देश के महानगरों में बढ़ता हुआ प्रदूषण वहां रहने वाले लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर रहा है. बीमारी सिर्फ दिल और फेफड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दिमाग पर भी इसका असर हो रहा है. लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से डिप्रेशन पैदा हो रही है और लोगों के सोचने-समझने की ताकत कम हो रही है. प्रदूषित हवा दिमाग के रसायन का संतुलन बिगाड़ देती है. जानकार ये भी बताते हैं कि गर्भवती महिलाएं प्रदूषण के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का मानसिक विकास रुक सकता है. गर्भवती महिलाओं के अलावा जिन लोगों पर प्रदूषण का जोखिम ज्यादा होता है, वे हैं बच्चे, बुजुर्ग और पहले से डिप्रेशन के शिकार लोग लोग.. अक्सर लोग मानसिक सेहत की बात करते समय प्रदूषण को नजरअंदाज कर देते हैं... लेकिन जानकार बताते हैं कि खराब हवा से उत्पादकता में कमी, अनिद्रा और भावनात्मक सेहत में गिरावट का खतरा रहता है.
00:30Still, people to do that, they have just so much felfro-free,
00:36in fact, the liver is reported in the body of fatty liver.
00:39but in the brain, the impact is significant.
00:50They are the most important part of their lives.
00:52This is a part of the contribution.
01:0050-40% of children with a neurodevelopmental disorder, which we call Autism Spectrum, ADSD, Attention Deficit Hyperactivity Disorder, this is the prevalence of these disorders.
01:15गर्वोती महिलाओं के अलावा जिन लोगों पर प्रदूसन का जोखिम जादा होता है, वे हैं बच्चे, बुजुर्ग और पहले से डिप्रेशन के सिकार लोग, अक्सर लोग मानसिक सेहत की बात करते समय प्रदूसन को नजर अंदाज कर देते हैं, लेकिन जानकार बताते ह
01:45उस तरीके से नहीं समझ पाए हैं क्योंकि वो आपका पॉलुटिड एर में सांस लेते ही नहीं होते, वो विमारियां धीरे धीरे आपकी होते हैं
01:53वायू प्रदूसन की समस्या से निपटने के लिए बेहतर नीतियां और जनभागिदारी दोनों जरूरी हैं
01:59इसके लिए स्वच परिवहन, कम अध्योगिक उत्सरजन और ज्यादा से ज्यादा पेल लगाने पर जोर देना होगा
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