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  • 1 hour ago
सवाईमाधोपुर. जिले के सरकारी स्कूलों में नामांकन का हाल बुरा है। आंकड़े खुद अधिकारियों के लिए शर्मनाक हैं। कहीं दो शिक्षकों पर चार बालक हैं तो कही शिक्षक व बालक दोनों दो-दो हैं। कहीं शिक्षक एक है तो पढऩे वाले दो हैं। जिले में कुल 42 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां दस से भी कम नामांकन हैं। उधर, अब दस से कम छात्र संख्या वाले 42 सरकारी स्कूलों पर तलवार लटकी है।
सूचना मांगी तो खुली पोल
राज्य के सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम नामांकन एक से दस छात्र संख्या को लेकर शिक्षा निदेशालय ने सख्त कदम उठाया है। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के भविष्य पर अंतिम निर्णय लेने के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्धारित समय सीमा में विस्तृत रिपोर्ट उपलब्धक कराने के निर्देश जारी किए है। रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि इन स्कूलों को जारी रखा जाएगा या इन्हें बंद या विलय किया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर जिले में ऐसे 42 ऐसे सरकारी स्कूल है जहां छात्रों के नामांकन की संख्या 10 या 10 से कम है।

जिले के तीन स्कूलों में तो नामांकन शून्य
जिले में सरकारी स्कूलों में नामांकन कम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां 42 स्कूलों में नामांकन का आंकड़ा दहाई की संख्या को भी नहीं छू पा रहा है जबकि तीन ऐसे स्कूल है, जिनमें वर्तमान में नामांकन शून्य है। बामनवास ब्लॉक में राजकीय उच्च प्रावि माधोपुरिया की ढाणी, गंगापुर सिटी ब्लॉक में राप्रावि जाटव बस्ती पीलाहार(खंडीप) व प्राथमिक विद्यालय गांवड़ी खुर्द में नामांकन शून्य है।

42 स्कूलों में 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत
जानकारी के अनुसार जिले के 42 सरकारी स्कूलों में नामांकन दहाई के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए है, जबकि इन स्कूलों में वर्तमान में करीब 50 से अधिक शिक्षक कार्यरत है। हालात यह है कि कई स्कूलों में दो तो कई में एक-एक शिक्षक है। वहीं शून्य नामांकन वाले तीन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या सात है।

इसलिए पिछड़ रहे सरकारी स्कूल
जिले की सरकारी स्कूलों में वर्ततान में शौचालय की समस्या, पेयजल की समस्या, मैदान की कमी, शिक्षकों की कमी, विषयवार शिक्षण से असंबंधित शिक्षकों की नियुक्ति, अतिथि शिक्षकों की समय पर नियुक्ति न होना सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट के प्रमुख कारण हैं। वहीं शिक्षकों का समय से विद्यालय में नहीं पहुंचना, विद्यार्थी स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं। स्कूल में पहुंचकर उपस्थिति दर्ज कर शिक्षक फिर गायब हो जाते है। अव्यवस्थाओं के चलते कई बार बच्चे व अभिभावक गेट कर विरोध प्रदर्शन भी कर चुके है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया नर्सरी से नही होकर कक्षा छह में सीधे प्रवेश दिलाया जाता है।
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इनका कहना है...
शिक्षा निदेशालय से दस से कम नामांकन वाले विद्यालयों की सूचना मांगी थी। हमने 42 स्कूलों की रिपोर्ट बनाकर भेजी है। अब ये स्कूल जारी रहेंगे, बंद होंगे या मर्ज होंगे। यह सरकार व शिक्षा विभाग तय करेगा।
देवीलाल मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, सवाईमाधोपुर

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