहानी का विवरण (Description):
महाभारत के सबसे वीर और त्याग की प्रतिमूर्ति भीष्म पितामह का अंत कैसे हुआ? कौन बना उनकी मृत्यु का कारण?
कुरुक्षेत्र के युद्ध में, जब भीष्म पितामह अजेय बनकर कौरव सेना का नेतृत्व कर रहे थे, तब श्रीकृष्ण की रणनीति और अर्जुन की युद्धनीति ने इतिहास रच दिया। शिखंडी, जो पहले अम्बा था और भीष्म से प्रतिशोध की अग्नि में जल रहा था, को अर्जुन के सामने किया गया। धर्म और नीति के बंधन में बंधे भीष्म ने हथियार डाल दिए, और अर्जुन ने अपने बाणों से उन्हें बाणशैया पर सुला दिया।
क्या भीष्म पितामह की मृत्यु मात्र एक योजना थी, या यह नियति का अटूट नियम? जानिए इस ऐतिहासिक क्षण की पूरी कहानी, जिसमें कर्तव्य, प्रतिशोध और धर्म के गूढ़ रहस्य छिपे हैं।
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00:00भीश्म का असलीना मदेवरत था। उन्होंने आजीवन ब्रहमचरी का पालनकर्ण की कसम खाई थी। ये उनके पिता की खुशी के लिए ये सबसे बड़ा बलिदान था।
00:07खुरुक शैत्र के मैदान में पहले 10 दिनों तक भीश्म कौरवों की सेना के सेना पती थे। इतने दिनों तक उन्हें कोई पराजित नहीं कर पाया। कहा जाता है की भीश्म पिता मह ने एक ही दिन में पांडव सेना के 10,000 लोगों की हत्या की। भीश्म ने श्री कृश्न को
00:37अरजुन के लिए कवच का काम किया। उसके बाद अरजुन ने भीश्म पर बानों से बुचार कर दी। जिसने अंतमें उनके कवचा को तोड़ दिया और उनके शरीर को बेह दिया।
00:45भीश्म ने सुयं इस सरहस्य के बारे में बताया था कि युद में उन्हें कैसे हराया जा सकता है। फिर भी उन्हें मारा नहीं जासकता था क्योंकि उनके पास इच्छा मृत्यू का वर्दान था। यही वजहती कि महाराज शांतनु और गंगा पुत्र भीश्म को कुरुक्�