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  • 6 days ago
कहानी जिंदा गुड़िया // कहानी आलू प्याज़ की बारिश // कहानी इंद्रधनुषी जूते और नन्हा बादलू // कहानी एक बहुत गरीब किसान

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00:00कहानी है जिन्दा गुडिया की
00:02एक दिन निलम उसके पती और उसकी छोटी बेटी लच्मी डपपुकुर गाउं में एक घर में रहते थे
00:10एक दिन पूरे परिबार एक मेले में गई
00:16जब सारे परिबार मेले में जा रहे थे
00:20तो सब लोग मिलकर खूब मज़े कर रहे थे
00:24और तब ही उसकी बेटी लच्मी की नजर एक गुडिया की दुकान पर पड़ी
00:30लच्मी के माता पिता को लच्मी को उस दुकान पर ले जाना पड़ा
00:38क्योंकि बहे बेचैन थी
00:40जब दुकान पर सब लोग गई तो लश्मी को एक गुरिया पसंद आई
00:49और जब वह लश्मी को वही गुरिया चाहिए थी
00:56तो दुकानदार ने गुरिया देते हुए कहा
01:01गुरिया को बहुत अच्छे से ध्यान रखना
01:06लश्मी ने कहा हाँ अंकल जी मैं गुरिया को बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखूंगी
01:14यह कहकर लश्मी और उनके पुरे परिबार दुकान से चला गया
01:19रास्ते में चलते चलते तभी लश्मी की नजर गुरिया की आँखों में पड़ी
01:25उसे लगा की गुरिया की आँखे जिन्दा है उसने इस बात पर जादा ध्यान नहीं दिया
01:34और बह गुरिया लेकर घर चली गई जब बह घर आये तो लश्मी और उनकी फैमिली उनने कुछ नहीं खाया
01:47क्यूंकि उन्होंने मेले से खाकर आये थे
01:50जब बह लश्मी सोने गए तो लश्मी ने गुरिया को अपने लकडी के कुर्शी पर रख दिया और सो गई
02:00आधी रात हो चुकी थी हावा जोरों से बह रही थी
02:07बीच बीच में आसमान में गरजने की आवाज आ रही थी
02:16थोड़ी देर बाद आसमान और जोर से गरजने लगा और जोर जोर से बारिस होने लगी
02:22लस्मी के माता पिता घर में गहरी नीन में सो रही थी
02:29उसी टाइम लच्मी का नीन खुल गई और उसे लगा जैसे कोई उसे बुला रहा है
02:40उसने इधर उधर देखा जैसे उसे कोई दिखाई ना दे रहा हो
02:49फिर उसकी नजर फर्स पर पड़ी उसने फर्स पर गुडिया देखी
02:55गुडिया ने मुस्कुरा कर बोली लच्मी मेरे साथ खेलोगी
02:59मैं तुम्हारा दोस्त हूँ चलो लच्मी तुम फिर से बात कर सकते हो
03:06गुडिया ने जवाब दिया हाँ मैं बात कर सकती हूँ
03:10तुम आओ या ना आओ, हम खेलते हैं
03:15आओ, आओ, आओ
03:17फिर उसकी बातों से मोहित होकर लचमी खेलने लगी
03:23लचमी बहुत छोटी थी
03:25इसलिए उसे नहीं पता था कि कोई गुडिया बोल सकती है
03:30बहे कमरे के कोने में गुडिया से बाते करने लगी
03:34लच्मी की आवाज सुनकर उसकी माँ उठकर बैठ गई और लच्मी को अपने पास ना पाकर फिर उसकी नजर कमरे के कोने पर परी
03:46लच्मी की माँ ने लच्मी को गुडिया से खेलते हुए देखा तो उसकी माँ को थोड़ा घुसा आया और उसने उसे आवाज दी
03:55लचमी तुम महा क्या कर रहे हो आकर सो जाओ फिर लचमी की मा सो गए
04:02लचमी की मा ने लचमी के पापा को उस घटनाओं के बारे में बताया
04:08लेकिन उसने उन्हें बहम कर टाल दिया
04:11अगली सुभा तो अराम से बीध गई लेकिन जब रात हुई तो फिर वही हुआ
04:17इस बार जब निली मा ने सारी घटनाए अपनी आँखों से देखी
04:22तो उसके सिर से ठंडी हावा सी बहती हुई लगी
04:26फिर लच्मी के पती ने भी वह घटना देखी
04:30उस रात वे बिना कुछ कहे सो गए
04:34लच्मी के पापा अगली रात उन्होंने तै कि
04:38अगर लच्मी सो गई तो वह रात में गुरिया जला देगी
04:42धीरे धीरे रात हुई लच्मी सो गई
04:45और उन्होंने उस मुके का फाइदा उठा कर गुरिया को बाहर जलाने ले गई
04:51गुडिया में आग लगने ही वाली थी कि वह घर से बाहर आ गई
04:56जब उसके पिताजी पीछे मुड़े तो उन्होंने वह अजीब नजारा देखा
05:02लच्मी के बाल बिखरे हुए है उसने जो लाल साडी पहनी है उससे उसका चहरा ढखा हुआ है
05:10और बहे पांस साल से तच्छी साल के लड़की लग रही है लगभक साथ फीट लंबी और अचानक कहीं से हवा के एक जोके ने उसके बालों को उसके चहरे से हटा दिया
05:25ऐसा देखा गया कि उसके बहानक गालों से खून बह रहा था और उसके चहरे से मास गिर रहा था
05:35ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे जला दिया हो
05:40लच्मी ने बोली मरेगी अगर सब लोग जिन्दा रहना चाते हो
05:48तो मेरे गुरिया मुझे बापस कर दो
05:51यह करकर वह जोर जोर से हसी और बाद में उसका शरी समानने हो गया
05:57जब लच्मी को होंस आया तो उसने देखा कि वह बाहर पड़ी है
06:02उसने अपने माता पिता से पूछा
06:05मा हम बाहर क्यूं है
06:08लच्मी के माता पिता वह बिना कुछ कहे चुप चाप घर के अंदर चले गए
06:14और कहा सो जाओ कुछ नहीं हुआ लच्मी सो गई
06:18लेकिन उसके पिता को नीद नहीं आई
06:22लच्मी के पिता ने दुकांधार के पास जाने का फैसला किया
06:26ताकि उससे कुछ पता चल सके
06:29अगली सुबा लच्मी के पिता किसी काम से बगल वाले कमरे में चले गए
06:35फिर काम से घर लोटते समय
06:38उन्होंने वकुल के खेत में दुकांदार को देखा और सवाल का जवाब धुनने के लिए पुस्तास करने लगे
06:45दुकांदार पहले तो वह कुछ कहना नहीं चाते थे लेकिन जब उनके पिता ने जोर दिया तो उन्होंने सच बता दिया
06:54तुकंदार ने बोला अगर आप इतना जोर देते हैं तो सुनिए यह गुरिया तीत की थी वह इस गुरिया से बहुत प्यार करती थी उसका घर इस गाउं से कुछ ब्लॉक दूर था एक ऐसा गाउं में जहां उसके माता पीता नहीं थे उसे उसकी चाची ने पाला था जाहिर
07:24काम करना पड़ता था वह बड़ी मुश्कील से बड़ी हुई वह 20 साल की थी और उस समय वह एक लड़के से अलग हो गई थी उस लड़के का घर बहुत दूर था लकिन उस लड़के से बहुत प्यार करता था एक दिन उसकी साधी हो गई और वह अपने चाचा चाची के पा
07:54फिर उनका वेटा हुआ, वे अपने बच्चों और गुडियों के साथ बहुत खुश थे, उसी समय हासा हो गया, हर दिन की तरह पती काम पर गया, फिर बहुत देर हो गई थी, और जल्दी घर लोटने के लिए उसने जंगल का रास्ता लिया,
08:15जंगल से निकलते समय अचानक उसका पैर फिशल गया, बहुत गंबीर चोट लगा, ज्यादा चोट लगने के करण उसकी मिर्टू हो गई, सुबह कुछ किसानों ने देखा और उसके घर ले गए, यह दिर से देखकर उसके परिबार रो पड़े, फिर उसके घर में खुसिया
08:45उसकी याद नहीं भूल पा रही है, एक दिन हरी चंद उनके घर आया, और उनके बहु के लिए एक प्रस्ताफ रखा साधी का, उनके बहु ने साधी से इंकार कर दिया, और उनको जाने को कहा, फिर अपने फैमिले के साथ खुसी खुसी रहने लगा, एक सांत और दूस्त �
09:15उसने गाओं के वीजवाय और अविवास फिलाया, जिससे वै एक दूसरे पर सब करने लगे, धीरे उसने एक एक करके उसने सभी को माट डाले, जिसने उसे बदला लेना था, परंतु उसकी आत्मा को सांती नहीं मिली, एक दिन गाओं की एक मासूम लड़की अचानक गै�
09:45नदी के किनारे पोँचे, जहां उसने उसे एक पुरानी गुडिया के साथ खड़ा पाया, जो किसी अर्दिस से बैक्ती से बात कर रही थी, उसकी आँखों में एक अजीब सा खालिपन था, और वहे वापस गाओं नहीं आई, इस रहसे ने गाओं के लोगों के दिल में ए
10:15कहानी है आलू प्यांच की बारिस, एक बार की बात है, एक छोटे से गाओं में लोग बहुत परिसान थे, कई दिनों से आस्मान में बादल तो थे, मगर बारिस का नामों निसान नहीं था, उस गाओं में खेत सुक चुके थे, किसान मायूस थे,
10:38गाओं बालों को दुखी देखकर गाओं के एक पंड़िजी ने बोले, अगर भगबान खुस हो जाए तो खूब बारिस होगी, पंड़िजी के बाते सुनकर गाओं बाले सब मंदिर में जुट गए, और पूजा पाथ हुआ, ढोल नगारे बजे, दो तिन दिनों से पू�
11:08करने लगे, हसी खुशी में नास्ते नास्ते एक थोड़ी देर में एक ऐसा चमतकार हुआ, पर फिर लोगों ने देखा, अरे ये क्या है, अस्मान से पानी के साथ साथ आलू और प्याज भी गिर रहे हैं, किसी के सीर पर प्याज गिरा, किसी के सीर पर आलू गिरा, कोई आ
11:38भूके प्यासे बच्चे खुशी से चिलाने लगे आलू प्याज गिर रहे हैं आब सबजी खरीदने के कोई जरूरत नहीं पड़ेगा गाउं की औरते टोकरी लेकर बाहर निकल आई
11:50उसी टाइम एक लेडिस ने बोली आज तो पकोडों की बरसात होगी दूसरी लेडिस बोली बस आप टमाटर की बारिज भी हो जाए तो चटनी बन जाए लेकिन तब ही गाउं के चतूर लालू ने कहा भाई जल्दी से आलू प्याज एककटा कर लो भगवान नराज हो तो कद
12:20उस दिन गाउं में सच में दावत हुई आलू प्याज की सबजी सबने बनाए आलू के पराठे प्याज के पकोडे और सब लोग मिलकर उस दिन बड़े मजे से खाया और सबों के पेट भर गया सबने मिलकर भगवान को धन्यवाद दिया काफी दिनों से उन्होंने भर पे�
12:50एक बार की बात है आस्मान के उपर एक छोटा सा नन्ना बादल रहता था उसका नाम था बादलू
12:57बाकी बादल बड़े बड़े ताकतवर और बरसात करने में माहिर थे
13:03लेकिन बिचारा बादलू जब भी कोशीज करता
13:09बस टप टप दो बुंदे ही गिराती सारे बड़े बड़े बादल हस्ते
13:16अरे बादलू तू तो दो बुंद का बादल है बादलू उदास हो जाता है बादलू मनमन में सोचने लगता है कास मैं भी बारिस कर पाता
13:28एक दिन बादलू रोते रोते धर्ती के काफी करीब आ गया नीचे एक गाओं था और वहाँ नन्ना बच्चा गुडिया खेल रही थी उसने जब बादलू को उदाज देखा तो बोली अरे छोटे बादल तू रो क्यों रहा हैं
13:48बादलू ने अपना सारा दूख बता दिया उस छोटे बच्ची को गुडिया ने मुस्कुराते हुए कहा
13:55मेरे पास कुछ जादू ही हैं रुपो और गुडिया घर के अंदर दोडी और एक चम चमाता टबा लेकर आई
14:04डिदबा खोली तो उसमें इंदर धनूसी जूटे थे ये मेरे दादा जी ने दिये थे
14:11दादा जी ने कहा था कि ये जूटे श्रिफ उनहीं को सक्ती देता हैं जिनका दिल साफ होता है
14:19इस जूते को तुम पहन कर देखो
14:21जूते को देखकर बादलू चोक गया
14:24लेकिन मैं तो पैर वाला बादल नहीं हूँ
14:26लेकिन गुरिया ने हस कर बोली
14:29पैर नहीं है तो क्या हुआ
14:33जादूई जूते पैरों की चिंता नहीं करती
14:36बादलू ने दूते चुआ और बलक जपकते ही दो छोटे से पैर बन गए
14:43और बादलू खुस होकर हावा में उधने लगे
14:49और तभी धराम धराम अचानक बादलू के अंदर से रंगे बिरंगे छीटों की बारिश होने लगे
14:58लाल निली हरी पिली और तुरे गाओं पर इंदर धनुसी भूंदे बरसने लगी
15:07और बच्चे खुस होकर चीखे इंदर धनुसी बारिश बच्चे कुशी से नाचने लगे
15:16इधर उधर दोडने लगे जहां भी भूंदे गिर्टी वहां छोटे छोटे रंगे बिरंगे फूल उग जाते
15:24और किसान भी खुस, बच्चे भी खुस, पसू भी खुस, तक्से भी खुस, सारा गाओं खुशी से जूम उठा
15:32उस दिन पहली बार बादलू ने खुद पर गर्व किया
15:39बड़े बादल भी अफसार यसे बोले, अरे वा, ऐसा तो हम भी नहीं कर सकते
15:47बादलू मुस्कुराया, क्योंकि जादू ताकत में नहीं, दिल में होती है
15:53और तब से जब भी आसमान में अचाना सात रंग की हल्की बारिस होती हैं, बच्चे समझ जाते हैं
16:02बादलू अपने इंद्र धनुसी जूते पहन कर खेलने आ रहे हैं
16:07उस दिन के बाद बादलू आज तक कभी नराज नहीं हुए
16:11कहानी है एक बहुत गरीब किसान की
16:23वह दिन राद खेत में मेहनत करता था
16:26फिर भी उसके घर में दो वक्त का खाना बहुत मुश्किल से मिलता था
16:33एक दिन जब वह खेत में हल्क चला रहा था
16:41तब ही आसमान से एक तेच रोशनी उतरते हुए देखा
16:46उस रोशनी में से एक एलियन निकला
16:50एलियन को धर्ती पर चल कर आते हुए देखा किसान ने
16:54एलियन ने किसान की महनत और इमानदारी देखी
16:58एलियन ने कहा तुम जैसे लोग ही इस धर्ती की सची ताकत हो
17:05यह कहकर उसने अपने हाथ से एक चमकदार थैली किसान को दी
17:10थैली में सोने के सिक्के थे
17:13किसान सोने की थैली पाकर बहुत खुश हुए और वो अपने घर चले गए
17:19उस दिन के बाद किसान का जीवन बदल गया
17:24और अपना काम छोड़ कर घर में अराम करने लगे
17:29एक दिन सोचने लगा
17:32मैं अपना मेहनत करना छोड़ दूँगा तो मेरा शरीर खराब हो जाएगा
17:38और मैं बिमार पढ़ जाओंगा लेकिन उसने अपनी मेहनत छोड़ी नहीं
17:45क्योंकि अब वह जान गया था कि असली दौलत मेहनत और इमानदारी में होती है
17:52जिन्दकी का असली सुख ना सोना दे सकता है ना पैसना दे सकता है
17:58इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मेहनत करना ही सबसे बड़ी दौलत होती है

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