00:00प्रेमचंद की कहानी थी ना जिसमें एक पंडिक जी होते हैं गरीब मजदूर होता है वो उनसे थोड़ा सा चावल या कुछ गेहूं ले गया होता है दिन ऐसी लोटा देता है बिना बोले कि वही लोटा रहा हूं जो आपसे लिया था तो वो भी कुछ बोलते नहीं कई सालो
00:30ना जा कर रहे हो तो आप बही मानी कर रहा हूं तो ठीक है मतलता ओ नरक में सडोगे मैं तो इमांदारी से क्या होता है वहाँ उपर नयाय करने वाले अफसे ब्रहमन लोगी वहां बैठे हैं तो मेरी पक्षें फैसला करेंगे आप तुम सडोगे नरक में पिर कहानी आगे �
01:00जाओ, तु वहाँ पर जो धर्मधेकारी घूम रहे हैं, उनको नाराज करने की, वो धर्म की जगहों पर राश्पतियों प्रधान मंत्रियों पर भारी पड़ते हैं, प्रेम का मतलब होता है कहना भार दे जाओ, प्यार मेरा है, मुझे बीच में कोई मध्यस्त, कोई दलाल, स