तमिलनाडु में कुड्डालुर की 75 साल की चंद्रा कभी स्कूल प्रिंसिपल थीं. उनके पास अपना घर नहीं था. कुछ पूर्व छात्रों ने उनके लिए घर बनवाया और एक भावनात्मक माहौल में गुरु दक्षिणा के रूप में उन्हें घर की चाबियां सौंपीं. रिटायरमेंट के बाद चंद्रा कुड्डालुर में एक छोटे से किराए के घर में रहती थीं. वहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव था. कई छात्र आर्थिक लिहाज से मजबूत थे. जब उन्हें अपनी गुरू की हालत का पता चला तो उन्होंने उनके लिए घर बनाने का फैसला किया.शादी के कुछ ही दिनों बाद चंद्रा के पति गुजर गए थे. उसके बाद से वे अकेली रहती हैं. घर बनाने में योगदान देने वाले कुछ छात्रों ने औरों से अपील की है कि वे आगे आएं और संघर्ष कर रहे शिक्षकों को सहयोग दें. आम लोगों ने इस पहल की खुलकर तारीफ की है. उन्हें लगता है कि अब पूर्व प्रधानाध्यापिका जीवन की इस घड़ी में सम्मान के साथ जिएंगी.
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