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  • 5 months ago

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00:00चिप चिप अश्रू बहाने वालो, मोदी व्यर्थ बहाने वालो, कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
00:30समझो पूरी हुई तपस्या, रूठे दिवस मनाने वालो, फटी कमीज सिलाने वालो, कुछ दीपों के बुच जाने से आंगन नहीं मरा करता है।
01:00किष्टियां डूबी, चहल पहल वो ही है तट पर, तम की उमर बढ़ाने वालो, लौ की आयू घटाने वालो, लाख करे पथज़र कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
01:12लूट लिया माली ने उपवन, लूटी न लेकिन गंध फूल की, तूफानों तकने छेडा पर, खिड़की बंध न हुई धूल की, नफरत गले लगाने वालो, सब पर धूल उडाने वालो, कुछ मुखडों की नाराजी से दरपढ नहीं मरा करता है।
01:27दोस्तों, आशा है, आपको गोपाल दास मीरच की ये सुन्दर रचना पसंद आई होगी। अगर आपको ये कविता पसंद आई है, तो कृप्या इस वीडियो को लाइक करें, अपने दोस्तों और परिवारवानों से शेर करें। और अगर आप मेरे चैनल पर नए है, तो �
01:57घुद्आ का दोस्तों, आपको एकラश की फाल आपको ये घुटी की है, तो करेंival की ये चैनल, इंगरे हैं तो कविता आपको ये वीडियो कि प्षिश का अवं पसंद 6-2-200 दैबनी.
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