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00:00और अचारे जी सबसे बड़ी बात ही है कि जो भी जितने भी ये थे जो वीडियो जाली गई थी पता नहीं मुझे ये वर्ड कहने चाहिए कि नहीं कि उनके इतने बड़े-बड़े वो पुरा तिलग लगा हुआ था एंड और फाइटर पाइलट ही बन रही है महिला है उन द
00:30नमश्कार अचारे जी अभी कुछ दिन पहले एक काफी प्रख्यात गाईका और कथा वाचक हैं जिनोंने अपना एक इंटर्व्यू दिया ऑनलाइन और उसमें उन्होंने मासिक धरम के उपर अपने कुछ विचार प्रकट किया
01:00अगर वह इस तरह अचुद होती तो जो बच्चे पैदा होते हैं वह उसी रक्स त्राफ से होते हैं तो हम सभी भी छूद होते दूसरी बात उन्होंने ये कही कि जब दुरापदी जी को भरी सभा में लेकर आया गया था तब वो रजसवला थी और अगर वहाशुद होती �
01:30अपनी बहुत सी वीडियो जाली
01:31जिसमें से कुछ उन्होंने इस तरह से लिखा
01:34कि उन्होंने जो भी उससे
01:36संबंदित अपने विचाह दिये
01:38कि पारिशकर सिम्रिती
01:40या पारिशकर ग्रै सुत्र में
01:42उन्होंने संस्कृत में पहले बोला
01:44और फिर उसको हिंदी में प्रांसलेट किया
01:46कि इस्तरी जब मासिक्स धरम में होती है
01:50तो वो पहले दिन चंडालनी
01:52दूसरे दिन ब्रह्म घातिनी
01:55तीसरे दिन रजस्वला और फिर चौत्थे दिन वो शुद्ध होती है
01:59और जिस तरह बार-बार रोगी को स्पर्श करने से रोग हो जाता है
02:05उसी तरह रजस्वला इस्तरी को देखने से दोश लगता है
02:10फिर उन्होंने कुछ और बोला कि दांतों में छेद हो वो मूरक नहीं हो सकता
02:17माथा चौड़ा हो वो कभी दृद्र नहीं हो सकता
02:21एक आख का काना कभी सादू नहीं हो सकता
02:24उसी प्रकार क्योंकि वो गाईका भी है
02:26उसी प्रकार गाने वली इस्तरी कभी सती नहीं हो सकती
02:30और वो कथा वाचक भी है तो उसके बारे में उन्होंने शास्तर से संबंदित अपने विचार प्रगट कि
02:38कि जो शास्त्रों में लिखा गया है कि पुरुष ऐसा कौन सा पाप है जो वो नहीं करता अगर वो पुरुष इस्त्री के मुख से धरम एवं शास्त्रों का श्रवन करता है और फिर उन्होंने कहा कि आप समझ रही है ना कि यहां मारे शास्त्रों में नाचने गाने वाली जो
03:08प्राइका भी थी क्या ये जो लोग हैं उनको भी फिर इसी केटागरी में ला रहे हैं और दूसरा प्रशन ये था कि क्योंकि वहाँ नीचे बहुत से लोगों के कमेंट थे उनके वीडियो के नीचे कि हाँ हाँ आप सही बोल रहे हैं या शास्त्र तो पढ़ ले पहले खु�
03:38से छुटकारा दिलाया जाएं कैसे उन अन्तक सही बात अगर कोई कर रहा है उसको पंचाया जाए उनको बटाया जाए कि क्या सही है या क्या गलत है
03:45नि सबसे पहले तो यह हे कि हर पुरानी किताब को शास्त्र थोड़ी बोलते हैं भूल
03:56अब वैसे तो आप समाज शास्त्र की किताब को भी कह सकते हैं कि ये शास्त्र है
04:04लेकिन जब हम धर्म में शास्त्र शब्द का इस्तिमार करते हैं तो उससे आशे होता है अध्यात्मिक ग्रंथ
04:17और अध्यात्मिक का क्या मतलब होता है
04:21वो जो आपको आपकी तरफ ले जाए
04:23स्वयम को और जानना अध्यात्म है
04:29वो अध्यात्म शब्द में ही अध्यात्म
04:32और जानना स्वयम को और जानना अध्यात्म है
04:36तो अध्यात्मिक ग्रंथ क्या हुआ फिर
04:38जो आपको आपको जानने में मदद करे
04:42मैं स्वयम को और जान पाऊं
04:44जिस किताब की सहायता से
04:46वो किताब मैं मानूँगा कि अध्यात्मिक ग्रंथ है
04:48और इधर दर की बाते जो किताबे करती हो
04:54वो थोड़ी शास्तर करने लायकल हो गई है
04:57हाँ उनको आप दूसरे शास्तरों का आपको नाम देना हो दे लिजिए
05:00और पचास तरे के आप शास्तर बना सकते हैं
05:02कोक शास्तर भी होता है
05:03किसी भी तरीके को आप
05:06मनुष्य की गतिविधी की किताब को आप शास्तर का नाम दे सकते हो
05:11पर वो फिर दूसरी चीज है
05:12बात समझ रहे हैं
05:17तो हर किताब एक बराबर वजन की नहीं होती है
05:21और उसको उसके वजन के अनुसार ही महत्तो और सम्मान मिलना चाहिए
05:26उसे ज्यादा थोड़ी, उसे कम भी नहीं
05:28अगर हम अध्यात्म की बात कर रहे हैं
05:36तो सिर्फ वो पुस्तक शास्तक कहलाने लाया के योग्य है
05:40जिसमें अहम आत्मा और प्रक्रति की बात की गई है
05:44ये कसोटी बहुत अच्छे से पकड़ लीजिए
05:48जहां इनके अलावा और पचास बाते चल रही हैं
05:52दुनिया जहान की
05:53कि इस्तरियों के मासिक धर्म की बात चल रही है
05:57और चिडिया पंची बादल और मोर ने कवे से क्या कहा
06:02और ब्राहमन और शुद्र में क्या रिष्टा होना चाहिए
06:06जहां ये सब बाते चल रही हैं उनको शास्तर थोड़ी बोलेंगे
06:08जहां अहम और आत्मा की बात चल रही है
06:13सिर्फ वो शास्तर है
06:14बाकी और किसे कहानिया शास्तर नहीं कहलाते
06:16राजा किस अपराध पर कितने कोड़े मारे
06:26क्या दंड दे क्या पुरुसकार दे
06:27ये सब शास्तर थोड़ी हो गया
06:29ये कहां से शास्तर हो गया
06:32तो जो मूल भूल है वो तो यही है कि कोई भी पुरानी किताब लेकि उसको शास्तर बोलना शुरू कर देते हो
06:43आत्म ग्यान की पुस्तक को ही शास्तर कहा जा सकता है
06:48उसके अलावा कोई भी किताब शास्तर कहलाने योग्या नहीं है
06:52क्योंकि अध्यात्म का मतलब ही है स्वयम को जानना
06:55स्वयम को जानने के अलावा कोई बात हो रही है
06:58तो वो तो अध्यात्म शब्द की परिभाशा के ही विरुद्ध चली गई
07:01वो शास्तर कैसे हो गया
07:05और इसलिए मैं जो बोल रहा हूं
07:11वो कोई मेरी अपनी रचना, मेरी अपनी कलपना बात नहीं है, मेरा कोई निजी सिध्धान्त नहीं है, ये सीधी बात रही है, सब जानते रहे हमेशा से, कि शुति शास्त्र कहलाती है, स्मृति साहित्य कहलाती है, जितने भी शुति ग्रंथ हैं, वो शास्त्र हैं, बाकी जो
07:41जो वेदों के दर्शन के ग्रंथ हैं वो शुरुति ग्रंथ कहलाते हैं
07:49उपनिशदों को शुरुति बोलते हैं
07:55और गीता भी चुकि उपनिशदों की शेड़ी में रखी जाती है गीतों पनिशद कह देते हैं तो गीता भी फिर शुरुति हो गई
08:00वेदान्त सूत्र ब्रहम सूत्र ये शूति हो गए
08:04और आप पराशार स्मृतिया या ग्येवल के स्मृतिया
08:09मनुस्मृति की बात कर रही है अभी याँ पे
08:11ये स्मृतियां है और स्मृति साहित्य में ये सब स्मृतियां भी आती है
08:16ग्रहय सूत्र आते हैं जिनकी आपने बात करी
08:19धर्म सूत्र आते हैं
08:21और सारे पुरान आते हैं
08:22वो सब इस्मृतियों में आते हैं भाई
08:24उनका हवाला देखे कुछ नहीं सिद्ध किया जा सकता
08:29आप मनुस्मृतिय से कुछ लेके आएंगे
08:32तो यही पता चलेगा कि आज से इतने हजार साल पहले
08:35समाजिक स्थितियां कैसी थी और उनमें क्या चल रहा था
08:38तो वो इतिहास को आप जानना चाहते हो
08:41तो उसके लिए एक अच्छी किताब है
08:43लेकिन उससे आप आज थोड़ी कुछ साबित कर सकते
08:46ना आज आप उसको लागू कर सकते
08:48कोई भी व्यक्ति ठीक दिमाग का ही थोड़ी कहेगा
08:50कि मनुसमृति आज लागू कर दो
08:51उसका अधियन अगर आप करें तो यह पता चल जाएगा
08:57कि किसी जमाने में किसी समय पर किसी जगह पर
09:02कैसी सामाजिक स्थितियां थी
09:03यह पता चल जाता है उनसे
09:05मुझे समझ में नहीं आता
09:12यह हमारा
09:12हर चीज आपको नई चाहिए
09:15मैं आपको बोलो
09:16मैं 1940 के मॉडल की गाड़ी दे रहा हूँ
09:18आप चलाएंगी
09:19गाड़ी आपको बिलकुल चाहिए
09:23आप खरीदने चाहते हो गाड़ी
09:25कोई आपको बोले यह खड़ी हूँ
09:27यह 2023 मॉडल है आप खरीदोगे
09:29आप कोई 2024 चल रहा है 2024 दो
09:31हर चीज आपको नई चाहिए
09:33लेकिन जब परंपराओं की
09:37और रूढ़ियों की बात आती है
09:38और अंदर विश्वासों की बात आती है
09:40और मुर्खताओं की बात आती है
09:41तब हम कहते हैं जितना पुराना उतना अच्छा
09:43और कोई चीज सिर्विसली अच्छी हो गई क्योगी पुरानी है
09:46तो फिर कार भी पुरानी चलो
09:47कपड़े भी पुराने पहनो
09:49तीन सो साल पुराने कपड़े काई नहीं पहनते
09:53तब तो कहते हो नहीं बताओ ले टेस्ट क्या चल रहा है वो चाहिए
09:56और जितने लोग इस तरह की बात करते हैं
09:59इनकी सब की गाड़ियां छीन लो
10:00और देर सो साल पहरे जो पहली बाइसिकल बनी थी
10:05वो इनको दे दो उसमें एक पहिया इतना बड़ा होता था और एक इतना बड़ा होता था
10:09क्योंकि पुरानी चीज़ें अच्छी होती है इनके हिसाब से सब तो इनको दे दो पुरानी यही चलाओ
10:14तब यह काय को बोलने जाते हैं
10:16और ज्यादा तर जो इस तरी केके होते हैं यह बढ़िया पैसा अच्छा होता है
10:21एकदम लक्षरी वाली कार चाहिए वो भी 2024 मॉडल की
10:25यह 2024 क्यों चाहिए तो मैं 2024 इसापूर्व वाली गाड़ी मांगो
10:292024
10:33BC वाली गाड़ी देना
10:35इनको रथ दिये जाने चाहिए
10:38यह गाड़ियों पर क्यों चल रहे है बढ़िया एक रथ निकल रहा है
10:46अब पंखा जलने वाले होने चाहिए इनके घरों में पंखे
10:53कूलर AC क्यों लगे होते है आप कहा सकते हैं शुति भी तो पुरानी है
11:00शुति पुरानी है पर शुति में जो मुद्धा लिया गया है जो उसका विशय है सबजेक्ट वो इटरनल है
11:08वो किसको सम्भोधित करती है शुति अहंकार को
11:12अहंकार 5000 साल बाद भी है
11:15तो इसलिए शुति को आप पुराना कभी नहीं बोल पाओगे
11:22कोई भी काम ठीक है की नहीं है
11:26उसके लिए भी आखरी बात ये होती है
11:30कि शुति द्वारा वो प्रमानित है की नहीं
11:32शुति प्रमान हमेशा आखरी माना जाता है
11:34हमेशा शब्द प्रमान भी उसी को बोलते है
11:36आखरी बात है
11:37शुते सारे धार्मिक मसलों का सर्वुच न्यायले होती है
11:43उसके अलावा हम किसी के नहीं सुनेंगे
11:46धर्वुच न्यायले ने जो बात बोल दी
11:47उसके बाद ये नीचे के छोटे मोटे कोर्ट कुछ बोल रहे हैं
11:50उसकी कोई हैसियत है क्या
11:51सर्वोच नियाले ने बोल दिया कि महिला और पुरुष
11:56देहें से अलग होंगे चेतना से एक है
11:59और देहें का महत तो है नहीं
12:04महत तो चेतना का है
12:06जब सर्वोच नियाले ने ये बोल दिया
12:08तो नीचे वाले कुछ बोलते रहें उससे क्या फरक पड़ता है
12:10सनातन धर्मों का सरवोचे ने आयाले है शुरुति और शुरुति माने उपनिशद उपनिशदों ने कह दिया
12:22कि जब हम किसी मनुश्य को देखते हैं
12:25तो ना हमें उसमें महिला दिखाई देती है
12:27ना पुरुष दिखाई देता है
12:28हम जब किसी मनुश्य को देखते हैं
12:29तो हमें उसमें चेतना दिखाई देती है बस
12:31और छटपटाटी हुई चेतना
12:32जो नहीं जानती क्यों परेशान क्यों है
12:35और इसी छटपटाहट से
12:37मुक्त होने के विज्ञान को
12:38अध्यात्म बोलते हैं
12:40ये कह दिया उपनिशदों के रिशी होने
12:41अब इसके बाद हमें और किसी किताब में
12:43क्या लिखा है पुरानी हमें क्या करना है उसको पढ़के
12:45और इतना पुराना देश है
12:49उधर
12:51कंधार से
12:53लेकर कामरूप तक
12:55उपर तिबबत से लेकर के
12:57नीचे लंका तक
12:59कितने ही गरंथ लिखे गए होंगे
13:02जितने मूँ उतनी बाते
13:04आप लिखने से तो किसी को
13:07नहीं रोक सकते न
13:08और जो भी पढ़े लिखे लोग थे उनको
13:11संस्कृत आती थी संस्कृत में लोग उने बातें लिख दी है
13:13तो सारी जो
13:15पुरानी बाते उनका एक बराबर थोड़ी महत्त हो गया
13:17थोड़ा भी अगर
13:23कोई धर्म का ग्याता होगा तो अच्छे से
13:25जानता है कि पुरान
13:27इतिहास इस्मृति
13:28इन तीनों को ही स्मृति ही माना जाता है
13:31ये तीनों
13:33इकठे करके स्मृति माने जाते हैं
13:35पुरान इतिहास
13:36स्मृति
13:37उनको धर्म शास्त्र बोलते हैं
13:41यह सब इकठे करके
13:46इनका स्थान शुरुत इसे नीचे का है
13:50तो इनकी बातें सिर्फ तभी तक मानी जाएंगी
13:54इनकी बात सिर्फ उतनी सुनो
13:58जब तक इनकी बातें शुरुत इसे मेल खाती हो
14:01अगर इनकी कोई बात सुप्रीम कोड़ की बात से मेल नहीं खा रही, क्या होगा?
14:12डिस्टिक कोर्ट की बात हटा दी जाएगी
14:15तो स्मृति की आप पुराण की कोई बात
14:18अगर मेल नहीं खा रही हो अपनी शदों से ततकाल हटा दो
14:20और पुराणों वगेरा की बहुत सारी बातें हैं
14:24जो शूति से मेल नहीं खाती हैं
14:26आपको उनको धरकिनार करना होगा
14:28नहीं तो यह शूति के प्रति असम्मान हो जाएगा
14:31और सनातन धर्म शूति का धर्म है
14:36स्मृति का नहीं
14:37स्मृति तो थी एक समय पर समाज को एक व्यवस्था देने के लिए
14:42यह स्मृति का काम होता है
14:54आरी बात समुझे
14:55अब वो
14:57मासिक धर्म के पहले देन
14:59चैंडाली नहीं होती है
15:01उपनिश्दों के रिशी ये बात सुनते हैं
15:03तो ऐसे मथा पकड़ के बैठ जाते
15:05बुलते हैं किस
15:06ने किस बुद्धिस है
15:09ये सब बाते बोली है
15:10ये बाते तो पढ़ने लायक ही नहीं होती है
15:16आपका कोई हितैशी हो जो थोड़ा जानकार हो विद्ध्वान हो आप उसके पास जाएं
15:22आपको अपनी आध्यात में क्यात्रा शुरू करनी है
15:24तो वो आपके हाथ में भगवत गीता देगा
15:28कठुपनिशत देगा अश्टावकर गीता देगा
15:30वो आपको यह सब बाते थोड़ी देगा पढ़ने को
15:33कि महिला गुंगट कितना लंबा निकाले और महिला को कितने कोड़े मारो
15:38अगर वो पर पुरुष्टे बात करती पाई जाए
15:40यह सब बाते अध्यात में थोड़ी आती है
15:43तो ऐसा ही है
15:45इनका क्या महत्तो है
16:00बीमार चित्त की उपज है सीधे सीधे
16:02यह बोलने में डर कैसा
16:05कोई महिला गाना गा रही है और आप उसको वेश्या बोलो
16:09और यह बात किसी किताब में लिखी हो
16:11तो किताब किसी बीमार आदमी ने लिखी होगी
16:13और अचारे जी सबसे बड़ी बात यहाए कि
16:18जो भी जितने भी यह थे जो वीडियोज डाली गी थी
16:22पता नहीं मुझे यह वर्ड कहने चाहिए कि नहीं
16:25कि उनके इतने बड़े बड़े वो पुरा तिलक लगा हुआ था
16:28और वो पूरे उस तरीके से बात करते कि
16:33I'm surprised कि कैसे ऐसे कैसे बो
16:38I'm surprised कि आपने कितनी recording सुननी कितनी देख लिए कि उसके बाद आपको समय मिल गया है वो सब देखने का
16:45कहने वाले तो हर तरीके के होंगे और कहेंगे किताबे भी हर तरह के लिखी गई है और लिखी जाती रहेंगी
16:51आपने गीता समागम के सारे सुन लिए सत्र आपने सारे reflection लिख लिए आपने चिंतन मनन ध्यान इदिध्यासन सब कर लिया समाधियम पहुँच गई कि आप वहां जाके पता नहीं किसको देख रहे हो क्यों देख रहे हो और इस तरह के लोग रहेंगे
17:04समस्या यह नहीं कि वो लोग हैं समस्या जादा बड़ी होती है कि हम उधर पहुँच जाते हैं देखने सुनने के लिए
17:10तब हो रील्स में पॉप अप होती है तब ही होती है जब वैसा पहले कुछ सुना होता है रील का भी एक algorithm होता है
17:17वह आपको वही देखाएगा जो आप पहले देख चुके हो क्यों देखते हो आप यह सब कहा है
17:22मत देखा करो ना यह सब हुआ है मुझे तो पता भी नहीं है किसने कहा क्या कर दिया किसने क्या बोल दिया कौन कथा वाचक है कौन गुरुजी है किसने किस पर टिपड़ी कर दी मुझे सच मुझ नहीं पता है एकदम नहीं जानता मैं
17:37क्योंकि जो वो न्यूस चैनल है उसको मैं उस पे कहीं आपका भी इंटर्व्यू था अरे तो वो तो मैं वहां घुसा होंगा कि उस न्यूस चैनल में जो लोग है उनको वहां से हटा सकूं मैं वहां घुसा था कि वहां के लोग को वहां से हटा सकूं और आप मेरे हो और आप
18:07नहीं है, कोई हिलाज नहीं है, बुंडे मुंडे मतिर भिंना, जिसकी जैसा मुंड होता है, वैस ही मती होती है, हम उसका क्या करें?
18:16अब उसको अपनी डेली लाइफ में भी देखते हैं
18:20और मुस्टली मुझे लगता है
18:21डेली लाइफ में जो लोग इस तरीके के हो
18:23उनसे आप क्या कर रहे हो वहाँ पताओ
18:26मुझे यह सब सुनके ही ऐसा लग रहा है
18:29कि मैं क्यों सुन रहा हूँ
18:30आप डेली लाइफ में ऐसे लोगों को बरदाश्ट कैसे कर रहे हो
18:33डेली माने रोज
18:34आप रोज रोज जहल रहे हो क्यों जहल रहे हो
18:36यह कैसी बात है
18:40इस तरीक यह एक योन विवस्था है
18:43ठीक है
18:45जो उसकी अपनी निजी चीज है शरीर की
18:48उसका अपना एक साइकल है
18:49उसका एक अपना रिप्रोड़क्टिव सिस्टम है
18:52कोई उसको उसी नदर से बार-बार देखे जा रहा है
18:55हाँ भई तेरे पीरिट्स चल रहे हैं नहीं चल रहे हैं
18:57कौन से दिन चल रहा है च्या कर रही हैं
18:59अभी तु चांड डाले नहीं है, अभी तु ब्रह्म भक्षणी है, तो आप उसके साथ जी क्यों रहे हो, आप उसको क्यों देख रहे हो दिन भर, उसके साथ आप कैसे जी लेते हो, वही पुरुशों के भी अपनी है कि ओन विवस्था होती है, उसके आधार पे कोई आकर आ�
19:29मैं नहीं कह रहा हूँ कि सर फोड़ दो लड़ जाओ, पर उपेक्षा करना तो सीखो, अश्टा वक्र कह रहे थे ना नादरम कुरू, हर फालतू की बात को कान नहीं दिया करते, हट जाते हैं, उठ जाते हैं, जगह छोड़ देते हैं, जिन्दगी में इतना कुछ है, बह�
19:59अच्छे लोग हैं, उनसे मिलना है, बातें करनी हैं, अच्छी जगहों पर जाना है, अच्छी किताबें पढ़नी है, ये सीखना है, वो पतानी क्या क्या करना है, और समय इतना कम है, पतानी किसी को पांच साल हो, किसी के पंदरा साल हो, और वो पांच और पंदरा साल जो �
20:29हमारे धर्म ग्रंतों में जो शेष्ट है, जो उच्यतम है, वो मैं आप तक लेके आ रहा हूँ, ठीक है, संतों की वाणी, रिशियों का ग्यान, उसके इधर उधर आपको बहुत भटकने की कोई जरूरत है नहीं, और उधर उधर तब जाएए जब पहले जो सिलबस है आपका
20:59अनलोगों को तक बात पहुंचानी की जरूरत पढ़ती है ना, जो हमारे अपने आसपास है, अपने आसपास कोई ऐसा नहीं है कि मजबूरी है, चुनाओ है, आप अपने प्रश्न के पीछे जो माननेता है वो नहीं पकड़ पा रही है, अपने आसपास किस तरीके से हैं, �
21:29वो आपके आसपास नहीं है
21:31आप उनके आसपास है
21:32अरे कुछ मत बताईए
21:38आसपास मत रहिए
21:39मैं सबको बताने जाओं अगर कि
21:44क्या गलत है
21:45एक दिन के अंदर 500 गोलियां खा गया हूँगा
21:48मैं क्यों बताने जाओं भई
21:51आसपास वाली बात ही पकड़िये
21:57कोई आपके आसपास नहीं होता
21:59आप किसी के आसपास होते है
22:00या आपका चुनाओ है कि ऐसे लोगों के आसपास हो
22:03मत रहो उनके आसपास
22:04क्यों हो आसपास
22:06होगा कोई स्वार्थ
22:07होगा कोई लालच
22:08होगा कोई डर
22:09तो उस स्वार्थ उस लालच उस डर पर काम करिये न
22:11ताकि व्यर्थ लोगों के आसपास न रहना पड़े
22:13जिसने मुर्खता की और बेमानी की ठान लिये
22:21उसको नहीं हराया जा सकता
22:23आप मुझसे पूछ रही उन्हें कैसे समझाएं
22:25क्या तरक दें
22:26मेरे ही तरक मैं ही नहीं समझा पाता
22:29मैं आपको कौन सन उसका दे दू
22:30अभी उस दिन देवी जी थी उनसे बातचीत हुई
22:36उन्होंने कहा कि वो गुरु जी की किताब थी
22:39कि मेंस्टूल उस साइकल खराब जाएगा
22:42और शम्शान जाओगी तो
22:43उनसे जो बातचीत हुई वो चैनल पर प्रकाशित हो गई
22:46तो उस पर एक से एक बढ़ी अत्तर का रहे है
22:49बोल रहे हैं देखो
22:50शम्शान में
22:52मुर्दा होता है मुर्दा माने मास
22:54मुर्दे सारे कभी जलते नहीं पूरे
22:56थोड़ा बहुत बचा रहे जाता है कई बार
22:59तो शम्शान के आसपास होते हैं सियार
23:01और सियार क्या होते हैं मास भख्षी
23:05तो अगर वहां महिला जाएगी
23:07और उसके पीरियट है
23:09तो सियार को खून की गन्ध आएगी
23:12तो सियार औरत को दोड़ा लेगा
23:14और अभी उसके period चल रहे हैं तो उतना दोड़ भी नहीं पाएगी
23:18तो औरत पे CR चड़ना गया है इसलिए उसको मना कर आ गया है
23:24अब मैं इनको क्या जवाब दूँ
23:25कोई जवाब है इस बात का
23:29क्या जवाब है
23:36इनका तो यही जवाब है कि आसपास
23:43मत रहो भई
23:45ना चैनल में आसपास रहो
23:48ना जिस भी तरीके थी आसपास वाला कर रखा खतम करो
23:54कॉमेडी की में अच्छा लगया है ना बढ़ियां
24:02कि वहाँ औरत गई थी और वहाँ CR तागल आगे बैठा था
24:06और उन्होंने और एक और नहीं जोड़ा बोलो देखो मुर्दा खासतोर पर तब नहीं जलता
24:11जब बारिष हो जाती अब चिता जल रही थी तब ही बारिष हो गई
24:15तो मुर्दा पूरा नहीं जलेगा और बारिश हो जाएगी तो लोग आएं तो और भग जाएंगे वो कि बारिश हो रहें कहां खड़े रहें लोग भग जाएंगे और उसी बारिश से मुर्दा पूरा जलेगा भी नहीं
24:24कि सिआर इसी ताक में बैठा हुआ है वहां पर सोचो इव dobrze एक बर मन में कल्पना करिए इतना कोमेडे इतना फनी है यह
24:34कुछ शिर इसे वैठा हुआ है कि वो भी कब आया है वह बारिश में मॉन्सूनी सिआर
24:41वो इसी चक्कर में है कि बारिश हो और बारिश होगी जलाने वाले भग जाएंगे तो मैं मुर्दा बिलकुल क्या बोलते हैं उसको पाल के खाऊंगा जैसे पंजाबी हम बोलते हैं फिर बोले देखो जब बारिश होगी तो उसके अगर पीरिएट चल रहे हैं तो जो सारा ख
25:11बारिश हो गई तो खून साड़ी पे आ जाएगा तो सियार सूंख भले ना पायो देखके जान जाएगा तो सियार और जल्दी दोड़ाएगा और अगर बारिश हो रही हो भागेगी तो फिसल के गिरेगी पीरिट्स पहली चल रहे थे उपर से उमिट्टी है वहाँ पे उ
25:41सर ये भी बोलते हैं कि इसी बात से कि क्योंकि रजस्वरा में इस्त्रियां कम जोर होती हैं आत्मा में तो जो शमशान में प्रेत आत्मा होती हैं वो उन पर जल्दी अटाक करती हैं और उनके साथ जुड़ जाती हैं
25:58जैसे ग्रांड स्लैम वगैरा जब होता है न तो उनकी डेट्स हैसे आपसे fix करी जाती है कि जो टॉप 10 female प्लेश हों टॉप 10 seats जो हो पहले उनसे पूछा जाता है कि माम आपके periods कब आ रहे हैं और उसे साथ से उनकी dates fix करी जाती है क्योंकि बचारी इतनी कम्जोर हो जाती ह
26:28तो बहुत कमजोर हो जाती है
26:30वैसे ओलिम्पिक्स, एशियन गेम्स, इन सब की डेट्स
26:33ये देख के फिक्स करी जाती है
26:35कि मान लो 2000 फीमेल एथलीट्स हैं
26:37तो महीने के वो डेट्स उठाओ
26:39जिसमें से 2000 में से किसी भी एथलीट के पीरेट्स ना चल रहे हूँ
26:42जहां मूर्खता है, कमजोर हो जाती है
26:46काई कमजोर हो जाती है
26:47कितने कमजोर हो जाती है
26:53गिर पडेगी, पागल हो जाएगी, क्या करेगी
26:55CEO's होती है
26:56वो पीरेट्स के दिनों में office नहीं जाती है
26:58Decisions नहीं लेती है
26:59Prime Minister's, Presidents महिलायें होती है
27:02उनकी periods नहीं चल रहे
27:04तो वो काम करना छोड़ देती है
27:06या उन्देनों वो पगला जाती है
27:08तो उल्टे-पुल्टे वो
27:09मिरने पास कर देती है
27:11ऐसा तो कुछ नहीं होता
27:14एक professional athlete है
27:25वो तो हर महीने ही compete कर रही है
27:27वो कहां तक अपने periods आगे पीछे करेगी
27:30कि उनको तो खेलना है
27:33हर स्थिति में खेलना है
27:34साधरन सी बात है
27:36उनके लिए सामान नहीं हो जाता है
27:37सब के लिए सामान नहीं हो जाता है
27:40बेकार में हुआ क्या बनाना
27:41और इतना ही खयाल है
27:45तो फिर ये भी खयाल कर लो
27:47कि उसको portion कितना मिल रहा है
27:49ये भी ख्याल कर लो उसको शिक्षण कितना मिल रहा है
27:53ये भी ख्याल कर लो कि public spaces उसके लिए safe कितनी है
27:58कि रात में अगर निकलना चाहे तो उसको transport मिलेगा कि नहीं मिलेगा
28:02ये सब भी ख्याल कर लो ये बस एक ही चीज़ का ख्याल है कि उसके periods कब आ रहे है
28:05देश की पूरी संपत्ति में उसका कितना share है ये भी ख्याल कर लो
28:12legislatures में और boardrooms में उसका कितना representation है ये भी ख्याल कर लो
28:20ये सब नहीं ख्याल करना
28:23महिला विमर्ष के नाम पे और महिला कल्यान के नाम पे एक ही चीज़ का ख्याल करना है
28:29कि जब ये रजस्व लाहो उन दिनों इसको घर में बंद कर दो यही उसके प्रति सबसे बड़ी मित्रता है
28:38और जो ये लोको ड्राइवर्स बन रही है महिलाएं तो उनके फिर ट्रेन भी बंद कर दो उनकी
28:49और जो पाइलेट बन रही है महिलाएं पांस दिन तक फ्लाइट नहीं उड़नी चाहिए
28:53और फाइटर पाइलेट भी बन रही है महिलाएं उन देनों कोई दुश्मन दे शाकरमन कर दे
28:58तो lady fighter pilot बोलेगी मैं नहीं जाओंगी मेरे period चल रहे हैं
29:03अभी मैं चांडाले नहीं हूँ day one है मेरा
29:05day one पर यही बताया था न अपने चांडाले नहीं है
29:08तो बोली देखिए अभी तो उसको बोला जारा जाएए
29:11मैड़म प्लेन लेके जाइए, आप बॉम्बिंग करिये वहां पर उसको बल रहे हैं आज मैं चांट डालने हो
29:15आज बॉम्बिंग नहीं करूंगी
29:19बस ड्राइवर महिला है, और आट ड्राइवर महिला है, ट्रें ड्राइवर महिला है, ओ बोल सकती है
29:25वे मेरा आज day two चल रहा है
29:27आज train नहीं चलेगी
29:28और उसको बार-बार देखने से
29:31आप भी रोगी हो जाते हो
29:32उसको आप बार-बार देखने से आप रोगी हो जाते हो
29:35तो जो doctors हैं
29:37जो lady doctors हैं
29:39उनको उन दिनों में patients का treatment नहीं करना चाहिए
29:42क्योंकि अच्छा-खासा आदमी भी रोगी हो जाएगा
29:45ऐसे doctor को देखने से
29:46doctor खुद कहा रहा है
29:47अरे मुझे देखो गे तो तुम रोगी हो जाओगे
29:49चुटकुले तक ठीक है
29:55उसके आगे ये बात सिर्फ उबाऊ है
29:58और
29:59समय की बरबादी
30:05painful भी ऐसर
30:07क्योंकि पड़े लिखे समाज में शहरों में ये चीज़ चलती कि मंदिर नहीं जाना
30:12मंदिर की किस चीज को छूना नहीं है
30:14like that
30:16चलता है
30:18इसका यही तरीका है
30:19आपको जो करना करिये न
30:20आपको आपकी बाते
30:23आपको रोकने वाली चीज
30:25उनकी बाते नहीं है
30:27आपको रोकने वाली चीज हमेशा
30:29आपका अपना कोई डर या कोई स्वार्थ होता है
30:31उस पर काम करिये
30:32और आपकी बात नहीं
30:35मेरी भी बात है
30:36कोई भी दुनिया का पुरोष कोई भी महिला
30:38अगर मुर्खता की बातों से रुक रहा है
30:40तो उसकी वजह बस यह होता है
30:42कि उस व्यक्ति के अंदर अपना कुछ डर या स्वार्थ है
30:44नहीं तो कोई काहे को रुकेगा
30:46क्लास में टीचर्स होती है
30:49सुचो टीचर आकर है बच्चों से बोल रही है
30:52तोड़े जस से
30:54गोड मॉनिंग चान डाले नहीं
30:56भारत में प्रधान मंतरी से लेके इतनी मुख्य मंतरी सब महिलाएं रही है
31:09उनके सरकेटरी
31:10चीफ सरकेटरी उनके जितने ओफिसर से उनको जाकर की यहीं बोल रहे है
31:14मैम आज आपका डेवन है
31:15जी चान डलनी मैम
31:18चलो वी तो
31:21फॉर्मल जगह हो गई यहां अपचारिक रिष्टे है
31:24घर में कम सकम पतियों को तो यह करना चाहिए
31:30उनको तो सब पता होता है
31:32पीरेट जगह है वही जाके बोले सुबह सुबह
31:34उठ चान डाले नहीं
31:38क्या क्या
31:42सिर्फ इसलिए कि कुछ बाते पुरानी है
31:48उनका कोई महत तो नहीं हो जाता
31:50हर पुरानी चीज
31:51किसी कीमत की हो एकदम ज़रूरी नहीं है
31:55एकदम 500 साल पुराना जो घर हो जाई उसमें रहिए
32:04नींद भी नहीं आएगी पता नहीं कब गिर पड़े अपने उपर
32:06पांसा साल पुराने कपड़े एक चशमा पहनी है
32:11खाना भी वह खाऊ ना जो 500 साल पहने बना था
32:15आज क्यों बनातेयो क्यों कहते हो ताजा लेके आओ
32:20तब तो उनका हो äसिर्फ हो कोई बोलता यह नीं यह लेटेस टेकनोलजी यह
32:24latest technology क्यों हो चाहिए, ancient technology मांगो
32:26सेना वगेरा में भी क्यों कहते हो कि
32:34अति आधुने एक हथियार मिलने चाहिए उनको
32:35बोलो इन्हें अति प्राचीन हथियार दिजिए दिये जाए
32:38गणासे, कृपान, तलवारें, गदा
32:43पूरी भारतिय सिना को गदाओं की सप्लाई होनी चाहिए
32:47सब जवान हमारे गदाओं लेके जा रहे हैं बॉर्डर पे
32:50ये क्या
32:55बहुत सुन्दर शब्द हैं किसी कवी के
32:59लो अतित से उतना ही जितना पोशक है
33:04जीरन शीरन का मोह मृत्यु का दियोतक है
33:07जो कुछ अतीत में अच्छा हो उसे जरूर लेना चाहिए
33:12पर सब कुछ अतीत में अच्छा नहीं है
33:14उसे लेने की कोई जरूरत नहीं है
33:16भगवत गीता उपनिशद
33:20इन्हें दिल से लगा लीजिए
33:22और अगर ये दो आपको समझ में आ गए है
33:24काम हो गया आपका
33:28ठीक है
33:31दन्यवाद चाहिए
33:35साधू ऐसा चाहिए
33:45जैसा सूप सुभाई
33:51साधू ऐसा चाहिए
33:57जैसा सूप सुभाई
34:03सार सार को गही रहे
34:09ठोथा देई उडाए
34:13रे साधो
34:14ठोथा देई उडाए
34:20गुरू की जिये जाने के
34:26पानी पी जै छानी
34:32गुरू की जिये जानी के
34:38पानी पी जै छानी
34:43बिन विचारे गुरू करे
34:49पड़े चौरा सी खानी रे साधो
34:55पड़े चौरा सी खानी
35:00राम बुलावा भेजिया
35:06दिया कभीरा रोय
35:12राम बुलावा भेजिया
35:17दिया कभीरा रोय
35:23जो सुक साधू संग में
35:29सोवे कुंथ नहो एरे साधो
35:34सोवे कुंथ नहो
35:39राम नाम कडवा लगे
35:45मीठा लागे दाम
35:51राम नाम कडवा लगे
35:57मीठा लागे दाम
36:03दुविधा में दोनों गये
36:08माया मिली नारा
36:12मरे साधो
36:14माया मिली नारा
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