00:00जैसे जैसे टेकनोलोजी बढ़ती जारी है दुनिया 5G नेटवर्क के अगास का जेशन मना रही है एक खामोश नुकसान किसी का दिहान नहीं जाता चीडिया जो कभी हमारे महलों में आम नजर आती थी अब नायाब होती जारी है जब कि टेकनोलोजी की दौर आगे बढ़ र
00:30जैसे नहायत प्यारी और खुबसूरे चिडिया हुआ करती थी या हमें अपने गवं में नजर आया करती थी घरेलू चिडिया जिसे लोग महबस से चिडिया भी चिडिया भी कहते थे और उर्दू में इसको चिडिया कहते हैं ये सिर्फ एक परिंदा नहीं थी बलके हमार
01:00जो कभी हमारे रोज मरा जिन्गी का हिस्सा थी अब आइस्था इस्था नजर से और जल होती जा रही हैं और बदकिस्मी से हमें से ज्यादा तर लोग इस खसारे का अंदाजा भी नहीं कर पा रहे हैं ये चिडिया सिर्फ खुबसूरती या मनूसियत की इलामत नहीं थी ब
01:30303 पर मुकलिव इशारों की निशानदे ही करता है यानि ये एक कुदरती अलारम सिस्टम थी जो बगार शोर के हमें बता रही थी कि महौल कैसा है कौन सी तबदेली खतरनाक है और कौन सा अंसर जिन्दगी के लिए नुकसानदा हो सकता है लेकिन ये अलारम खामोश हो चु
02:00का बरदार करता था कि कहां बारीकी से बिगार पैदा हो रहा है चिडिया के गाइब होने के बावजूद हमें बढ़ती हुए महौलियाती अलूदगी केमिकल कच्छे का बढ़ना दरختों की कर्टाई एक अंक्रेट और इसके अलावा जंगल और घरों में खुली जगा का ख
02:30अब लकडी की फरेमों से साइडिंग शीशे में तबदील हो चुकी है जिन में ना दरारे हैं और ना ही वहां पर कोई भी चिडिया आकर गौंसला बना सकती है ये महस फितरत का बिगार नहीं बलके इनसान की जिद्गी के लिए भी खत्रे की घंटी है जब चिडिया जैसे
03:00नहसर होता है हमें ये समझना होगा कि फितरत का हर छोटा जानदार चाह वो कितना ही मामूली क्यों नहों एक बड़ा तवाजन का हिस्सा होता है अगर हमने अभी भी इस खामोश तबाही को ना समझा तो कल शायद बहुत देर हो जाएगी चिडिया को बचाना सिर्फ एक प
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