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  • 5 years ago
चीन की वैक्सीन को मानव परीक्षण के दूसरे चरण में सफलता मिली है। इस नतीजे को द लैंसेट मैगजीन में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह इंसानों के लिए सुरक्षित है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है।



वही कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर सामने आ रही है। पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित की जा रही वैक्सीन के दिसंबर तक 30-40 लाख डोज तैयार हो जाएंगी।

एसआईआई के प्रमुख अदार पूनावाला ने बताया कि कोविडशील्ड पहली कोरोना वैक्सीन हो सकती है अगर इसका परीक्षण ब्रिटेन और भारत में सफल रहता है। एक इंटरव्यू के दौरान पूनावाला ने कहा कि अगस्त तक वैक्सीन को बड़े स्तर पर मैन्यूफैक्चर करेंगे। दिसंबर तक हम 30-40 लाख डोज तैयार कर देंगे। अभी यही हमारा लक्ष्य है और उम्मीद है कि इसे पूरा कर लिया जाएगा। पूनावाला ने कहा कि साल 2021 की पहली तिमाही में भारत में बड़ी आबादी के पास वैक्सीन की पहुंच हो जाएगी। पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन को किफायती दाम में बेचा जाएगा, हमारी कोशिश है कि इसकी कीमत एक हजार रुपये के आस-पास या उससे कम रहे। हमें नहीं लगता कि किसी देश या उसके नागरिकों को इसे खरीदने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि देश की सरकारें इसे खरीदेंगी और मुफ्त में बांटेंगी। दुनिया में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्यूफैक्चर्र है, इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन बनाने के लिए चुना है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से बनाई गई वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। लांसेट मेडिकल जर्नल में छपे वैक्सीन के परिणाम के अनुसार जिन लोगों को ये वैक्सीन दी गई है, उनमें मजबूत टी-सेल्स इम्यून रिस्पॉन्स दिखा है।

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