00:00सर जब हम कहते कि नयापन तो नयापन कुछ होता भी है
00:04तो मैं यह नहीं कहूँ कि मुझे नयापन चाहिए
00:06नयापन कहते ही तो लगेगा कि नयापन कुई ऐसी बात है इसको मैं जानता ही हूँ
00:10तो मुझे क्या चाहिए? मुझे कुछ नया नहीं चाहिए
00:13नहीं मिल रहा पुराने से बाहर जाने का दर्वाजा
00:16हम दिवारे ही खटखटा लेंगे
00:19यह ऐसी सी बात है कि मैं
00:23आईने के सामने खड़ा हो जाओं
00:25तो आईने में जो छवी दिखेगी
00:27दरपन में जो प्रतिपिम्ब है
00:28वो एक तरह से मेरा अपना प्रक्षेपन है न
00:33आप दरपन के सामने खड़ी हो जाइए
00:36और जो आपकी छवी है आप उसकी फोटो उतार लीजिए
00:39तो कुल मिला जुला करके आपने क्या करा
00:42तो आपको जो भी कुछ अनुभा हो रहे हैं
00:58वो आप ही हैं मेरे सारे अनुभाव मैं ही हूँ
01:03नमस्ते सर्थ जी सर्थ पिछले दो सत्रों में यह बात हुई थी
01:13कि प्रकृती में तो केवल दोहराव है तो मुझे यह समझना है
01:19कि जब हम कहते कि नयापन तो नयापन कुछ होता भी है
01:23नयापन कुछ होता भी है तो इक किस में है
01:26नयापन तो बस एक शब्द है उस दोहराव की पीड़ा से शटने के लिए
01:45तो ये भी नहीं कहाना चाहिए कि मुझे नयापन चाहिए
01:51और ज्यादा सटीक शब्द होगा मुझे अदोहराव चाहिए
01:57वही विदान्त की शैली के अनुरूब भी होगा
02:06नकार में बात करना प्रकृति का तथ्य क्या है दोहराव
02:13और मैं चाहरा हूँ उस दोहराव से मुक्ति
02:18तो मैं यह नहीं कहूंगा मुझे नयापन चाहिए
02:21नयापन कहते ही तो लगेगा कि नयापन कोई ऐसी बात है इसको मैं जानता ही हूँ
02:25और मैं जानता कि इसको हूँ प्रकृति को
02:27तो नयापन जैसे ही मैंने कहा मैंने उस नयापन को भी कहां पे
02:32स्थापत कर दिया
02:33प्रक्रति में
02:34पुराना पनी रह गया
02:36ना तो मैं कहूंगा
02:38अध्व लाव
02:39तो मुझे क्या चाहिए
02:43मुझे
02:46कुछ नया नहीं चाहिए
02:47मुझे बस कुछ ऐसा चाहिए
02:49जो पुराना ना हो
02:50नकार की भाषा
02:52आप किसी से पूछेंगे
02:56क्या तुम नए हो वो आपको धोखा दे जाएगा किया देगा नया हूं और आपके सामने कुछ नया रखने
03:05कि तो प्रक्रति के पास हजारों उपाएं हैं नया चहरा नए स्थिति नए संयोग नए नाम नए जगह
03:17बस इतना बदल जाए तो सब नया हो जाता है न आप पूछेंगे क्या नय हो क्या देगा नया हूं तो यह नहीं प्रश्ण पूछना होता है क्या नय हो पूछना यह होता है कि
03:33जो पुराना था कहीं उसका ही मर्म तो तुम में मौजूद नहीं है अब परिख्षन हो पाएगा
03:53पुराने को छोड़ना है तो पैमाना पुराने को यह बनाई है न पुराने में यह सब कुछ था
03:59और अब यह एक चीज आई है जो अपने आपको नया बता रही है जो कुछ पुराने में था वो इस नय में है या नहीं है नाम वगएर हटाओ रूप रंग रोगन यह सब हटाओ
04:14यह यह जाचना है
04:17कुछ ना हो कम से कम पीड़ा तो हो
04:25पुराने के प्रति
04:28पीड़ा में भी मुक्ति है
04:35पुराने से आसकते से तो कहीं बहतर है ना पुराने से पीड़ा
04:44नहीं मिल रहा पुराने से बाहर जाने का दर्वाजा
04:53हम दिवारे ही खट खटा लेंगे
04:58पुराने में लत्पत लोट तो नहीं रहे और उत्सव तो नहीं मना रही कि
05:04सब नया नया है मज़ा आ रहा है
05:07नहीं बाहर के नएपन का क्या आर्थ होता है
05:25बीतर कुछ होना चाहिए जिसको
05:30रास नहीं आता
05:34यह सब कुछ जो पुरातन है
05:37शायद
05:43उसकी उब उसकी पीड़ा
05:47ही नयापन कहलाती है
05:53सर्ड इसमें मुझे एक बात याद आ रही जिद्धुक्रिश्ण मुर्तिजी की
06:08हमेशा कहते हैं कि
06:09दोंट रिकॉर्ड
06:11और एवरिफिंग शुद बी फ्रेश
06:13फॉर फ्रेशनेस टू कम इन और लाइफ
06:17एवरिफिंग दो नॉट रिकॉर्ड
06:19तो यह क्या थोड़ा सा क्या इसमें सिमिलारिटी है
06:24उन्हें डू नॉट रिकॉर्ड बोला या रिकॉल बोला
06:26रिकॉर्ड
06:28उन्होंने हमेशे बोला है रिकॉर्ड
06:30कि हम सब कुछ रिकॉर्ड करते जाते है
06:32बात रिकॉर्डिंग की क्रिया की नहीं है
06:37बात recorder की है
06:40न तो बात उस चीज की है जो record की जाएगी
06:46the recorded object
06:47न बात recording की क्रिया की भी है
06:50recording की क्रिया को रोकने से कुछ नहीं होगा
06:54बात recorder की है
06:57पुराना वो recorder है सच मुझ
07:00प्रकृति भी क्या है
07:03आपका प्रक्षे पड़ी है न
07:06तो आप जो हो आप
07:10projector भी हो और projected चीज के recorder भी हो
07:15आप ही ने तो project करी है
07:19और जब वो आपके सामने आती है आपकी project करी हुई चीज
07:23तो आप उसके recorder भी बन जाते हो
07:25मैं record भी कर रहा हूँ
07:26दुनिया आपको देख रही है आप इसके projector हो न
07:31और आप ही अपने सब अनुभवों के रिकारडर भी हो
07:35फुल्मिला जुला के आप किसको रिकार्ड कर रहे हो
07:44खुद को ही तो रिकार्ड कर रहे हो
07:48तो नेया क्या मिलेगा
07:51एकिपमेंट सेम है
07:56वो entity ही same है जो दोनों काम कर रही है और दोनों ही काम अपनी ही चाया के साथ कर रही है।
08:04यह ऐसी सी बात है कि मैं आइने के सामने खड़ा हो जाओं तो आइने में जो छवी दिखेगी दर्पण में जो प्रतिपिंब है।
08:13वो एक तरह से मेरा अपना प्रक्षेपण है ना ठीक है और अब जो सामने दिख रहा है मैं उसकी तस्वीर खींच लूँ आप दरपण के सामने खड़ी हो जाईए और जो आपकी छवी है आप उसकी फोटो उतार लीजिए तो कुल मिलाज उला करके आपने क्या करा
08:36बड़ा लंबा जोड़ा काम करा आप आईने के सामने खड़ी हुई वहां आपने अपनी इमेज ली फिर इमेज की भी आपने फोटो ले ली परो जो आपके सामने आएगा और क्या होगा आप ही तो होंगे और आप हैं बहुत पुराने पुराने ना होते तो यह सब काय को करत
09:06कि बस कूत फांद बहुत है कि बड़ा आपने अच्छा विश्य उठा दिया देखिए हम
09:21कि विश्ण मूर्ती जी की बात कर रहे हैं तो अभी जो आपने बात सुनी वही निकली है कि
09:34रहे हैं तो आपको जो भी कि बात कर रहे हैं तो आपको जो भी
10:04कि कुछ अनुभव हो रहे हैं कि वह आप ही है और आप मनें सक्चे वाले आप नहीं आत्मा नहीं आत्मा को इस सब गड़तानी में कोई
10:12नहीं आता कि यह करा वो करा यह जो है जहां जिसको अबजर्वर या रिकॉर्डर या एक्स्पिरियेंशर बोला जा
10:18रहा है यह कौन है यह हैंकार है यह हैंकार है वही यह सब करता है कि पहले अपने आपको
10:29प्रोजेक्ट करो और फिर जो चीज प्रोजेक्टेड है उसका अनुभाव लो और जो अनुभाव है उसको अपने हांकित कर लो और फिर बोलो देखो ये नई चीज मिली है कैसे नई चीज मिल जाएगी तुमको
10:44कैसे है हम ये एक अभ्यास की बात है कि जो भी अनुभाव हो रहे हो उनको बस एक बहुत पुरानी
11:08उबी हुई मशीन का आउटपुट समझा जाए
11:14मुझे कोई अनुभाव हुआ है कि क्या है कुछ नया नहीं हो सकता इसमें
11:28और मैं अभ्यास की बात इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि ये चीज अनुभाव के खशन में ही पकड़ में आनी चाहिए
11:38अनुभाव के खशन में ही हो जाना चाहिए कि नया लगा नया है नहीं
11:46ये तभी हो पाएगा जब भीतर एक सिंसर हो जो भीतर से उबा हुआ हो
12:01जो तलाश तो रहा हो ना कि अधुराव कहां पर है
12:12वो तलाश रहा होता है तो परखरा होता है उसे चाहिए अधुराव तो जो कुछ भी आता है बनके नया उत्तुरं तो उसकी तलाशी लेना शुरू कर देता है
12:28तलाशी इस उद्देश से नहीं लेता कि पता चल जाए कि ये पुरा नहीं है उसके पास तो शायद आशा होती है कि कुछ नया क्या पता इस बार आई गया हो
12:42तो तलाशी लेता है तलाशी लेने में उसे कुछ मिलता नहीं कभी
12:49पर तलाशी लेली यही कुछ नया हो गया
12:55तलाशी लेने का परिणाम कुछ नया नहीं निकल जाएगा
13:03तलाशी लेना ही एक नई बात है क्योंकि यह जो recorder है उसका मूल गुण ही है तलाशना नहीं तलाशना मनें विवेक नहीं
13:15मान लेना, भावना पर चलेना, माननेता पर चलेना, तलाशना नहीं, परक्षना नहीं, जिज्यासा नहीं,
13:29जिज्यासा के फल्स्ष रूप उसे कोई असाधारन नवीन चीज नहीं मिल जा नी है,
13:36जिग्यासा ही नई चीज़ तलाशने से कुछ नया नहीं मिल जाएगा तलाशना ही नई बात है
13:49मिलेका नई कुछ नई मिलेका कुछ नहीं पर आपने तलाश लिया यह आपने कुछ नया गर दिया
13:54दिया
13:55सत्य
13:59खोज का परिणाम नहीं होता
14:01सत्य खोज में नहीं तो होता है
14:06ये दो बाते बहुत अलग अलग है
14:08आप ये नहीं कहेंगे कि मैं खोजी हूँ
14:12खोजी हूँ और एक दिन सत्य मिलेगा और खोज का अंत हो जाएगा
14:15हालां कि इस तरह से बहुत का गया है कि खोज जारी रहे जब तक सत्य मिल नहीं जाता
14:20सत्य कोई खोई होई फुटबॉल है कि खोज होगे तो कई मिल जाएगा ऐसे नहीं होता है
14:25खोज में ही सत्य है
14:29आप
14:36कितनी आतुरता से
14:45प्रेमी को तलाश रहे हो उसी से सिद्ध होता है कि आप में कितनी गहराई से प्रेमी बैठा हुआ है
14:55वो बाहर नहीं है वो तलाशने से नहीं मिलेगा जब वो भीतर होता है तो उसको तलाशने लगते हो वो तलाश में है
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