00:03आज मैं तुम्हें धन का एक ऐसा रहिस्य बताने जा रहा हूँ
00:07जो मैंने अपने जीवन की अगनी में जल कर सीखा है
00:11लोग कहते हैं कि धन केवल परिश्रम से आता है
00:14परन्तु ये अधूरा सत्य है
00:17परिश्रम तो हर कोई करता है
00:19किसान खेत में दिन रात मेहनत करता है
00:22श्रम एक पत्थर तोड़ता है
00:24साधूत तप करता है
00:26परन्तु क्या सभी को धन मिलता है
00:28नहीं
00:29हे मित्र
00:30क्योंकि धन केवल श्रम का परिणाम नहीं
00:34बलकि चतुराई समय और अवसर की पहचान का फल है। धन एक प्रवा है। हे दुर्योधन और ये प्रवा उस दिशा में बहता है जहां बुद्धी उसे मोर देती है।
00:46जो केवल मेहनत करता है वो जल की तरब भूमी में समा जाता है। परंतु जो चालाकी से रास्ता बनाता है वही नदी वनकर आगे बढ़ता है।
01:16क्योंकि मैंने अपने श्रम को अवसर से नहीं जोड़ा, मैंने हर बार ये सोचा कि सत्य और निष्टा ही परियाप्त है, परंतु इस संसार में सत्य अकेले कुछ नहीं कर सकता, जब तक ओस समय और बुद्धी के संग ना हो, धन को आकरशित करने के लिए केवल श्रम नहीं, �
01:46केवल सत्य नहीं, बलकि चाल भी दिखाई, चोकि धर्म बिना नीती अधूरा है, और धन भी उसी धर्म का हिस्सा है, जो व्यक्ति नीती के बिना परिश्रम करता है, वो जीवन भर श्रमिक बना रहता है, परंतु जो व्यक्ति नीती और चतुराई से काम करता है, वही रा�
02:16जब अवसर सामने हो तब निर्णे में देरी करना सबसे बड़ा अपराध है।
02:46धन मुर्खों को नहीं, बुद्धिमानों को पसंद करता है। इसलिए मैं कहता हूँ धन का आकर्षन इमानदारी या परिश्रम से नहीं बलकि नीती और विवेक से होता है। ये जानो है मित्र कि परिश्रम आवश्यक है परन्तु परिश्रम के साथ चालाकी ही उसे फल देती
03:16और अर्जुन के बार्ण नहीं कर सकते थे, यही जीवन का सत्य है। हे दुरियोधन, बल और परिश्रम तुम्हें युद्ध भूमी में खड़ा रख सकते हैं, परन्तु जीत हमेशा बुद्धी की होती है। धन भी ऐसा ही युद्ध है, इसमें विजेता वही होता है जो स
03:46चाहिए, विवेख होना चाहिए और समय की पहचान होनी चाहिए। जैसे खेत में बीज बोना ही परियाप्त नहीं, उसे सही मौसम, सही सिचाई और सही देगभाल भी चाहिए। वैसे ही जीवन में केवल महनत नहीं, बलकि दिशा भी जरूरी है। जोकि बिना दिशा का प
04:16धन उस व्यक्ति की ओर जाता है, जो उसे बुलाने की कला जानता है। और ये कला क्या है? समय पर निरने लेना, लोगों की प्रवर्ति को समझना और आउसर को पकड़ लेना, यही धन प्राप्ति का रहस्य है। भगवान भी उसी की सहायता करते हैं, जो स्वयम अपने आउ
04:46उसके पास धन लोट कराता है। परंतु जो केवल परिश्रम करता है और परिणाम की चिंता नहीं करता, उसके पास धन ठैरता नहीं। क्योंकि धन स्थिर नहीं है, वो गती चाहता है, साहस चाहता है और विवेक चाहता है। जो उसे बांधने की कोशिश करता है, वो उससे
05:16का सही मार्ग, सिर्फ परिश्रम नहीं, बलकि आउसर की पहचान, सिर्फ इमानदारी नहीं, बलकि व्यवहार की समझ, जो व्यक्ति ये संतुलन साथ लेता है, वही इस संसार में ना केवल धनवान होता है, बलकि सम्मानित भी होता है, देखो मैं स्वयम जानता हूँ कि मैं प
05:46जब विवेका हीन हो जाती है,
05:48तो वो आत्मविनाश का कारण बनती है।
05:51इसलिए हे मित्र, यदि तुम संब्रिद्ध होना चाहते हो,
05:54तो केवल कर्मवीर नहीं, बुद्धिमान भी बनो,
05:58क्योंकि धन उस योध्धा का नहीं होता जो सबसे अधिक लड़ता है,
06:01बलकि उसका होता है जो सही क्षण पर प्रहार करता है।
06:06हे दुरियोधन, याद रखो, परिश्रम नीम है, परंतु चतुराई भवन है।
06:12केवल नीव से महल नहीं बनता, और केवल योजनाव से भूमी नहीं टिकता।
06:16दोनों का संग ही जीवन को सम्रद्ध बनाता है, इसलिए कर्म करो परंतु नीती के साथ, सपने देखो परंतु बुद्धी के साथ, और धन कमाओ परंतु विवेक के साथ, तभी तुम ना केवल राजा कहलाओगे, बलकि इतिहास तुम्हें सफल भी मानेगा।
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