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  • 1 year ago
सवाईमाधोपुर. जिले में इस बार अच्छी बारिश के रबी फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ रहा है। बुवाई के समय किसान सबसे अधिक डीएपी खाद पर निर्भर हो रहे हैं। कृषि विभाग किसानों को सरसों की फसल में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट उपयोग करने की सलाह दे रहे है।
उपज बढ़ाने के लिए खेती में फर्टिलाइजर एवं यूरिया डालना आम बात है। खरीफ सीजन के बाद अब रबी सीजन में किसान खाद बीज लेने में जुटे है। सिंगल सुपर फास्फेट यानी कि सुपर खाद अन्य खाद के मुकाबले खेती के लिए अधिक फायदेमंद है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
इसलिए खरीदे किसान सिंगल सुपर फास्फेट
सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उर्वरक डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की अपेक्षा सस्ता है एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। एक बैग डीएपी में 23 किलो फास्फोरस एवं 9 किलो नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। फसलों में फास्फोरस, नाइट्रोजन, सल्फर पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए डीएपी सल्फर के विकल्प के रूप में यदि एसएसपी यूरिया का उपयोग किया जाता है, तो कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन,फास्टफोरस एवं सल्फर प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए एक बैग डीएपी एवं 16 किलोग्राम सल्फर के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी एवं एक बैग यूरिया का उपयोग किया जाता है, तो कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन, फास्फोरस व सल्फर प्राप्त होता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि डीएपी के स्थान पर एसएसपी एवं यूरिया का उपयोग करें। सरसों की फसल में 1 बीघा में बुवाई के समय 50 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 17 किलो यूरिया का उपयोग करें। डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग भी बहुत ही अच्छा रहता है।
फसल गुणवत्ता व उपज में होती है बढ़वार
सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। साथ ही जड़ों का विकास होता है। फसल गुणवत्ता एवं उपज में भी वृद्धि होती है। इसमें उपस्थित सल्फर की मात्रा भी पाई जाती है, जो फसलों में क्लोरोफिल का निर्माण कर पौधों को प्रोटीन प्रदान करता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसके उपयोग से पौधों में एंजाइम एवं विटामिन का निर्माण होता है तथा दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रंथियों का निर्माण कर वातावरणीय नाइट्रोजन पौधों को प्राप्त करने में सहायक है।
रबी बुवाई लक्ष्य पर एक नजर...
फसल रकबा लक्ष्य
सरसों 1 लाख 10 हजार
गेहूं 45 हजार
चना 25 हजार
...............
इनका कहना है...
सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है। इसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक है। सल्फर उपयोग से तिलहनी फसलों में तेल एवं दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा में बढ़ती है।
विजयकुमार जैन, सहायक कृषि अधिकारी, सूरवाल

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