00:00अगर जीवन में दुख ज्यादे है मतलब हंकार बढ़ा है
00:04अगर जीवन में दुख कम है मतलब हंकार चोटा तो क्या हम सही समझ रहे हैं
00:08ठीक कहा रहे हैं
00:10लेकिन दुख नहीं है ये चीज भी कई बार भिहोशीगी हो सकती है
00:16आप बिल्कुल ही जड़ पढ़ जाएए तो भी दुख कानवह नहीं होगा ना
00:20दुख ज्यादा है दुख ज्यादा है इसमें भी इसाथ में एक कैवियेट लगा हुआ है
00:28वो यह है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पहले जड़ थे तो दुख पता नहीं चलता था
00:33और अब कुछ चेतना आ रही है इसलिए दुख पता चलना शुरू हुआ है जहें कोई बिहोश हो तो उसको दर्द नहीं पता चलेगा उसकी बिहोशी तूटे तो उससे दर्द पता चलना शुरू होगा तो हम यह नहीं कह सकते कि अब उसका हंकार बढ़ रहा है उसका हंका
01:03आप करने अपने पास माइटका हूँगी, मैंने सब कुछ किया मैं जा पाया हूँशी
01:07फायदा क्या है यूटिलिटी बताओ
01:09अपने पास मे आटक तोटाहूं उदर माने
01:12मज़ा क्या मिल रहा है
01:13कुछ नहीं दुक हमें ही आ रहा हूँ
01:15हाँ, तो फिर बात खतम हो गई यहीं पर ना, जो चीज तुमारे काम की नहीं उसको पकड़के बैठो, तो फिर कोई छुपा हुआ उसमें से मजा ले रहे हो गए
01:23जो चीज मेरे काम की नहीं, मैं उसे क्यों पकड़के बैठोंगा?
01:29जो सपना बच्पन से था वो भी होगा वो सपना पकड़के बैठने ते पूरा हो जाएगा क्या? तो आगे भी जो हो सकता है वो भी नहीं होगा ना, बात यूटिलिटी की है, लाभ की है, किसी चीज को पकड़कर बैठे हो उसमें लाभ बताओ ना, यह नहीं है कि सही गलत औ
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