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  • 3 hours ago
'वंदे मातरम ने सोए भारत को जगाया', लोकसभा में बोले राजनाथ सिंह

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00:00तत्थ परक सारगर्वित और प्रेरक भाषन देकर इसके एक अच्छी शुरुवात की है ध्यक्षमोदाइस में कहीं दो मत नहीं है।
00:09यह बंदे मात्रम भारत के इतिहास, बरतमान और भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है।
00:16इस बंदे मात्रम ने ब्रिटिश शामराज से लड़ने में हमारे स्वतंता सेनानियों को काफी ताकत दिया था।
00:23बंदे मात्रम वहगीत है जिसके कारण सथियों से स्वया हुआ है यह हमारा भारत देश जाग उठा था।
00:31वह गीत आधी सताब्दी तक तोतंतता संग्राम का प्रेरख बना रहा है। वह गीत जिसकी आवाज इंग्लिस चैनल पार करके बिल्टिस पार्लियमेंट तक पहुझ गई थे। ऐसा था यह हमारा बंदे मात्रम।
00:47बंदे मात्रम जैसे अमर गीत के रचेटा मंकिम बावू ने कहा था एक दिन ऐसा आएगा जब सभी देशवाशी बंदे मात्रम गीत के महत्तो को निश्शित रूप से समझेंगे।
01:00और वश्चन आया 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ हुए आंदोलन के दावरान। इस आंदोलन के समय वह गीत धरती से आकास तक बूज उठा था।
01:12त्रिया अरवन्दों नहीं वन इस तच्छव में बिल्कुल ठीक ही कहा था अध्यक्षमोदे कि दा मंत्रा हैड बीन गीवन एंड एंड इन सिंगल दे यह होल पीपल हैड बीन करवाटेड तो दे रिलिजन अप्ट्राटिजम अध्यक्षमोदे इसी आंदोलन के दौरान �
01:42पाने के खिलाफ एक सर्कुलर भी जारी कर दिया गया था लेकिन फिर भी बिटिश हुकूमत जंता को बंदे मात्रम कहने से रोक नहीं पाई थी बंदे मात्रम ने लोगों के अंदर एक नई शेतना भी जागरित कर दी थी उस समय अम्रिक बाजार पत्रिका के संस्थापक �
02:12गवाना पड़े यह बात उन्होंने ख़ी थी अध्यक्ष महोड़े रास्ती चेतना जागरित करने के लिए उस समय बंदे मात्रम संप्रदाई की भी अफ्थापना की गई थी और इसके सरस्य बंदे मात्रम गाते हुए प्रभात फेरी भी प्रतिदिन निकाला करते थे इस
02:42गया था उसके मधवे भी बंदे मात्रम लिखा हुआ यह जंडा पहली बार बंगाल की धरती पर ही फाराया गया था द्यक्ष महोड़े और अगस्त 1906 में जब तुरी विपिंशंद पाल जी ने रास्टर से इतना जगाने के लिए एक समाशार पत्र की शुरुआत की थी त
03:12एक भावना बन गई थी यह एक दर्शन बन गया था इट बिकेमें पोयम पल्स एंड फिलोसफी अध्यक्ष मुड़े अप्रेल उन्डी सच्छे में नए बने पुरिवी अंगाल प्रांत में बिटिस संक सरकार ने बंदे मात्रम के स्तार्वजनिक नारे लगाने पर रोक �
03:42है कि लोगों पर लाठियों की बारिश होती रही और पर जब तक उन्हीं होस रहा तब तक वे बंदे मात्रम बंदे मात्रम का नारा ही लगाते रहे अध्यक्षमत में उसमानिया विश्वित द्याले में भी बंदे मात्रम का नारा लगाने पर रोक लगी थी इस आडेस को �
04:12और उसके बाद 18 साल की उन्हें सजा भी दी गई थी उन्हें बीर सावरकर्जी ने बंदे मात्रम रामचंद्र की उपाधी से नवाजा था
04:21अध्यक्ष महोले बंदे मात्रम सिर्फ बंगाल में सीमित नहीं रहा है यह भारत में उत्तर से दक्षिन और पूरब से लेकर पश्षिन तक फैल गया था पंजाब तमिलाड बांबे प्रेशिडंसी सभी जगा लोग बंदे मात्रम बोलने लगे थे एक दूसरे का अभिवा�
04:51बंदे मात्रम भारत वाशियों के लिए एक मंत्र की तरह कारे कर रहा था लंदन पेरिस जनेवा कनेड़ा सभी यहां भी भारती थे भारत के लोग बंदे मात्रम लगातार बोलते थे
05:08उन्डिस्व बारह में जब तरी गुबाल कृष्ण गोखले जी दक्षिन अफ्रिकात पहुशे तो उनका स्त्वागत भी बंदे मात्रम नारों के साथ ही वहां की जनता ने किया था
05:20ज्यक्ष मोखो जाएं बंदे मात्रम के साथ सही भगत सिंग्ग सही चंदर शेकर आजाजजी के पत्र प्रारण नहीं भुआ करते थे
05:30बदद नाल धींगरांजी का आक्री शब्द भी बंदे मात्रम था फांसी पर जाते समय Phrнаंतिकारी सूरे सेंद के होठों
05:39पर भी बंदे मात्रम था खुदी राम बोज की युभान पर फी बंदे मात्रम बंदे मात्रम ही था द्यक्ष्मोरे कि फिले बंदे मात्रम सिर्फ एक गीत नहीं है वे हमारी रास्तियता का सूत्र है भारत की अंतर आत्मा का यस्वर है अद्यक्ष्मोरे आज जब हम बंदे म
06:09करना पड़ेगा कि बंदे मात्रम के साथ जो न्याए होना शाहिए था वह न्याए नहीं हुआ
06:15आज आजार भारत में रास्टगान और रास्टगीत को बराबर का दर्जा देने की बात की गई थी लेकिन एक हमारी रास्टी चेतना का अबिन अंग बन गया समाज और संस्क्रित की मुक्यधारा में अस्थान पा गया
06:33वह हमारे रास्टी प्रतिकों में सामिल हो गया वह गान था हमारा जन गन बन लेकिन दूसरे गीत को मरजनाइज कर दिया गया उपेक्षित किया गया उसे खंडिक किया गया वह गीत है बंदे मातरम मत देक्शों हो दे इट वाज ट्रीटेड लाइक एन एक्स्ट्रा वह ध
07:03करने का निर्णे लिया था और अध्यक्षित को रहें बंदे मातरम के साथ हुए राजनितिक शल और अन्याए के बारे में सभी पीडियों को जानना चाहिए इसलिए इससंबल हमें चर्शा हो रही है क्योंकि यह अन्याए कि वले गीत के साथ नहीं था बलकि आजाग भारत
07:33अध्यक्षित को रहें उस पुकार को सीमाओं में बादने की कोशिश इतिहास का मैं मानता हूँ कि यह बहुत बड़ा चल था इसलिए हम यह मानते हैं कि बंदे मातरम का गवरो लोटाना यह समय की महांग है और नैतिक्ता का यह तकाज़ा भी और जैक्षित को रहें इस अ
08:03और शत्रपति सिवाजी महाराज जैसे महापुरसों के स्वराज और स्वधर्म के मुल्यों का यह जीवन स्वरूप बन गया अध्यक्षित महरे बंदे मातरम स्वयम में पूर्ण है लेकिन इसे अपूर्ण बनाने की कोशिश की गई बंदे मातरम हमेशा रास्त्री भावन
08:33झाल
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