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  • 5 days ago
Divine_Union_of_Lord_Vishnu’s_Avatars_✨_Mahavatar_Narsimha,_Kurukshetra
Transcript
00:00हे स्रिष्टी के निर्मादा, भूमी को गर्भोधक महासागर से निकालने का शीगरी कोई उपाय कीजिए
00:06भूमी को यदि कोई इस गंभीर स्थिती से निकाल सकता है, तो वो है भगवान विश्णू
00:13हे भगवन, कृपया भूमी की रक्षा कीजिए
00:18यह क्या?
00:26अद्भूत, कौन है यह अनोखा प्राणी जो मेरी नासिखा से प्रकट हुआ है
00:34हाँ
00:36हाँ
00:40हाँ
00:42हाँ
00:46हाँ
00:48हाँ
00:50हाँ
00:52हाँ
00:54हाँ
01:04हाँ
01:20कर देस्ट थ नहीं कि अइता है नहीं अभाई कि अधिक अभार एक लुब भाई अभाई बाई बाईंडर भुब फिर भाईटेघ्टें आर भाईब
01:46अच्छिए देसे हुआ जाओए भी कि अदि कि अदिए
02:02नजद हुआनी जाओए जाओए जाओ
02:09뭔 णे और प्रो
02:10प्रभू आप प्रभू आप आप आई गए
02:24मेरी उपस्थित में तुने भूमी को ले जाने की हिमत की
02:42उच्छा सुआर
02:54मैं तेरे विष्णो को चुनौती देता हूँ
03:07कि आज तुझे वो मुझ से बचा सके तो बचा ले
03:11देखते हैं कि विष्णो अपने भक्त के लिए क्या कर सकता है
03:24कि बच्छा सकता है
03:42कर दो
03:46कर दो
03:48कर दो
03:52तुम् आटियां अलाव विष्ना चलना सर्मकूो मुगं
03:57एरसिंखों नीषरा रभानों चिंद्यू नेवादिया
04:04जेनरसिंखा
04:11वे विष्नु है
04:14को एखात झालावडा येव के ते
04:20तो तू अंत तह आहे गया
04:27तू ने जो अपने अंत को पुकारा
04:30तेरा नाश करने मैं आ गया
04:33ज्यों रे बहरूपिये
04:35शत्रों से लड़ने के लिए
04:37कभी सुर कभी सिंग
04:39मन उपता नहीं है तेरा
04:41मेरा रूप चाहे जो भी हो
04:44ये निश्चित है
04:46कि तू आज मरेगा
04:48ठेक उसी प्रकार
04:50जिस प्रकार तेरा भाई
04:52हरिन्याक्ष मेरे हाथों मारा गया था
04:56धम की केवल तब भी जाने चाहिए
04:59जब उसे पूरा करने का सामर्ज रखते हो
05:03स्री नर्सिंग भगवान की जै
05:11अब भूए पती द्वंड रूमांछा
05:17अजर तेर इस बाग्दी
05:20उटा अपना शेस्त्र और कर अप्रमन
05:23अवश्य।
05:25कर्टवियों से बंधा हर कोई इस युद्ध में लड़ने को विवश्ट था
05:54पर मन तो कोई गांडीव नहीं कि जिधर साधा सत गया
05:59इस युद्ध में तो हार ही हार है केशव मैं जीत भी गया तो क्या जीतूंगा
06:06मेरे तो हाथ काप रहे हैं मैं ये युद्ध नहीं लड़ सकता केशव नहीं लड़ सकता
06:12कुरुक्षेत्र को जैसे साफ सुन गया था, और अर्जुन को ऐसे देख सब स्तब्द थे, पांडाव भी, कौराव भी.
06:24हम, तुम सही थे, अर्जुन, इस युद्ध में तुम्हें कृष्ण की नारायनी सेना से कहीं अधेख, कृष्ण की ही अवशक्ता थे.
06:42यदासं हर तेचायं, टूर्मों रनीव सर्वशह, इंद्रियान इंद्रियार्तेप्यस, अस्यप्रण्याप्रथिष्टिता, सुखतु फेस्विर समेच रित्रिव, नामाना भौचया जयाँ, नचवय।
07:12ये क्या रूप है आपका दैविय भी और दानविय भी एक्षण इतना अंदकार जिसका कोई पार नहीं और अगले इतना प्रकाश की जिसमें जिसमें कुछ सूचता नहीं
07:33ये क्या माया है माधव मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है आत्मन बार्त आत्मा जो न जन्म लेती है न मरती है जिसकी लौ एक शिशु में भी उसी तेज से जलती है जैसे किसी मरते व्रिद के शरीर में शरीर पैदा होते हैं बूढे होते हैं मर जाते हैं किन्तु ये लौ क�
08:03यही तो है जो अजर, अमर, अजन्मी और अविनाशी है
08:08यही लौ तो हमें धर्म का मार्ग दिखाती है
08:12केशव, क्या है धर्म का मार्ग?
08:16युद्ध पार्थ, युद्ध
08:18किन्तू अपने ही परिजनों और मित्रों का रक्त पात?
08:24धर्म का मार्ग कैसे केशव?
08:26मित्र? कौन? ये नश्वर शरीर? या वो अविनाशी आत्मा जिसे तुम जानते तक नहीं?
08:33यहाँ न कोई मित्र है पार्थ, न कोई शत्रू. सब में मात्र वही एक प्रकाश है, जो तुम्हारे भीतर भी चल रहा है.
08:40अविनाशी आत्मा अपना गांडीव उठाओ अर्चन और इंसान सारिक पंधनों के पार देखो, तुम्हें अपना मार्ग स्वयम दिखाई देगा.
08:50मुझे तो केवल मृत्यों दिखाई देती है वासुदेव क्रिश्न, असंख्या अगने चव, अपने हाथों अपने ही परिवार का वद्ध.
08:59कौन सा परिवार पार्थ, वो जिसने तुम्हें और तुम्हारे भाईयों को जलने के लिए लाक्षा ग्रह में भेज दिया?
09:06या वो परिवार जिसने तुम सब को भटकने के लिए तेरा वर्ष के वनवास में धकेल दिया?
09:11या वो परिवार जो इस युद्ध को रोपने के लिए दुर्योधन को पाँच गाउं के लिए नहीं मना पाया?
09:16यह वो परिवार जो चौसर के एक खेल में इतना डूप गया कि भरी राज सभा में अपनी ही कुलवधू का चीर हरण नहीं रोप पाया
09:25तब कहां थे तुम्हारे पितामा और गुरुपात संभव है वो अपने कर्तव्यों से बंदे थे केशव
09:32जैसे तुम अपने कर्तव्यों से युद्धा के कर्तव्यों से आकर मेरा हर थाम लीजी नाथ मैं इस योगे दर नहीं कि आप मुझसे मिलने आए परंतु भे भी आपको देखना जाता हूं नाथ
09:51कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्तव्यों मुझसे दर शंदे युद्धा कर्त�
10:21लो, तुमने बुलाया और मैं चला आया
10:26क्या हुआ, कुछ बोलोगे नहीं
10:33मेरे समक्ष
10:36भगवान नहीं, दास
10:42तुम जैसे भगतों का तो मैं केवल दास ही हूँ
10:46और दास ही रहना चाहता हूँ
10:49क्यूंकि अपने निस्वार्थ प्रेम के दाम से
10:55तुमने मुझे मोह लिया है
10:58रभू, आप भगवान है
11:01स्वायम को मेरा तास बता कर
11:03कृपया मुझे लजज़ ना करे
11:06प्रहलाद, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ
11:12आपको जो पा लिया है
11:13अब पाने के लिए और क्या शेश रह सकता है भला
11:18हे प्रभू, आज मेरी सारी मनोरत पूर्ण हो गए है
11:23मुझे आप से और कुछ भी नहीं चाहिए
11:27और यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते है
11:30तो हे प्रभू, मुझे पे इतनी कृपा बनाए रखना
11:35कि मेरे हृते में आपकी भक्ति की जोद सतेव प्रजवलित रहे
11:41और मैं एक शण के लिए भी आपको भूल ना पाऊं
11:46प्रहलाद, मैं तुम्हें आशिरवाद देता हूँ
11:52कि अब से हर जगा, हर बस तू और हर जीज में मुझे को पाऊगे
12:01तथास तू
12:03हर जाए जाय
12:16हर जाए
12:27यह
12:28झाल
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