00:00विक्रम विक्रम बेताल की अंतिम कहानी पच्चीसवी कथा
00:15राजा धर्मशिला और योगी
00:17जब राजा विक्रम अदित्य वेताल को बार बार पकड़ कर ले जाते
00:22और वो हर बार कहानी सुना कर पहेली पूच कर पेड़ पर लोट जाता
00:26तब अंत्मे बेताल ने एक विशेश और अंतिम कथा सुनाने शुरू की
00:31कहानी एक बार धर्मशिला नाम का अत्यंत न्याय प्रिय और धर्म परायन राजा था
00:37उसके राज्य में सभी लोग सुखी थे
00:39एक दिन उसके दर्बार में एक योगी आया
00:43वो योगी अपने तेज और तपस्या के कारण पड़ा प्रसिद्ध था
00:46योगी ने राजा से कहा
00:48राजन यदि आप मेरा साथ दे तो मैं आपको एक ऐसा महान वर्दान दूँगा
00:54जिससे आप अमरत्व प्राप्त कर सकते हैं
00:57राजा धर्मशिला को योगी की बात सुनकर संदे हुआ
01:01लेकिन जिग्यासा से वो योगी के साथ चल पड़ा
01:04योगी उसे एक गहरे वन में ले गया
01:07वहाँ एक गुप्त स्थल में पहुँचकर योगी ने कहा
01:11राजन यहाँ एक यग्य होगा
01:14यदि आप बिना बोले शांत खड़े रहेंगे
01:17तो मैं आपके लिए अमरत्व का रहस से प्राप्त कर लूँगा
01:21परन्तु योगी की आँखों में कोई अन्होनी चमक रही थी
01:24लगता था कि उसका उद्देश कुछ और है
01:28फिर बेताल ने विक्रम से पूछा
01:30विक्रम यदि तुम इस थिती में होते
01:34एक धर्मी राजा, एक संदिक धियोगी और अमरत्व का प्रलोभन
01:39तो तुम क्या करते
01:40क्या राजा को योगी का साथ देना चाहिए था
01:43या धोखे का सामना करने का उपाय करना चाहिए था
01:46विक्रम का उत्तर
01:48विक्रम ने कहा, बेताल, योगी का उद्देश अमरत तो दिलाना नहीं था, वो राजा की बली देकर अपने शक्ति बढाना चाहता था
01:58अतर, राजा धर्मशिला को चाहिए था कि वो अपने बुद्धी से काम ले और योगी के छड़ को पहचान कर उसका सामना करे
02:06धर्म बिना विवेक के अधर्म बन जाता है, ये उत्तर सुनकर बेताल हस पड़ा और बोला, विक्रम तुमने पहली का सभी समाधान कर दिया, इसलिए मुझे फिर उड़ जाना होगा
02:20लेकिन ये हमारी आखरी परिक्षा थी, अंतिम रहस्य बेताल ने विक्रम को बताया
02:25जिस योगी से तुम मुझे ले जाना चाह रहे थे, वो तुम्हे भी उसी राजा की तरह बली चड़ाना चाहता था
02:32और यही कारण था कि मैं तुम्हें हर बार रोकता रहा, अब तुम्हें अपनी बुद्धी, धैर्य और धर्म का प्रमार दे दिया है, इसलिए मैं अब तुम्हारे साथ चलूँगा और तुम्हारी सहायता करूँगा
02:45इस प्रकार विक्रम ने बेताल की अंतिम परिक्षा भी उत्तियन की और बेताल ने सदय उसका साथ निभाया
02:52कहानी का सार, धर्म के साथ विवेक और सतर्कता आवश्यक है, हर चमकती चीज सोना नहीं होती
03:00प्रलोवन में छिपा धोका समझना भी बुद्धिमानी है, सच्चा धर्म वही है जो छल कपट को पहचान कर न्याय करे
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