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  • 7/7/2025
Dalai Lama Family: दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध धर्म के 14वें गुरु, न केवल एक धार्मिक नेता हैं बल्कि तिब्बती आज़ादी, करुणा और शांति के प्रतीक भी हैं। 1959 में चीन के अत्याचार के कारण उन्हें तिब्बत छोड़कर भारत आना पड़ा। इस वीडियो में जानिए कैसे वे भेष बदलकर तवांग के रास्ते भारत पहुंचे, भारत सरकार ने उन्हें शरण कैसे दी, और धर्मशाला कैसे उनका स्थायी निवास बना। साथ ही जानिए उनके परिवार के बारे में, जिनमें सात भाई-बहन थे। उनके भाई ग्यालो थोंडुप, जिग्मे नोरबू और नगारी रिनपोचे की भूमिकाएं, और बहनें सेरिंग डोल्मा व जेतसुन पेमा के सामाजिक कार्यों की झलक भी मिलेगी। दलाई लामा के सबसे करीबी सहयोगी तेनजिन गेयचे तेथांग द्वारा साझा किए गए कुछ अनसुने पहलुओं पर भी एक खास नज़र।

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~PR.250~ED.106~GR.122~HT.96~

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Transcript
00:00भारत कैसे पहुँचे दलाई लामा
00:13साथ भाई बहन हैं दलाई लामा
00:18तिब्बती बौध धर्म गुरु के परिवार में और कौन-कौन
00:22तिब्बती बौध धर्म के चौधवे गुरु दलाई लामा
00:27नगेवल एक धर्मिक नेता हैं बलकि वे तिब्बती लोगों की आजादी, शान्ती और करोणा के प्रतीक हैं
00:34उनका जीवन संघर्षों और सेवा से भरा रहा
00:37तिब्बत में चीन के अत्यचार के चलते, उन्हें अपना देश छूड़ना पड़ा और भारत में शहरण लेनी पड़ी
00:43ये घटना तिब्बत के इतिहास में एक नर्नायक मोड लाने वाली थी
00:48वक था सन 1969, चीन की सेना ने तिब्बत पर पूरी तरह कबजा कर दिया
00:54लहासा में जनता ने दलाई लामा की सुरक्षा की मांग को लेकर जबर दस तांदूलन किया
01:00जिसे चीन ने हिंसा के बल पर दबा दिया
01:02इस महाल में दलाई लामा को डर था कि उन्हें बंदी बनाना लिया जाए और उनकी हत्या भी हो सकती है
01:09ऐसे में दलाई लामा भेश बदल कर कुछ खास लोगों के साथ तिब्बत से निकल पड़े
01:14भूटान के रास्ते वे 31 मार्च को 1969 का वो समय जब अरुनाचल प्रदीश के तवांक शेत्र के जरिये भारत पहुंचे
01:22भारत की ततकालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नहरू ने उन्हें मानव्या आधार पर शरण दी
01:28कुछ समय मसूरी में रहने के बाद दलाई लामा को हिमाचल प्रदीश के धर्मिशाला में इस्थाई निवास मिला जो की अब लिटिल लहासा के नाम से जाना जाता है
01:39ये दलाई लामा और उनकी अनुयाई तिब्बती सरकार इन एकसाइल का संचालन करते हैं
01:44दलाई लामा का परिवार भी तिब्बती आंदूलन में गहरा जोडा रहा वेकुल साथ भाई बहन हैं
01:50उनके बड़े भाई ग्यालो थोंडूप तिब्बत और चीन के बीच समवाद के प्रयासों में महत्वपून भूमिका में रहे
01:57हाली में उनका निधन कल्मी पोंग में हुआ
02:00उनके दो भाई जिग में नोर्बू और नगारे रिन पोचे धार में कशकशक थे
02:06जिग में नोर्बू अमेरिका में रहते थे और उनका 2008 में निधन हो गया
02:11जिबकि नगारी अभी भी धर्मिशाला में ही हैं
02:14उनकी बहने सेरिंग डोलमा और जितसुन पेमा भी सामाजिक कार्यों से जुड़ी रही। सेरिंग डोलमा ने तिबबती बच्चों की शिक्षा के लिए जीवन समर्पित किया।
02:24उनके निधन के बाद अभी जितसुन पेमा निभा रही हैं जो अभी धर्मिशाला में रहती हैं।
02:30दलाई लामा की एक और छोटे भाई लोबसांग सामतीन का भी पहले ही निधन हो चुका है।
02:36दलाई लामा के सबसे करीबी और विश्वास पात्र सहयोगी तेन जिन गेचे तेथांग हैं जो 1963 से उनके साथ कार्यरत हैं।
02:46विना केवल उनके सचीव रहे बल्कि उनकी जीवनी और निजी जंदगी के कए अंचुए पहलूं को भी सामनी लाया गया।
02:53तेथांग के नुसार दलाई लामा आज भी तकनीक की जग है, किताबों से जुडाव रखते हैं, वे गहन चिंतनशील, शान्त और सबकी बाते सुनने वाले निता हैं।
03:03दलाई लामा की यात्रा के वले को व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे तिब्बती समुदाय की आत्मा, संघर्ष और आशा की यात्रा है।

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