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अयोध्या राम मंदिर में एक शिला में कैसे प्रकट हुए राम लला, मूर्ति शिल्पी प्रशांत पांडे ने बताया

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00:00इश्वर ने हम सबको गढ़ा है लेकिन जिन्होंने इश्वर की प्रतिमा गढ़ी है आज हम उनसे बात करते हैं वो हमारे स्टूडियो में मौजूद हैं जिन्होंने राम लला को गढ़ा और प्रस्तर से इश्वर तक कैसे पहुंचने की यात्रा होती है वो पूरी यात्रा �
00:30आख्यात मूर्तिकार शिल्पी जैपूर के रत्न हमारे साथ प्रशान्त पंडे जी हैं जिन से हम बात करेंगे आज कि उनकी कैसी यात्रा रही सिर्फ रामलला को गढ़ने के बाद उन्होंने अयोध्या के रामलला मंदिर के 30 से ज्यादा देवी, देवता, रिशी, मुनी उन
01:00लोगों को इश्वर में की आस्था लोगों के अंदर उसे मजबूत करेगा, तीर्थ को एक नई गरिमा दे रहा है, तो ऐसे में जितना एतिहासिक कारे, कहें तो इतिहास में भी खास पन्नों में दर्ज होने वाला कारे किया है, जो जिम्मेदारी इनको मिली उपर से, यान
01:30होत बलवान, तो समय बलवान हैं, और प्रभू कृपा ऐसी कि इन्हें इश्वर को, यानि राम लला को गढ़ने का, सभी रिश्यमूनियों को गढ़ने का अवसर मिला, तो प्रशांत जी आपका आज तक के स्टूडियो में स्वागत है, दन्यवाद और आप सभी को जैश्
02:00अनुभव आये, क्या वो अन्यशिल्प बनाने जैसा ही अनुभव था, या अंदर एक ऐसा चल रहा था कि आप इतिहास को गढ़ने जा रहे हैं, पुरानों को गढ़ने जा रहे हैं, बिल्कुल ये तीन मेने नहीं थे, आठ मेने से ज्यादा समय लगा, ये हमारे लिए ब�
02:30तीन मूर्तिकारों में से एक, मेरे पिता जी श्री सतिनारेन पांडे, जब हम यहां आये और यहां रहे, तो वो जो अनुभव है, वो बड़ा आत्मिय है, इतना आनन्द आया, कि हम भूल गए कि हम कहा है, जो शिला लाए, वो भी विशेष शिला थी, वो 40 साल पुरानी श
03:00ट्राय किये कि उसको हम कैसे कहां से काटे और यूज ले, तो हम विफल रहे, क्योंकि वो इत्ती विलक्षन शिला, फिर जब यहां का, मतलब यह नहीं पता चल पा रहा था कि शुरुवात कहां से करें, कहां से काटना शुरू करें, हम सोचे कि इसको काटे, इसमें से कुछ
03:30फिर यहां आने के बाद फिर जो काज शुरू हुआ वो बड़े आनन्द में हुआ हम यहां रहे सर्यूजी का स्नान करते दिन परती दिन हनमान गड़ी जाते कनभवन जाते दर्शन करते पूजा पाठ करते नियम से जनेव हमारी रहके किस जो जो ब्रह्मन संस्कार है उसका �
04:00यह तो हो गई भाव भक्ती की बार कला ऐसे की राम लला पांच वर्ष के बनाने और उनका जो हाइट है वो चरण से लेके सिर तक पांच पित है यह हमें संग्यान मिला ट्रस्ट की तरफ से स्कैच भी मिला और फिर हमने आठ मैने में उनको गड़ा बड़ा आनंद आया उन
04:30करने हैं बड़ा अच्छे अनुभव रहे पिता जी को सपने में भी दिखते रहते थे और मेरे साथ तो ऐसा प्रसंग हुआ एक बार मैं बैठा था काम कर रहा था
04:43फिर एक संत आये वह आके उनको मैने सामने बैठाया रामला जी का उनका संमान किया कि अध्या संतों की नगरी है बड़े वेरागी संत भी है तो आया ऐसे दर्षन करते हुए तो वह जैसे देखे उन्होंने दर्षन किये बड़े खुश हुए रामला ला गो देखे इतने �
05:13जहां आप कोई निर्माण कर रहे थें तो वहाँ कैसे आ नहीं सकता था दिर्टार्टो अनुहितzd आउट या सिरा
05:32कि मुझे तो idea है कि वहां पर कितनी सख्त सुरक्षा व्यवस्ता थी, तो वह संत पर कैसे थी?
05:38वह उनकी इच्छा थी थी तो वह हमारे साथ आए. हम उनको साथ लेकर आए.
05:43कि उनकी बहुत इच्छा थी, तो जैसे ही गए, मैं वहां बैठा, तो मैं बैठा, तो मुझे मेर को इतनी एकदम से उर जाई, मतलब कोई ऐसा नहीं था कि कोई आकार है, लेकिन ऐसा एनर्जी आई कि हनुमान जी आये है,
06:09मतलब मैं जबी भी उनको याद करता हूँ, तो ऐसा हो जाता है कि रामलला जी के पास हनुमान जी आये और हमको शक्ती देखे गए, फिर ये रामलला बनाए, रामलला तयार हुए, फिर वहां उन्होंने श्यामवन की मूर्ती लगाई, वो रही, ये हमारा अनुभव तो रहा
06:39आप सिध्धियां चड़ेंगे, जो स्टेप्स चड़ेंगे मेन, तो उसमें गजदवार, दो हाती, सिहंदवार, दो शेर, और गरुडदवार और हनुमान दवार, वो सैंड स्टोन के बने हुए हैं, पंसी पाठपूर के पत्थर के, वो हमने कार्व करके वहां इंस्टॉ
07:09आप जैसे अंदर चलेंगे मंदिर में, तो आप कोली गोग में देखेंगे, गनेश जी और हनुमान जी, 33-33 इंच के हैं, शेच संग मरमर के आशिरवाद देते हुए हैं, वो भी हमने बनाए और जैविजय पैनल्स हैं, फिर आप ग्राउंड फ्लोर पे ही देखें, जो भ
07:39फिर आप ग्राउंड फ्लोर पे देखें तो परकोटा आजाता है, परकोटा में आप देखते हैं, हम लेफ्ट में शुरू करते हैं, तो गनेश जी, फिर हनुमान जी, सूर्य भगवान, भगवती मात, दुर्गा और अनपूर्णा मात, ये भी हमने जैपूर में पांड़
08:09सब्त रिशी, जो सब्त मंडब है, रिशी वालमिकी, रिशी वशिस्थ, विश्वा मित्र, निशाद राज, सब्री मा और अहिल्या, ये बनाएं, उसके बाद जब आप उपर वाले, जैसे आप कहें, रिशी वशिस्थ से उनने शस्त्र विद्या भी सीकी, शास्त्र भी सी
08:39और जूटे भेर चक चक के की वही ये मीठे हैं नहीं है, और अहिलिया माता का जो शिला को उन्होंने राम जी ने चरण लगाया और उनका उद्धार किया, फिर ये मर्याधा पुर्शत्त्म राम आये, जो लंका का उद्धार करके आ रहे हैं, ये जो वनवास काटके आ रह
09:09आनन्द में, जब हम उपर फर्स फ्लोर पे जाते हैं, तो राम दर्बार को देखते याभा बनती है। ये भी पांडेबूर्थी बंडार ने बनाएं उपर, उसमें श्री राम और सीतामा एक शिला में है।
09:33आपके इस वक्तव्य के बाद ये पूरा सिम्हासन एक ही शिला में है बिलकुल ये राम सीता जो हैं वो एक शिला में हैं और जो दास उरूप में आगे बैठे हैं वो हनुमान जी आगे बैठे हैं
09:56सिता जी के आगे भरत ची बैठे हैं जो फ़लार ऑफरिंग कर रहे हैं राम जी के पीछे लक्षमन जी है जो चम Television खड़े हैं और सिता जीड़ीक
10:07चट्रगंजी है जो चमर लिए खड़े हैं तो ये मर अपने आप में देखते ही कि बनता है
10:12जब राम दर्बार केकि दर्शन करते हैं, और मैं आपको ये भी पता दूँ, जो ये एक शिला है, बडी महतववून शिला है, हाँ. इसमें ऐसा हुआ कि जब हम पत्थर सिलेक्ट करते हें,
10:31संग्मर्मर्ग तो उसमें अंदर पता नहीं होता क्या आएगा और साइस बड़ा अच्छा चौड़ा और मुटा साइस था जो जिसमें सीता राम बनने थे
10:44क्योंकि उसमें बांड लिये हुए हैं तुनीर में रखी मुतीर और बड़े ऐसे चाव से उनको बनाना था
10:57तो उसमें जब हम उनको गड रहे थे जब वो कंप्लीट हुए उनकी घिसाई हुई बन जाई हुई और जब पत्थर को स्मूथ किया गया पॉलिश की गई तो राम जी मेगवर्ण में और सीता माता गौरवर्ण में जब आप उनको गौर से देखने बिलकुल यह हमें चबतक
11:27तो इसमें मतलब एक हिस्सा जिदर आपने रामचंदर जी बनाए वो अपने आप है थोड़े से सामले वर्ण के हैं मतलब स्काय कलर के हैं यह एक प्रभू का जो आश्रवाद है अब सोचिए आप अगर वो स्टोन अच्छा इसमें एक है पानव महासायक चारुचापम यह
11:57तो अमूमन तो हमने रामचंदर जी को कंदे से लगाए वे धनूश और बान अगर हाथ में पकड़ा भी है तो या फिर धनूश बिलकुल ऐसे सौम्यता के साथ आपने जो यहां जो दर्शन होते हैं वो जैसे शिवजी तृशूल लेके रहते हैं बिलकुल तो ऐसा है तो �
12:27तो यह इसके पिछे क्या सोच रही आपकी इसमें क्या है सबसे पहले तो हमें बिलकुल बाजू एकदम उठा हुआ है बिलकुल उसमें इनका जो है निशी चरहीन करो महीं भुज उठाई पनकीन है अब जो जैसे पता का लहरा आ रहा है और यह लंका का उधार करके आ रहे
12:57के तो यह इनका एक अपना अपने आप एक रूप बनता है जो बड़ा आनन्द में आता है आप जैसे हमान जी को देखेंगे वह दास लूप में आगे बैठे हुए हां और भरत जी को देखेंगे ऐसे ओफरिंग करने तो यह एक पर परिवार अपने आप में शुशो बित vain
13:27चरणों की दूल जो प्रभू के चरण से हमें मिली है वो हमारी पूर्ती होती है तो इसके ये जब ये भी आपने वहीं बनाया जहां रामलला गड़ है ये जैपूर में बने ये जैपूर में बने ये जैपूर में बने क्योंकि इसमें बहुत सारी मूर्तियां थी साथ में त
13:57सेवा पूजा करते आते जाते बगवान को करते तो बार-बार यही देखते कि प्रभु कैसे अपना रूप निकाल रहे हैं कैसे इनकी शौरता बन रही है और हम हर एक जगे कैसे खुबसुरत बना रहे हैं
14:09इसमें एक चीज और पूछना चाहूँगा एक कलाकार के खिरदय में जहांकना चाहते हैं कि आपने इतने मन से और इतने भाव के साथ प्रभु को गढ़ा अभी तक वो ट्रस्ट ने तो कहा था कि हम इनको सही जगे लगाएंगे लेकिन अभी तक प्रतीक्षा है राम लला की
14:39बनाएं बड़े मन भाव से बनाएं प्रभु ने हमारी परिक्षा ली कि जब उन्होंने इतनी परिक्षा दिये तो हम तो क्या है उनके नाकुन मात्र भी नहीं है
14:49फिर हमने राम परिवार बनाया, हमें पूरा परिवार बनाने का मौका मिला, पूरा परकोटी की मूर्तिया बनाने का मौका मिला, पूरा सब्तरिशी बनाने का शेश मूर्तियों का मौका मिला, तो करीब 30 से ज़्यादा मूर्तिया श्री राम जनम भूमी के लिए पांडे मू
15:19ये दर्शन करें इसमें मैं कुछ चीजें अंदर से पूछना चाहूँगा कि आपने राम लला गढ़ते समय किन-किन चीजों का ध्यान रखा कि कैसा होना चाहिए पैरों में गैप कैसा होना चाहिए और जो छोटे बच्चे के जो बेबी फैट होता है आपने उसको भी ध्या
15:49कि सांगो पांग वह एकदम ऐसा बालक पूरी तरह से मुर्ति न लगे ये भगवान के अवतार भी हैं राजा के पुत्र भी हैं इनका शोर्य अपने आप में हैं सूर्य वंची हैं तो इनकी जो सौफ्टनेस है मेरे पिता जी श्री सत्तिनायन पांडे जो उनका
16:19भाव रहा है राम लला बनाने में वो दिन रात मतलब इसी भाव में लग रहे थे हैं इनको कितना सौफ्ट बनाओं और कि अंदर से ऐसे बनाओं कि ये मर्यादा पूर्शुत्वत्तम और ये इनका जो जो इनके अंदर शौर हैं अपने आप में कितना वो लग जए क्योंक
16:49तो इन ME在 arms in a proper gap हो. कि इनको पजामा सके यह दोती पहना ही जा सके इनको अच्कन पिए जा सके जो लेला को पहना ही जाए तो और और बॉडी में आप इसा शिंगार कर सके तो
17:04ने इन चीजों का विशेज ध्यान रखाता है रामलाला में हाथ पैरों में बिल्कुल विशेज गैप है कि आप जब इनको शिंगार करके ये जबी भी जहां लगेंगे तो आप जो बता रहे हो ना तो दर्शक अब फिर से देखना चाहेंगे कि अब आप उनको समझाओ कि य
17:34उंगलियां इतनी कोमल हैं इनका जो मुख है वो ऐसे हैं कि उनमें जो तेज होज है वो देखते ही बने और जो बच्चे की जो बेबी फैट होता है पेट पर वाक्या इसा बिल्कुल एक सॉफ्टनेस जो आ सके हम जब उनको ऐसे हमारा ये मेरे पिताजी का ये माना था कि �
18:04कि हम उनको दबाएं ना तो ऐसे दब रहें और मुस्कान ऐसी होने चाहिए कि बच्चे को आपने सामने से खिलाया और बच्चा खिल खिला उड़ा बिल्कुल कहीं पे भी आप इनको हाथ लगाएंगे ना तो ऐसा लगेगा कि ये अब बोलेंगे ऐसा ये मुझे ये सौब
18:34सvSP लगेंगे जैसा उन्होंने कहा है और तो है ओन्धिर का एक बहत बड़ा टास्क ये हितिहास में तरज होने वाला पन्ना तो आप लोगो ने लिख दिया पाथर की लग कहते हैं
18:50अपने आप रखा है तो अब तो ये राममंदीर का एक बहुत बड़ा टास्क ये इतिहास में दर्ज होने वाला पन्ना तो आप लोगों ने लिख दिया पत्थर की लकीर लोग कहते हैं अपने पत्थर पर इतिहास लिख दिया अब आगे क्या आगे की प्लाइनिंग क्या रह
19:20पिछले दो साल से चुकि पांडे मुर्ति बंडार आप सत्य नारायन जी आप जब से अध्या कांड शुरू हुआ तब से जब आपको ये दाई तो मिला राम काज उसके बाद से अब तक यानि पिछले दो साल की बात करें तो जीवन में कितना बदलाव आया और क्या-क्या च
19:50हमारा जो जिसको कहेंगे कि वन ओव दा इंपॉर्टेंट इंस्टिटूशन जो आयोद्या धाम है ये हमारे लिए एक हमारा हिर्द है हर एक सानातनी का हिर्द है तो सबके मन में जो श्री राम जनम भूमी के लिए जो भाव है अश्रू है जो आत्मा है
20:14हमारे को सबसे ज्यादा ये इंपॉर्टेंट रहा कि हम हमारा जीवन दे दें हम कैसे जो यह अगरम को काज कलाकारी का मिला है शिल्वकारी का मिला है और हम गर्वगरे की विशेश मूर्थिया बना रहे हैं इससे बड़ा स्वभाग्य हो नहीं सकता मेरे दादा जी श्री �
20:44कोई और इच्छा शेश रहती है क्या कि जो हर सनातनी के मन में हैं वो हम आगे से आगे सोचते रहते हैं कि कैसे सनातन धर्म के लिए कोई भी विशेश जगों में जो भी
21:01हमारे आराध्य देव हैं जो भी हमारे विशेश धर्म के शेत्र हैं जो भी जनम भूमिया हैं वहां हमें जो सहो करना पड़ेगा हम अपनी आत्मा से अपने कर्म से हमारी भक्ती से पून सेवा करेंगे
21:21लोग कहते हैं कि तुझ को पाने के बाद फिर कोई तमना नहीं रही तो राम जी को बनाने के बाद कोई और तमना रहती है कि कुछ और बनाने की कुछ ऐसा लगता है कोई सपने में या सोच में ख्यालों में कि ये भी और कर लेते तो बढ़िया था या अब लगता है कि त�
21:51कि अभी हम जो मायापुर स्कॉन का जो विशेश मंदिर बन रहा है उसको आगे ले जा रहे है उसकी रादमादो मेरे दादा-जी के हाथ की बनाई हुई है
22:03उनका जो सारा प्रोजेक्त है मायापूर में नवद्धीप मायापूर कलकटा मन्दिर मुख्याले है वहां का उनकी उसमें संतावली बन रही है वह भी पांडे मूर्ति बना रहे हम लोग अभी जो कोशल्ले धाम है जहां कोशल्ले माता का जनम स्थान है जो आपके 36 गड़ म
22:33राम बदराचारे जी महराज जी के जो उनके लिए कोशले माता और राम लला बना रहे हैं
22:39स्कॉन देश विदेश में पांडे मूर्ती बंडार मूर्तियां बेच चुका है
22:46पाकिस्तान कराची की बना चुके हैं पाकिस्तान हैदराबाद की बना रहे हैं
22:51बांगलादेश की हमने बनाई है डेड़ साल हो गया लेकिन वो जानी पारी ग्रह युद्ध के कारण वो बहुत परेशान है वहाँ
23:05परशान भाई क्या सारी मूर्तियों में एक टिपिकल जो कहते हैं कि एक ही अधियर का चेहरा एक ही तरह की बहुत उसे बचने के लिए ऊच्छने शास्तिये पर दूसरे राग के छाया ना हैं तो उसलिए वो
23:19सुरों का चलन ऐसा रखते हैं कि दूसरा राग ना दिखाई दे वो ही राग दिखाई दे तो यह कैसे क्या टेक्नोलोजी है चुकि इतनी मूर्तियां बना चुके हैं तो क्या आप लोगों की कोशिश रहती है कि पिछली वाली से अलग रहे
23:30भगवान बनाना भाव से भगवान बनाना उसमें फरक होता है हूं है आप अपने अंतर मन से जब प्रभू के चरणों में अपने आपको अरपन कर देते ना तो उनका रूप अपने
23:53आप विलक्षन निकलता है, जैसे आप अनपूर्णा मा को देखेंगे, श्री राम जनम भूमे परकोटा की मूट, उसी प्रकार आगर आप सूर्य बगवान को देखेंगे, या आप अनपूर्णा को दुर्गा माता में देखेंगे, तो अपने आप उनकी आभालक दिखेंग
24:23राम जी को देखेंगे, या सीता जी को देखेंगे, इनका अलग भाव आएगा, इतनी सारी आपने अगर इसकौन की मूर्थियां बनाई तो बहुत सारी बना चुके हैं, दरजनों, तो उसमें हरे एक जोडी का भाव अलग कैसा था, क्या आप लोगों को अंदर कुछ महस�
24:53संजे जी, इसको ऐसे कर देंगे और ऐसा चेहरा रहेगा, इसको चार इसमें बांड दो, इधर बहुत बहुत डिटेल का आपका कोशन है, मैं दाद दूंगा आपको इस बात के लिए, कि आपकी रिसर्च बहुत स्ट्रॉंग है, होता क्या है, भक्त जो आता है, वो आपको
25:23कि मेरा आधार ये, वो अपनी भावना बताता है, वो अपनी हिर्दे की जो भाव होता है, अपने ठाकुर्जी के प्रति, और कलाकार को उसके भाव को पकड़ना होता है, तो जब दो मिलता है ना, तो वो वहां से तो करते हैं प्रार्थना, चैंटिंग, प्रभूगी, और
25:53तो कहते हां, हमारे जो प्रभू हैं, कई लोग ऐसे कहते हैं, दौा पर यहां आ गया और क्रिशन जी हमको अवत्तरित हो गए, कभी ऐसा महसूस हुआ कि ऐसी चीज़ बनके सामने आई, कि आपको लगा यार, ऐसा तो हमने सोचा ही नहीं था, और ये कला तो मनलब इस तरह क
26:23कहती है, कि हम तो मात खा गए, ये तो कहीं और शाया है, हम जब बनाते हैं, कुछ और ऐसा फीलिंग होता है, कि हम जिस भाव से बनाते हैं, तयार होता है, और जब प्रतिस्टित हो जाती है, तो कुछ और अपने आप विलक्षन ता आती है, तो हम सोचते हैं, कि ये तो शा
26:53लुटा दे अपने आपको तो हम कुछ उनका जो संग्यान है जो प्रभू से मा से प्राप्त होता है बनाने के लिए ठाकुर जी को अब रिशी मुनी बनाए कि निशाद राज बनाने हैं तो स्कैच मिला वासुदेव कामजी चित्र कार बड़े अच्छे चित्र बनाएं चित
27:23ऐसे मूर्थी हैं उसको किस तरीके से निकाल ना या शिल्प शांस्त्र अपने आपमे एक हैंजो का गो एक जो ऑस को कैसे निखारा जाये कि उनमें से उनका हर एक शौर्यक कितना खूब्सूरुत निकाला जाएगी जैसे रहें तो यहें निशाद राजि इंतजार कर रहे
27:53वालमिकी जी लिख रहे हैं रामयन और सीता मा अपना लवकुष का जनम और वो वहां रही तो कितना बड़ा संसर गया है तो वहां एक अच्छा पूरे कांट देखने को मिले तो ये हमको हर भाव को ध्यान में रखते हुए शिल्पकला कभी ऐसा लगा कि जो स्केच दिया उस
28:23उसमें वह चीज उतना रिफ्लेक्ट नहीं हो रही है जितना मूर्ति में हो रही है ऐसा कभी लगा लगा लूग कि उसमें कुछ चीज प्रेक्टिकलिटी क्योंकि 2D और 3D में बहुत फरक होता है कि हम एक फ्लैट सर्फेस पे कुछ चीज बनाएं देखें जैसे मैंने भी �
28:53इसमें कोई कोई वहता है और कोई स्कुल्प्चर होता है तो उसको प्रेक्टिकलिटी में लाना उसमें कोई चीज देखना कि उसको कैसे ब्यूटिफाय कर सकते है तो और चित्ये मेंश्ट्रीम दर सुंदर कैसे बनाना है
29:10तो आधार चाहे शिल्ब��고 चित्र का लेकिन
29:14उसको रूपक मूर्ती कला में कैसे लेगर आना है।
29:19तो उसकी जो खुबसूरती है बारी किया हैं जो जितनNever
29:21है जो क्योंब uns दिख पूर करेंगते हैं। तो सह बहतं हैं।
29:24यह और enhance करेंगे तो ज्यादा बेटर रहेगा इसमें यह erase करेंगे तो बेटर रहेगा में अचित्ते हुआ है कई बार ऐसा होता है कि जितना आप पीते जाओ प्यास उतनी बढ़ती जाती है तो क्या आपको लगता है कि आप संतोष्टी के लेवल पे हैं संतोष्ट है और ल�
29:54कि वह भी जब हम अयुद्या थे और जैपूर में गड़ रहे थे तो वह बड़े आके खेलते थे बनाते तो उनका भी लाड़ चाहूं कि संतुष्ट अंत नहीं है संतुष्ट हम है प्रभू के चरणों से लेकिन हमारे काज में हम निरंतर सनातन धर्म के लिए आने वाली �
30:24प्रभा भी है कि ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग त्यों त्यों उज्वल होए यानि कानह में आप या श्याम रंग श्याम तीन ही चीजें या तो जल का रंग श्याम है मेग का या आसमान का रंग श्याम है या फिर इश्वर का रंग श्याम है ज्यों ज्यों आप इ
30:54जा रही है और यह प्यास पीड़ियों की प्यास है युगों की प्यास है जो आगे वैसे ही बढ़ती रहेगी जैसे गंगा और यमना दिन और रात सूरज और चान कैमरामेन अशोग भनोड जी के साथ संजे शर्मा दिल्ली आज तक जैसी आरा
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