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Pakistan: पाकिस्तान में पहली बार संस्कृत की औपचारिक पढ़ाई शुरू होना इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ रहा है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) में संस्कृत कोर्स की शुरुआत के साथ महाभारत और भगवद गीता जैसे महान ग्रंथों पर अकादमिक चर्चा हो रही है। बी.आर. चोपड़ा की महाभारत के श्लोक और गीत अब क्लासरूम में पढ़ाए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य धर्म से ऊपर उठकर साझा सांस्कृतिक विरासत को समझना है। यह कदम भारत-पाक रिश्तों में ज्ञान और संस्कृति के जरिए नई उम्मीद जगाता है।

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00:00पाकिस्तान में पढ़ाई जाए की गीता और महाभारत
00:12संस्कृत का कोर्स शुरू
00:14अब क्लासरूम में गुंजेंगे श्लोक
00:17हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिष्टों में अकसर कड़वाहट और तनाव की खबरें ही सुर्खियों में रहती हैं
00:23लेकिन इस बार सरहत पार से एक ऐसी खबर आई है जिसने इतिहास के पन्नों पर जमी धून को साफ करने का काम किया है
00:301947 के खूनी बटवारे ने मुलक तो बांट दिये थे
00:34मगर तहजीब और जबान की जड़ों को पूरी तरह से उखाड़ना शायद मुमकिन नहीं था
00:40आजादी के करीब पौने आठ तशक बाद पहली बार पाकिस्तान की फिजाओं में संस्कृत के शलूग मुचने जा रहे हैं जो अपने आप में एक एतिहासिक घटना है
00:49लहोर युनिवर्सिटी ओफ मैनेजमेंट साइंसिस यानी लम्ज ने एक ऐसा बीड़ा उठाया है जो कल तक नामुम्किन लगता था
00:57वहाँ अब बाकायदा संस्कृत भाशा का कोर्स चुरू किया गया है
01:01और हैरानी की बात ये है कि इसकी शुरूआत महज एक वर्क्शॉप से हुई थी जिसमें पाकिस्तानी चात्रों और विद्वानों के दिल्चस्पी ने सब को चौंका दिया
01:09सबसे दिल्चस्प और रोंग्टे खड़े करने वाला पहलू ये है कि कोर्स के हिस्से के तौर पर चात्रों को बी आर चोपड़ा की मशूर महाभारत टीवी सीरीज का टाइटल सौंग है कथा संग्राम की का उर्दू अनुवाद सिखाया जा रहा है
01:24सोचे लाहौर की किसी क्लास में महाभारत के युद्ध और गीता के ग्यान पर चर्चा हो रही हो ये अपने आप में क्राउंतिकारी बदलाव की आहट है
01:33इस पहल के पीछे मकसद सिर्व भाशा सीखना नहीं है बलकि अपने उस हुई हुई विरासत को सहीजना है जिसे धर्म की चश्मे से देखकर नजरंदास कर दिया गया था
01:43पंजाब यूनिवरसिटी की लाइबरेरी में संस्कृत की हजारों साल पुरानी और बेश कीमती पांगुलिप्या मौजूद है
01:49जिने 1930 के दशक में अंग्रीज विदवान जी सी आर वूलनर ने ताल के पत्तों पर सहे जा था
01:56अफसोस की बात ये रही कि 1947 के बाद से किसी भी पाकिस्तानी शिक्षाविद ने इन पन्नों को पलटने की जहमत नहीं उठाई
02:05और केवल विदेशी शोध करता ही इनका इस्तिमाल करते रहे
02:08लेकिन अब लम्स का गुर्मानी सेंटर इस इतिहास को बदलने जा रहा है
02:13सेंटर की डिरेक्टर डॉक्टर अली उस्मान खास्मी का सपना बहुत बड़ा है
02:17उनका मानना है कि अगर स्थानी चात्र इस भाशा को सीखेंगे तो वे अपनी ही धरोहर पर शोध कर पाएंगे
02:24उनका दावा तो यहां तक है कि अगले 10 से 15 सालों में दुनिया पाकिस्तान में महाभारत और भगवत गीता के बड़े विद्वान देखेगी जो एक नई इबारत लिखेंगे
02:35इस बदलाव की मशाल जलाई है डॉक्टर शाहिद रशीत ने जिन्होंने तमाम सवालों और आलोचनाओं के बावजूद संस्कृत को गले लगाया
02:42उनका मानना है कि संस्कृत व्याकरण के जनक महरशी पाडिनी का गाउं इसी इलाके में था और सिंदु घाटी सभिता की कहानी इसी जबान में छिपी है
02:52वे आलोचकों को करारा जवाब देते हुए कहते हैं कि संस्कृत किसी एक धर्म की जागीर नहीं है बलकि ये एक पहाड की तरहा अटल संस्कृतिक समारक है जो हम सब का है
03:02डॉक्टर रशीद की सोच ये है कि अगर पाकिस्तान में मुसल्मान संस्कृत्च लोग पढ़ेंगे और भारत में लोग अर्बी फारसी को अपनाएंगे तो शायद नफरत के दीवारें भाशाओं के पुल से जुह जाएंगी
03:14लाहौर से उठी ये संस्कृत की गूँज बता रही है कि सियासत चाहे जितनी लकीरे खीच लें मगर ग्यान और संस्कृति को सरहदों में कैद नहीं किया जा सकता और ये साउथ एशिया के लिए एक नई और उमीद भरी शुरुआत हो सकती है
03:44झाल
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