Skip to playerSkip to main content
  • 19 minutes ago

Category

📚
Learning
Transcript
00:00अचारे जी मेरा बेटा पिछले तीन-चार साल से आपको सुन रहा है, शादी नहीं कर रहा, नौकरी वगारा की तयारी नहीं कर रहा, लेकिन पूरा घर उसने किताबों से भर दिया है, पढ़ाई में बहुत अच्छा है, इतिहास में एका 90 प्रतिशक उसके अभियांकाएं ह
00:30में अभी अपने कारिक्रम करते हैं, लोगों को बुलाते हैं और उनको ग्यान देते हैं, कहते हैं कि खूब किताबे पढ़ो, खूब शिक्षित बनो, ताज्यूब की बात तो ये है कि उसकी इन पागलपन भरी बातों को सुनने के लिए अब दूर दूर से वैसे ही पागल
01:00इसका उन्हें कोई गौरव नहीं है, वो दुनिया में रौशनी ला रहा है, इस बात की कोई तारीफ नहीं हो लिए, कहीं से कोई लड़की पकड़ करके उससे संभोग क्यों नहीं कर रहे, उसको गर्भ क्यों नहीं कर रहे, ये तकली है, ये नहीं देख पा रहे हैं कि न �
01:30आज समाज में लोग धन को जीवन का केंदर मानते है, क्या ये सोच अध्यात्मिक विकास में बादा बनती है, और धन को सही दिश्ट्रे से देखने का क्या तरीका है, जब तुम कुछ नहीं जानते तो तुम्हें ये भी क्या पता कि पैसा क्या होता है, धन मात्र से न कभी
02:00वो रास्ता तो यहीं खारिज हो गया, समाप्त, चार शब्दों में खेल खत्म, बोल रहे हैं हमारी चेतना के केंद्र में कोई धन थोड़ी बैठा होता है, हम कितना भी प्रचार कर लें, कितना भी हम अपने आपको समझा लें, माने बहका लें,
02:27लेकिन जीवन का जो सच है वो तो रहेगा ही, और सच यह है कि किसी की भी चेतना के केंद्र में धन नहीं बैठा होता, यहां तक कि जो सबसे धनी आदमी है, चाहे सबसे कृपन आदमी है, चाहे सबसे धन लोलूप आदमी है, उसकी भी चेतना के केंद्र में धन नहीं होता
02:57केंदर में धन ही तो हुआ नहीं तो धन लोलुप कैसे होता नहीं जो धन लोलुप है धन तो सच्मुच उसे भी नहीं चाहिए धन लोलुप मात्र उसे नहीं बोलते आप उसे आप बोलते हो धन लोलुप मनुष्य और धन लोलुप आज है हो सकता है कल रहे न रहे पर मनुष
03:27जो वो चार साल का था तब आप उसको नहीं बोलते थे
03:30कि धन लोलू पर पर मनुष्य उसको आप
03:33तब भी बोलते थे कल हो सकता है धन का उसका अग्रह कम हो जाए
03:37समाप्त हो जाए धन लोलू आप उसको नहीं बोलेंगे लेकिन मनुष्य तो
03:41तब भी पोलिंग उसकी पहली पहचान मनुश्य है
03:44और किसी भी मनुश्य की चेतना और जिंदगी के केंद्र में धन नहीं हो सकता
03:52यह नियम है
03:52यह किसी नैतिक शास्त्र का निरदेश नहीं है
04:00कि धन को अपना केंद्र मत बनाओ
04:02आपको ऐसा करने को नहीं कहा जा रहा
04:06क्योंकि अगर आपको निर्देश दिया जाए
04:09या सलाह दी जाए कि धन को अपने जीवन का केंद्र मत बनाओ
04:12तो इस सलाह में एक बड़ी मुर्खता की बात नहित है
04:16क्या?
04:19कि ऐसा हो सकता है, संभव है
04:21धन को जीवन का केंद्र बनाया तो जा सकता है
04:24पर बेटा तुम मत बनाना
04:25ऐसी सलाह ही अग्यानमूलक है
04:32धन किसी के जीवन का केंद्र बनी नहीं सकता
04:35जिस आदमी ने पूरी जिंदगी बिताही हो
04:37पैसे का पीछा करते हुए
04:39उसकी धिंदेगी का केंद्र भी धन बनी ही नहीं सकता
04:42धन के साथ समस्याई है
04:45धन का विरोध करने के लिए कोई नहतिकता वगयरा नहीं चाहिए
04:52आपकी अस्मिता काफी है
04:53अस्मिता मने आपकी हस्ती आपका अस्तित्त हो
04:59नहतिकता की लाठी की जरूरत ही नहीं है
05:09है ये प्रमान देने के लिए कि पैसा आपकी जिंदगी का केंदर नहीं हो
05:16सकता आपको शिश कर लो तो भी नहीं हो सकता गरीब की जिंदगी का भी नहीं हो
05:23सकता और जो सबसे बड़ा अमीर है उसकी जिंदगी का भी नहीं हो
05:26सकता धन को केंद्र बनाना अस्तित्व विरुद्ध बात है तो मैं कहा रहा हूं नैतिक्ता चाहिए ही नहीं अस्मिता काफी है
05:39धन उनकी जिन्दगी का तो चलो नहीं होगा केंद्र जो अध्यात्म समझने लगे
05:50जो इसी जहान में खप गए जो कुछ नहीं करते दिन रात बस पैसा पैसा सोचते हैं
06:01पैसा उनकी जिन्दगी का भी केंद्र नहीं बन सकता समझारी बना जैसे किसी ने जबरदस्त गेंद डाली हो
06:11एकदम ललचाती हुई
06:20गुड लेंग्ध थोड़ा आगे
06:23पर आउट सुंगर
06:26लगेगा कि मारी दे कवर ड्राइफ
06:30पर जैसे
06:36कदम बढ़ाओगे फ्रंट फूट पे आओओगे पीछे लपके जाओगे
06:41आम आदमी चूंकि दुनियादारी के रास्ते को अध्यात्म के रास्ते से अलग समझता है
06:52तो इसलिए वो कुछ जबरदस्त गलतियां कर बैठता है
07:01पहली बात
07:04चूंकि वो खुद को नहीं जानता इसलिए वो ये भी नहीं जानता कि पैसा कमाना किसलिए है
07:11दूसरी बात
07:16इस जगत में भी
07:21जो उचित है वांचनिये है
07:25उसको अरजित करने के लिए
07:29जो बल चाहिए
07:32वो अध्यात्महीन मनुष्य में होता ही नहीं है
07:37तो वो अगर धन कमाना चाहे भी तो भी कमानी पता
07:40पहली बात
07:46वो जब कमाना चाहता है
07:49तो वो ये नहीं जानता कि कमाऊं क्यों
07:51मुर्ख की भात ही वो सोचता है कि पैसा कमाने से
07:57सुख तृपते संतोश मिल जाएगा
08:00पैसा ही जीवन का केंदर हो सकता है
08:02तो जो बोधहीन आदमी है
08:07उसे पहले तो ये नहीं पता है कि मैं कमा रहा हूं
08:13तो कमा क्यों रहा हूं और खर्च कर रहा हूं
08:15तो खर्च क्यों कर रहा हूं
08:16ये उसकी पहली समस्या होती है
08:27है और सच्चाई का और बोध का रास्ता विप्रीद दिशा में है तो उसको पहली समस्या यह आती है
08:37कि नहीं जानता कि क्यों कमाऊं कहां से कमाऊं कहां को खर्चूं और दूसरी जो और
08:50व्याव हर एक उसके सामने समस्या आती है वो यह कि वो कमाना चाहता भी है तो कमा नहीं पाता
08:57क्योंकि पैसा कमाना भी कोई हसी ठीठोली नहीं होता
09:11पैसा कमाने के लिए भी जगत में जान लगानी पड़ती है प्रतिसपरधा करनी पड़ती है
09:17थोड़ा खुन पसीना करना पड़ता है
09:23बुद्धियुक्ति लगानी पड़ती है
09:26पैसा ऐसे ही नहीं आ जाता
09:27ये जो आदमी है जिसकी जिन्दगी में आत्मग्यान नहीं
09:34उसकी जिन्दगी में बल भी नहीं होगा न
09:36तो अब ये चलेंगे भी कि इन्हें पैसा कमाना ये तो कमा नहीं पाएंगे
09:46ये जो भी काम करने निकलेंगे दुनियादारी का ये उस काम में भी असफ़ल हो जाएंगे
09:50इससे ये आशे मतलगा लेना कि इसका विपरीत जो है वो सत्ते है
09:58ये तरक शास्त्र का एक बहुत साधारन नियम होता है
10:02अगर कोई बात गलत है तो आवश्यक नहीं है कि उसका विपरीत सही हो
10:10तो अगर मैं कह रहा हूं कि जो बोधहीन आदमी है
10:16वो पैसा भी नहीं कमा पाता
10:20तो इसका मतलब ये नहीं है कि जिन्होंने पैसा कमा रखा है वो बोधवान है
10:23अईधर और इफ देन, अनली इफ इन बातों में अंतर करना में सीखना होगा
10:34इफ एक बात होती है और अनली इफ बिलकुल दूसरी बात होती है
10:39बात समझवारी है
10:42आप बिलकुल धेचू हो तो भी हो सकता है कि आपके पस पैसा हो
10:50बाप का पैसा हो सकता है
10:51संयोग का पैसा हो सकता है
10:53लौटरी का पैसा हो सकता है
10:55तो हम यह नहीं कह रहें कि जितने गदहे हैं वो सब गरीब ही होंगे
11:02कोई एकदम ही गधा आदमी भी दिखाई दे सकता है कि पैसे में खेल रहा है भई
11:11राजा के घर पैदा हो गए आप पैसे में खेल रहा है
11:13हम बात कर रहे हैं अर्जन की
11:21अपने पौरुश से अपनी करमठता से धन अर्जित करने की
11:27आत्मग्यान हीन व्यक्ति के लिए धन अर्जित करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है
11:36आसानी से उसको कोई ललचा देता है आसानी से कोई डिगा देता है आसानी से कोई डरा देता है
11:45आत्मग्यानी के लिए पैसा मजाख हो जाता है
12:02वो चाहेगा तो कमा लेगा
12:03वो चाहेगा तो उड़ा देगा
12:07उसकी मौझ की बात है
12:09हो सकता है कि
12:10जब बहुत इकठा हो जाए तो कैच्छी
12:12एक जटके में लात मार के
12:14सब को छोड़ छाड़ पर चल दे बोले चाहिए लिए कभी Нश्य चाहिए था
12:17बच्चों का खेल था
12:19हमने खेलोने ही कठा कर लिए
12:21खेलोनों से मन भर गया हमें नहीं चाहिए
12:23धन उसके जीवन का केंदर नहीं होता
12:26उसके लिए खेल की बात होती है
12:28खेलना होगा तो खेलेगा
12:33या जीवन में उसको कोई बड़ा उदेश दिखाई दे रहा होगा
12:37उसके लिए धन चाहिए होगा वो इक ट्ठा कर लेगा
12:40धन उसके लिए कोई व्यक्तिगत अनिवारता नहीं बनेगा
12:45जैसे खेल कोई अनिवारता नहीं होता
12:48और जैसे दुनिया के किसी बड़े सांसारिक मिशन में कोई व्यक्तिगत अनिवारता नहीं होती
12:55मिशन आपका दुनिया के लिए है आपकी कोई व्यक्तिगत विवश्चता वहां नहीं है
13:01कोई व्यक्तिगत कामना है आपकी
13:03आम संसारी अपने गलत दर्शन के कारण अपनी गलत फिलोसोफी के कारण
13:12दोनों तरीकों से मारा जाता है
13:20और वो जो मारा जाता है उसके केंदर में क्या है हमने कहा गलत दर्शन
13:24उसने शुरुआत ही ये सोच के करी है
13:27कि एक रास्ता दुनियादारी का होता है
13:30जिस पर सुख मिलते हैं, भोग मिलते हैं
13:32पैसा कमाऊंगा
13:33ये दुनिया का रास्ता है
13:37कि आम लोगों से पूछो तो वो ऐसे ही कहते है
13:39दुनिया का रास्ता है
13:43पैसा कमाएंगे उसके आद अच्छी पतनी ले आएंगे उसके आद गोलू-मुलू बच्चे होंगे और उसके बाद और रुपे आ जाएगा फिर गाड़ी हो जाएगी फिर घर हो जाएगा किता मज़ा आएगा और वो कहते हैं इसके विपरीत एक रास्ता है जो सन्यासियों
14:13मेरे पास मेरा फून नहीं है तो उसने भीहता तो उसके पास होगा कहां एक कोई पिताजी है वो अगदम दुखी होकर करके उन्होंने भेजाएगा उनको देखी नहीं रहा कि उनका दर्शन क्या है उनके वक्तव्यों में उनका दर्शन झलकाराया
14:32मैं उनके भाव की कद्र करता हूँ
14:37पर मैं उनके दर्शन की कद्र नहीं कर सकता
14:39and how can you be a good father
14:43if you are a bad philosopher
14:45है की delete delete कर दिये
14:49लंबा सा है पढ़े देता हूँ
15:02अचारे जी मेरा बेटा पिछले तीन-चार साल से आपको सुन रहा है
15:06शादी नहीं कर रहा
15:10और नौकरी वगेरा की तैयारी नहीं कर रहा
15:16लेकिन पूरा घर उसने किताबों से भर दिया है
15:19पढ़ाई में बहुत अच्छा है इतिहास में लब्भक 90 प्रतिशत उसके अभी अंकाएं है लेकिन नौकरी में रूचे नहीं दिखा रहा
15:32बस अपने जायसे उसने कुछ और पागल इकठा कर लिये है और ये दल अब गाओं गाओं घूम कर
15:41क्लाइमेट चेंज इत्यादी की बातें करता फिरता है और पेड़ पौधे प्रक्रत के नारे लगाता है
15:49एक पुराना बंद पड़ा सरकारी स्कूल इन लोगों ने अब पकड़ लिया है और इसी स्कूल में अभी अपने कारिकरम करते हैं
16:04लोगों को बुलाते हैं और उनको ग्यान देते हैं कहते हैं कि खूब किताबे पड़ो खूब शिक्षित बनो लिकिन नौकरी और शादी जीवन का मकसद नहीं है
16:17आगे लिख रहे हैं कि ताज्जूब की बात तो ये है कि उसकी इन पागलपन भरी बातों को सुनने के लिए अब दूर दूर से वैसे ही पागल भागे आने लगे हैं
16:34ये सारे लोग अब साथ बैठकर गीता, महाभारत, उपनिशद वगेरा किताबें पढ़ते हैं और दुनिया के अने पागलों को भी अपने जैसा बना रहे हैं
16:47आप मुझे बताईए कि ये उसका जीवन उत्थान को जा रहा है कि पतन को
16:54वाज़ों हारी बात
17:04गर्शन क्या बोल रहा है
17:07जो महोदय का दर्शन है क्या बोल रहा है यह दो अलग अलग रास्ते हैं
17:14एक रास्ता होता जिस पर
17:17अब अगर मुझे तीन-चार साल से सुन रहा है तो उसका एक नतीज़ा यह हुआ है कि 90 प्रतिशा तंक आये हैं उसके
17:28कि उसने इतनी नेत्रत औक्षमता विक्सित कर ली है कि वो पता नहीं कहां कहां घूम करके लोगों को समझा पा रहा है कन्विंस कर पा रहा है
17:42उसने इतना management acumen प्रबंधन कौशल विक्सित कर लिया है कि कोई सरकारी स्कूल बंद पड़ा था उसने उसको टेक ओवर कर लिया है और वो वहां पर अब अपनी activities करने लग गया है इन बातों से पिता जी को कोई खुशी नहीं हो रही है जबकि यह बहुत बिरली बाते हैं
18:12आम तो उसने पकड़ा हुआ है और जितने अव्यस्त वो रहता होगा उतना व्यस्त तो आम आदमी रहता भी नहीं है उसने नौकरी भी पकड़ी हुई है उसको यश्व भी मिल रहा है उसके पीछे लोग भी चल रहे हैं पर नौकरी में बात यह नहीं कि नौकरी होनी चाह
18:42नुनू, नुन्नी, ये सब कब क्यों नहीं पैदा हो रहे है।
18:46लड़का जा करके किसी इस तरी के शरीर में मूँ क्यों नहीं डाल रहा।
18:50बड़ी पीड़ा है पिताजी को।
18:56वो दुनिया का अभाग दूर कर रहा हो, इसका उन्हें कोई गौरव नहीं है।
19:02वो दुनिया में रौशनी ला रहा है, इस बात की कोई तारीफ नहीं हो रही।
19:08कहीं से कोई लड़की पकड़ करके उससे संभोग क्यों नहीं कर रहे, उसको गर्भ क्यों नहीं कर रहे, ये तकलीफ है।
19:18ये नहीं देख पा रहे हैं कि न वो नित्रत तो कर पाता न प्रबंधन कर पाता।
19:30और MA में 90 प्रतिशत आए हैं।
19:34साइंस नहीं है, मैथेमेटिक्स नहीं है।
19:37MA में 90 प्रतिशत लाना बहुत मुश्किल होता है, Arts में, Humanities में इतने नमबर नहीं आते।
19:44नहीं समझ पा रहे हैं कि अगर वो अध्यात्मिक नहीं होता तो इतने नमबर भी नहीं ला पाता।
19:51न इतना initiative दखा पाता जो वो भी कर पा रहा है।
19:54वो सब क्यों हो पा रहा है।
19:56ठीक उसी वजह से जिस वजह से नचिकेता यहां यामराज को कह रहे हैं कि देखिए
20:01अगर हमें आप मिल गए तो बाकी सब कुछ तो मिल जाएगा।
20:06बाकी सब कुछ हमारे लिए बहुत आसान हो जाएगा।
20:10हम आम आदमी नहीं रजाएंगे कि जिसके बास कामनाई भहुत होती हैं पर वो उन कामनाओं को पूरा करने की काबिलियत नहीं रखता।
20:17हमने कहा ना गरीब गरीब इसलिए नहीं होता कि उसने गरीब चुनी है।
20:21गरीब गरीब इसलिए होता है क्योंकि अमीर बनना तो चाहता है पर बिचारा बन नहीं पा रहा
20:25मौका मिले तो वो भी खट से अमीर बने लगाय कतार में पर बन नहीं पा रहा
20:31अध्यत्मिक अदमी अपनी अपूरित कामनाओं के कारण गरीब नहीं होता
20:39वो ये नहीं कहता, मुझे भी अमीर बनना था, पर अभी मेरा दाओ नहीं लग रहा, वो ये नहीं कहता कि, वो कौन सा गाना, अपना नंबर आएगा, अपना टाइम आएगा, वो ये नहीं कहता, अपना टाइम आएगा,
20:57दुनिया के अमीर गरीब सब एक है
21:03किसी की लह गई है
21:05किसी का पासा ठीक पड़ गया है
21:08किसी का ठीक नहीं पड़ा है
21:10हाँ जो अभी गरीब है वो अमीर को गाली देता है
21:13पर मौका मिले वो तुरंट अमीर खुद बन जाएगा
21:15जो गरीब है आज
21:16अध्यात्मिक आदमी दूसरा है
21:20वो इस फ्रेमवर्क से इस फिलोसोफिकल फ्रेमवर्क से बाहर का है
21:25उसने अपने केंद्र को समझा है
21:29उसने अपने केंद्र को समझा है
21:35और केंद्र को समझ के वो कह रहा है
21:40कि अध्यात्म के रास्ते पर ऐसा नहीं है
21:43कि दुनिया छोड़ देनी होती है
21:44कि धन छोड़ देना होता है
21:46मैं धन कमाना चाहूं
21:48तो मैं और बहतर कमा सकता हूं आज
21:50मैं कीर्ति कमाना चाहूं
21:55तो मैं और बहतर कमा सकता हूं आज
21:57पर मुझे समझ में आ गया है
21:59कि न धन मनुष्य का केंद्र हो सकता
22:01नकीर्ति मनुष्य का केंद्र हो सकती
22:04हाँ ये संसाधन हो सकते हैं
22:06किसी उच्चता रुद्देश के
22:08जिस दिन मैं इन संसाधनों का उपयोग करना चाहूंगा
22:10मैं कर डालूंगा
22:11पर इन चीजों के लिए जीऊंगा थोड़ी
22:14जीऊंगा थोड़ी
22:21मैं आपको एक पांच करोड की गाड़ी दे रहा हूँ साब
22:24और शर्त रख रहा हूँ
22:28कि उससे कभी उतरोगे नहीं
22:30अब बताओ
22:31किस-किस को चाहिए
22:36उतरने नहीं दूँगा
22:37दस साल, बीस साल उतरने नहीं दूँगा
22:39गाड़ी बहुत अच्छी है
22:41अगर संसाधन है
22:42पर गाड़ी ही केंद्र बन गई
22:47उसी में जी रहे हो, उसी में खा रहे हो
22:49हग मूत रहे हो, मर रहे हो
22:50किस-किस को चाहिए बताओ
22:53अध्यात्मिक आथमी के लिए
22:57उसको पता है कहां जाना है
23:00वो बैठता है, वहाँ पहुंचता है, उतर जाता है, गाड़ी को छोड़ देता है
23:03संसारी के लिए गाड़ी ही उद्देश है, अंत है, सेंटर है, एंड है
23:10गहता है इसी के लिए तो जी रहा हूं, उसी के लिए जी रहे हो तो फिर उतरना मत उससे कभी
23:15अब उसमें घुसर हो न उससे लाश ही निकलनी चाहिए तुमारी
23:20बात समझ में आ रही है
23:28तो जो दो समस्याएं हैं धन को लेकर
23:32अध्यत्मिक आदमी को दोनों में से कोई समस्या नहीं सताती
23:37पहली समस्या क्या है
23:38संसारी जानता ही नहीं
23:42कि क्यों कमाऊं कैसे कमाऊं और कहां खर्च करूं
23:47इनको आप अगर चाहो तो बाट की कह सकते हों
23:51कि यह तीन समस्या यह हैं
23:53मैंने तीनों को एक में कर दिया है
23:54पहली समस्या क्या आती है आम आदमी के साथ
23:57उसको पता ही नहीं कि क्यों कमा रहा हूं
24:00कहां से कमा रहा हूँ
24:02और जो कमा रहा है उसको
24:03खर्च कहां कर रहा हूँ
24:05अध्यात्मिक आदमी इस समस्या से बच जाता है
24:07वो भली भाते जानता है
24:09कि जीवन क्या है अता है कमाना क्यों है
24:11और जो और भारी
24:16समस्या आती है जुन्नू के साथ
24:18होके आती है कामनाई प्रबल है कमाना तो चाहता है पर कमाने निकलता है तो बहुत लाथ खाता है उससे कमाया भी नहीं जाता
24:25और जब कमाया नहीं जाता तो भागय को दोश देता है
24:32और जुन्नू कहता है देखो हम तो अच्छे आदमी हैं गरीब रहे गए तुम अच्छे आदमी नहीं तुम लीचड आदमी हो
24:40कोई तुमने जानबूज के पैसा छोड़ा था
24:44जीवन भर तुम पैसे पे लाट अपकाती रह गए
24:47लाना थे तुम पे कि इतनी लाट अपकाई तब भी कमा नहीं पाए
24:50ऐसा नहीं कि कमा लेते तो कोई स्वर्ग मिल जाता
24:54पर थोड़ा अपने पौरुश का तो प्रमान देते
24:58शिपरा मौले गाजेबाद में दस-पंदरा साल पहले की बात होगी
25:05मैं वहाँ गया था कुछ लेने के लिए साथ में कोई था
25:15तो वहाँ अंदर गए तो वहाँ पर कुछ खरीद रहे थे
25:20जो खरीद रहे थे वहाँ उसने उचे कुछ दाम लगाने की कोशिश की
25:28तो जो साथ में था उसने उनको बहाँ सो हैस करी और
25:35मामला था ठीक किया
25:37भाई साब चीज सत्रा सो की है और आप उसमें घुआ फिरा के साथ ताइस सो कर रहे हो
25:44वहाँ से बाहर आये पार्किंग में गए
25:50पार्किंग में जो खड़ा हुआ था
25:53उसने
25:57पर्ची दिखाई और बोला इसके आव इतने रुपए दे दीजे
26:01सो रुपए दे दीजे जो भी बोला
26:02फिर जो मेरे साथ गए थे
26:07संस्था से ही थे
26:08वही स्टेरिंग पर थे
26:10उनका अच्छा दिखाओ सो रुपए कहां
26:13तुसने ऐसे दिखाई देखो पर्ची पर 100 रुपए लिखा आया
26:15तो उनकी अच्छा दिखाओ तो पर्ची ली 100 रुपए तो 100 रुपए लिखाऊ था छे घंटे से
26:20ज्यादा पार्क करने पर
26:22उनकी एक अलग पर्ची थी 6 घंटे से आगी
26:25वो वाली परची ऐसे दूर से दिखा रहा था
26:27कहता सौर रूपे देओ
26:28उनने का हम तो अभी गए थे
26:31दो घंटा नहीं हुआ अगए
26:32तो खेर बोला हाँ नहीं नहीं कुछ
26:35नहीं कुछ नहीं आप पचास दे दीजे
26:36मैंने का तुम देख रहे हो
26:39कहने को ये गरीब आदमी है
26:43और कहने को जो अंदर था वो अमीर आदमी था
26:45कोई अंतर है दोनों में
26:47कोई अंतर है
26:50गरीब आदमी अपनी जगह पे तुम्हें
26:53लूटने की कोशिश कर रहा है अमीर आदमी अपनी जगह पे
26:55तुम्हें लूटने की कोशिश कर रहा है
26:56यही जिसको तुम आज गरीव आदमी कहते हो
26:59कल को इसको मौल के अंदर
27:01दुकान लेने का मौका मिल जाए
27:02तो यह मौल के अंदर दुकान लेके सबको लूटेगा
27:05यह भी बिल्कुल उसी
27:08Race में है
27:09जिस Race में सारे अमीर है
27:11बस ये पिषड़ा हुआ है
27:12Race में वही है
27:14कोई अलग इसकी दौर नहीं है
27:16कोई अलग दौर नहीं है
27:20हमें सानुबूती रखे
27:24हम इसको दर दर नरायन बोले
27:28बेचारा गरीब बोले
27:30बोले क्या
27:33इस से तो
27:36बस
27:36जुन्नू की मरियल
27:39हालत का पता चलता है
27:40कि कामनाएं बहुत है
27:42पर कमा नहीं पा रहा
27:44ऐसा थोड़ी कि उसने कामनाएं छोड़ दी है
27:46कामनाएं छोड़ दी है क्या
27:48कामनाएं बहुत है कमा नहीं पा रहा
27:54दोखा धड़ी से मिलेगा तो पकड़ लेगा
27:59गिरा हुआ मिलेगा तो उठा लेगा
28:05कामनाओं में कमी थोड़े ही है
28:07किसी भी उल्टे पुल्टे तरीके से भोगने को मिलेगा तो
28:15भोग ले कामनाओं में कमी थोड़े ही है
28:17अगर आप पाते होगी वो भोग नहीं रहा
28:20तो इसका मतलब क्या यह है कि उसके पास कामना नहीं है
28:22कामना पूरी है
28:23बस दम नहीं है
28:27ज़्यादा तर लोग जो हमें दिखाई देते हैं
28:30कि भोग नहीं रहे
28:31ऐसा नहीं कि इनके पास कामना नहीं है
28:33इनके पास दम नहीं है
28:35अध्यात्म दम देता है
28:38शक्ति का औरत तो कोई स्रोत होते ही नहीं है आत्मा के लावा नायम आत्मा बलहीनेन लब्यो इसलिए जो शक्ति से संबंध नहीं रख सकते उनका आत्मा से भी कोई संबंध नहीं हो सकता
28:55अध्यत में का अद्मी जुन्नों की तरह नहीं होता बिलकुल हो सकता है कि आप कोई ऐसा नजारा देखें मैं अभी बताऊंगा बर वैसा नजारा देखें तो भ्रहम में मत पढ़ियेगा क्या नजारा
29:10कि कहीं कोई बहुत बड़ी दावत चल रही है या कोई पंच सितारा होटेल है कुछ हो रहा है बहुत ऐसा कारोबार जिसमें रुपया पैसा बहुत लगता है
29:27उसके सामने से जुन्नू निकला और जुन्नू कह रहा है
29:29और उसी के सामने से
29:36कोई बुद्ध निकलता है
29:37अब वो भी नहीं देखता कि क्या चल रहा है
29:39आपकी आँखें आपसे कहेंगे
29:43कि एक ही
29:44बात घटी है
29:46एक ही बात नहीं घटी है
29:48बुद्ध भीतर इसलिए नहीं गये
29:52क्योंकि उन्हें जाना ही नहीं है
29:53जुन्नों भीतर इसलिए नहीं गया
29:55क्योंकि भीतर जाएगा तो लात पाएगा
29:57लेकिन बाहर बाहर से देखो कि तो ऐसा लगेगा
30:03जैसे दोनों ने ही
30:05पैसे की महफिल
30:07को अस्विकार करा है नहीं दोनों ने अस्विकार
30:09नहीं करा है
30:09जुन्नू का तो दिल जल रहा है ये सोच सोच के कि काश मैं भी बीतर जा पाता
30:16बुद्ध हैं जिनके पास सत्ते हैं इसलिए उपेक्छा है
30:21जुन्नू उपेक्छा थोड़ी कर रहा है
30:24हाँ वो दिखा सकता है सब अरे ये सब चोर है
30:29हाँ इनको ना दिनते
30:31जी हमें जाना ही नहीं तु जा सकता है
30:35तिरी आकात है तुझे घुसने देगा कोई
30:37पिशली बार तुने ऐसी ही कोई जुर्रत की थी
30:41तो वो जो खड़े रहते हैं लंबे लंबे मूच धारी
30:45क्या तो तु पीटा गया था
30:47और तब से यही बोलता है जी यह बेकार जगया में आ जाना ही नहीं है
30:51तुझे जाने देभी कौन रहा है
30:55तुझे जाने देभी कौन रहा है
30:59यह दो बहुत अलग-अलग बाते हैं
31:05मुझे जाना ही नहीं है और दूसरा मेरी आउकात नहीं है
31:08मुझे अपेक्षा नहीं है
31:15ये एक बात होती है
31:16मेरी आकात नहीं है
31:18ये बिलकुल दूसरी बात होती है
31:20ज्यादा तर लोग जो भोग में लिप्त नहीं दिखाई देते
31:24इनकी समस्या ये है कि इनकी आकात नहीं है
31:27जिस दिन इनको आकात हो गई
31:30उस दिन देखना ये कैसे तूट के
31:32खाएंगे
31:33उस दिन देखना
31:39एक बार मौका दे दो बस इनको
31:43ये सब जो सन्यासी त्यागी बने फिरते हैं
31:46मौका बस दे दो
31:50हरे जूता ही तो खरीद रहे हो बेटा
31:56पांचसो वाला भी वही है पांचसाजार वाला भी वही है
32:00पिताजी ऐसली बात ही है कि तुम्हारी जेब में नोट पांचसो का है बस
32:05जिस दिन पांचसाजार आ गए न उस दिन तुम अपना ये दर्शन जाड़ना बंद कर दोगे
32:11आज जो तुम ये बता रहे हो कि सादगी में ही सुख है
32:15वो सिर्फ इसले बता रहे हो कि तुम हबस पैसे नहीं है
32:18नहीं तो ये तुम भी बहुत अच्छे ज़ानते हो कि 500 का और 5000 का जूता एकी चीज नहीं होते
32:23और जो 5000 अलाग खरीद रहे हों मूर्ख नहीं है
32:26तो ये जो अपौरुश होता है
32:31बलहीनता होती है
32:32ये बहुतों का नैतिक दर्शन बन जाती है
32:36वो फिर बैठ जाएंगे कहेंगे
32:39जगत क्या है माया है
32:40कुछ नहीं है यहां जगत में
32:44हो सकता है कि तुमने सिध्धान्त
32:48का बिलकुल सही उच्चारण करा हो
32:52कि जगत माया है बिलकुल
32:54लेकिन तुमने गलत केंदर से कराया
32:56तुम जगत को माया बोल रहे हो बात सही हो सकती है
33:00लेकिन तुम इसलिए नहीं बोल रहे है कि तुमने जगत को माया जान लिया है
33:04तुम इसलिए बोल रहे हो
33:06कि तुमने जगत से बस लात पाई है
33:08ऐसे नहीं कि तुम्हारे भीतर से त्रिश्णा और मोह और वासना समाप्त हो गए है
33:15बस इतनी इसी बात है कि अभी तुम्हें भोगने को नहीं मिल रहा
33:18जब भोगने को नहीं मिलता तो अंगूर खट्टे है
33:20जगत माया है
33:22अभी कोई ला करके दे दे 50,000 की गड़ी
33:26तो वही माया फिर घर ले आओगे
33:33सारी की सारी क्या महराजी क्या इतना सारा आप ले के चले जा रहे हो
33:39दिखो बेटाओ तुम्हारे पाउं के नीचे माया मारना नहीं उसे मारना नहीं
33:42ऐसे ही है
33:43बैठा रहे है
33:46गुदूदी कर रहा है उठा लो पाउं उठा लो
33:50हैसी बेटाओ चला जाएगा
33:57आरी बात समूझे में
34:02जो चीज
34:03अपनी हैसियत की नहीं हुती है
34:06मुझे मालू है बहुत कड़े शब्दों का इस्तिमाल कर रहा हूँ
34:08मैं हौकात बोल रहा हूँ
34:09मैं हैसियत बोल रहा हूँ
34:11पर और में किस शब्द का इस्तिमाल करूँ
34:13भीतर कामना तुमारे बिलबिलाती रहती है
34:16और हमें इतनी भी मानदारी नहीं होती
34:18कि हम बोलें
34:20कि चाहिए तो
34:21पर हैसियत नहीं है
34:24हम कहते हैं नहीं चाहिए, माया है
34:26क्या रखा है 5000 के जूते में
34:30तुम नंगे पयार चलो
34:31धर्ती मा है
34:33कहुन सी डिगरी हासिल करेगे
34:41खुद को ही जुन्नू बनाने में
34:46और कुछ पढ़ा हो न पढ़ा हो लेकिन
34:48खुद कोई मूर्ख उनाने का सिध्धान खुब पढ़ा है
34:58अध्यात्म का रास्ता बिलकुल अलग है
35:01उसमें धन आदि सारे संसाधन समाहित है
35:07अरे जब दुनिया क्या है यही अध्यात्म बताता है
35:13जिन्दगी क्या है यही बात अध्यात्म बताता है
35:18तो दुनिया, जिन्दगी, दौलत ये सब अध्यात्म से बाहर की बात हो गए क्या, फिर पूछ रहा हूँ, संसार क्या है, ये कौन बताएगा, जीवन क्या है, कौन बताएगा, और दौलत क्या है, ये भी कौन बताएगा,
35:38तो ये सब के सब क्या हो गए, ये सब के सब सब सेट्स हो गए, किसके, ये सब सब सेट्स हैं, अध्यात्म के सब सेट्स हैं, दो अलग-अलग रास्ते नहीं हैं विपरीत,
35:55दुनिया के जितनी चीज़ें हैं वो अध्यात्म के यूनिवर्सल सेट का सबसेट हैं
36:02अंग्रेजी में बोल रहा हूँ हिंदी में बोलूँगा समुच्च है वगारा तो नहीं समझ में आएगा
36:08अध्यात्म क्या है ऐसे और ये सब चीज़ें रुपया पैसा
36:18जिन्दगी दौलत शोहरत संबंध लड़का लड़की ये सब उसके सबसेट से हैं
36:28जिसने अध्यात्म समझ लिया वो इन सब का राजा हो जाता है
36:32वो इन सब का राजा हो जाता है और राजा माने भोगता नहीं होता
36:37राजा माने शासक
36:39भोगना होग तो भोगेंगे
36:41नहीं भोगना होग तो नहीं भोगेंगे
36:45जुन्नू एक
36:48compulsive consumer है
36:51विवश भोगता है वो
36:54उसको अगर मिल गया तो उसे भोगना
36:57पड़ेगा
36:59अध्यात्मिक आद्मी कहता है
37:01मिला भी हो तो मर्जी होगी तो भोगेंगे
37:03नहीं मर्जी तो नहीं भोगेंगे
37:05अब मर्जी उसकी कैसी है
37:07उसकी मर्जी या बे मर्जी है
37:09माने निश्काम है
37:10उसकी मर्जी अपने लिए चलती नहीं
37:12आध्यात्मेक आदमी अपने लिए क्या मर्जी रखेगा
37:14तो स्वार्थ हो जाता है
37:16उसकी मर्जी अपने लिए है नहीं
37:18लेकिन अब उसकी चाहत में
37:20दम आजाता है
37:21संसारी की चाहत में कोई दमी नहीं होता है
37:24क्योंकि उसकी चाहतें सब बिखरी
37:26fragmented होती है
37:32फिर बहग गए जुनोला
37:33इधर को बह लिए
37:35कभी उधर को बह लिए, जैसे ये है संसारी आदमी, ऐसे मुड़ दूं तो इधर को बह गये, इधर को बह गये, हूसा मार दूं तो तूट गए, और गटक लूं तो भीतर आ गए, ये है संसारी आदमी, इसका अपना कुछ नहीं है, जो solid हो, crystallized हो, इसलिए इसकी कामना में द
38:05गांड भी एक तरफ हो जाए, तो निशकामना को नहीं रोक सकता, निशकामना में ये जान होती है, और कामना, कामना जुन्नों के मुँगी तरह होती है, सुखी हुई, भैया भैया, यंगूर चाहिए, हाँ लेलो, 400 रुपए किलो है, नए भाया नए चाहिए, क्यों, क्या
38:35ये संसारी कामना है, इसमें दम नहीं होता है, भैया भैया पैसे घमाने है, ठीक है, एक्जाम क्लियर कर लो, उसमें जो मेहनत करनी है, वो करी नहीं जा रही, सुख गई कामना, दम ही नहीं है कामना में,
38:54निश कामना को ही लिखो, ब्रह्मचर्य बोलते हैं, ब्रह्मचर्य का अर्थ होता है, अपने आपको पूरी तरह बचा कर रखना, उसका अर्थ है नहीं, अपने आपको औरत से बचा कर रखना, अपने आपको संसार से बचा कर रखना,
39:15ब्रहमचरे का मतलब होता है कि फिर तुम्हारी दृष्टी गांधारी की आँख की तरह हो जाएगी
39:23वो आँख जिसने जिन्दगी में कुछ देखा ही नहीं
39:26देखना माने मांगना कि मैं उस तरफ देख रहा हूँ
39:28इधर देख रहा हूँ ललग ललग के देख रहा हूँ
39:30कुछ देखा ही नहीं तो फिर जो एक चीज
39:32फिर मांगी जाती है उसे कोई
39:34नहीं रोक सकता है
39:35जब तुम कुछ नहीं मांगते
39:38तब फिर जब तुम
39:42मांगते हो
39:43तो मांगी हुई चीज मिलती है
39:45तुम जो कुछ मांगते हो
39:48तुम्हें इसलिए नहीं मिलते होगी
39:49तुम दिन में सौ बिखरी हुई चीजे मांगते हो
39:50तुम्हें क्या क्या दे
39:51भया मुम फली दे दो
39:55नहीं भया अच्छा वो आली दे दो
40:01जाओ कहीं पर देखो
40:03बड़ी दुकान में
40:05भया ये वाला देना
40:06आचा नहीं भया इसकी जगए वाला देना
40:08भया इसके एक की जगए दो दे दो
40:10वो भया भी लग जाता है
40:15तुम तीन ले लो तीन के साथ एक मुफ्त
40:17तुम्हें कुछ पता भी है तुम्हें क्या चाहिए
40:22हर समय कुछ ना कुछ चाहते रहते हैं उल्टा पुल्टा
40:24कुछ पता है क्या चाहिए
40:27चलो एक प्रयोक करते हैं
40:30सब अच्छी उमर के लोग हो
40:33बताओ 20 साल पहले क्या चाहते थे
40:35लिखो
40:38तीन चार चीज़े लिख लो जो 20 साल पहले चाहा करते थे
40:42और बता उसमें से कोई चीज़ बची है जो आज भी चाहते हो
40:45इन चाहतों में कोई दम है
40:50कोई दम है
40:52जैसे आते जाते मौसम
40:56जैसे सुबह की ओस की बूंद
41:00अभी है अभी नहीं है लेकिन जब
41:02चाहत होती है तब बिलकुल उबले जाते हो
41:04हाई हाई मिल ही जाए
41:06मिल ही जाए
41:11तो अभी थोड़ी देर में ठंडे पढ़ गाई
41:16किसी और दिशा में भग लिए
41:17जैसे बंदर
41:18देखा है कैसे करते हैं
41:21केला दिखाओ लपक के आया
41:22जितनी देर में तुमने दिखाया तब तक कोई और पर अटक था
41:26उसने केला दिखा दिया जहां पर ये सब ही कठे होते हैं
41:28बंदर पर अटक सब
41:29तो पता नहीं चलता पर अटक कौन है बंदर कौन है
41:32तो इधर से तुमने केला दिखाया और लपक के तुम्हारी हो रहाएगा तुछ थोड़ी देर में उधर को भग जाएगा बताओ तुझे कहा जाना तुझे कहीं भी नहीं जाना
41:40यह हमारी कामना यह है वो कहीं को भी नहीं जा रही होती
41:43इसलिए वो सब कुल मिला करके शूनने हो जाती है
41:47everything cancels itself out
41:51जो निश्कामी है वही ब्रहमचारी है ब्रहमचार रहमाने nofap नहीं होता
42:00जटका लग गया हम तो साल भर से लगे थे उबल के मर जाओगे
42:07ब्रहमचार माने निश्कामता
42:14और यह जो ब्रहमचार में तुम लोग बूंद बूंद की बाते करते रहते हो न
42:19nofap में कि conserve the drop वो सीमन की drop नहीं होती
42:23वहाँ बूंद से आशाय आत्मा होता है
42:25बूंद माने उसका जो
42:28मूल शब्द है वो है बिंदू
42:32जहां से बूंद आया है
42:34और बिंदू माने वो जो है
42:36पर स्पेस में नहीं है
42:39जैसे स्पेस में point कहीं नहीं होता
42:41मैं आप से कहा हूँ
42:43स्पेस में point दिखाईए
42:44आप उसका वर्णन तो कर सकते हो
42:46coordinates बता सकते हो
42:47पर क्या दिखा सकते हो point
42:49तो आत्मा वैसे ही होती है
42:52और point कहा होता है स्पेस में
42:59हर जगा होता है
43:01पर कहा होता है कहीं भी नहीं होता है
43:03स्पेस में कोई जगा बता दो
43:04जहां बिंदू ना हो
43:05और स्पेस में कोई जगा बता दो जहां बिंदू हो
43:08और अगर दिखा सकते तो दिखा दो कहा है बिंदू
43:11आत्मा बिंदू है
43:13इसको इन लोगों ने बना लिया बिंदू माने बूंद और बूंद माने वीरे की बूंद
43:17वारे सेक्स आपसेज्ड माइंड
43:18आत्मा को वीरे बना दिया
43:22अब रहमचर्य का संबंध वीरे से जोड दिया
43:24पर रहमचर्य का वीरे से क्या लेना देना
43:28मैं नहीं कह रहा वीरे बहाओ
43:30पर जो चीज जैसी है उसको समझो
43:35सिधाacious को विक्रत्मत करो
43:37जो कुछ नहीं मांगता
43:41वो जब मांगता है तो उसको मिलता है
43:44फिर यह मराज भी इंकार नहीं कर सकते
43:48मृत्यू भी इंकार नहीं कर सकते
43:49मने मृत्यू का डर भी उसे डिगा नहीं सकता
43:53उसकी कामना पूरी हो कर रहेगी
43:54क्योंकि उसने कभी और कुछ मांगा ही नहीं
43:57यही निश्कामना है
44:01हमें इसलिए नहीं मिलता
44:04क्योंकि हमें मांगने की तमीज नहीं है
44:06हमें इसलिए नहीं मिलता
44:07क्योंकि हम एक ही सास में
44:10कहते हैं कि
44:15मुंफली दे दो फिर कहते हैं मुक्ती दे दो
44:18हमें इसलिए नहीं मिलता है
44:19क्योंकि हमारे लिए मुंफली और मुक्ती एक ही तल की चीज़ है
44:22सब मांगना छोड़ के फिर मांगो फिर देखो कि मिलता है कि नहीं मिलता
44:31लेकिन जो सब मांगना छोड़ देगा वो कुछ भी क्यों मांगेगा वो तो निश्काम हो गया
44:38तो मांगेगा क्यों उसको फिर कहा जाता है कि उसने नहीं मांगा
44:44उसके माध्यम से शुभता ने मांगा है
44:49वो तो निश्काम हो गया अपने लिए तो मिट गया वो क्या मांगेगा
44:53अब अगर वो मांग रहा है
44:56तो समश्टी के लिए मांग रहा है
45:00समश्टी से मांग रहा और समश्टी के लिए ही मांग रहा है
45:05समझती कैसे मना कर देगी
45:06कोई अपने लिए मांगे
45:08तो उसको इंकार किया जा सकता है
45:10कोई तुमसे मांग के कह रहा है
45:11तुम मुझे दो और मैं तुम्हें दे दूँगा वापस
45:14तो तुम उसे क्या बोलके इंकार करोगे
45:16उसको कोई ने इंकार कर सकता
45:19उसकी मांग में बड़ा प्राबल्ले होता है
45:25बहुत जान होती है उसकी मांग में
45:29जिसको आत्मा मिल जाती है
45:36वो चाहेगा तो अपनी जितनी सांसारी कामनाई होंगी
45:43सब पूरी कर लेगा
45:44मज़़दार बात यह है कि वो अब जान चुका है कि वो कौन है
45:48इसलिए उसको विर्थ की सांसारिक कामना रहती ही नहीं है
45:52कितनी गजब बात है यह
45:59जो कामना पूरी करने का दम नहीं रखता
46:02उसको सौ कामना रहती है
46:04और जो जब चाहे अपनी सारी कामना पूरी कर सकता है
46:09उसे कोई कामना रहती ही नहीं
46:11है यह क्या हो गया
46:18जुन्नू के पास दिल नहीं है
46:21उसका दिल दरिया है
46:23और बूंद बूंद में क्या बह रही है
46:26कामना
46:28कोई दिन न हो जब
46:30400 उसको
46:31बड़े बयाबरू होके
46:39तिरे कूचे से हम निकले
46:41बहुत निकले मेरे अर्मा
46:42फिर भी कम निकले ये जुन्नू हमारा
46:48बयाबरू होता रहता है
46:49पर आर्मानों का दरिया भहता ही रहता है
46:51पूरब में कहते हैं
46:56लाद खाई थैं लजाई इतना ही
46:57ये कामियों के लिए होता है
47:01यो कामना के दर्वाजे पर जाते हैं
47:04फिर लाद खाते हैं
47:05फिर दुबारा लाद खाते हैं
47:0612 लाज उनको लेकिन नहीं आती
47:09प्रिशी भरत्रहरी
47:12कुत्ते का उदारण लेते हैं
47:15मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि
47:16सारे आरोप मेरे उपर ही ना आए
47:18कि बहुत बेजज़त कर रहें आज
47:20तो मैं क्या बेज़्ज़त ही करूँगा
47:24जो भरत्रहरी ने करी है
47:36वो भी कुतिया के पीछे-पीछे भागता रहता है
47:38एक कामना सचमुष दुश्पूर है
47:42जिसकी पूरी हो नहीं सकती
47:49कुतिया पगलाई है उसको भाव देगी
47:52और एक से एक कुत्ते हैं
47:55कहीं डॉबर मैन हैं कहीं लेब्रेडोर है
47:57किसी की सरकारी नौकरी लगी हुई है
48:02पुतिया उनके पास जाएगी न
48:07कि इस
48:10खुजली वाले
48:13इसके पास आएगी
48:16दम नहीं है पर कामना पूरी है
48:22और अदभूत बात यह कि जब दम आ जाता है
48:28तो कामना रहनी जाती
48:30माने जिसको पाओ कि कामना के पीछे मरा जा रहा है
48:35यह आदमी वही है जो बहुत कमजोर है
48:36इस दो तरह से मरा जाएगा
48:42पहली बात अपनी जीवन उर्जा कामना में वेर्थ कर रहा
48:44दूसरी बात जो कामना है
48:46वो पूरी भी नहीं हो रही
48:48पैसा कमाना तो है पर कमा भी नहीं पा रहा
48:52इतना मुझे उत्तेजित कर देते हैं आप लोग
48:58मेरे साथ जो भी कांड होगा ना वो सब आप ही के मत्थे जाने वाला है
49:03मुझे बोला गया है फुसफुसा के बोलो
49:07अगर गला बचाना है जंदगी बचानी है
49:09तो ऐसे इसे बोलो
49:10और आप लोग अपनी भोली-वाली शकलें और मासूम आखें ले करके
49:15ऐसे-ऐसे मुंडी हिला हिला करके
49:18हाँ अचारे जी और बोलो
49:19पता ही नहीं चलता आवाज कब उठ जाती है
49:23अध्यात्म और धन का रास्ता अलग-अलग नहीं है
49:33अध्यात्म दो तरीके से लाभ देता है
49:38पहला वो बताता है कि जीवन में धन क्यों होना चाहिए
49:44यद होना चाहिए तो क्यों होना चाहिए
49:48पहला ये अध्यात्म तमीज देता है
49:51जिन्दगी में पैसा हो तो किस लिये हो
49:55ये तमीज अध्यात्म से मिलती है
49:56और दूसरी बात एक बार ये तमीज मिल गई
49:59कि इतना पैसा चाहिए
50:01तो अध्यात्म ताकत देता है कि अब जाके वो पैसा कमावी लो
50:04आत्मग्यानी वो नहीं है
50:09जो पैसा नहीं कमाता
50:12वो मौडल गलत है
50:13वो मौडल बेकार है
50:14कौन सा मौडल
50:16यह जो divergence है
50:18कि एक रास्ता है संसार का और एक रास्ता है सन्यास का
50:21यह मौडल गलत है
50:22अध्यात्म के रास्ते पर
50:27समझ में आ जाता है कि
50:28अगर पैसा हो तो क्यों हो
50:31व्यरत की कामनाओं के लिए
50:32मुझे पैसा नहीं चाहिए
50:34ये पहली बात समझ में आ जाती है
50:37और दूसरी बात क्या होती है
50:38अब जब मैं जान गया हूँ कि
50:40पैसा हो
50:41तो कमा के दिखाऊंगा
50:45सही कामनाओं मेरी और मेरी
50:48इस कामनों कोई रोक नहीं सकता
50:50हाल तू काम के लिए थोड़ी कमा रहा हूं
50:54गुलगप्पे आलो नो थोड़ी मुझे रिजा लिया है
51:00आओ आओ चटकारे लगाओ
51:03इसके लिए थोड़ी कमा रहा हूं
51:05अरे मैं जान गया हूं मैं कौन हूं
51:06मेरे जीने का मकसद क्या है
51:08इसलिए कमा रहा हूँ
51:12मेरे मकसद के लिए मुझे संसाधन चाहिए
51:14इसलिए मुझे कमाना है
51:15और अब कोई रोक के दिखाए
51:17आत्मग्यानी को
51:22मृत्य भी नहीं रोक सकती
51:24समझ मैं आ रही यह बात
51:28देख लो कि
51:32क्या चाहने लायक है
51:33और अगर कुछ मिल गया
51:36जो चाहने लायक है तो 100 चीज़ें
51:38और चाहनी छोड़ दो ना
51:45यही तो अسलिचीटिंग है ना
51:47जिसे बलते हैं चीटिंग चीटिंग
51:48चीटिंग यह नहीं होती
51:50कि धनिया को छोड़ कर के
51:53कोई नया चरित्र बताओ
51:55बताओ
51:59जुन्नु बेवफाई निकला धनिया को छोड़के
52:01कही गया मुँ मारने, कहां गया नाम बताओ
52:03जल्दी बताओ
52:04हाँ
52:05हल्दी
52:07पुदीना
52:10ये एच्छा लगा
52:12तो ये नहीं बेवफाई होती कि
52:15जुन्नू धनिया छोड़के पुदीना के या भाग गया है
52:18ये कुछ नहीं है
52:21बेवफाई यही होती है
52:23जो उच्चतम है उसको छोड़ करके
52:27सौ और जगे मुँ मार रहे हो
52:28एक लक्ष होना चाहिए
52:34बाकी बातें सब फिजूल
52:36और वो एक लक्ष क्या होना चाहिए
52:38ये उपनिशद बता देंगे
52:40उसी के लिए गीता है
52:41एक चीज पकड़ो बाकी सब छोड़ दिया
52:45ठीक है न?
52:48एक साधे
52:49सब साधे
52:51सौ के पीछे भागोगे
52:54सौ की सौ जगा मात खाओगे
52:56रक्षा करो अपनी उर्जा की
53:00बोलना नहीं
53:02निश्कामना ही ब्रहमचर्य है
53:03जा करके
53:10कृष्णों से कवीरों से
53:12पूछो जीवन में क्या है पाने लायक
53:14ये पहली बात है
53:16ये पहला कदम है
53:18उनके पास बैठ जाओ
53:21उनके पैरों पर बैठ जाओ
53:23और बहुत ध्यान से समझो
53:26कि जिन्दगी किस लिए है
53:28और यहां क्या पाने लायक है
53:30और जैसे समझ में आने लगे
53:32सिर्फ
53:33जो पाने लायक है उस पर एक आग्रह हो जाओ
53:36बाखी बातों को
53:38मन से एकदम हटा दो
53:39आरी बात समझ में
53:41छितराया जीवन
53:43नहीं जीना है
53:45थाली का बैंगन
53:56झाली का बातों को
Be the first to comment
Add your comment

Recommended