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मगंलवार_के_दिन_जरूर_अपने_घर_में_ये_सुंदरकांड_चलाकर_रख_देना_कर्ज_,बीमारी_खत्म_और_धन_वर्
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00:00ओम श्री गणे शाय नमः प्रणव उपवन कुमार खल बन पावक ज्यान घन जासुर्दै आगार बस ही राम सर चाप धर बली बांधत प्रभु बाड़े उसो तनुबर नीन जाई उभई घरी महदी नहीं साथ प्रदच्छिन धाई
00:21अंगद कहई जाओ मैं पारा जिय संसे कच फिरती बारा जाम बंत कह तुम सब लायक पठाई की मी सब ही कर नायक
00:31कहई रीच पती सुन हनुमाना काचुप साधी रहे उबलवाना पवन तनैबल पवन समाना बुधि विरेक विज्यान निधाना कवन सोकाज कखिन जग माही जो नहीं होई तात तुम पाही
00:44राम काज लगी तब अवतारा सुनता ही भयाँ पर वताकारा कनक बरन तन तेज भी राजा माना हूँ अपर गिरिन कर राजा सिंग नाद करी बारही बारा लीला ही नागाँ जलनी दिखारा
00:58सहित सहाय रावन ही मारी आना हूँ इहां त्री कूट उपारी जाम वन्त मैं पूछाओं तो ही उचित सिखावन दी जाओं मोही
01:07इतना करहूं तात तुम जाई सीता ही देख कहाँ सुदी आई तब निज भुजबल राजिव नैना को तुकला की संग कपिसेना
01:16कपिसेन संग संगारे निसिचर रामुसी तही आनी है त्रे लोक पावन सुजस सुर्मनी नारग आदी बखानी है जो सुनत गावत कहत समूझत परंपद नर पावई रगु पीर पद पाथोज मदुकर दास तुलसी गावई
01:35भवेशद रगुनात जसु सुनह जिनर अरुनारी तिनकर सकल मनोरत सिध करहित्र सिरारी निलोत पलतन स्याम काम कोटि सोभा अधिक सुनिय तास गुन ग्राम जासुनाम अग खग बधिक
01:53श्रीराम चरित मानस पंचम सोपान सुन्दर कांड श्लोक शांतं शाष्वतं प्रमियम अगनं निर्वालाम शांतीम प्रदं ब्रम्हाशं भोफडिंद्र सेव्यमनिषं बेदांत बेध्यं विभुम् रामाथ्यं जग्दीश्वरं सुरुगुरुम् माया मनुष्यं हरिं
02:23रगुपतेहर देसमदिये सत्यम बदामिच भवान खिलांतरात्मा भक्तिम प्रयच्छ रगुपुंगवं निर्वराम में कावाधि दोश रहितं कुरुम् मानसंच अतुलित बलधामं हे मिशैलाब देहं दनुजवन कृशान ज्यानि नाम ग्रगण्यं सकल गुण निधा
02:53जब लगी मोही परखें तुम भाई सही दुख कंद मूल फल खाई जब लगी आवाउसी तही देखी होई काज मोही हरश विसेसी यह कहिनाई सबनिकाउ माथा चलेव हरश ही अधरी रगुनाथा सिंधो तीर एक भूधर सुंदर कौत कूदी चड़े उता उपर बार बार �
03:23जिमी अमोग रगुपति करबाना ये ही भाति चलेव हनुमाना जलनी दी रगुपति दूत विचारी पैमै नात हो इश्रमहारी अनुमानते ही पारसा करगपुनी कीन प्रणाम राम का जुकी है बिनू मोही कहां विस्राम
03:41जात पवन सुत देवन देखा जाने कहु बल बुद्धि विसेसा सुरसा नाम अहिन कैमाता पठईन आई कही तही बाता आज सुरन मोही दीन आहारा सुनत बचन कह पवन कुमारा राम का जुकर फिर मैं आवाँ सीता कैस भी प्रभु ही सुनावाँ तब तब बदन पैठा�
04:11कीन दुगुन वेस्तारा सुरह जोजन मुक्त ही ठायों तुरत पवन सुत बतिस भयों जस जस सुरसा बदन बढ़ावा ता सुदून का पिरूप देखावा सत जोजन तही आनन कीन हा अतिला घुरूप पवन सुत लीन हा बदन पैठी पुनी बाहर आवा मागा विदाता ही
04:41सो हरसी चले हनुमान निसी चर एक सिंद महु रही करिमाया नव के खग गहाई जिव जन्तूते गगन उडाही जल दिलो कितिन के परिछाई कहाई छाह तक सोन उडाही इही बिदी सता गगन चर खाई
04:58सोई छल हनुमान कहकीना ता सुकफटू का पितुर तही चीना ताही मारी मारूत सुत वीरा बारी दिपार गयों मत धीरा तहां जाई देखी बन सोभा कुझत चंचरीक मधुलोभा
05:12नाना करू फल फोल सुहाई खगम्रग ब्रिंद देखी मन भाई सैल भी साल देखी एक आगे ता पर धाई चड़े वै त्यागे
05:21ओमानक चुक पिके अधिकाई प्रभु प्रताप जो काला हिठाई गीरी पर चड़ी लंका तेही देखी कही न जाई अति दुर्ग विसेसी अति उतंग जलनिधी जहु पासा कनक कोट कर परम परकासा कनक कोट विचित्र मनीकृत सुन्दरायत नाघना जहु हट हट सुभ�
05:51बरनत नहीं बनें बन बाग उपपन बाटि का सरफूप बापी सोहाई नरनाग सुरगंधर्ब कन्या रूप मुनी मन मोहाई कहु माल देह विसाल सैल समान अति बलगर जही नाना अखारे नधी रही बहु विधी एक एकन्ह तर जही गरिजतन भट कोटिन विकटतन नगर च
06:21दास इनकी कथा का चूधिक है कही रगुबीर सरतीरत सरीरनी त्यादी गती पैहाई सही पुर रखवारे देखी बहु कपि मन कीन विचार अतिलग रूप धराओ निसी नगर करों पैसार
06:37मसक समान रूप कपि धरी लंका ही चलें सुमिर नरहरी नाम लंकिनी एक निसी चरी सो कह चल सी मोही निंदरी जा नहीं नहीं मरमु सट मोरा मोर आहार जहां लगी चोरा
06:51मुठी का एक महा का पिहानी रुधिर बमत धरनी धनमनी उनी संभारी उति सो लंका चोरी पानी कर बिने ससंका जब रावन ही ब्रह्म बर दीना चलत दिरंची कहा मोही चीना निकल हो सितै कपि कैमारे तब जाने सुनी सिचर संघारे
07:09तात मोर अति पुन्य बहूता देखाऊ नयन राम कर दूता प्रविसि नगर कीजे सब का जाहर दै राखि को सलपुर राजा गरल सुधारि पुकरही मिताई गोपत सिंदु अनल सितलाई गरुळ सुमेरु रेनु समताई राम कृपा करी चितवा जाई अतिल गुरूप धर
07:39चित्र कही जात सुनाई सयन किये देखा कपिते ही मंदिर महुन दिखी बैदे ही भवन एक पुनि दीख सुहावा हरी मंदिर तह भिन बनावा रामा युद अंकित ग्रह सोभा बर निन जाई नव तुलसिका प्रिंद तह देखी हरशिक पिराई लंका निसिचर निकर निव
08:09सुमिरन कीना हरदय हरशुक पिसर जन चीना ही सन हटी कर यहुँ पहचानी साधुते होई नकार जवानी विप्र रूप धरी वचन सुनाए सुनत बिभीशन उटिता आए करी प्रणाम पूछी कुसलाई विप्र कहाऊ निज कथा बुझाई की तुम हरिदासन महकोई मोरे ह
08:39सुनत जुगलतन पुलकमन मगन सुमिर गुन ग्राम।
09:09करही सदा से वकपर प्रीती कहा हूँ कवन मैं परम पुलीना कपी चन चल सबही विदी हीना रात लेई जो नाम हमारा तेही दिन ताही न मिले आहारा अस मैं अधम सखा सुनू मोह पर रगु बीर कीन ही कृपास मिरी गुन भरे बिलो चननी जानत हूँ अस स्वामी विसारी
10:09परम दुखी भापवन सुत देखी जान की दीन तरुपल लव महु रहा लुकाई करई विचार करों का भाई यही अवसर रावनु तह आवा संग नारी वहु किये बनावा वहु भी दिखल सीत ही समुझावा साम दाम भैभेद दिखावा
10:29कहरावन सुन सुमुखी सयानी मन दो दरी आधी सबरानी तब अन चरी कराऊँ पन मोरा एक बार भी लोक मम ओरा त्रिन धरी ओट कहती दैदेही सुमिरी अवद पती परमस नेही सुनु दस मुख खत्योत प्रकासा कबहु कि नली नी करई विकासा
10:47असमन समझू कहती जान की खल सुदी नही रग वीर बान की सठ सुने हरी आने ही मोही अधम निलज लाज नही तोही आपोह सुनी सत्योत सम राम ही भान समान
11:00पुरुशुवचन सुनी काड यसी बोला तिखिसियान
11:04सीता तैमम कृत अपमाना कटियाँ तब सिर कठिनक पाना
11:09नाहित सपदि भानुमम बानी सुमु की होती नत जीवन हानी
11:14ज्याम सरोज दाम सम सुन्दर प्रवुज करिकर सम दस कंदर
11:18सोबुज कंट कितब असि घोरा सुनु सट अस प्रवान पन मोरा
11:23चंद्र हास हरुमम परितापम रगपति विरह अनल संजातम
11:28सीतल निसित बहसी बरधारा कह सीता हरुमम दुख भारा
11:32सुनत बचन पुनि मारन धावा मैं तनया कही नीती बुझावा
11:37कहे सी सकल निसिच्यरिन बोलाई सीता ही बहुबिदी त्रास हो जाई
11:41मास दिवस महु कहान माना तो मैं मारिब काढित रपाना
11:46भवन गयों दस कंधर इहां पिसाचिन ब्रिंद सीता ही त्रास देखावही धर ही रूप बहुमंद
11:54त्रिजिटा नाम राच्च सी एका राम चरन रतिन पुन बिबेका
11:59सभन हो बोली सुनाय सी सपना सीता ही सेह कर हुईत अपना
12:04सपने बानर लंका जारी जातु धान सेना सब मारी
12:08खर आरोड नगन दस सीसा मुंदित सिर्खंडित भुझ बीसा
12:13कही बिदी सोजचिन दिसी जाई लंका मनहु विभी सन पाई
12:17नगर थिरी रग बीर दोहाई तब प्रभु सीता बोली पठाई
12:22यह सपना मैं कहा हुँ पुकारी होई ही सत्य कए दिन चारी
12:26तासु बचन सुनिते सब डरी जनक सुता के चरनी परी
12:31जहता कई सकल तब सीता कर मन सोचि
12:35मास दिवस बीते मोही मार हिनी सिचर पोचि
12:40त्रिजिता सन बोली कर जोरी मातु विपति संगी नितै मोरी
12:44दजों देह कर वेगी उपाई दूसह विरहु अब नहीं सही जाई
12:49आनी काठ रच चिटा बनाई मातु अनल पुनि देही लगाई
12:53सत्तिकरहिमम पीति सयानी सुनै को स्रवन सूल समबानी
12:58सुनत बचन पद गही समुझाय सी प्रभु प्रताप बल सुझस सुनाय सी निसिन अनल मिल सुन सुकुमारी
13:05अस कही सोनी जभवन सिधारी कह सीता बिधी भापति कूला मिला ही न पावक मिटा ही न सूला
13:12जिखियत प्रकट गगन अंगारा अवनिन आवत एक हुटारा
13:16पावक मैं ससिस्रवत ना आगी माना हुं मोहिजानी हत भागी
13:21सुनी ही बिनए मम बिटप असोका सक्थ्य नाम करू हरु मम सोका
13:25नूतन किसले अनल समाना देही अगिनी जनी करही निदाना
13:30देखी परम बिरहा खुल सीता सोचन कपी ही कलप समवीता
13:34कपिकर हिरदै विचार दीमी मुद्री का डारी तब
13:39जनी असोक अंगार दीन हरश उठै कर गहें
13:43तब देखी मुद्री का मनोहर राम नाम अंकित अतिसुन्दर
13:48तकित चब मुद्री पहिचानी हरश विशाद हिरदै अगुलानी
13:52जीती को सकई राजेर गुराई माया तें असिरच नहीं जाई
13:57सीता मन बिचार कर नाना मधुर बचन बोले उहनुमाना
14:01राम चंद्रगुन बरने लागा सुनता ही सीता कर दुख भागा
14:06लागी सुने स्वन मन लाई आदी हुटे सब कथा सुनाई
14:10श्रबना मृत जेही कथा सुनाई कही सुप्रकट होती किन भाई
14:15तब हन मन्त निकट चली गयाओ फिरी बैठी मन बिस मैं भयाओ
14:20राम तूत मैं मातु जान की सत्य सपत करुणा निधान की
14:24यह मुत्रिका मातु मैं आनी दीनी राम तुम का सहिदानी
14:29नर्बानर ही संग कहों कैसे कही कथा वै संगत जैसे
14:33कपिके वचन सप्रेम सुनी भुपजा मन बिसवास
14:37जाना मन क्रम वचन यह क्रिपा सिंधु करदास
14:42हरी जन जानी प्रीतियति गाड़ी सजल नयन पुल का वलिबाढ़ी
14:47बूढत बिरह जल दियन माना भयहु तात मो कहु जल जान
14:51अब कहु कुसल जाओ बलिहारी अनुज सहित सुक भवन खरारी
14:56ओ मल चित क्रपालु रगुराई कपिके ही हेतु धरी निटुराई
15:00सहज बानी सेवक सुक दायक कबहु कसुरति करत्र गुनायक
15:05कबहु नयन ममसी तल ताता होई है ही मीरति स्याम मृदु गाता
15:09बचन आव नयन भरबारी अहनात हाउनी पट बिसारी
15:14देखी परम बिरहा कुल सीता बोला कपेम्रज बचन भी नीता
15:18मातु कुसल प्रभु अनुज समेता तव दुख दुखी सुक्रपा निकेता
15:23जनी जाननी माना हुजिया उना तुमहत प्रेमु राम के दुना
15:27रगपति कर संदेशु अब सुनु जननी धरी धीर
15:32अस कही कपी गद गद भयाओ भरे भिलो चन नीर
15:36कहे उन राम भियोग तब सीता मो कहु सकल भये विपरीता
15:41नवतरु किसले मन हुकसानों काल निसा समन सिससिभानों
15:46कुबले भी पीन कुटुम बन सरिसा बारिद तपत तेल जनु बरिसा
15:50जीहित रहे करत तैई पीरा हुरग स्वास समत्र विद समीरा
15:55कहे हुते कछ दुख गटी होई काही कहो यह जान न कोई
15:59तत्व प्रेम करमम अरुतोरा जानत प्रिया एक मन मोरा
16:04सो मनु सदा रहत तो ही पाही जानु पीतिरस इतने हिमाही
16:08प्रभु संदेश सुनत बैदेही मगन प्रेम तनसुधी नही तेही
16:13कहका पिहर दे धीर धर माता सुमिरु राम से वक सुकदाता
16:17पुर आना हु रगुपति प्रभुताई सुनी मम बचन तजहु कदराई निशिचर निकर पतंग सम रगुपति बान कृसान जन नीहर दै भीर धरु जरे निशाचर जान
16:30जो रगुवीर होती सुधि पाई करते नहीं बिलंबु रगुराई नाम बान रभी उए जान की तम बरूत कह जातु धान की अब ही मातो मैं जाओ लवाई प्रभु आयसु नहीं राम दोहाई
16:44कच्छकु दिवस जन नीधर भीरा कपिन सहित अहियां रगुवीरा निशिचर मारी तो ही ले जहीं पिहु पुर नार दाद जसु गई है सुत कपि सब तुम ही समाना जातु धान अति भट बलवाना
16:58मोर हिर्दय परम संदेहा सुनि कपि प्रगट की मिमिज देहा कनक भूधरा कार सरीरा समर भयंकर अति बल बीरा सीता मन भरोस तब भयाउं पुनिल गुरूप पवन सुत लयाउं
17:12सुनु मातासा खाम्रग नहीं बल बुद्धी विसाल प्रभु प्रताप ते गरूण ही खाई परम्रग ब्याल
17:20मन संतोष सुनत कपि बानी भगती प्रताप तेज बलसानी आसिश दीनी राम प्रिय जाना होहु तात बल सील निधाना
17:30अजर अमर गुन निधिस्त होऊ करहु बहुत रगुनाय अपछोऊ करहु करपा प्रभु अस सुनिकाना निरभर प्रेम मगन हनुमाना
17:39बार बार नाय सी बदसी सार बोला बचन जोरी कर कीसा अब कर्त कर्त भयाउं मैं माता आसिस तब अमोग विख्याता
17:48सुन हो मात मोहिति सै भूखा लाजी देखि सुन्दर पल रूखा सुन सुत करही बिपिन रखवारी परमस भट रजनी चरभारी दिन कर भय माता मोहिनाही जो तुम सुक मान हो मन माही
18:01देखि बुख्दि बलनी पुल कपी कहे उजान की जाहू रगपती चरण हिर्दै धरी तात मधर फल खाओ
18:10चले उनाई सिरू बैठव बागा फल खाये सितरू तोरे लागा रहे तहां बवबट रखवारे कचु मारे सिकचु जाई पुकारे
18:20नाथ एक आवा कपी बारी तेहीं असोक बाटी का उजारी ठाये सिफल अरु भिटप उपारे रच्छक मर्दी मर्दी मही डारे
18:29सुनी रावन पठए भट नाना ती नहीं देखि गर जेउ हनुमाना तब रज नीचर कपी संधारे गए पुकारत कचु अद मारे
18:38पुनी पठया हुताई अच्छ कुमारा चला संगलै सुभट अपारा आवत देखी विटप गही तर जाता ही निपाती महादुनी गर्जा
18:47कच्छ मारे सी कच्छ मर्दे सी कच्छ मिली एसी धर धोरी कच्छ पुनी जाई पुकारे प्रभु मर्कट बलभूरी
18:55सुनि सुत बद लंकेस रिसाना पठय सिमेध नात बलवाना मारस जन सुत बांदे सुताई देखी कपी ही कहा कर आई
19:05चला इंद्र जित अतुलित जोधा बंधुनी धन सुनी उपजा क्रोधा कपी देखा दारुन भट आवा कट कटाई गर्जा अरुधावा
19:14अति विसाल तर एक उपारा विरत कीन लंकेस कुमारा रहे महाभट ताके संगा गही गही कपी मरदै मिज अंगा तिनही मिपाति ताही सन बाजा भीरे जुगल माना हुगज राजा
19:28पुथी का मारी चड़ा तर जाई ताही एक चन मुर्चा आई पुथी बहोरी किनह सिबहु माया जीति न जाई प्रभणजन जाया प्रम्ह अस्त्र तेही साधा कपी मन कीन बिचार जोन ब्रम्ह सर मानाउ मही मामिटै अपार
19:45प्रम्ह बान कपी कहुते ही मारा परिति हुबार कटकु संगारा देही देखा कपी मुरुचित भयो नाग पास बांधे सिले गयो जा सुनाम जपी सुनहु भवानी भव बंधन काटा ही नरग्यानी ठासु दूत की बंध तरु आवा प्रभु का रजलगी की पही बंधाव
20:15प्रुकुत भिलोकत सकल सभीता देकी प्रतापन कपी मन संका जिमी आईगन महु गरुड असंका कपी ही बिलोकी दसानन विहसा कही दुरबाद सुत बद सुरत कीन पुनी उप जाहिर दैविशाद कहलं केस कवन तै कीसा केही के बल धाले ही बन खीसा कीधाउं स्रवन सुने
20:45ब्रम्हांड निगाया पाई जासुबल विचरित माया जाके बल विरंची हरी ईसा पालत स्जत हरत दस सीसा चाबल सीस धरत सहसासन अंड कोस समेत धिरिकानन धरई जो विविद देह सुरत राता कुमस सथन सिखावनू दाता हर को दंड कठिन जही भंजा तेही समेतन पदल
21:15जारी तासु दूत मैं जाकरी हरी आने हो प्रिय नारी जानाओ मैं तुम्हरी प्रबताई सहसबाउ सन परी लराई समर बाली सन करीज सुपावा सुनी कपी बचन पी हसी भी हरावा खाया हो फल प्रभुलागी भूखा कपी सुभावतों तो रहू रूखा सब के देह परम �
21:45जाकीन चहाऊं निज प्रभुकर काजा बिनती कराऊं जोरी कर रावन सुनाहु मानत जी मोर सिखावन देखाऊं तुम निज कुलही बिचारी भ्रमत जी बजाऊं बगत भैहारी जाकेटर अतिकाल डेराई सोसुर असुर चराचर खाई तासौ बैरु कभाहु नहीं कीजे
22:15राम चरन पंकज उरधरऊं लंका अचल राज तुम करहों दिसी पुलस्ति जस भिमल मयंका तेही ससी महुजनि होहु कलंका राम नाम बिनुगिरान सोहा देखु विचारी त्यागी मद मोहा पसन हीन नहीं सोह सुरारी सब भूशन भूशित बर नारी नाम बिमुक संपति �
22:45राम त्राता नहीं कोपी संकर सहस विष्णु अज तोही सकहिन राकी राम कर द्रोही मोहु मोल वहु सूल प्रद त्यागहु तम अभिमान भजहु राम रगुनायक क्रिपा सिंद भगवान यतपि कही कपी अपितवानी भगति विदेख विरति नैसानी बोला विहसी महा �
23:15कहान माना मति भ्रमतूर प्रकट मैं जाना सुन कपी बचन बहुत किसी आना बेगी नहरं मूड कर प्राना सुनत निसाचर मारन धाये सचिवन सहित विभीशन आये नाई सीस करिविने बहुता नित विरोधना मारिय दूता आन दंड कचु करिय गोसाई सब ही कहा मंत्र भल�
23:45देल बोरी पट पांदी पुनी पावक देहु लगाई बोच हीन बानर तह जाया ही तब सठ निजना थैलाई आया ही जिन कै कीन हसी बहुत बढ़ाई देखाओ मैं तिन कै प्रभुताई
23:59बचन सुनत कपी मन मुसकाना भै सहाय सारद मैं जाना चातु धान सुनी रावन बचना लागै रचे मूड सुई रचना रहान नगर बसन घृत तेला भाढ़ी पूच कीन कपी खेला
24:13कौतुक कहा आये पुर्भासी मा रही चरन कर रही बहु हासी आ जही ढोल देही सबतारी नगर पेरी बुनि पूच प्रजारी पावक जरत देखी हनुमंता भायाउ परमल गुरूप तुरंता बीबुक चड़ेउ का पिकनक अटारी भै सभीत निसा चर नारी
24:31हरी प्रेरित तेही अब सर चले मरुतून चास अट हास करिघर जा कपी बाढ़ी लाग आकास तेह विसाल परम हर आई मंदिर ते मंदिर चड़गाई जरै नगर भा लोग भिहाला जपट लपट बहु कोटी कराला नात मातु हा सुनिय पुकारा इही अब सर को हम ही उबारा
25:01नगर अनात कर जैसा जारा नगरुनी मिशेक माही एक विदीशन कहगर जुनाही आकर दूत अनल जही सिरिजा जरा नसोते कारन गिरिजा पुलटी पलटी लंका सब जारी कूती परापुनी सिंदु मजारी पूछ बुझाई भोई श्रम धरिल गुरूप बहोरी जनक सुता
25:31तारी तब दयाउं हरश समेत पवन सुतलयाउं कहे हूं तात असमोर प्रणामा सब प्रकार प्रभबूरन कामा दीन दयाल बिरद संभारी हरऊ नातमम संकट भारी तात सक्रसूत कथा सुनाय उबान प्रथाप प्रभु ही समझायूं मास दिवस महु नातो न आवा तौप�
26:01जनक सुतह समुझाई करी बहु बिद धीर जुदीन चरन कमल सिरुनाई गवनु राम पहिकीन
26:10चलत महाथुनि गर्ज सिभारी गर्बस्त्रवाही सुनिनी सिचर नारी
26:15नाधी सिंदु एही पारही आवा सबद किल किला कपिन सुनावा
26:20हर्षे सब विलों की हनुमाना नूतन जन्म कपिन तब जाना
26:24मुख प्रसन तन तेज विराजा कीने सिराम चंद्र कर काजा
26:29मिले सकल अति भै सुखारी तलपत मीन पाव जिमिबारी
26:33चले हर्षिर गुनायक पासा पूछत कहत नवल इतिहासा
26:38तब मदवन भीतर सब आए अंगद सम्मत मदपल खाए
26:42रखवारे जब बरजन लागे मुष्टि प्रहार हनत सब भागे
26:47जाई पोकारे ते सब बन उजार जुब राज
26:51सुन सुग्रीव हरश कपी करियाए प्रभुकाज
26:55जोन होती सीता सुधिपाई मदवन के फल सकही किखाई
27:00इही बिधी मन विचार कर राजा आई गये कपी सहित समाजा
27:05आई सबनी नावापद सीसा मिलेउ सबनी पति प्रेम कपीसा
27:09फूँछी कुसल कुसल पद देखी राम कृपाभा काजु बिसीसी
27:14नाथ काजु की नहीं हनुमाना राखे सकल कपिन के प्राणा
27:18सुनी सुक ग्रीव पहूरी तेही मिलाउ कपिन सहित रगुपति पही चलेउ
27:23जाम कपिन जब आवत देखा कि ये काजु मन हरश बिसेसा
27:28फंटिक सिला बैठे दव भाई परे सकल का पिचर नहीं जाई
27:32प्रीति सहित जब भेटे रगुपति करुना पुंज
27:36पूचि कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज
27:41जाम बंत कह सुनुर गुराया जापर नात करहु तुम दाया
27:46ताही सदा सुब कुसल निरंतर सुर नर्मुनि प्रसन्न ता उपर
27:50सोई विजय विनई गुन सागर तास सुदसुत्रे लोग उजागर
27:55प्रभु की कृपा भयाउ सब काजू जनम हमार सुफल भा आजू
27:59नात पवन सुतकीन जुकरनी सहसा हूख न जाई सोबरनी
28:04पवन तने के चरित सुहाए जाम वंत रगुपति ही सुनाए
28:08सुनत कृपान धुमन अतिभाए पुनी हनुमान हरश ही अलाए
28:13कहा हूँ तात के ही भाती जान की रहती करती रच्छा स्वप्रान की
28:17नाम पाहरू दिवस निसी ज्यान तुमार का पाठ
28:22लोचन निजपद जन्तृत जाही प्रान के ही भाठ
28:26चलत मोही चूडा मन दीन ही रगुपति हिर्दैलाई सुईलीन ही
28:31नाथ युगल लोचन भरिबारी बचन कहे कच जनक कुमारी
28:35अनुज समेत गहे हु प्रभु चर्णा दीन बंधु प्रण तारती हरना
28:40मन क्रम वचन चरन अनुरागी कही अप राध नात हों त्यागी
28:45अब गुण एक मोर मैं जाना वितुरत प्रान नकीन पयाना
28:49नात सुनय नहीं को अप राधा निसरत प्रान करही हाठी बाधा
28:54पीरह अगिनितन थूल समीरा स्वास जरै छन माही सरीरा
28:58नैनस प्रवही जल निज हित लागी जरै नपाब देह भिरहागी
29:03सीता कै अति विपति विसाला भी नहीं कहे भल दीन दयाला
29:07निमिश निमिश करुणाने भी जाही कलप समझी ती
29:11बेगी चलिय प्रभुआनिया भुझ बल खल दल जीती
29:16सुनी सीता दुख प्रभु सुक आयना भरी आये जल राजी बनैना
29:21पचन काय मन मम गति जाही सपने उबूझ य विपति किताही
29:25कहा हनो मन्त विपति प्रभु सोई जब तब सुमिरन भजन न होई
29:30केतिक बात प्रभु जातु धान की रिपुही जीती आनी भी जान की
29:34सुनू कपी तो ही समान उपकारी नहीं को सुरु नर्मुनि तन धारी
29:39प्रति उपकार कराओ कातो रासन मुख होई न सकत मन मोरा
29:43सुनु सुत्र तो ही उरीन मैं नाही देखें उकरी विचार मन माही
29:48पुनी पुनी कपी ही चितव सुर्त्राता लोचन नीर पुलक अति गाता
29:52सुनी प्रभु बचन बिलो की मुख गात हरशिहन मंत
29:57चर्न परे प्रेमा कुल त्राही त्राही भगमंत
30:01बार बार प्रभु चहें उठावा प्रेम मगन तोई उठब नभावा प्रभु कर पंकज कपी कैसी सा सुमिरी सुधसा मगन गौरी सा
30:11साव धान मन करिपुन संकर लागे कहन कथा अति सुन्दर कपी उठाई प्रभु हिर्दे लगावा कर गई परमनिकट बैठावा
30:20कहु कपी रावन पालित लंका केही बिद दहे उदुर्ग अति बंका प्रभु प्रसन जाना हनुमाना बोला बचन बिगत अभिमाना
30:29सखा म्रग के बड़ी मनुसाई साखा ते साखा पर जाई नाधी सिंदु हाटक पुर जारा निशी चरगन बदी बिपिन उजारा
30:38सो सब कव प्रताप रगुराई नाथ नकचुमोरी प्रभुताई ता कहुं प्रभु कुछ अगम नहीं जा पर तुम अनुकूल तब प्रभाव बढ़ बावन लागी जारी सकै खलुकूल
30:51नात्र भगति अती सुख दायनि देहों कृपा करी अनपायनि सुनी प्रभु परम सरल कपि बानी एवं मस्तु तब कह उबवानी
31:00जमाराम सुभाव जेही जाना ताही भजनु तजिभाव न आना यह संबाद जासु उर आवा रगुपति चरण भगति सोई पावा
31:09सुनी प्रभु बचन कहा ही कफि बिंदा जै जै जै कृपाल सुख कंदा तब रगुपति कफि पति ही बुलावा कहा चले कर करहु बनावा
31:18अब बिलंब के ही कारण कीजै तुरत कपिन कहु आय सुदीजै ओ तुक दे कि सुमन बहु बरशी दब दे भवन चले सुरहरशी
31:28कफि पति बेगी बोलाए आय जूथ अप जूथ नाना बरन अतुल बल बानर भालु बरूत प्रभुपद पंकजना वही सीसागर जही भालु महावल कीसा देखी राम सकल का पिसेना जिताई कृपा करी राजिव नैना
31:46राम कृपा बल पाई कपिंदा भए पच्छ जुत मनहु गिरिंदा धर्श राम तब खीन पयाना सगुन भए सुन्तर सुबनाना जासु सकल मंगल मैं कीती तासु पयान सगुन यहनीती प्रभु पयान जाना बैदे ही फरकिबाम अंगजन कही दे ही जोई जोई सगुन जा
32:16गगन मही इच्छा धारी किहरी नाद भालू कपिकर ही डगमगाही दिगज चिकर ही दिगज डोल महीगिरी लोल सागर खर भरे मन हरश सब गंधर्व सुर्मुनी नाग किनर दुखतरे कट कट ही मर कट विकट भट बहु कोटी कोटिन धावही जैराम कबल प्रताप को सल ना
32:46दसन पुनी पुनी कमट पुष्ट कठोर सो किमी सोहनी रगुदीर रुचिर प्रयान परिस्तिती जानी परम सुहावनी जन कमट खर पर सर्प रास सोन लिखत अभी चल पावनी यही विद जाई कृपानी धी उत्रे सागर पीर जह तह लागै खान भल भालू भी पल कपिब
33:16सिचर कुल केर उबार जास दूत बलबर निन जाई तिही आये पुर्खवन भलाई दूतिन सन सुनी पुर्जन बानी मन दो दरी अधिक अकुलानी रहसी जोर कर पति पग लागी बोली बचन नी तीरस पागी कंत करश हरी सन परिहरहूं मोर कहा अतिही तिही धरहूं समुज
33:46पीन दुखदाई सीता सीत निसासम आई सुनहु नात सीता दिन दीन है हितन तुमार संभु अजकीन है दामवान ऐगन सरिस निकर निसाचर भेख जब लगी ग्रसत न तब लगी जतन करहूं तज देख श्रवन सुनी सठता करिबानी दिहसा जगत विजित अभिमानी सभय स
34:16खाई कप ही लो कप जाकी त्रासा का सुनारी सभीत फिड़ हासा अस कही भी हसिता ही उर लाई चले उस अभा ममता अधिकाई
34:25मन्दो दरीह दैकर चिंता भाय उकंत पर बिधिवित रीता पैखें सभा खबर असिपाई सिंधु पार से ना सब आई
34:34भूजे सिजचीव उचिंत मत कहूं ते सब हासे मश्ट करी रहा हूं किते हूं सुरासु तब शम नाही नर बानर के लेके माही
34:43सचिव बैद गुर्पीन जो प्रिय बोला ही भै आस राज घर्म तन तीनी कर होई बेगही नास
34:52सुई रावन कहूं बनी सहाई अस्तुति करह सुनाई सुनाई अब सर जानि व्युदी सनु आवा भ्राता चरण सी सुते हिनावा
35:01बुनी सिरुनाई बैठ निज आसन बोला बचन पाई अनुसासन जो प्रपाल फूछी हुमोई बाता मति अनुरूप कहूं हित तादा जो आपन चाहे कल्याना सुजस सुमति सुब गति सुकनाना
35:15सो पर नारी लिलार गुसाई तजव चौति के चंद किनाई चौदह भुवन एक पति होई भूत द्रोह तिष्ठै नहीं सोई गुनसागर नागर नर्जो अलप लोभ बल कहाई नको
35:29काम प्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंच सब परिहरी रग भी रही भजहू भजही जही संत
35:37तात राम नहीं नर्भू पाला भुवनेश्वर काला हो करकाला रम्ह अनामे अज भगवन्ता व्यापक अजित अनादी अनन्ता
35:47कोजुज देनु जेवहित कारी कृपा सेंदो मानुष तन धारी जन रन जन भन जन खल ब्राता वेद धर्म रच्छक सुन भ्राता ताही बयरुत जिनाय इमाथा प्रण तारित भन जन रगुनाथा
36:00देहु नात प्रभु कहु बैदेही भजहु राम बिनु हेतु सनेही सरन गए प्रभु ताहु न प्यागा विस्व भोह पृत अग जेहि लागा जासु नाम त्रैताप नसावन सोई प्रभु प्रकट समझ दियरावन
36:14बार बार पजलागाँ दिनै कराँ दससीस परिहरीमान मोहमद भजाओं कोसलाधीस मुनिपुलस्ति मिजसिस्यसन कही पठाई यह बात दुरत सोमय प्रभु सन कही पाईस अवसरु साथ
36:32मल्यवन्त अतिस अचिव सयाना तास बचन सुनी अतिस कुमाना थात अनुज तब नीति विभुशन सो उर धराउं सो कहत विभीशन रिपूत करश कहत सथ दो दूरी न करहू याहाई को
36:46मल्यवन्त गर्ः गयों बहोरी कहाई बिभीषन पुनी कर जोडी सुमत कुमत सब कै उर रही नात पुरान निगम अस कहाई
36:55जहां सुमत तह संपति नाना जहां कुमत तह भीपति निदाना तब उर कुमत वसी विप�rete आहित अनहित माना उरी कुपृता
37:04काल राति निसिचर कुल केरी तेह सीता पर प्रीति घनेरी तात चरण गही मांगउं राखाउं मोर दुलार
37:12सीता देहूं राम कहूं अहित न होई तुम्हार
37:17पुध पुराण शुटि सम्मत बानी कही बिभीशन नीति बखानी सुनत तसानन उठारी साई खल तोही निकट बित्यु अब आई
37:26जानी न जाई निसाचर माया काम रूप कही कारन आया देद हमार लेन सट आवा राखिय बादी मोही असभावा
37:35सथा दीति तुम नीकी विचारी ममपन सरनागत भैहारी सुनी प्रभु बचन हरश हनुमाना सरनागत बच्छल भगवाना सरनागत कहु जेत जही बिज अनहित अनुमानी
37:49तेनर पावर पाप मैं दिन हैं बिलोकत हानी पोटी विप्र बदला गई जाहू आय सरन तजहू नहिताहू
37:58सनमुक होई जीव मोही जबही जनम पोटी अगना सही तबही पाप बंत कर सहस सुभाव। भजन मोर तही भाव नकाव।
38:07चौपै दुष्ट हिर्दै सोई होई मोरे सनमुक आव कि सोई निर्मल मन जन सो मोही पावा मोही कपल छल छिद्र नभावा धेद लेन पटवादस सीसा तबहु नकाचुभै हानी कपीसा जग महु साखानी साचर जेते लचि मनुह नहीं मिश्मुहु देते जो सभी तो आ�
38:37हनु समेत साजर तेही आगे करिबानर चले जहां रगपति करुना कट दूरही पे देखे द्वा ब्राता नैना नंद तान के दाता बहुरी राम छबिधाम बिलोकी रहें उठटकी एक टक पल रोकी पुझ प्रलंब कंजारुन लोचन स्यामल गात प्रनत भैमोचन सिंध कं
39:07कर मैं भ्राता निसी चरवन्स जनम सुरुत्राता सहज पाप प्रियतामस देहा जथा उलु कहीं तम पर नेहा श्रवन सुझ सुसुनि आयां प्रव भंजन भव भीर त्राही त्राही आरती हरं सरन सुखत रगवीर
39:24हस कही करत दंडवत देखा तुरत उठे प्रव हरश विसेशा बीन बचन सुनि प्रभु मन भावा भुझ विसाल कही हिर्दै लगावा अनुझ सहित निली दीग बैठारी बोले बचन भगत भैहारी पहु लंकेस सहित परिवारा तुसल पुठा हर बास तुम्हारा
39:42खल मन डली बसा हु दिन राती सखा धरमनी बहाई के इभादी नै जानाओ तुम्हारी सब रीती अतिनैनी पुन नभाव अनीती बरु भल बास नरक करता ता दुष्ट संग जनि देई विधाता अब पद देखी कुसल रगुराया जो तुमकीनी जानी जन दाया
40:00तब लगी कुसल न जीव कहूं सपने हु मन विश्णाम जब लगी भजत न राम कहूं सोक धाम तजी काम तब लगी हिर्दे बसत खल नाना लोग मोह मच्छर मद माना
40:14जब लगी उर्ण बसत रगुना था धरे चाप सायक कटिभा था हमता तरुण तमी अंधियारी राग द्वेश उलुक सुखकारी
40:23तब लगी बसती जीव मन माही जब लगी प्रभु प्रताप रभिनाही अब मैं कुसल मिटे भैभारे देखी राम पद कमल तुमारे
40:32तुम गृपाल जा पर अनुकूला ताहिन ब्यापत विद्वाव सूला मैनिस चर अतिय धम सुभाव सुभरा चर नुकीन नही काव
40:41जासु रूप मुन ध्यान नावा तेही प्रभु हर शिहर्दय मोहिलावा अहो भाग्यमम अमित अति राम प्रपासुक फुंज तेखाऊ नयन विरंची सिव सेविजु गलपद कंची
40:54सुनहु सखा निज कहु सुभावु जान भु सुन्धी संबुगर जाऊं चौनर होई चरा चर ग्रोही आवै सभै सरन तकी मोही
41:04तजी मद मोह कपट छल नाना करऊ सत्य तेही साधु समाना जननी जनक बंदु सुत दारा तनुधन भवन स्रहद परिवारा
41:13सब कैमम ताताग बटोरी मम पदम नहीं बांद बरी डोरी सम दरसी इच्छा कचुनाही हरस सोक भय नहीं मनमाही
41:22अस सज्चन मम उर्बस कैसे लोग हिर दैवस इधन जैसे तुम्हाई सरीक संत प्रियमोरे भरओ देह नहीं आननी होरी
41:31सगुन उपासक फरहित नीरत नीत द्रण नेम तेनर प्रान समान मम जिनके विजपत प्रेम
41:39सुन लंकेस सकल गुन तोरे ताते तुम्ह अतिसे प्रियमोरी राम पचन सुनिवानर जूथा सकल कहा ही जै कृपा बरूथा
41:49सुनत बिभीषण प्रभु कैबानी नहीं अघात स्रवनामृत जानी पद अम्बुज गही बारही बारा पिरदै समात्न प्रेमु अपारा
41:58सुनहु देव सचराचर स्वामी प्रनत पाल उर अंतर जामी उर कचु प्रथम बास ना रही प्रमुपत प्रीति सरित सोबही अब कृपाल निज भगति पावनी देहु सदासिव मन भावनी एव मस्तू कही प्रभुरण धीरा मागा तुरत सिंधु कर नीरा जद पिसा खा
42:28समीर प्रचंड जरत विदीशन राखेऊ दीने उराजु अखंड जो संपत शिवरावन ही तीन ही दिये दसमात सोई संपदा विदीशन ही सकुझ दीन रगुनात अस प्रभु छाड़ी भजाही जे आना तेनर पसुबिन पूच बिशाना विज जन जानिता ही अपनावा प
42:58प्रति पालक कारण मनुज दनुज कुल घालक सुनु कपीस लनका पति बीरा केहि पिदितरिय जलदी गंभीरा संकुल मकर पुरग जश जाती अति अगाद तुस्तर सब भाती कह लनकेस सुनहुर घुनायक कोटी सिंदु सोशक तव सायक जत्त पितत पिनितिय सिगाई बिन
43:28सखा कही तुम नीकी उपाई करिय दैव जो होई सहाई मंत्र न यहल चिमन मन भावा राम बचन सुनि अति दुख पावा नाथ दैव कर कवन वरोसा सोशिय सिंदु करिय मन लोसा कादर मन कहुं एक अधारा दैव दैव आलसी पुकारा सुनत भिहसी बोले रग बीरा ऐसे ही
43:58बैठे बुनी तट दर्ब डसाई जब आही बिवीशन प्रभु पहियाए पीछे रावन दूत पठाई सकल चरित तिन देखे धरे कपट कपि देः प्रभु गुन हिर्दै सराही सर नागत परने है प्रकट बखा नही राम सुभाओ अतित प्रेम गाभी सरी धुराओं रि
44:28ग्रीव बचन का पिधाए बांधी कटक चहु पास तिराए बहु प्रकार मारन का पिलागे दीन पुकारत तद पिन त्यागे जो हमार हरना साकाना तेही कोस लाधी इसके आना सुनी लचिमन सब निकट बुलाए तया लागी हस तुरत छोडाए रावन करती जहु यह पाती
44:58तुरत नाई लच्मन पद माथा चले दूत बरनत गुन गाथा कहत रामज सुलंका आए रावन चरन सीस तिन नाए बिहसी दसानन पूछी बाता कहसीन सुक आपन कुस लाता
45:13पुनी कहु खबरी भीभी सण केरी जाही मृत्य आई अति नेरी खरत राज लंका सट क्यागी हो यही जव कर कीट अबागी
45:22पुनी कहु भालु कीस कटकाई कठिन काल प्रेरित चली आई जिनके जीवन कर रखवारा भायो मृगुल चित सिंदु बिचारा
45:31कहु तप सिन के बात बहोरी जिनके हिरदै त्रास आति मोरी इभाई भेट के फिरी गए श्रवन सुगस सुनी मूर कह सिनरी पुदल तेज बल बहुत चकित चित तोर
45:44नात क्रपा करी पूछे हु जैसे माना हु कहा त्रोध तजी जैसे मिला जाई जब अनुझ तुम्हारा जाता ही राम ती लखते ही सारा
45:58रावन दूत हम ही सुनी काना कपिन बान दीने दुख नाना सबन नासिका काटे लागे राम सपत दीन है हम त्यागे
46:07पूछे हु नात राम कटकाई बदन कोटी सत बरन इन जाई नाना बरन भालु कपिदारी बिकटा नन विसाल भयकारी
46:16यही पुर्दहे हु हते हु सुत तोरा सकल कपिन महते बल धोरा अमित नाम भट कठिन कराला अमित नाग बल विपुल विसाला
46:25विविध मयंद नील नल अंगद गद विकटासी कदि मुक्के हरिनि सठ सठ जाम वंद बल रासी
46:34एक पि सब सुक्रीव समाना इन समकोतिन गईन कुनाना राम कृपा अतुलिद बलती नहीं तनु समान त्रीलो कही गनही
46:43असमै सुना श्रवन दस कंधर पदुम अठार जूर कब बंदर नाथ कटक महसो कपिनाही जोन तुमही जीते रनमाही
46:52मरम क्रोध मी जही सब हाथा आयस पैन तेही रगुनाता सोश ही सिंदु सहित जश ग्याला पुरहिन का भरी कुधर पिसाला
47:02मर्दी कर्द मिल वही दस सीसा ऐसे ही बचन कहई सब कीसा गर जही तर जही सहस असंका माना हुग रसन चहत है लंका
47:11सहज सूर का पिभालो सम पुनिसर पर प्रभुराम रावन काल कोठी कहुँ जीती सकही संग्राम
47:20राम तेज बल बुधि भिपुलाई सेश सहस सत सकही नगाई सकसर एक सोशिसत सागर तव भ्राता ही पूछे उनै नागत
47:29सासु बचन सुनि सागर पाही मागत पंत क्रपामन माही सुनत बचन दिह साजस सीसा जो असी मति सहाय कृत कीसा सहज भीरुकर बचन डुडाई सागर सन थानी मचिलाई
47:42मोढ म्रिशा का करसी बढाई रिपुबल बुध्धि थाह मैं पाई सचीव सभित भी भी शन जाकें विजय भी भूती कहां जग ताकें सुनि खल बचन दो तरिस बाड़ी समय बिचारी पत्र का काड़ी
47:56रामा अनुज दीनी अह पाती नात बचाई जुडावं चाती बिहसी बाम कर लीनी रावन सचीव बोली सठ लाग बचावन भातन मानी रिजाई सठ जनिधाल सिकुल खीस
48:09राम बिरोधन अउबरसी सर्ण विष्ण अज इशी इत जिमान अनूज इव प्रभुपत पंकज भंग भोहि की राम सरानल खल कुल सहित पतंग
48:22सुनत सभैमन मुख मुसकाई कहत दसानन सब ही सुनाई भोमी पराकर गहत अकासा लगुता पसकर भाग बिलासा कह सुकनात सत्य सब बानी समझू छाड पधर्ति अभिमानी
48:37सुनहु बचनमं परिहरी क्रोधा नात राम सनत जहु विरोधा अंकि कोमल रगु बीर सुभाओ जग्द प्यकिल लोक कर राओ
48:46मिलत कृपा तुम पर प्रभु करही गुर अपराधन एक अउधरई जनक सुदा रगु नात ही बीजे इतना कहा मोर प्रभु कीजे
48:55जब तेही कहा देन बैदे ही चरन प्रहार कीन सटते ही नाई चरन सिरु चला सोता हां गृपा सिंधुर दुनायक जाहां
49:04करी प्रणामु ने जु कथा सुनाई राम गृपा आपनी गति पाई रिसी अगस्त की साप भवानी राच्छस भयो रहा मुनि ज्यानी
49:13मंदी राम पज बारही बारा मुनि निज आश्रम कहु पगुधारा विने नमानत जलती जडती कए तीन दिन बीती बोले राम सकोप तब भैविनु होई न प्रीती
49:26लचिमन बान सरासन आनू सोशों बारती पिसकत जानू सठ सन बिने कुटिल सन प्रीती सहजक पन सन सुन्दर मीती ममतारत सन ज्यान कहानी अतिलोगी सन पिरती बखानी
49:40ग्रोधी ही समकामी ही हरिक था उसर बीज बैफल जथा असकही रगुपती चाप चड़ावा यह मतलची मन के मन भावा
49:49संधाने उप्रव विसिक कराला उठी उददी उर अंतर ज्वाला मकर उरग जशकन अकुलाने जरत जन्तु जलनिदी जब जाने
49:58कनक थार भरी मनिगन नाना विप्र रूप आयाउत जिमाना कोट ही पै कदरी फरै कोपी जतन को सीच दिने न मान खगेस सुनू जाट ही पै नवनीच
50:11सबै सिंदु गई पद प्रभु केरे चमव नात सब अव बुण मेरे कगन समीर अनल जल धरनी इनकई नात सहज जड करनी
50:21तब प्रेरित माया उप जाये स्ष्टिहेत सब घ्रंत निगाये रभु आये सुझेह कह जस आई सोत ही भाती रहे सुकलाई
50:30प्रभु भलकी नमोहि सिक्ती नी मर जादा पुनि तुमरी कीनी दोल गवार सुत्र पसुनारी सकल ताड नाके अधिकारी
50:39प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई उतर ही कटकु न मोरी बढ़ाई प्रभु आज्या अपेल शुर्तिगाई करों सुबेगी जो तुमैं सुखाई
50:48सुनत बिनीत बचन अती कह कृपाल मुसुकाई येही बिदी उतरे कपी कटु तात सुकह उपाई
50:56नाथ नील नल कपी तव भाई लरीकाई रिस आसिस पाई दिनके परस कियें गिरिभारे तरिहाई जलती प्रताप तुमारे
51:06मैं पुनि उर्धरी प्रभु प्रभु दाई करियों बल अनुमान सहाई
51:10यही विधिनात पयोदी बंधाई यही यह सुझ सुलोकती हुगाई
51:15यही सर्मम उत्तर तट बासी हताउ नात खलनर अधरासी
51:20सुनि कृपाल सागर्मन पीरा थुरता ही हरी रामरन धीरा
51:24एखी राम बल पोरुष भारी हरश पयोनि दिभयो सुखारी
51:29सकल चरित कही प्रभुई सुनावा चरन बंधि पातोदी सिधावा
51:33इज भवन गवनेव सिंदु शी रगपती यह मत भायाउं
51:38यह चरित कली मल हर्ज थामती दास दुलसी गायाउं
51:43सुक भवन संचै समन दवन विशाद रगपती गुनगना
51:48तक सकल आस भरोस गावही सुनही संतत सठमनान
51:52इती श्री मद राम चरित मानसे
51:56सकल कलिकल शुविद्वन सने पंचम सोपान समाप्त
52:03कलियुके समस्थ पापो का नाश करने वाले
52:08श्री राम चरित मानस का यह पाचम सोपान समाप्त हुआ
52:13जै श्री राम
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