सवाईमाधोपुर. दूध की हर बूंद अब जिले की तरक्की में बदलने जा रही है। राज्य सरकार की बजट घोषणा के बाद सवाईमाधोपुर को पहली बार नवीन और अत्याधुनिक डेयरी प्लांट की सौगात मिलने जा रही है। 25 करोड़ की लागत से प्रस्तावित यह संयंत्र न केवल दूध उत्पादकों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण दुग्ध उत्पाद स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध होंगे। सरस परिसर में चिह्नित जमीन पर अब डेयरी क्रांति की नींव रखी जाएगी, जिससे हर साल लाखों की बचत और हजारों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
राज्य सरकार की बजट घोषणा के बाद जिले को पहली बार नवीन व अत्याधुनिक डेयरी प्लांट की सौगात मिलने की उम्मीद जगी है। राज्य सरकार ने प्रदेश सहित सवाईमाधोपुर जिले के लिए डेयरी विकास के लिए एक हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इससे डयरियों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ ही दूध की प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ेगी और नए डेयरी प्लांट भी स्थापित किए जाएंगे। रणथम्भौर रोड स्थित सवाईमाधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड कार्यालय परिसर के सामने जमीन चिह्नित कर ली गई है, लेकिन वित्तीय स्वीकृति के अभाव में डेयरी प्लांट का कार्य अटका था। लेकिन अब सरकार से राशि की स्वीकृति होने के बाद सवाईमाधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के साथ जिले के किसानाें को भी राहत मिलेगी।
अगले साल तक संयंत्र स्थापना की संभावना
25 करोड़ की लागत से प्रस्तावित यह संयंत्र 2026 तक स्थापित होने की संभावना जताई जा रही है। प्लांट लगने के बाद जिले में ताजा दूध, पनीर, श्रीखंड, घी और दही स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध होंगे। इससे न केवल उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलेंगे, बल्कि दूध उत्पादकों को भी बेहतर मूल्य मिलेगा। हर साल 30 लाख की बचेगी परिवहन लागत वर्तमान में जिले से एकत्रित दूध को भीलवाड़ा भेजकर प्रसंस्करण कराया जाता है, जिससे हर साल लगभग 30 लाख रुपए का परिवहन व्यय होता है। संयंत्र लगने के बाद यह राशि बचाई जा सकेगी, जो सीधे तौर पर संघ और किसानों के हित में जाएगी।
320 समितियों से जुड़ा है दूध संग्रहण तंत्र
जिले में 320 दुग्ध समितियों और संकलन केन्द्रों के माध्यम से दूध एकत्रित किया जा रहा है। इनमें से 35 केन्द्र सक्रिय हैं, जहां से प्रतिदिन 11 से 12 हजार लीटर दूध संग्रहित होता है। संयंत्र स्थापित होने के बाद यह आंकड़ा 40 से 50 हजार लीटर प्रतिदिन तक पहुंचने की संभावना है। फैट के अनुसार दूध का मूल्य तय किया जाता है। वहीं पंजीकृत उत्पादकों को प्रति लीटर 5 रुपए का अनुदान भी दिया जा रहा है। लेकिन स्थानीय संयंत्र के अभाव में किसानों का उत्साह सीमित है। संयंत्र लगने के बाद किसानों का रूझान बढ़ेगा। ............................
इनका कहना है... "दूध का नया संयंत्र स्थापित होने के बाद जिले में ही प्रसंस्करण की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इससे परिवहन व्यय की राशि की बचत होगी। सरस डेयरी कार्यालय परिसर में ही जगह चिह्नित कर सर्वे पूरा कर लिया है। बजट मिलते ही कार्य शुरू कराया जाएगा। सुरेश सैन, प्रबंध निदेशक, सवाईमाधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड
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