पंचकुला के किसान वीरेंद्र बाजवान मशरुम से लोगों का जीवन रोगमुक्त बना रहे हैं. हरियाणा के एक मात्र पाहड़ी क्षेत्र मोरनी से 8 किलोमीटर दूर बड़ियाल गांव में मेडिसन मशरुम गौनोडर्मा तैयार कर रहे हैं. गैनोडर्मा मशरुम को खुबियों के चलते मौजिकल मशरुम भी कहा जाता है. इसका उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है. ये सड़ी गली लकड़ी पर उगता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन डी और प्रोटिन सहित कई पोषक तत्व होते हैं. इस मशरुम से बने उत्पाद शुगर कंट्रोल करने , कैंसर, सूजन, अल्सर, बैक्टीरियल इन्फेंकशन और त्वचा रोगों में लाभकारी माने जाते हैं. बाजवान इस गौनोडर्मा से न सिर्फ मालामाल हो रहे हैं. बल्कि देश विदेश में भी नाम कमा रहे हैं.इस किसान ने सोलन के मशरूम अनुसंधान निदेशालय से प्रशिक्षण लिया. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के स्टार्टअप प्रोग्राम “सफल योजना” का फायदा उठाया. यहां से प्राप्त 15 लाख की प्रोत्साहन राशि से इस खेती की शुरूआत की. लगातार प्रयोग और रिसर्च किए. गैनोडर्मा मशरुम से बने कई उत्पादों को बाजार में उतारा. गैनोडर्मा मशरूम में कई फैटी एसिड मौजूद होते हैं. जो शरीर को रोगमुक्त रखने में मदद करते हैं...साध ही ये विटामिन ए, सी, डी, बी से भरपूर होता है. इसमें पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर होता है. वीरेंद्र बाजवा ने अपनी फार्मिंग के दम पर कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार जीते.उनकी पत्नी और इंजीनियर बेटी खेती में मदद करती हैं. जिसके चलते लोग इन्हें मशरुम फैमली के नाम से बुलाने लगे हैं.
00:00पंचकुला के किसान विरेंद्र बाजबान मश्रूम से लगों का जीवन रोगमुक्त बना रहे हैं।
00:30बाजबान इस गैनोडर्मा से न सिर्फ माला माल हो रहे हैं बलकि देश विदेश में भी नाम कमा रहे हैं।
00:50इसलिए सबसे पहले जो बेस है आपका वो लकडी का बरादा है और यह लकडी का बरादा हाड़ वूड होना चाहिए चोड़े पत्ते का होना चाहिए और उस पेड में दूद और तेल ना हो।
01:00लकडी भी निरोगी होनी चाहिए जी तो सबसे पहले हम लकडी का बरादा लेते हैं उसके बाद हम वीट बरादा लेते हैं चोकर और एक यह कंपोजिशन है इसमें आपका चुनना है जिफसम है बीट वैलो है बीवन है इस्ट है पैप्टोन है गलुकोज है तो उसका यह �
01:30उसका पैंने सोलन के मश्रूम अनुसंदान निदिशाले से प्रशिक्षण लिया
01:554. Challencing Haryana Krishivish Vidyaalai Hissar के Startup Program सफल योजना का फाइदा उठाया
02:02यहां से प्राप्त 15 लाग की प्रोसाहन राशी से इस खेती की शुरुवात की
02:06लगातार प्रियोग और रिसर्च किये
02:09और गैनोडर्मा मश्रूम से बने कई उत्पादों को बाजार में उतारा
02:13गैनोडर्मा मश्रूम में कई फैटी एसीड मौजूद होते हैं
02:17जो शरीर को रोगमुक्त रखने में मदद करते हैं
02:20साथ ही यह बिटामिन A, C, D, B से भरपूर होता है
02:25इसमें potassium, phosphorus, calcium और magnesium भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है
02:30विरेंद्र बाजवा ने अपनी farming के दम पर कई राश्रिय और राजस्तरिय पुरस्कार जीते
02:36उनकी पत्नी और engineer बेटी इस खेटी में मदद करती हैं
02:41जिसके चलते लोग इने मश्रूम family के नाम से बुलाने लगे हैं
02:44हर्याना सरकार ने विरेंद्र बाजवान को
03:08मश्रूम प्रमोशन कमिटी का गैर सरकारी सदसे निक्त किया है
03:12साथ ही इने हर्याना के 190 ITI के चात्रों को ट्रेनिंग देने की जम्यदारी दी है
03:17इन्होंने एक लाग से ज़्यादा किसानों और चात्रों को ट्रेनिंग देकर आत्म निर्भर बनने में मदद की है
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