संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम को लेकर असदुद्दीन ओवैसी और संबित पात्रा के बीच तीखी बहस देखने को मिली। दोनों नेताओं ने अपने-अपने पक्ष रखते हुए जोरदार तर्क दिए, जिससे सदन का माहौल गर्म हो गया। इस वीडियो में पूरी बहस, दोनों ओर की प्रतिक्रियाएँ और संसद में उठा मुद्दा विस्तार से दिखाया गया है। जानिए कैसे शुरू हुई यह बहस और इसका क्या असर पड़ा। संसद की महत्वपूर्ण बहसें, बड़े बयान और राजनीतिक अपडेट्स देखने के लिए वीडियो पूरा देखें।
00:0042 में आपके प्यारे वीर और जिना की पार्टी ने नॉर्थ वेस्ट फंटियर सेंद और बंगॉल में मिलकर हुकूमत चलाई
00:10किसी खुदा डेवी देवता की बादत करने पर या सर्दा करने पर मज़ूर क्यादा सकता है
00:16हमारी पत्नी नहीं है, हमारा पुत्र नहीं है, कोई हमारी माता नहीं है, कोई हमारा पिता नहीं है, मेरा घर नहीं है, मेरा कोई संसार नहीं है, मेरी एक ही जननी है, वह है
00:28वंदे मातरम, सुजलांग, सुफलांग, भारत माही तो मेरी बार
00:32एजेंडे में लिखा हुआ था कि CWC इस बार तै करेगी कि वंदे मातरम का क्या करना है रखना है या विशर्जित कर देना है
00:44और बड़े अफसोस की बात है कि बड़ी धूम धाम से हकूमत की तरफ से इस बात को रखा गया मगर तीस से ज्यादा MP यहां पर मौजूद नहीं है
00:54मड़म पहले तो मैं वजिर आजम की इस बात की मख़मत करता हूँ और उनको बताना चाहूंगा कि जिना के बारे में उनको कहा था
01:03हम तो जिना के सफ मुखालिफ है इसलिए भारत को अपना वतन माने
01:07मगर 42 में आपके प्यारे वीर और जिना की पार्टी ने नौर्थ वेस्ट फरंटियर सेंद और बंगॉल में मिलकर हकूमत चलाई
01:19और उस हकूमत ने देड़ लाक हिंदू और मुसल्मानों को अंग्रेजों की फौट में शामिल करा है ताके वो लड़े
01:25तो किसी शायर ने अच्छा कहा था वजीर आदम के बारे में कि फरेब डेकर जमाने को पारसा ना बनिये
01:32इन्हें कहो कि वो बंदा बने खुदा ना बने अमीर शहर यही चाहता या हज़रत कि हमारी चीख गले में रहे सदा ना बने
01:39दूसरी बात मेडम हमारे वजीर दिफा जनाब रादना सिंग सहाब ने बड़ा ही अजीब और गरीब और तकलिफ दे बात कही
01:47अम्ल मूमिने के बारे में और अम्ल किताब के बारे में
01:51عم المومنین
01:52उन्कों कहते हैं
01:53जो हमारे
01:53प्राफिट
01:53मुहम्मद
01:54صला सल्लीं
01:54की वाइफ
01:55हैं
01:56वो हम
01:56तमाम
01:56मुसल्मानों
01:57की má
02:14हमें
02:15आब
02:15तीन
02:15का मतलब
02:15सिकान
02:16निकले हैं
02:17एहм बात
02:18ये के
02:18मड़म
02:18हमारे
02:19मुलक का
02:20आइण
02:20कि इस लफ से आगाज होता है
02:22वी दे पीपल
02:23इसका आगाज भारत माता के नाम से
02:26नहीं होता है
02:26हमारे समविधान का जो प्रियांबल है
02:30वो क्या कहता है
02:31अगर दस्तूर का ये पहला सफा
02:38ये बात करता है
02:39तो पिर कैसे किसी शहरी को
02:41किसी खुदा देवी देवता की अबादत करने पर
02:44या सजदा करने पर मजबूर किया जा सकता है
02:46आप ही के पार्टी से आज की जो बाते हुई है
02:49इसी कब हो रही है
02:50हमारे कॉंस्टन्ट असम्बली में मैडम
02:53एक महतरमा थी
02:54रहीनी कुमार चौदरी ने एक तजवीज दी थी
02:57कि प्रियांबल में किसी देवी के नाम से शुरू हो
03:00उन्होंने खास तोर से वंदे मातरम को जिकर किया
03:03मगर उसको खुबल नहीं किया गया
03:05पिर केवी कामत सहाब ने एक तजवीज दी कि
03:08its citizens को बदल कर हर citizens किया जाए
03:11और खुदा के नाम से शुरू किया जाए
03:13वो तर्मीम को यह मस्तरत कर दिया गया
03:15हमारे समविधान का असूल यह है
03:18कि भारत क्या है उसकी अवाम है
03:20अवामी खानून की मसन्निफ है
03:22अवाम मर्जी से
03:24की मर्जी से सबसे बलातर है
03:26अवामी हाकिमे मुलक किसी
03:28खुदा, देवी, देवता, मजभी
03:30इलामत के नाम से नहीं चलता
03:32ना मुलक किसी एक मजभ की मिल्कियत है
03:34इसलिए बाबा साथ वंबेटकर ने क्या कहा था
03:36उन्होंने मदर इंडिया के नजरिया
03:38को मस्तरत किया बाबा साहब ने
03:40बाबा साहब ने एक नई
03:42इस्तला वज़े कर दिया और कहा कि
03:43भाइक सिद भारत, ये बाबा साथ
03:45वंबेटकर ने कहा, अब मैडम
03:47अगर मजभी आज़ादी इस आईन का बुन्यादी
03:49असूल है, तो सवाल ये पैदा होता है
03:52कि उस वक्त हमारे जो
03:53कॉंसेट असम्बली के प्रेज़ेंट है
03:55जनाव राइंदर पसाथ साहब ने
03:56किस बुनियाद पर वंदे मातरम को
03:59खौमी तरहना खरार दिया
04:00ना तो कोई सेक्यूर रिजूशन है इसके बारे में
04:03मैडम मैं आपको बताना चाहूंगा
04:04कि जुडिशरी क्या कहती है
04:06बीजू एमैनुल केस है
04:081986 का जिसमें जिहोवा विक्नस
04:11ने कहा कि मैं नैशनल एंथम
04:13के वक्त खड़े रहूंगी पढ़ूंगी नहीं
04:14सुप्रेम कोट ने कहा कि उसने कोई गुना
04:16नहीं किया वहीं एक
04:18दोजा सत्रा का केस है एश्वी नी उपा दे का
04:20केस सुप्रेम कोट का उनने का
04:22गाइडलाइंस दिये जाएं वंद्यमात्रम पर
04:24सुप्रेम कोट ने नहीं कही दिया
04:26फिर आप आजाए मैडम प्रिवेंचर विंसल्ट एक्स
04:28नैशनल नैशनल सौंग नहीं है
04:32सर्थ नैशनल एम्बलम और
04:35आपका नैशनल एंथम है
04:36पिर आप आजाएए इन प्रिवेंडमिट पस में इसकी है
04:39सेविंटे सिख्स में पास हुआ
04:40उसमें भी इसका कोई खिकर नहीं है
04:42मैडम मैं आपके सामें bona
04:44بتانا چاہوں گا کہ ہمارا بھارت ایک اس کا مجموعہ کیا ہے اس میں ہندو
04:49ہے مسلمان ہے سکھ ہے عیسائی ہے جین ہے ایتھست ہے محنت کش ہے کسان
04:55غریب مظلوم اور دلت ہیں مگر اگر جو تقاریر آج ہم نے یہاں پر
04:59سنی اور باہر جو سنتے ہیں اگر بھارت کو دیوی کہنے اور اس کے
05:04آگے سجدہ کرنے تو دراصل خوم پرستی کو وطن سے محبت کو مذہب
05:09میں تبدیل کر رہے اور پھر یہاں پر بول رہے کہ اگر بھارت میں
05:12رہنا ہے تو وندے ماترم گانا پڑے گا بھائی یہ تو سمویدھان کے
05:17خلاف ہے سپریم کورٹ کے ججمنٹ کے خلاف ہے اگر وندے ماترم میڈم
05:21خومیت کا میار ہے تو پھر سوال یہ ہے کہ حسرت موحانی کی خومیت
05:25کیا تھی جس نے ان خلاف زندہ بات کا نعرہ دیا اگر یوسف مہرلی
05:29نے کوٹ انڈیا سائمن گو بیک کا نعرہ دیا تو اس کی خومیت کیا تھی اگر
05:33حیدر آباد سے مولوی علاودین جو مکہ مسجد کا پہلا مجرم اکالہ
05:37پانی میں اور توریباز خان جو مار کر لاز کو لٹکا دیا گیا تھا
05:41حیدر آباد میں آٹھ دن تک اس کی خومیت کیا تھی اداہرن کے لیے
05:44یدی دیش کہا جائے تو گنگا ماتر ایک ندی ہے ایک ندی جس کا ایک
05:50ادگم ستھل ہے اور جہاں جا کے وہ سماہیت ساگر میں ہو جاتی ہے
05:55گنگا ساگر میں اس میں کتنا پانی ہے اس میں بائیو ڈائیورسٹی کیا ہے
06:00یہاں سب چرچہ کی جا سکتی ہے دیش کے انترگت مگر جیسے ہی ہم
06:04کہتے ہیں بھارت ورش ایک راشتر ہے تکشنات اسی سمیں گنگا
06:10ندی نہیں رہتی گنگا ماں کا روپ دھارن کر لیتی ہے وہ گنگا
06:15مئیہ ہو جاتی ہے یا دیش کہا جائے تو ہیمارے کے والے پروت
06:20سنکھلا ہوتی ہے مگر اگر راشتر کہا جائے تو بھارت ورش میں ہیمارے
06:26وہاں لے ہے جہاں سے درگا آور بھاو لیتی ہے جہاں کہلاش میں
06:32شیو شنکر شنبھو ویراجمان ہے یہاں ایک ویچار ہے
06:36ٹھیک اسی پرکار جس پرکار دیش اور راشتر میں پارتھک کتا ہے
06:42گیت اور منتر میں پارتھک کتا ہے
06:44گیت شریر کو سپرش کرتی ہے گیت کرنپری ہو سکتی ہے
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