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  • 19 hours ago
Transcript
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00:30इन सब में कुछ न कुछ तो संबंद है
00:32ये रक्त मणी है मित्र
00:35इसके अंदर स्वयम भगवान श्री हनुमान जी का रक्त था
00:39जब उन्होंने सूर्य को निगल लिया था
00:42तो सूर्य का तेज तो होना ही था
00:45सोचो पहले सिर्फ इसके प्रकाश मात्रा से
00:49तुम्हारे अंदर इतनी ताकत आ जाती थी
00:51तो अब तो पूरी मणी तुम्हारे अंदर समा चुकी है
00:56ये प्रभू श्री राम की ही माया है
00:59कि तुम उस मणी का तेज अपने अंदर समा पाए
01:03वरना कोई आम इंसान इसको छू भी नहीं पता
01:08ये सब आपस में जुड़े हैं बालक
01:12क्योंकि अब मेरा समय आ चुका है
01:15कि मैं मेरे प्रभू श्री राम से
01:18किये गए उस वादे को पूरा करूँ
01:21मैंने कितने साल इस समय की प्रतीक्षा की है
01:25और अब मेरी प्रतीक्षा पूरी हुई
01:28लेकिन वो राक्षत है कौन
01:31कली
01:32कल युग का कली
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