00:00वंदे मातरम गीत की आत्मा में भारतिय संस्कृती की अध्याक्मिक प्रतीक भारत मां
00:08मगर प्रशन उठता है बहुत सी जनम भूमी अपनी जनम भूमी को पिता कहते हैं
00:15बहुत से मुल्क कोई बंदू कहते हैं कोई भाई कहते हैं बहन कहते हैं
00:19मगर मा, मा ही क्यों, भारत मा मा ही क्यों, क्योंकि मा जननी है, मा पालनहारी है, भारत की संस्कृती में, मा ही करुणा मही है, मा ही है, जो चाहती है उसकी हर संतान, फले, फूले, खुश रहे, हर संतान को वर्दान मिले, हर संतान के प्रती करुणा हो, जैसे की इस गीत के आग
00:49जिसके लिए हर संतान बराबर है राजनाज सिंग जी ने कहा कि मा के भारत मा के लिए जणगनमन और वंदे मातरम बराबर है मगर माई है जिसके लिए हर संतान बराबर है संतान संतान में भेज नहीं हो सकता चाहे वो संतान किसी धर्म की है चाहे वो किसी जाती की है किसी भा�
01:19प्यार से रहें, महब्बत से रहें, आपस में संतान में लडाई ना हो जगडा ना हो.
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