00:00हर तरब गुंज रहा था अंग्रेज समझ गए थे कि बंगाल की धर्ती से निकला बंकिम दा का ये भाव सुत्र
00:14अच्छा आपकी बावनाओं के लिए मैं आदर करता हूँ बंकिम बावू ने बंकिम बावू ने थेंक यू दादा थेंक यू आपको तो दादा कह सकता हूँ ना उसमें भी आपको इतराज हो जाएगा
00:44परिवर्तन ने कहा जिए उनने आरेस का मुक्षमनती बदल कर वीजेवी के डायरेक्ट मुक्षमनती हो वह बी आच्छा लेकिन आरेस का मुक्षमनती होता नहीं आरेस को राजनीती में है और वह प्रतान मंत्र जास्ट बजित तक बने हैं इसमें कोई सब्सक्राइए लि�
01:14आप अपने शमाज के लोगों को तयार के दिये मुह में बुलेंगे बाहर और जाके अंदर सेटिंग करेंगे ऐसा नहीं करें अभी तक दो कोटी रुपाय उट एकाउंट में और ना पईला कैश नहीं नहीं मुश्यदवाद के लोग वी चाहते मस्जिद हो देश में बह�
01:44यह देश के संस्कृति का परंपरा अस्मिता का खिलाब है तो तो बंगला में किसी को शम्मान देने के लिए पड़े लोगों को दा बोला जाता है
02:09इसको इसको इसको शिपनाना है
02:16तो इसलिए इससं नहीं बनाना है
02:38बोलते हैं तो यह तो दा तो बोलना जो गाली नहीं नहीं है प्रणफ दीदी बोलते हैं तो इसलिए उन्हें इसको यूच किया है
02:55नाया साल आ रहा है चुनौफ का महल बर रहा है मुख्वूंती अंगल के कोने कोने पे जा रहा है भी इसा नहीं है और वही नेता लोग ने पार्टी को यहां खड़ा करके मुख्व बिरदी दल बनाया है
Be the first to comment