07:12ये क्या रूप है आपका दैविय भी और दानविय भी एक्षण इतना अंदकार जिसका कोई पार नहीं और अगले इतना प्रकाश की जिसमें जिसमें कुछ सूचता नहीं
07:33ये क्या माया है माधव मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है आत्मन बार्त आत्मा जो न जन्म लेती है न मरती है जिसकी लौ एक शिशु में भी उसी तेज से जलती है जैसे किसी मरते व्रिद के शरीर में शरीर पैदा होते हैं बूढे होते हैं मर जाते हैं किन्तु ये लौ क�
08:03यही तो है जो अजर, अमर, अजन्मी और अविनाशी है
08:08यही लौ तो हमें धर्म का मार्ग दिखाती है
08:12केशव, क्या है धर्म का मार्ग?
08:16युद्ध पार्थ, युद्ध
08:18किन्तू अपने ही परिजनों और मित्रों का रक्त पात?
08:24धर्म का मार्ग कैसे केशव?
08:26मित्र? कौन? ये नश्वर शरीर? या वो अविनाशी आत्मा जिसे तुम जानते तक नहीं?
08:33यहाँ न कोई मित्र है पार्थ, न कोई शत्रू. सब में मात्र वही एक प्रकाश है, जो तुम्हारे भीतर भी चल रहा है.
08:40अविनाशी आत्मा अपना गांडीव उठाओ अर्चन और इंसान सारिक पंधनों के पार देखो, तुम्हें अपना मार्ग स्वयम दिखाई देगा.
08:50मुझे तो केवल मृत्यों दिखाई देती है वासुदेव क्रिश्न, असंख्या अगने चव, अपने हाथों अपने ही परिवार का वद्ध.
08:59कौन सा परिवार पार्थ, वो जिसने तुम्हें और तुम्हारे भाईयों को जलने के लिए लाक्षा ग्रह में भेज दिया?
09:06या वो परिवार जिसने तुम सब को भटकने के लिए तेरा वर्ष के वनवास में धकेल दिया?
09:11या वो परिवार जो इस युद्ध को रोपने के लिए दुर्योधन को पाँच गाउं के लिए नहीं मना पाया?
09:16यह वो परिवार जो चौसर के एक खेल में इतना डूप गया कि भरी राज सभा में अपनी ही कुलवधू का चीर हरण नहीं रोप पाया
09:25तब कहां थे तुम्हारे पितामा और गुरुपात संभव है वो अपने कर्तव्यों से बंदे थे केशव
09:32जैसे तुम अपने कर्तव्यों से युद्धा के कर्तव्यों से आकर मेरा हर थाम लीजी नाथ मैं इस योगे दर नहीं कि आप मुझसे मिलने आए परंतु भे भी आपको देखना जाता हूं नाथ
09:51कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्त�
10:21लो, तुमने बुलाया और मैं चला आया
10:26क्या हुआ, कुछ बोलोगे नहीं
10:33मेरे समक्ष
10:36भगवान नहीं, दास
10:42तुम जैसे भगतों का तो मैं केवल दास ही हूँ
10:46और दास ही रहना चाहता हूँ
10:49क्यूंकि अपने निस्वार्थ प्रेम के दाम से
10:55तुमने मुझे मोह लिया है
10:58रभू, आप भगवान है
11:01स्वायम को मेरा तास बता कर
11:03कृपया मुझे लजज़ ना करे
11:06प्रहलाद, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ
11:12आपको जो पा लिया है
11:13अब पाने के लिए और क्या शेश रह सकता है भला
11:18हे प्रभू, आज मेरी सारी मनोरत पूर्ण हो गए है
11:23मुझे आप से और कुछ भी नहीं चाहिए
11:27और यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते है
11:30तो हे प्रभू, मुझे पे इतनी कृपा बनाए रखना
11:35कि मेरे हृते में आपकी भक्ति की जोद सतेव प्रजवलित रहे
11:41और मैं एक शण के लिए भी आपको भूल ना पाऊं
11:46प्रहलाद, मैं तुम्हें आशिरवाद देता हूँ
11:52कि अब से हर जगा, हर बस तू और हर जीज में मुझे को पाऊगे
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