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  • 7 hours ago
दिल्ली प्रदूषण के कारण ग्रैप-4 लागू होने से मुश्क‍िल में मजदूरों की रोजी रोटी, देखें र‍िपोर्ट

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00:00दिली में बढ़नें प्रदोशन के मद्यनाजर दिली सरकार ने कई तरह के कड़े फैसले लिये हैं जिसमें ग्राफ 4 को इंप्लिमेंट किया हैं जिसकी वज протان गये हैं जिसमें कंस्ट्रक्षिन एक्टिविटी पर पूरी तरह से बैन लगाने की बात भी इन फैसलें में की ग
00:30आप तस्वीरों में देख सकते हैं कैसे कि जो मजदूर जो दिली में काम करते हैं
00:35वो पिछले काफी लंबे समय से इसी तरह से यहाँ पर बैठे हुए हैं
00:39और इनको काम जो है वो नहीं मिल रहा है
00:42समान लेके रोज शुबह जो है मजदूर यहाँ पर आजाते हैं
00:46अपना लेकिन वो उनको काम नहीं मिल पाता है अब देखी कैसे जो मजदूर है उनके हाथ में कंस्ट्रक्शन का समान है
00:55मिस्तरी जो काम करते हैं उनका समान है हतौरा च्छेनी है लेकिन काम नहीं मिल पा रहा है
01:01और ये काम पिछले काफी लंबे समय से यहाँ पर जो मजदूर है उनको नहीं मिल रहा है
01:07कुछ लोग हमारे साथ हैं मजदूर हैं इनसे बात करेंगे
01:10जानेंगे कि कब से इस्तिती बनी हुई है क्योंकि परदूशन की वज़े से कुछ सरकार ने फैसले तो लिये है
01:17है लेकिन उसका असर इनके जीवन पर जरूर पढ़ रहा है क्या ना मुहां भाई सब्सक्राइब
01:35तो रोज सुबाब किते बज़ तक आज यहां आठ बज़ेसे at फजे रहे कुछ ने कोई काम नहीं अधा पंदरवाइब्वा दिन है आप या काम है कोई था है क्यों काम नहीं काम नहीं खाना पीना साथ खर्चा कि अब किसी तरह 100 200 किसी से करदा लेकर नेकर करते रहते हैं ख
02:05पूरी लेबर मिस्ट्री यहां सब बैठे थे अभी भी बैठे हुए है इसका गरीब का कोई रोजगार नहीं मिल ला है
02:17कर दो नहीं नहीं देना है वो थोड़ी मान जाएगा
02:38तो एसे टीफिन भाप्पस रह जाएगा जब यहां बेठे बैठे चले खाएंगे
02:45खाने को मिलेगा जब तो खापाएंगे वही तो बात है कोई मद्दूई तक नहीं लग रही बैसे सब लोग ठाड़े जब काम मिलता था तब आप कितना कमालिया करते हैं पांसो छेटो रुप्या और ये पिछले पंदर दिन से कोई कमाई नहीं नहीं रही है
03:00मेरा टाइक से कुछ नहीं चला है बंद है अब बात बताओ ये प्रिदूसर में एक लाग रुप्या कोई मालक भरेगा जो एक लाग उर्पया जुर्माना कर रखा है सरकार ने कोई भरेगा वो सोचेगा कि हमारा है हजार दुहाजार का कम होगा ये एक लाग रुपर कौन भ
03:30किराय मखान महले का ने किसी का नहीं कि अप्लाइक किया अब लिवर कार्ट बन वालो यह वन वालो आ जाना वहां चक्कर कार्ट कि आजाते हैं अब आते हैं बनाने कोशिश की लिकिन कभी बनाता नहीं नहीं है
03:53कि सरकार कह रही है कि को आते हैं पजी वाले आदमें से रोपी ले ये हैं इसने कर लोग कर लेदे आता है
04:13अगर अगर ये काम नहीं मिलता अपको
04:42काम के लिए कोई पड़ी लिखी तो है नहीं खुद के दसकत अभी कहीं सोसाइटी में दसकत के लिए बोलने तो वो पड़ी लिखी नहीं है लेवर तो और क्या कह सकती है यही गदा मेनत कह सकती है लेवर और वो ही नहीं अपना ही हक नहीं मिल ला तो लेवर करे क्या
05:10मताई पिशले दो अफ्तों से लगातार बनी हुई है आपका क्या नाम हुआ नाम तब है यह नहीं कुछ नाम है क्या नाम बेरोजगार है
05:24मेरा नाम मजदूर मेरा नाम मजदूर है मैं रोड़ पर खराम खाली बच्चे घरपा हैं भूँके पर दूशन के नाम पर एक काला वजारी चल ले यह देश में बड़े बड़े कंट्रैक्शन साइट बड़े बड़े बिल्डर कंपनियों के काम धरल ले से चल रहे हैं पर �
05:54कोई दो रुपे कमानवाला कोई दस रुपे कमानवाला है दो वक्त की रोटीनी खाने के लिए कमरा किराये पर रहते हैं परवासी मजदूर है यह बाहर विदेश से आकर अपने देश में पढ़े हैं पर यह विदेश बने हुए हैं मतलब एक तरह के यह विदेशी आदमी
06:24क्योंकि मैं इनके साथ में हूँ, मैं सहमत हूं, इन सब के साथ में सहमत हूँ, क्योंकि मैं भी एक मजदूर हूं।
06:31आप मेरे साथ चलो, यहीं से चंद कदमों की दूरी पह ड़लेसे
06:45से कंट्रैक्शन के काम चल ला है वो बड़ी बड़ी कंपनी हो गए हैं पर लेकिन एक छोटा मजदूर जो साथ सो छे सो पान सो कमाने वाला ना उसी के लिए बैयन है उसी के लिए परदूसर है आप किसी भी पूरी दिल्ली के हर कौने में घूम लीजे गली महले में घूम ल
07:15हमारे बज़ते ही निरासा हो जाती है सब उटके चले जाते हैं तो कमरा तूट गया है बाहर दो रहे हैं रूट पर काम कि इसे किराए के चक्तर में भाई मेरे हैं सौन्य नाम है बाई मेरे आपकरने के लिए क्यूंकि नहीं मिल रपन आपको ज्याड़ी मज़ूर नहीं मि
07:45इस तरीके से एक दूसरे के साहरे से समर्थन से काम घर का परिवार परिवार बाकि गुवर्मेंट या किसी भी योजना या एंज्योए के तरफ से कोई सहायता नहीं है
07:54आज तक भी कोई ऐसा एंज्योए नहीं आकर बीच में खड़ा हुआ कि हर साल पर दूसर लगता कि कोई गौवर्मेंट हमें मदद या सहाता दे
08:01तो आप देख सकते हैं क्या स्थिति है यह ना सिर्फ मयूर फियर की स्थिति है पटपडगंज की स्थिति बलकी दिली के लगबग सभी उन चौकों पर जहांपर रोज सुबा लेबर एक खटी होती है
08:13वहां की यही सिती है जहाँ पर जो मजदूर आते तो है रोज सुबब आठ बजे पहुँच तो जाते हैं लेकिन पिछले 15 दिन से 15-16 दिन से उनको काम कुछ नहीं मिलता और 11 बजे निराशा हाथ लगती है तो अपने घर को वापस लोट जाते हैं
08:28दिली से मेरे जोगे मैंनों के हाथ मैं प्यूश मुश्रा आज तक
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